दिल से जुड़ी कई तरह की परेशानियां होती हैं। कुछ केसेस में कोई लक्षणें समझ नहीं आती हैं, तो कुछ केसेस में लक्षणों को आसानी से समझा जा सकता है। इसलिए आज इस आर्टिकल में हार्ट एक्सप्लोडिंग (Heart exploding) से जुड़ी जानकरी आपसे शेयर करेंगे।
- हार्ट एक्सप्लोडिंग क्या है?
- हार्ट एक्सप्लोडिंग के कारण कई हो सकते हैं?
- डॉक्टर से कब कंसल्टेशन है जरूरी?
- कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के खतरे को कम करने के लिए क्या करना चाहिए?
चलिए अब हार्ट एक्सप्लोडिंग (Heart exploding) से जुड़े इन सवालों का जवाब जानते हैं।
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हार्ट एक्सप्लोडिंग (Heart exploding) क्या है?
हार्ट एक्सप्लोडिंग मेडिकल टर्म है और इसे अगर आसान शब्दों में समझें, तो कई बार कुछ लोगों को ऐसा महसूस होता है कि उनका दिल अत्यधिक तेजी से धड़क रहा है कि हार्ट एक्सप्लोडिंग की स्थिति कई कारणों की वजह से हो सकती है, जिनके बारे में आर्टिकल में हम आगे समझेंगे।
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हार्ट एक्सप्लोडिंग के कारण कई हो सकते हैं? (Causes of Heart exploding)
हार्ट एक्सप्लोडिंग के कारण इस प्रकार हैं। जैसे:
- हार्ट रप्चर (Heart rupture)
- पैनिक अटैक (Panic attack)
- एलर्स डैनलोस सिंड्रोम (Ehlers-Danlos syndrome)
- ट्रॉमेटिक इंजुरी (Traumatic injuries)
- सडेन कार्डियक अरेस्ट (Sudden cardiac arrest)
- टैकीकार्डि (Tachycardia)
चलिए अब हार्ट एक्सप्लोडिंग के कारण को एक-एक कर समझते हैं।
1. हार्ट रप्चर (Heart rupture)-
हार्ट रप्चर जिसे मायोकार्डियल रप्चर (Myocardial rupture) भी कहा जाता है। मायोकार्डियल रप्चर हार्ट अटैक (Heart attack के बाद होने वाली समस्या है। हार्ट अटैक होने पर हार्ट के आसपास के टिशू में ब्लड फ्लो रुक जाता है जो हार्ट सेल्स को डेड कर सकती हैं। अब अगर ऐसी स्थिति में ज्यादा हार्ट सेल्स डेड हो जायें तो हार्ट रप्चर की समस्या बढ़ सकती है। वहीं ऐसी स्थिति हार्ट एक्सप्लोडिंग का कारण भी बन सकती है।
2. पैनिक अटैक (Panic attack)-
हार्ट एक्सप्लोडिंग के कारण में पैनिक अटैक की समस्या हो सकती है। पैनिक अटैक की समस्या होने पर दिल बहुत तेजी से धड़कता है और हार्ट एक्सप्लोडिंग (Heart exploding) जैसी स्थिति महसूस होती है। पैनिक अटैक की समस्या मानसिक परेशानियों की वजह से होती है जैसे अत्यधिक तनाव में रहना या किसी से अपनी बात न कह पाना।
3. एलर्स डैनलोस सिंड्रोम (Ehlers-Danlos syndrome)
हार्ट एक्सप्लोडिंग के कारण में शामिल एलर्स डैनलोस सिंड्रोम (Ehlers-Danlos syndrome) एक ऐसी समस्या है, जिसमें बॉडी में मौजूद कनेक्टिव टिशू (Connective tissue) पतले होने के साथ-साथ टूटने लगते हैं या कमजोर हो जाते हैं। जिन लोगों में हार्ट एक्सप्लोडिंग की समस्या होती है उन्हें रेग्यूलर चेकअप की जरूरत पड़ती है, क्योंकि एलर्स डैनलोस सिंड्रोम (Ehlers-Danlos syndrome) की वजह से अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
4. ट्रॉमेटिक इंजुरी (Traumatic injuries)
ट्रॉमेटिक इंजुरी (Traumatic injuries) बेहद ही रेयर कंडिशन है, जो किसी एक्सिडेंट के कारण होती है। ऐसी स्थिति सीधे हार्ट पर असर डालती है जो हार्ट एक्सप्लोडिंग का कारण बन सकती है।
5. सडेन कार्डियक अरेस्ट (Sudden cardiac arrest)
सडेन कार्डियक अरेस्ट की वजह से भी हार्ट एक्सप्लोडिंग की स्थिति पैदा हो सकती है। इसदिनों सडेन कार्डियक अरेस्ट की समस्या ज्यादा देखी जा रही है। सडेन कार्डियक अरेस्ट को समझने से पहले कार्डियक अरेस्ट (Cardiac arrest) को समझना जरूरी है। कार्डियक अरेस्ट की स्थिति ब्लड वेसेल्स के कमजोर पड़ने की वजह से होती है। धीरे-धीरे ब्लड वेसल्स का ब्लॉक होने से सडेन कार्डियक अरेस्ट में भी बदल जाता है। इसलिए कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ (Cardiovascular Health) को स्ट्रॉन्ग बनाये रखना बेहद जरूरी है।
6. टैकीकार्डिया (Tachycardia)
60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को टैकीकार्डिया की समस्या हो सकती है, लेकिन अगर परिवार में किसी को यह समस्या है तो इसके होने के खतरा ज्यादा होता है। हालांकि इस परेशानी को समझकर इसे कम या ठीक किया जा सकता है। टैकीकार्डिया (Tachycardia) की समस्या होने पर दिल की गति अपने सामान्य गति से ज्यादा तेज हो जाती है जिसे आप आसानी से महसूस कर सकते हैं। दिल से जुड़ी इस बीमारी के कारण भी हार्ट एक्सप्लोडिंग की स्थिति हो सकती है।
यहां ऊपर बताई गई कार्डियोवैस्कुलर डिजीज कोई गंभीर समस्या नहीं हो सकती है, लेकिन अगर इस समस्या को ज्यादा दिनों तक इग्नोर किया जाए तो किसी गंभीर बीमारी या स्थिति को रोका भी नहीं जा सकता है। इसलिए अगर हार्ट एक्सप्लोडिंग महसूस होने पर इग्नोर नहीं करना चाहिए और डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए।
नोट: हार्ट एक्सप्लोडिंग का इलाज इसके कारणों को समझकर किया जाता है, क्योंकि हार्ट एक्सप्लोडिंग के कारण अलग-अलग होते हैं। इसलिए डॉक्टर द्वारा दिए गए सलाह का पालन करें और दिल से जुड़ी बीमारियों के साथ-साथ अन्य बीमारियों से भी दूर रहें।
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डॉक्टर से कब कंसल्टेशन है जरूरी? (Consult Doctor if-)
निम्नलिखित स्थितियों में डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। जैसे:
- सीने में दर्द (Chest pain) महसूस होना।
- बाहों, बाएं कंधे, कोहनी, जबड़े या पीठ में दर्द होना।
- सांस लेने में कठिनाई (Breathing problem) होना।
- मतली और थकान महसूस होना।
- बार-बार चक्कर आना।
- ठंड लगना और पसीना आना।
अगर इनमें से कोई भी स्थिति महसूस होती है, तो देर ना करें और जल्द से जल्द डॉक्टर से कंसल्ट करें।
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कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के खतरे को कम करने के लिए क्या करना चाहिए? (Tips for Healthy Cardiovascular Health)
कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के खतरे को कम करने के लिए निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना जरूरी है। जैसे:
- पौष्टिक आहार (Healthy diet) का सेवन करें।
- बार-बार खाने (Frequent eating) की आदत से बचें।
- मौसमी फल (Fruits) एवं सब्जियों (Vegetables) का सेवन करें।
- पैक्ड जूस (Juice) एवं खाद्य पदार्थों का सेवन ना करें।
- नियमित एक्सरसाइज (Workout), योग (Yoga) या वॉक (Walk) करें।
- एल्कोहॉल (Alcohol) का सेवन कम से कम करें।
- स्मोकिंग (Smoking) ना करें।
- तनाव (Stress) से बचें।
- 7 से 9 घंटे की नींद (Sleep) लें।
इन नौ बातों को ध्यान में रखकर कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (Cardiovascular Health) या हार्ट एक्सप्लोडिंग (Heart exploding) के कारणों से बचने में मदद मिल सकती है। वहीं अगर हार्ट एक्सप्लोडिंग (Heart exploding) की स्थिति को इग्नोर करना किसी बड़ी लापरवाही से कम नहीं है ।इसलिए डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक होता है।
उम्मीद करते हैं इस आर्टिकल में आपको हार्ट एक्सप्लोडिंग (Heart exploding) से जुड़ी जानकारी अच्छी लगी होगी। वहीं अगर आप हार्ट एक्सप्लोडिंग (Heart exploding) से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर पूछ सकते हैं। हैलो स्वास्थ्य के हेल्थ एक्सपर्ट आपके सवालों के जवाब देने की कोशिश करेंगे। हालांकि अगर आप शरीर से जुड़े किसी भी समस्या से पीड़ित हैं, तो डॉक्टर से कंसल्टेशन करें, क्योंकि ऐसी स्थिति में डॉक्टर आपके हेल्थ कंडिशन (Health condition) को ध्यान में रखकर इलाज शुरू करेंगे।
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