के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya
बढ़ते समय के साथ कार्डियक अरेस्ट के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि युवाओं और उम्र वाले लोगों में भी इसके मामले अधिक देखने को मिल रहे हैं। अगर आप सभी ने ध्यान दिया होगा, तो सबसे ज्यादा कार्डियक अरेस्ट के केस बाथरूम में भी देखने को मिलते हैं, यानि कि जिन लोगों को कार्डियक अरेस्ट आया, उनमें से अधिकतर लोगों के साथ इस हादसे को बाथरूम में ही देखा गया है। कार्डियक अरेस्ट, हार्ट की एक गंभीर स्थिति है, जिसमें मरीज की जान चली जाती है। आइए जानते हैं कि बाथरूम में कार्डियक अरेस्ट (Cardiac arrest in bathroom) ज्यादा क्यों आते है और इसका कारण क्या है?, जानिए यहां:
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बाथरूम में कार्डियक अरेस्ट क्यों होता है?, यह जानने से पहले आप यह जान लें कि कार्डियक अरेस्ट (Cardiac arrest) आने का कारण क्या है? सबसे पहले तो लोग कार्डियक अरेस्ट और दिल के दौरा को एक ही समझते हैं। पर ऐसा नहीं है ये दोनों अलग है एक-दूसरे से। कार्डियक अरेस्ट में दिल की धड़कन बंद हो जाती है, यानि कि मरीज की जान जली जाती है। लेकिन दिल के दौरे में दिल सामान्य रूप से धड़कन अटैक पड़ने पर तुरंत नहीं रूकती है। भले ही दिल को रक्त की आपूर्ति में बाधा पैदा होने लगती है। लेकिन जब दिल का कोई बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो दिल का धकड़ना बंद हो जाता है, उस स्थिति को कार्डियक अरेस्ट कहते हैं। लेकिन दिल का दौरा तब होता है, जब हृदय में रक्त के प्रवाह (Blood Circulation) में रूकावट आ जाती है। कार्डियक अरेस्ट तब होता है, जब दिल में सीधी तौर पर खराबी आ जाती है और अचानक से दिल काम करना बंद कर देता है।
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कार्डियक अटैक वैसे तो अचानक से आता है, लेकिन अधिकतर लोगों में कुछ घंटे पहले इस तरह के लक्षण नजर आने लगते हैं। लेकिन जिसका लोगों की तरफ ध्यान नहीं जाता है। यह अटैक आने से पहले शरीर कुछ संकेत देता है, जैसे कि बेचैनी महसूस होना, बेहोशी होना, अत्धिक पसीना आना, दिल की धड़कन का अचानक से बढ़ जाना, घबराहट महसूस होना और सांस लेने में तकलीफ होना। कई लोगों के सीने में हल्का सा दर्द भी महसूस होने लगता है। इन लक्षणों को अनदेखा नहीं करना चाहिए। वैसे तो यह लक्षण और भी कई शरीरिक कारणों से हो सकते हैं। आसामान्य महसूस करने पर आपको तरुंत डाॅक्टर से बात करना चाहिए।
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हार्ट से संबंधित अटैक के अधिकतर मामले उन्हीं में ही ज्यादा देखने को मिलते हैं, जिन्हें पहले से ही हार्ट की कोई समस्या की शुरूआत हो चकुी होती है, लेकिन उसके बारे में मरीज को पता नहीं होता है, जिनमें हाय कोलेस्ट्रॉल की समस्या भी है। एनसीबीआई की एक रिपोर्ट की मानें तो 11 प्रतिशत से ज्यादा हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट के केस बाथरूम में ही देखे गए हैं। जिस कारण मरीजों की मौत हो चुकी हाेती है। बाथरूम में हार्ट अटैक का मुख्य कारणों में शामिल हैं:
इसके अलावा अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के नेशनल सेंटर फॉर बॉयोटेक्नोलॉजी इंफोर्मेशन (NCBI) की रिपोर्ट में भी यह बात कही गई है कि 11 प्रतिशत से ज्यादा हार्ट अटैक के केस बाथरूम में होते हैं। बाथरूम में हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा होता है। इस बारे में मैक्स हॉस्पिटल के सीनियर डायरेक्टर और हार्ट रोग स्पेशलिस्ट डॉक्टर मनोज कुमार का कहना है कि बाथरुम में कार्डियक अरेस्ट आने के वैसे तो कई कारण हो सकते हैं, लेकिन जिन लोगों में पहले से ही हार्ट संबंधी बीमारियां हैं, उन्हें इसका खतरा अधिक होता है। इसके अलावा, उन लोगों में भी इसका खतरा ज्यादा होता है जब हम अपने शरीर के हिसाब से पानी का इस्तेमाल नहीं करते हैं, तो भी इसका हाय रिस्क होता है। जैसे ठंडे मौसम में ज्यादा ठंडे पानी से दिक्कत हो सकती है। इसके अलावा जब नहाते समय ज्यादा तेज चलाते हैं तो भी हार्ट अटैक पर स्ट्रेस बढ़ जाता है.’ ऐसे में कोशिश करनी चाहिए कि तापमान के हिसाब से पानी का इस्तेमाल करना चाहिए और आराम से नहाना चाहिए. जिन लोगों को पहले से हार्ट में दिक्कत है तो उन्हें इसका ज्यादा ध्यान रखना चाहिए।
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कार्डियक अरेस्ट से बचाव (Prevention of cardiac arrest) के लिए कुछ बातों का ध्यान हमेशा रखना आवश्यक है। विशेषतौर पर उन लोगों काे जिन्हें हार्ट की समस्या पहले से ही हो रखी है। हार्ट की समस्या से बचने के लिए इन बातों का रखें ध्यान:
बाथरूम में कार्डियक अरेस्ट : ब्लड सर्कुलेशन सही हो (Blood Circulation)
हेल्दी हार्ट के लिए शरीर में दिल में सही रक्त प्रवाह का होना बहुत जरूरी है। कार्डियक अरेस्ट हो या हार्ट अटैक, दोनों में ब्लड सर्कुलेशन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ब्लड सर्कुलेशन का सीधा प्रभाव हमारे हार्ट पर पड़ता है। ब्लड सर्कुलेशन (Blood CirculATION) हार्ट से ही नियंत्रित होता है, जिससे हमारे शरीर की गतिविधियां सही ढंग से हो पाती हैं। इसके अलावा जब हम बाथरूम में टॉयलेट सीट पर बैठ कर कई बार जब ज्यादा प्रेशर डालते हैं, तो उस दौरान इसका सीधा प्रेशर हमारे हार्ट पर ही पड़ता है। इस प्रेशर से दिल की धमनियों पर दबाव बढ़ता है, जो हार्ट अटैक या फिर कार्डियक अरेस्ट की वजह बन सकता है।
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बाथरूम में कार्डियक अरेस्ट : नहाने के दौरान भी सावधानी बरतें (Be careful while taking a bath)
कई बार नहाने के दौरान भी हार्ट अटैक का खतरा (Risk of Heart Attack) अधिक होता है क्योंकि आप तेजी से सॉवर लेते हैं। आ जाता है। नहाने को लेकर डॉक्टर सलाह देते हैं कि बाथरूम में जाने के बाद डायरक्ट शॉवर ने लें। पहले धीरे-धीरे शरीर पर पानी डालें और फिर शॉवर लें। अगर आपने ऐसा नहीं किया और सीधा सिर पर ठंडा पानी डाला तो इसका गलत असर ब्लड सर्कुलेशन पर पड़ता है। जिन्हें दिल की बीमारी हो, उन्हें इससे बचना चाहिए। सीधे सिर पर पानी डालने से कई बार व्यक्ति की दिल की धड़कन एकदम से बंद हो जाती है। अगर आप अपने शरीर पर अचानक से गर्म या ठंडा पानी डालते हैं, तो इससे ब्लड सर्कुलेशन पर प्रेशर पड़ता है। लेकिन अगर आप पहले पैरों पर धीरे-धीरे पानी डालते हैं, तो इससे ब्लड सर्कुलेशन पर सीधा असर नहीं पड़ता है और इससे हार्ट की प्रॉब्लम से बच सकते हैं। बाथरूम में इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।
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बाथरूम में कार्डियक अरेस्ट: बाथरूम में देर या जल्दबाजी न करें
देर तक बाथरूम में बैठना, शरीर को साफ करने में ज्यादा प्रेशर (Pressure) लगाना, दोनों पैरों के सहारे ज्यादा देर तक बैठे रहना, जल्दबाजी में नहाना हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट का कारण बन सकता है। बाथरूम में किसी प्रकार की जल्दीबाजी न करें। कई बार बाथरूम में पैर फीसलने के कारण भी कई बार हार्ट अटैक का कारण हो सकता है। इसलिए इन बातों का ध्यान रखें।
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हार्ट की प्रॉब्लम (Heart Problem) कहीं जान लेवा न बन जाए इसलिए समय रहते कुछ बातों का खास ध्यान रखना आवश्यक है। अपनी लाइफस्टाइल और डायट का विशेषतौर पर ध्यान रखना आवश्यक है। इसके अलावा बाथरूम में बतायी गई एक्टिविटिज का विशेषतौर पर ध्यान रखें। कुछ गलतियां और हैवी वेट लिफ्टिंग से बचें। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
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