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किशोरावस्था के दौरान किशोरों में होने वाले शारीरिक और मानसिक बदलाव कौन से हैं?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/09/2021

    किशोरावस्था के दौरान किशोरों में होने वाले शारीरिक और मानसिक बदलाव कौन से हैं?

    मनुष्य के जीवन को पांच चरणों में बांटा गया है बचपन (Childhood), किशोरावस्था (Adolescents), युवावस्था (Adulthood), प्रौढ़ावस्था और वृद्धावस्था। बचपन (childhood) से युवावस्था (Adulthood) के बीच की स्टेज को किशोरावस्था (Adolescents) कहा जाता है। जो बच्चे किशोरावस्था (Adolescents) में प्रवेश करते हैं वो उस दौरान कई तरह के शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और समाजिक बदलावों से गुजर रहे होते हैं। यह बदलाव किशोरों और उनके माता-पिता दोनों के लिए चिंता और परेशानी ले कर आते हैं। जीवन के अन्य चरणों की तरह इस चरण और इसमें होने वाले बदलावों के बारे में किशोर और पेरेंट्स दोनों को जानकारी होना जरूरी है। सही जानकारी किशोर के विकास के लिए जरूरी है। पाएं, किशोरावस्था (Adolescents) के बारे में पूरी जानकारी। इस, दौरान माता-पिता को क्या ध्यान रखना चाहिए यह जानना भी न भूलें।

    किशोरावस्था के चरण कौन-कौन से हैं (Stages of Adolescents)? इनमें कौन से बदलाव आते हैं?

    किशोरावस्था (Adolescents) जीवन का एक महत्वपूर्ण चरण है, लेकिन इसके बारे में समझना जरूरी है। किशोरावस्था (Adolescents) को अच्छे से समझने के लिए इसे तीन अलग-अलग चरणों में विभाजित किया गया है। ताकि, इस दौरान होने वाले बदलावों के बारे में अच्छे से बताया जा सके। किशोरावस्था की विभिन्न स्टेजिज (Stages of Adolescents) इस प्रकार हैं:

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    शुरुआती किशोरावस्था (Early Adolescents) (10 से 13 की उम्र)

    10 से 13 साल की उम्र एक ऐसी उम्र होती है, जब बच्चे टीनएज में कदम रखते हैं। इस दौरान बदलाव तो आते हैं लेकिन इन होने बदलावों को बच्चे समझ नहीं पाते। किसी अन्य व्यक्ति या परिजन से पूछने में भी वो शर्म महसूस करते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि वो इन परिवर्तनों को असामान्य मान लेते हैं और इससे वो चिंता या तनाव का शिकार हो सकते हैं। शुरुआती किशोरावस्था (Early Adolescents) में बच्चों में होने वाले परिवर्तन इस प्रकार हैं।

    किशोरावस्था

    शारीरिक बदलाव (Physical Changes)

    • इस स्टेज में, बच्चे बहुत जल्दी ग्रो करते हैं। वो अपने शरीर में आए परिवर्तनों को भी नोटिस करने लगते हैं।
    • उनके शारीरिक परिवर्तनों में अंडर आर्म्स और गुप्तांगों के पास आए बाल, महिलाओं में ब्रेस्ट डेवलपमेंट, पुरुषों में अंडकोष का बढ़ना आदि शामिल है।
    • बहुत से लड़कियों को बारह साल की उम्र में पीरियड आने शुरू हो जाते हैं।

    मानसिक बदलाव (Mental Changes)

    • इस दौरान शरीर में आए यह बदलाव इस उम्र के बच्चों में उत्सुकता (Curiosity) और एंग्जायटी (anxiety) का कारण बनते हैं। यह बदलाव एंग्जायटी का कारण उन बच्चों के लिए हो सकते हैं, जिन्हें यह पता न हो कि यह सब सामान्य है या नहीं।
    • किशोरावस्था (Adolescents) का यह शुरुआती चरण एक तरह से ब्लैक और वाइट थिंकिंग वाला होता है। जिसमें चीजें या तो सही होती हैं या गलत। इस उम्र के किशोरों के लिए कोई व्यक्ति या तो बहुत सही होता है या बिलकुल गलत। उनके लिए बीच की कोई गुंजाईश नहीं होती।
    • इस चरण में बच्चे केवल अपने बारे में ही सोचते हैं। ऐसे बच्चे अक्सर अपनी अपीयरेंस को लेकर जागरूक रहते हैं और ऐसा महसूस करते हैं कि उन्हें हमेशा उनके साथियों द्वारा आंका जाता है।

    भावनात्मक परिवर्तन (Emotional Changes)

    इस उम्र के किशोर प्राइवेसी चाहते हैं। वो ऐसे तरीके ढूंढने लगते हैं जिससे अपने परिवार से अलग और एकांत में रहें। इस प्रक्रिया में वो कुछ सीमाएं भी निर्धारित कर सकते हैं और अगर माता-पिता जबरदस्ती करें तो उनका विरोध भी कर सकते हैं। माता-पिता के टोकने पर चिडचिड़पन भी इस उम्र में स्वभाविक है।

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    मिडिल किशोरावस्था (Middle Adolescents) (Ages 14 to 17)

    अब किशोर किशोरावस्था (Adolescents) की बीच के स्टेज पर प्रवेश कर चुके होते हैं। इस दौरान भी वो खुद में हो रहे बदलावों को लेकर परेशान और चिंतित रहते हैं। लेकिन, इस उम्र में वो यह भी समझने लगते हैं कि यह बदलाव उनके अच्छे के लिए हैं। जानिए किशोरों में क्या बदलाव आते हैं इस स्टेज में:

    शारीरिक परिवर्तन (Physical Changes)

    • मिडिल युवावस्था (Middle Adulthood) में भी किशोरों में शारीरिक परिवर्तन जारी रहते हैं। अधिकांश किशोरों का विकास तेजी से हो रहा होता है और यौन परिवर्तन जारी रहते हैं।
    • इसके साथ ही किशोर अपनी आवाज में भी बदलाव महसूस करेंगे। कुछ किशोर मुहांसों को लेकर परेशान रहते हैं।
    • इस समय तक लड़कियों में शारीरिक परिवर्तन लगभग पूर्ण हो गए होते हैं। अधिकांश लड़कियों को इस उम्र में नियमित पीरियड आते हैं और ब्रेस्ट में बदलाव जारी रहते हैं।

    किशोरावस्था

    मानसिक बदलाव (Mental Changes)

    • इस उम्र में टीनएजर रोमांटिक और सेक्शुअल रिश्तों में अधिक दिलचस्पी दिखाते हैं।
    • वो अपनी सेक्शुअल आइडेंटिटी को लेकर प्रियजनों से कुछ सवाल पूछ सकते हैं या इस बारे में अधिक जानने की इच्छा रखते हैं। लेकिन अगर उन्हें अपने परिवार, दोस्तों या अन्य लोगों से इस बारे में सपोर्ट नहीं मिलता तो वो तनाव महसूस कर सकते हैं।
    • मिडिल युवावस्था (Adulthood) में दिमाग में बदलाव होता है, लेकिन अभी वो एक वयस्क की तुलना में कम सोच पाते हैं। इसका कारण यह है कि उनका फ्रंटल लोब ( Frontal Lobes) मस्तिष्क परिपक्व नहीं हुआ होता। फ्रंटल लोब दिमाग के कई कार्यो के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और 20 की उम्र के तक पूरी तरह से डेवलप होता है।
    • इस दौरान सभी किशोरों के लिए सेक्स और कामुकता की खोज का एक और विशिष्ट तरीका आत्म-उत्तेजना होता है, जिसे मास्टरबैशन (masturbation) भी कहा जाता है।

    भावनात्मक बदलाव (Emotional Changes)

    • मिडिल किशोरावस्था (Adolescents) में किशोर और अधिक प्राइवेसी के लिए अपने माता-पिता से बहस कर सकते हैं।
    • वो अपने परिवार के साथ कम और दोस्तों के साथ अधिक समय बिताते हैं।
    • इस उम्र में भी वो कैसे दिख रहे हैं इस बात को लेकर चिंतित रहते हैं।

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    किशोरवस्था का अंतिम स्टेज और युवावस्था (Adulthood)में प्रवेश (18-21 की उम्र)

    किशोरवस्था के अंतिम स्टेज को युवावस्था (Adulthood) का पहला चरण भी कहा जाता है। जहां एक तरफ आपको गाडी या बाइक चलाने का लाइसेंस मिल जाता है तो अब आप अपने मत का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। इस उम्र तक तो युवा पूरी तरह से आजाद महसूस करते हैं। जानिए क्या बदलाव आते हैं इस चरण में।

    शारीरिक बदलाव (Physical Changes)

    किशोरावस्था (Adolescents) के इस अंतिम चरण में आप युवावस्था (Adulthood) में कदम रख चुके होते हो। जिसमें आपका पूरी तरह से शारीरिक विकास हो चुका होता है।

    मानसिक बदलाव (Mental Changes)

    • इस उम्र में आमतौर पर युवा अपने आवेग पर  नियंत्रण रखना सीख जाते हैं।
    • सही और गलत में भी वो फर्क कर सकते हैं। स्वतंत्र रूप से सोचने और निर्णय लेने में भी युवा सक्षम होते हैं।
    • इस उम्र में टीन युवावस्था (Adulthood) में कदम रख चुके होते हैं, तो ऐसे में अब वो खुद की एक अलग पहचान बनाने में दिलचस्पी लेते हैं और अपना ध्यान भविष्य पर केंद्रित करते हैं।

    भावनात्मक विकास (Emotional Change)

    • युवाओं के लिए इस उम्र में दोस्ती और रोमांटिक रिश्ते अधिक स्थाई होते हैं।
    • वे भावनात्मक और शारीरिक रूप से अपने परिवार से अलग हो जाते हैं। हालांकि, कई युवा अपने माता-पिता से अच्छे रिश्ते फिर से स्थापित करते हैं और हर काम में उनसे सलाह लेते हैं और स्वतंत्र रूप से मच्योर टॉपिक्स (Mature topics) डिस्कस कर सकते हैं।

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    इस बारे में डफरिन हॉस्पटिल के चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर सलमान का कहना है कि  यह सही है कि बच्चों को नियम सिखाना बहुत जरूरी है, लेकिन हर बात में उनके लिए नियम हो, यह जरूरी नहीं है। बच्चे की संवेदनशीलता का ध्यान रखते समय इस बात का भी पेरेंट्स को ख्याल रखना जरूरी है कि बच्चों को पर उतने ही नियम लगाएं, जितना अनुशासन के लिए जरूरी है। इससे बच्चे को एक अच्छा माहौल मिलेगा। बात-बात में नियम लगाने से बच्चों का मानसिक विकास (Mental Health) भी प्रभावित होता है। हां, लेकिन जो नियम बच्चे के अनुशासन के लिए है, उन नियमों का पालन जरूर करवाइए। बच्चे के लिए कुछ नियमों का होना भी जरूरी है, नहीं तो बच्चा जिद्दगी हो जाएगा। संवेदनशील बच्चे बदलावों को आसानी से स्वीकार नहीं कर पाते। सेंसिटिव बच्चों की पेरेंटिंग टिप्स में पेरेंट्स को इन बातों का ध्यान रखना होगा।

    किशोरावस्था में कौन सी स्वास्थ्य समस्याएं सामान्य हैं (Health Problems in Adolescents) ?

    हर व्यक्ति अपने जीवन में कभी न कभी स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं का सामना करता है। ऐसे में, किशोरावस्था (Adolescents) जब बच्चा बचपन से युवावस्था (Adulthood) में कदम रखने जा रहा होता है। तो उसमे शारीरिक, मानसिक और अन्य बदलाव आना सामान्य हैं। लेकिन, किशोरावस्था (Adolescents) में किशोर कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का भी सामना करते हैं। यह कुछ समस्याएं इस प्रकार हैं:

    मेंटल हेल्थ (Mental Health)

    ऐसा माना जाता है कि टीनएजर्स में डिसेबिलिटी और बीमारियों का तीसरा बड़ा कारण है तनाव। ऐसे कई फैक्टर हैं जो इस समस्या का कारण बनते हैं। हिंसा, भटकाव और अवसाद महसूस करना किशोरों में मेन्टल हेल्थ इश्यूज के पीछे के कुछ कारण हैं। 10-19 की उम्र उनके जीवन का महत्वपूर्ण समय है और किशोरों को इस आयु में उचित मानसिक समर्थन मिलना चाहिए।

    मोटापा और कुपोषण (Obesity and Malnutrition)

    ये दोनों बिल्कुल विपरीत बीमारियां हैं लेकिन यह दोनों किशोरों में पाई जाती हैं। कुपोषण (Malnutrition) की समस्या ज्यादातर विकासशील देशों में पाई जाती है, जहां किशोर कमज़ोर होते हैं और बीमारियों के अधिक शिकार होते हैं। इसके विपरीत, कई किशोर मोटापे (Obesity) का सामना भी करते हैं। इसका कारण अनहेल्दी आहार, खराब लाइफस्टाइल, शारीरिक रूप से एक्टिव न रहना, तनाव आदि हो सकते हैं।

    किशोरावस्था

    हिंसा (Violence)

    हिंसा भी किशोरों में एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। आपको यह जानकार हैरानी होगी कि इसके कारण कई किशोरों की जान तक चली जाती है। हालांकि, अधिकतर लड़के ही हिंसा का शिकार होते हैं। इसका कारण हार्मोन में बदलाव (Hormone Changes) है, जिससे टीनएजर्स बहुत जल्दी गुस्से में आ जाते हैं। बढ़ी हुई आक्रामकता हिंसा, परेशान जीवन, शिक्षा या कैरियर में समस्या और कभी-कभी मृत्यु की ओर ले जाती है।

    ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस (Human Immunodeficiency Viruses)

    ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस एक गंभीर बीमारी है और किशोर भी इसका बहुत अधिक शिकार हो रहे हैं। इसका कारण अनसेफ सेक्स, ड्रग का सेवन, पहले से प्रयोग की सुईयों का प्रयोग आदि है।

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    माता पिता किशोरों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए क्या करें?

    जैसा की ऊपर बताई गई बीमारियों से यह बात साफ है कि ये सभी समस्याएं गंभीर हैं, फिर भी इन्हें उचित प्रबंधन के साथ नियंत्रित किया जा सकता है। किशोरों की इन समस्याओं को नियंत्रित करने के कुछ उपाय इस प्रकार हैं।

    • मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से पीड़ित किशोर मनोचिकित्सकों की मदद ले सकते हैं। यहां उन्हें उचित मनोवैज्ञानिक सहायता (Psychological Help) मिल सकती है। माता-पिता के साथ बंधन को मजबूत करने के लिए लाइफ बिल्डिंग स्किल प्रोग्राम भी किशोरों के मामलों से निपटने के सहायक हो सकता है।
    • पौष्टिक आहार और दैनिक व्यायाम करने से किशोरों को कुपोषण और मोटापे से निपटने में मदद मिल सकती है।
    • हिंसा जैसी समस्या से बचने के लिए हार्मोन परिवर्तन जैसे मुद्दों पर डॉक्टर से सही जानकारी और मार्गदर्शन प्राप्त करें।
    • किशोरों का स्वास्थ्य परीक्षण आवश्यक है क्योंकि इससे किशोरों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का मूल्यांकन हो सकता है है और उन्हें स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक मार्गदर्शन मिल सकता है।
    • जब बच्चे किशोरावस्था (Adolescents) में प्रवेश करते हैं, तो हर माता-पिता की चिंता बढ़ जाती है। ऐसे में न केवल अपने बच्चे के साथ रहेंगे बल्कि उनकी स्वास्थ्य जांच कराएं और डॉक्टर की सलाह लें। डॉक्टर व विशेषज्ञ आपके बच्चे को सही मार्गदर्शन देने में आपकी मदद कर सकते हैं।

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    किशोर को माता-पिता कैसे कर सकते हैं गाइड

    किशोरावस्था (Adolescents) में आए बदलावों का किशोर और उसके माता-पिता दोनों के जीवन पर प्रभाव पड़ता है। लेकिन माता-पिता के लिए उनका बच्चा महत्वपूर्ण होता है और वो उसके इस मुश्किल चरण में भी साथ दे कर उनकी और अपनी परेशानियों को कम कर सकते हैं। जानिए इस बारे में अधिक कि इस स्थिति में माता-पिता को अपने किशोरों की कैसे गाइड करना चाहिए।

    सही जानकारी दें (Give Correct Information)

    अपने बच्चे को किशोरावस्था (Adolescents) में होने वाले परिवर्तनों के बारे में पहले से ही बताना शुरू कर दें। उन्हें इसके बारे में पूरी तरह से समझाएं और सही जानकारी दें। उन्हें इस बात के लिए आश्वस्त करें कि इस दौरान उनमें आने वाले शारीरिक परिवर्तन (Physical changes) बिलकुल सामान्य है। इसके साथ उन्हें सेक्स और सेक्सुअलिटी के बारे में भी बताएं। अगर आप उनके सवालों के उत्तर नहीं दे पा रहे हैं तो उन्हें डॉक्टर से बात करने दें, ताकि वो अपने मन में आए हर सवाल का सही जवाब जान सके।

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    खुलकर बात करे ( Talk Openly)

    हर बात के बारे में खुल कर बात करें जैसे स्वस्थ संबंधों (Healthy relationships), यौन स्वास्थ्य (Sexuality), प्रीकॉशन्स (Precautions) आदि। इसके साथ ही यौन संचारित संक्रमण (Sexually Transmitted Infection) और गर्भावस्था को कैसे रोकें जैसे मुद्दों के बारे में भी उन्हें बताएं। हो सकता है कि इस बारे में बात करना आपको अजीब लगे। लेकिन, अपने बच्चे को सही जानकारी देने के लिए यह जरूरी है।

    बातचीत हो सकारात्मक (Positive Conversation )

    अपने बच्चे के साथ बातचीत को सकारात्मक रखें। उसे उसकी स्ट्रेंथ के बारे में बताएं। अपने बच्चे का सपोर्ट करें। लेकिन, अधिक उम्मीदों के साथ स्पष्ट सीमाएं भी निर्धारित करें।

    परिणामों की चर्चा करें (Discuss results)

    जोखिम भरे व्यवहार (जैसे यौन गतिविधि और मादक पदार्थ का उपयोग) और उनके परिणामों पर चर्चा करें। स्वयं एक सकारात्मक उदाहरण स्थापित करना सुनिश्चित करें। इससे किशोरों को समय से पहले निर्णय लेने या निर्णय लेने पर विचार करने में मदद मिल सकती है और अगर जीवन में यह स्थिति उत्पन्न होती है, तो वो पहले से ही उसकी तैयारी कर सकते हैं।

    किशोर

    इन बातों का भी रखें ध्यान

    • किशोर को घर में एक स्थायी, प्रेमभरा और सुरक्षित वातावरण प्रदान करें।
    • इस बात को सुनिश्चित करें कि पारिवारिक भोजन के समय सब एक दूसरे से खुल कर बात कर सकें।
    • एक ऐसा रिश्ता विकसित करें जो आपके बच्चे को आपसे बात करने के लिए प्रोत्साहित करे।
    • अपने सामान और आपके लिए उसे जिम्मेदार रहना सिखाएं।
    • उसे घर के कामों की जिम्मेदारी लेना सिखाएं।
    • सीमाओं को स्वीकार करने के महत्व को सिखाएं। इसके साथ ही कुछ करने से सोचने का महत्व भी समझाएं।

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    किशोरावस्था (Adolescents) में किशोर अपने जीवन को रोलर कोस्टर जैसा महसूस कर सकता है। इस अवधि के दौरान किशोर का अपने माता-पिता के साथ सकारात्मक और सम्मानजनक रिश्तों को बनाए रखने से वो इस चरण का अधिक अच्छे से आनंद ले पाएगा। अपने बच्चे की स्वतंत्रता और व्यक्तित्व का सम्मान करें। यह शुरुआती वयस्कता (Early Adulthood) में जाने का एक अहम हिस्सा है। अपने बच्चे को इस बात का भी आश्वासन दें कि आप जरूरत पड़ने पर मदद के लिए हमेशा उसके साथ हैं।

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