कोई डेटिंग कैजुअल डेटिंग तब कहलाती है जब कोई व्यक्ति एक समय पर कई लोगों को डेट करता है। कैजुअल डेटिंग उन लोगों द्वारा की जाती है जो अपने डेटिंग पार्टनर के साथ घर बसाने में कोई दिलचस्पी नहीं रखते। कैजुअल डेटिंग उन लोगों के लिए है जो बस यौन संबंधों की तलाश या टाइम पास करने के लिए लोगों को डेट करते हैं। कैजुअल डेटिंग के लिए लोग कोरोना के दौरान डेटिंग साइट्स का इस्तेमाल तेजी से कर रहे हैं। इसमें किसी भी तरह का कमिटमेंट नहीं होता है। दोनों साथी एक समय पर कई अलग-अलग लोगों को डेट कर सकते हैं।
ये दोनों तरह की डेटिंग टिंडर, क्यूपिड और बंबल आदि ऐप से की जाती है। जिसमें लोग एक-दूसरे को नहीं जानते हैं, लेकिन एक दूसरे से बात करते हुए धीरे-धीरे एक दूसरे को जानने का प्रयास करते हैं। लॉकडाउन में कोरोना के दौरान डेटिंग ऐप का यूज लगभग 21 प्रतिशत तक बढ़ गया है। जो काम पहले फेसबुक और व्हाट्सएप करते थे, वही काम कोरोना के दौरान डेटिंग ऐप कर रहे हैं।
और पढ़ें : कोरोना वायरस को लेकर हैं पूरी तरह अपडेट? तो खेलें क्विज और बढ़ाएं अपना ज्ञान
कोरोना के दौरान डेटिंग ऐप का इस्तेमाल करने के क्या फायदे हैं?
कोरोना के दौरान डेटिंग ऐप के इस्तेमाल को लेकर हैलो स्वास्थ्य ने महाराष्ट्र स्थित मनः स्पर्श क्लीनिक की रिलेशनशिप काउंसलर एमी चौधरी से बात की। एमी चौधरी ने डेटिंग ऐप के कई सारे फायदे और नुकसान भी बताएं, जो निम्न हैं :
- कोरोना के दौरान डेटिंग साइट्स के द्वारा किसी को डेट करने के फायदे में सबसे बड़ा फायदा है कि लोग बिना घर के बाहर निकले ही नए लोगों से मिल सकते हैं।
- जो लोग लॉकडाउन के दौरान बिलकुल अकेले हैं, उनके लिए डेटिंग ऐप्स पर किसी के साथ बातें करना किसी रोमांच से कम नहीं।
- कोरोना के दौरान डेटिंग करने से डिप्रेशन, एंग्जायटी जैसी परेशानी से बच सकते हैं। क्योंकि भारत में लॉकडाउन के बाद डेप्रिशन, एंग्जायटी और सुसाइड टेंडेंसी के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है।
- कोरोना के दौरान डेटिंग ऐप का इस्तेमाल करने से लोगों में लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप की समझ भी विकसित हो रही है। जिससे रिश्तों में मजबूती आएगी और बिना पास रहे भी रिश्तों को निभाने की समझ पैदा होगी।