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मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं कुछ ऐसे करती हैं हमें प्रभावित, जानिए कैसे करें इससे बचाव!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 24/02/2022

    मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं कुछ ऐसे करती हैं हमें प्रभावित, जानिए कैसे करें इससे बचाव!

    मानसिक रोग को मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम या मानसिक स्वास्थ्य समस्या (Mental Health Issues) भी कहा जाता है। यह वो स्थितियां होती हैं, जो हमारी सोच, भावनाओं, मूड और व्यवहार को प्रभावित करती हैं। कुछ केसेस में यह स्थितियां गंभीर भी हो सकती हैं। इन समस्याओं के कारण न केवल हमारे रोज के काम, बल्कि रिश्ते भी प्रभावित होते हैं। मानसिक बीमारियों में अधिकतर लोग दवाइयों या काउंसलिंग आदि से राहत पा सकते हैं। सबसे पहले आपको इन मानसिक समस्याओं के बारे में जानकारी होना जरूरी है। चलिए विस्तार से जानते हैं मानसिक स्वास्थ्य समस्या (Mental Health Issues) कौन-कौन सी होती हैं।

    मानसिक स्वास्थ्य समस्या किन कारणों से होती हैं? (Causes of Mental Health Issues)

    मानसिक स्वास्थ्य समस्या (Mental Health Issues) कौन सी हैं, ये जानने से पहले, यह किन कारणों से होती हैं, इसके बारे में पता होना जरूरी है। मानसिक बीमारियों का कोई एक कारण नहीं होता, बल्कि कई चीजें मिल कर इस समस्या का कारण बन सकती हैं। मानसिक स्वास्थ्य समस्या (Mental Health Issues) यानी मेंटल डिसऑर्डर के कारण इस प्रकार हैं

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    मानसिक स्वास्थ्य समस्या (Mental Health Issues)

    मानसिक स्वास्थ्य समस्या (Mental Health Issues) कौन-कौन सी होती हैं ?

    मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का उपचार संभव है। लेकिन, इसका उपचार इनके प्रकार पर निर्भर करता है। आपको कौन सी स्वास्थ्य समस्या (Mental Health Issues) है, इसका निदान डॉक्टर लक्षणों, आपकी मेडिकल कंडिशन आदि के अनुसार कर सकते हैं। जानिए मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं कौन-कौन सी हैं।

    एंग्जायटी डिसऑर्डर्स (Anxiety Disorders)

    एंग्जायटी डिसऑर्डर्स (Anxiety Disorders) मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर्स का एक समूह है। जिसमें (Generalized anxiety disorder), सोशल फोबिया (Social Phobia), स्पेशल फोबिया (Special Phobia), पैनिक डिसऑर्डर (Panic Disorder), ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (Obsessive compulsive disorder) और पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (Post traumatic stress disorder) शामिल हैं। अगर इन एंग्जायटी डिसऑर्डर्स का उपचार न किया जाए, तो लोगों के दैनिक जीवन पर बुरा असर हो सकता है। एंग्जायटी डिसऑर्डर्स के उदाहरण इस प्रकार हैं

    • जनरलाइज्ड एंग्जायटी डिसऑर्डर (Generalized Anxiety Disorder) : इसे अनुपातहीन चिंता कहा जाता है, जो रोजाना के जीवन को बाधित करती है। इस डिसऑर्डर के होने पर लोग कई तरह की शारीरिक समस्याएं अनुभव करते हैं। जैसे बेचैनी, थकावट, मांसपेशियों में खिंचाव, नींद आने में समस्या आदि। इस डिसऑर्डर से पीड़ित लोग रोजाना के कार्यों में भी परेशानी महसूस करते हैं।  
    • पैनिक डिसऑर्डर्स (Panic Disorder) :  पैनिक डिसऑर्डर्स से पीड़ित लोग रोजाना पैनिक अटैक महसूस करते हैं। जिसके कारण वो अचानक डर जाते हैं और गंभीर स्थितियों में उनकी मृत्यु भी हो सकती है। 

    इस बारे में फोर्टिस अस्पताल मुलुंड के न्यूरोलॉजी विभाग के सलाहकार डॉ धनुश्री चोंकर का कहना है कि लंबे समय तक तनाव बने रहना संकट की ओर ले जाता है।जो बदले में हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। कई अध्ययनों ने खराब शारीरिक स्वास्थ्य और स्ट्रेस के बीच एक मजबूत संबंध पाया है। जो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली यानि कि इम्यूनिटी को भी प्रभावित करता है। बढ़ता तनाव, कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम, तंत्रिका तंत्र और न्यूरो-एंडोक्राइन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। तनाव से बचाव के लिए जरूरी है कि आप  जिस कारण आपको तनाव हो रहा है  उसे दूर करें, इस बारे  में अपने परिवार और दोस्तों से बात करें। बात शेयर करने से तनाव काफी हद तक कम होगा।

    फोबिया (Phobia)

    फोबिया बहुत ही निजी चीज है और डॉक्टर इसके हर प्रकार के बारे में नहीं जान पाते। ऐसा माना जाता है कि यहां फोबिया के हजारों प्रकार हैं। कोई स्थिति या समस्या एक व्यक्ति को सामान्य लग सकती है, लेकिन दूसरे के लिए वो गंभीर हो सकती है। फोबिया कई प्रकार के होते हैं, जैसे: 

    • सिंपल फोबिया (Simple Phobia) : इनमें किन्हीं वस्तुओं, चीजों, या जानवरों का भय हो सकता है। मकड़ियों का डर एक इसका एक सामान्य उदाहरण है। 
    • सोशल फोबिया (Social Phobia) : इसे सोशल एंग्जायटी भी कहा जाता है। इसमें व्यक्ति को इस बात का डर लगता है, लोग उसके बारे में क्या कहेंगे। इससे पीड़ित व्यक्ति लोगों के बीच जाने और लोगों से मिलने से डरता है। 
    • एगोराफोबिया (Agoraphobia) : किसी जगह या स्थिति के डर के कारण पैनिक, असहाय या शर्मिंदगी महसूस होने को एगोराफोबिया कहा जाता है जैसे एलिवेटर या चलती हुई ट्रेन से भयभीत होना। एगोराफोबिया एक चिंता विकार है जो अक्सर एक या अधिक पैनिक अटैक्स के बाद विकसित होता है। टॉक थेरेपी और दवाईयां इसके इलाज में शामिल हैं।

    मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं

    ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर (Obsessive-compulsive disorder)

    ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति में सनक और विवशता दोनों देखी जा सकती है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो वे लगातार, तनावपूर्ण विचारों का अनुभव करते हैं और उनके अंदर दोहराए जाने वाले कार्यों जैसे बार-बार हाथ धोने की इच्छा होती है।

    पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (Post-traumatic stress disorder)

    इस डिसऑर्डर मनुष्य में तब पैदा होता है जब वो किसी दर्दनाक या तनावभरी घटना को अनुभव करता है। इस तरह के डिसऑर्डर में मनुष्य यह महसूस करता है कि उसकी या अन्य लोगों का जीवन खतरे में हैं। ऐसे में उन्हें हमेशा डर लगता है और वो जो कुछ भी हो रहा है, उस पर नियंत्रण नहीं महसूस करते। यह डर की भावना पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर को जन्म देती है।

    मूड डिसऑर्डर्स (Mood Disorders)

    लोग मूड विकारों को अफेक्टिव डिसऑर्डर्स या डिप्रेसिव डिसऑर्डर्स भी कहा जाता है। इस समस्या से  पीड़ित लोग अपने मूड में बहुत अधिक परिवर्तन महसूस करते हैं। आमतौर, पर इसमें मेनिया यानी उन्माद शामिल होता है। मूड डिसऑर्डर (Mood Disorder) एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या है, जो मुख्य रूप से व्यक्ति की भावनात्मक स्थिति को प्रभावित करती है। इस मेडिकल कंडीशन का निदान होने पर इसका उपचार संभव है। मूड डिसऑर्डर्स के प्रकार इस तरह से हैं: 

    डिप्रेशन (Depression)

    डिप्रेशन यानी तनाव का मुख्य कारण है कोई दुःख या निराशा होना। किसी चहेते व्यक्ति की मृत्यु या रिश्तों में परेशानी आदि के कारण यह समस्या हो सकती है। इसके भी कई प्रकार होते हैं जैसे:

    पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Postpartum Depression) : इस प्रकार का डिप्रेशन प्रेग्नेंट लेडीज में पाया जाता है। गर्भावस्था या प्रसव के बाद उन्हें इस तरह का डिप्रेशन हो सकता है। ऐसा माना जाता है कि गर्भावस्था या प्रसव के बाद अधिकतर महिलाएं इस डिप्रेशन से गुजरती हैं।

    और पढ़ें : सोशल मीडिया और टीनएजर्स का उससे अधिक जुड़ाव मेंटल हेल्थ के लिए खतरनाक

    पर्सिस्टेंट डिप्रेसिव डिसऑर्डर (Persistent Depressive Disorder) : इस डिसऑर्डर को डिस्थायमिया (Dysthymia) या पीडीडी (PDD) भी कहा जाता है। इस तरह का डिप्रेशन मनुष्य को अधिक परेशान करता है, क्योंकि इसके निदान और उपचार में अधिक समय लग सकता है।

    सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (Seasonal Affective Disorder): जैसा की नाम से ही पता चल रहा है कि यह डिप्रेशन मौसम पर निर्भर करता है। यह डिप्रेशन साल के कुछ समय में ही देखने को मिलता है जैसे सर्दी के मौसम से शुरू हो कर गर्मी तक।

    मानसिक अवसाद (Psychotic Depression) : इस तरह के डिप्रेशन को आप गंभीर डिप्रेशन मान सकते है, जिसे साइकोटिक दु: स्वप्न (Hallucinations) या भ्रम के साथ जोड़ा जाता है। डिप्रेशन किसी बीमारी, दवाई या किसी नशीली चीजों के सेवन से भी हो सकता है।

    Mental Health Issues

    बायपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder)

    मानसिक स्वास्थ्य समस्या (Mental Health Issues) मनुष्य को निराशा से भर देती हैं। इन्हीं में से अगला है बायपोलर डिसऑर्डर। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमे रोगी कई हफ़्तों या महीनों तक बहुत अधिक दुःख या खुशी महसूस कर सकते हैं। यह बीमारी सौ में से एक व्यक्ति में जीवन में कभी न कभी देखी जा सकती है। इस डिप्रेशन को बायपोलर अफेक्टेड डिसऑर्डर भी कहा जाता है। इस समय से पीड़ित व्यक्ति अपने एनर्जी लेवल, एक्टिविटीज के लेवल आदि में अचानक फर्क महसूस करता है। बायपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) के भी कई प्रकार होते हैं जैसे:

    बायपोलर I (Bipolar Disorder I)– यह एक तरह का गंभीर बायपोलर डिसऑर्डर है। इसमें रोगी को अस्पताल जाने की भी जरूरत हो सकती है। इसमें कभी कभी मेनिया (Mania) और डिप्रेशन (Depression ) दोनों के लक्षण एक साथ देखने को मिलते हैं।

    बायपोलर II डिसऑर्डर (Bipolar Disorder II) – इस डिसऑर्डर में बायपोलर I के जैसे ही लक्षण देखने को मिलते हैं I यह कम गंभीर बायपोलर डिसऑर्डर्स में से एक है। इसमें कम से कम एक डिप्रेसिव एपिसोड शामिल होता है, जो कम से कम दो सप्ताह तक चलता है और कम से कम एक हाइपोमोनिक एपिसोड कम से कम चार दिन तक रहता है।

    साइक्लोथाइमिया डिसऑर्डर (Cyclothymia Disorder) – यह डिसऑर्डर बायपोलर डिप्रेशन का गंभीर रूप है। इस दौरान पीड़ित लोग मूड स्विंग का अनुभव करते हैं।

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    सिजोफ्रेनिया विकार (Schizophrenia disorder)

    डॉक्टर अभी इस बात का शोध कर रहे हैं कि सिज़ोफ्रेनिया (Schizophrenia) एक अकेला विकार है या बीमारियों का समूह है। माना जाता है कि इस समस्या के लक्षण आमतौर पर 16 से 30 साल की उम्र के बीच दिखाई देते हैं। इसके नकारात्मक और सकारात्मक दोनों तरह के लक्षण देखने को मिलते हैं जैसे सकारात्मक लक्षणों में भ्रम, थॉट डिसऑर्डर और वजन। नकारात्मक लक्षणों में मोटिवेशन की कमी या अनुचित मूड शामिल है।

    स्ट्रेस रिस्पांस सिंड्रोम (Stress Response Syndrome): 

    स्ट्रेस रिस्पांस सिंड्रोम को एडजस्टमेंट डिसऑर्डर्स (adjustment disorders) भी कहा जाता है यह सिंड्रोम तब होता है जब किसी व्यक्ति में  किसी तनावपूर्ण घटना या स्थिति के जवाब में भावनात्मक या व्यवहार संबंधी लक्षण विकसित होते हैं। इन तनावों में प्राकृतिक आपदाएं शामिल हो सकती हैं, जैसे भूकंप या बवंडर; घटनाएं या संकट, जैसे कार दुर्घटना या बड़ी बीमारी का निदान; या पारस्परिक समस्याएं, जैसे तलाक, किसी प्रियजन की मृत्यु, नौकरी छूट जाना या मादक द्रव्यों के सेवन की समस्या आदि। इसका कोई खास उपचार नहीं है, लेकिन यह समस्या होने पर आपको अपने तनाव को कंट्रोल करने के लिए कदम उठाने चाहिए। डॉक्टर आपको थेरेपी और कंसल्टेशन की सलाह भी दे सकते हैं।

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     इटिंग डिसऑर्डर्स (Eating Disorders)

    इटिंग डिसऑर्डर्स वो बीमारियां हैं जिसमें लोग अपने ईटिंग बेहेवियर और संबंधित विचारों और भावनाओं में गंभीर गड़बड़ी का अनुभव करते हैं। यह एक गंभीर स्थिति है जो आपके स्वास्थ्य, भावनाओं और अन्य चीजों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं। सबसे सामान्य इटिंग विकार हैं एनोरेक्सिया नर्वोसा (anorexia nervosa), बुलिमिया नर्वोसा (bulimia nervosa) आदि।

    मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं (Mental Health Issues) से बचने और राहत पाने के उपाय

    मानसिक स्वास्थ्य समस्या (Mental Health Issues) या मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम क्या होती है। यह तो आप जान ही गए होंगे, लेकिन इनसे बचने और जल्दी स्वस्थ होने के लिए आपको सबसे पहले इनके लक्ष्यों को पहचानना जरूरी है। अगर आप इन लक्षणों को या लक्षणों में बदलाव महसूस करें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इनसे राहत पाने के टिप्स इस प्रकार हैं:

    नियमित रूप से मेडिकल हेल्प लें (Medical Help)

    अगर आप किसी भी मानसिक समस्या से पीड़ित हैं तो अपने चेकअप या डॉक्टर की विजिट को नजरअंदाज न करें, खासतौर पर अगर आप अच्छा महसूस नहीं कर रहे हैं। किसी भी मानसिक स्वास्थ्य समस्या (Mental Health Issues) में डॉक्टर की सलाह और नियमित जांच बेहद जरूरी है 

    दूसरों की मदद लें (Help)

    जब अभी आपको महसूस हो, अन्य लोगों जैसे अपने परिवार या दोस्तों की मदद लें। मानसिक स्वास्थ्य समस्या (Mental Health Issues से छुटकारा या राहत पीने के लिए अपने प्रियजन, दोस्तों या पार्टनर का साथ बेहद जरूरी है।

    मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं

    खुद की अच्छे से देखभाल करें (Take Care)

    शारीरिक और मानसिक परेशानियों में आपके लिए खुद का ध्यान रखना भी आवश्यक है। जितना अधिक आप अपना ध्यान रखेंगे, स्वस्थ, खुश और सकारात्मक रहेंगे, उतनी ही जल्दी आप खुद को सेहतमंद महसूस करेंगे।

    सही आहार का सेवन करें (Right Food)

    जैसे शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अच्छे और पौष्टिक आहार का सेवन जरूरी है, वैसे ही मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी सही भोजन करना जरूरी है। अपने आहार में फल, सब्जियों, साबुत अनाज आदि को शामिल करें। जंक फूड, अधिक मसाले, चीनी व नमक युक्त आहार के सेवन से बचे।

    शारीरिक रूप से एक्टिव रहें (Physical Activities)

    मानसिक स्वास्थ्य समस्या (Mental Health Issues) से बचने के लिए आपका शारीरक रूप से एक्टिव रहना भी जरूरी है। इसलिए, नियमित रूप से व्यायाम करें। वाक (Walk), जॉगिंग(Jogging), सायकलिंग (Cycling) या स्विमिंग (Swimming) भी आपको स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। यही नहीं, दिन में कम से कम आठ घंटे की अवश्य नींद लें।

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    मानसिक स्वास्थ्य समस्या (Mental Health Issues) उतनी ही जल्दी ठीक होंगी, जितना आप अपना ख्याल रखेंगे। लेकिन, सबसे ज्यादा जरूरी है इन्हें नजरअंदाज न करते हुए सही समय पर सही इलाज कराना। याद रखें, मानसिक स्वास्थ्य समस्या (Mental Health Issues) उपचार के साथ ठीक हो जाती है। इसलिए शर्मिंदा होने की जगह अपनी समस्या के उपचार के लिए मदद लें।

    मेंटल हेल्थ से जुड़ी जानकारी के लिए नीचे दिए इस वीडियो लिंक पर क्लिक करें।

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