हर व्यक्ति अलग होता है, इसलिए हर हालात का सामना वह एक तरीके से नहीं कर सकता। जो हालात किसी के लिए बहुत सामान्य होते है, वहीं दूसरे के लिए तनावपूर्ण हो सकता है। जैसे लोगों के सामने भाषण देने में आपको कोई परेशानी नहीं होती और आप 100 लोगों के बीच भी पूरे आत्मविश्वास के साथ बोल सकते हैं, लेकिन कुछ लोगो को स्टेज फियर होता हैं। इनके लिए तो 10 लोगों के सामने भी भाषण देना बहुत मुश्किल होता है और इस हालात के बारे में सोचक ही वह तनावग्रस्त हो जाते हैं।
किसी तरह की चीजे मेंटल स्ट्रेस के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं?
तनाव (stress) के लिए कोई एक कारण जिम्मेदार नहीं होता है, यह कई कारणों से हो सकता है। कई बार यह ऐसी किसी घटना की वजह से होता है जिसे टाला नहीं जा सकता।
निजी कारण
- चोट
- प्रेग्नेंसी या पैरेंट बनना
- लंबे समय से चली आ रही स्वास्थ्य समस्या
- कोई जटिल इवेंट आर्गनाइज करना जैसे ग्रुप हॉलिडे
- हर दिन के काम जैसे ट्रैवलिंग या घर के काम
- शादी करना या पार्टनर से ब्रेकअप
- पार्टनर, सिबलिंग, दोस्त या बच्चों के साथ अच्छा रिश्ता न होना
नौकरी और पढ़ाई
- नौकरी छूटना
- बहुत समय तक बेरोजगार रहना
- रियाटर होना
- परीक्षा या डेडलाइन
- मुश्किल काम
- नई नौकरी शुरू करना
हाउसिंग से जुड़ी समस्या
- रहने की स्थिति अच्छी न होना, सुरक्षा की कमी
- रहने के लिए घर न होना
- पड़ोसियों के साथ समस्या
आर्थिक
इनमें से कोई एक या अधिक कारण तनाव के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।
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क्या खुशी के पल भी मानसिक तनाव के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं?
आमतौर पर ऐसा होता नहीं है, मगर कुछ लोग जो बदलाव या नई जिम्मेदारियों के लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार नहीं कर पाते हैं, अचानक जीवन में कुछ नया होने पर तनावग्रस्त हो जाते हैं। जैसे शादी करना या बच्चे का आना खुशी की बात है, मगर कई लोग इन हालातों में भी तनाव का शिकार हो जाते हैं। प्रेग्नेंसी के बाद महिलाएं पोस्ट पार्टम डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं।
नए साल पर अपने मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए मुझे क्या करना चाहिए?
नए साल के मौके पर आप हर बार नए रेज्योलूशन बनाते हैं, तो इस बार मेंटल हेल्थ का रेज्यूलोशन (mental health resolution) बनाइए। इसके लिए आपको न सिर्फ अपनी लाइफस्टाइल, बल्कि व्यवहार में भी कुछ बदलाव लाने होंगे।
भविष्य में इन बदलावों की भी है जरूरत
सेल्फ एक्सेपटेंस है जरूरी – यानी आप जैसे हैं उसे वैसे ही स्वीकार करिए। कई बार दूसरों की तरह बनने की कोशिश में इंसान तनाव का शिकार हो जाता है। खुद से प्यार करना और खुद को अहमियत देना सीखिए। अगर पिछले साल आपने अपने लुक और फिटनेस (fitness) को इंप्रूव करने का रेज्योलूशन लिया था, तो इस बार खुद को स्वीकारना और प्यार करना सीखिए।
फिजिकल एक्टिविटी है जरूरी- मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों एक दूसरे से जुड़े हैं और एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं। इसलिए रोजाना कम से कम आधे घंटे की कसरत या वॉक बहुत जरूरी है। यदि कसरत नहीं करना चाहते तो अपना पसंदीदा कोई गेम खेले, फिटनेस क्लास जॉइन कर ले। इससे शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहेंगे।
जो मिला है उसी में खुश रहना सीखिए- रिसर्च कहती है कि जो व्यक्ति आभार व्यक्त करता है, यानी जो भी मिला है उसी में खुश रहता है, तो ऐसा इंसान चुनौतियों का आसानी से सामना कर लेता है। और हमेशा खुश और संतुष्ट रहने से मानसिक सेहत (mental health) भी अच्छी रहती है। ऐसे लोग आशावादी होते हैं और हमेशा पाजिटिव चीजों पर फोकस करते हैं। इसलिए आप भी आभार जताना सीख जाइए।
अपना ख्याल रखें- याद रखिए अपना ख्याल रखना स्वार्थ नहीं है, बल्कि मानसिक सेहत ठीक रखने के लिए सेल्फ केयर बहुत जरूरी है। जो भी काम आपको पंसद आए वह करिए या जिससे आपको सुकून मिले जैसे हॉट बाथ लेना, फिल्म देखना, परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताना, कोई किताब पढ़ना, पेंटिंग करना या म्यूजिक सुनना।
हेल्दी फूड- आप जो खाते हैं उसका असर न सिर्फ आपके शारीरिक, बल्क मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। हालांकि जब आप लो फील कर रहे हो तो थोड़ी सी चॉकलेट खाने में कोई बुराई नहीं हैं, लेकिन बाकी समय इस बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि आप हेल्दी और संतुलन डायट लें। तो इस बार नए साल पर हेल्दी खाने का नियम बनाइए।
सोशल मीडिया से दूरी है जरूरी- सोशल मीडिया अपनों से कनेक्ट होने का अच्छा जरिया है, लेकिन आप यदि इस पर ज्यादा समय बिताने लगते हैं तो आपके मेंटल स्ट्रेस का कारण बन जाता है। बार-बार आने वाले नोटिफिकेशन और लाइक्स देखने की चाहत आपको मानसिक रोगी बना सकती है। इसलिए बेहतर होगा कि नए साल पर खुद से वादा करें कि आप सोशल मीडिया से दूर रहेंगे, पूरी तरह न सही, लेकिन बहुत कम समय के लिए इसे देखेंगे।
इन बातों का ध्यान रखकर आप आने वाले साल में मेंटली फिट खुद को रख सकते हैं। इसके अलावा मेंटली और शरीरिक फिट रहने के लिए अपनी लाइफस्टाइल को हमेशा अच्छा रखें।