किसी भी परेशानी से लड़ने के लिए जो पहली चीज काम आती है वह है पॉजिटिव एटिट्यूड। उम्र कितनी भी हो अगर इस एटिट्यूड को अपना लिया तो आप किसी भी बीमारी को मात दे सकते हैं।
के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
किसी भी परेशानी से लड़ने के लिए जो पहली चीज काम आती है वह है पॉजिटिव एटिट्यूड। उम्र कितनी भी हो अगर इस एटिट्यूड को अपना लिया तो आप किसी भी बीमारी को मात दे सकते हैं।
वर्ल्ड डायबिटीज डे पर ‘स्वाद से मीठा गया है, जिंदगी से नहीं’ सीरीज के चौथे एपिसोड में हम ऐसे शख्स का इंटरव्यू लेकर आए हैं जो 70 वर्ष की उम्र में भी बीमारियों के (डायबिटीज टाइप 2 और हार्ट डिजीज) के साथ भी लाइफ को एंजॉय कर रहे हैं। ये गंभीर बीमारियां होने के बावजूद भी उनकी लाइफ का फंडा है ‘खाओ और खुश रहो’। वे जिस खुशनुमा तरीके से अपनी जिंदगी जी रहे हैं वह दूसरे लोगों, जो छोटी सी मुश्किल आने पर हताश या निराश हो जाते हैं के लिए मोटिवेशन है। साथ ही हमें यह सीख भी देती है कि अगर हम मुश्किलों का सामना बिना घबराए, सकारात्मक सोच और थोड़े से सेल्फ कंट्रोल के साथ करें तो बड़ी से बड़ी परेशानी का हल निकाला जा सकता है, तो चलिए अब हम उस शख्स से ही जानते हैं कि उन्होंने इस बीमारी के साथ अपनी लाइफ को आसान और प्यारा कैसे बनाया है? डायबिटीज टाइप 2 पेशेंट रियल स्टोरी (Type 2 diabetes case study) जानते हैं उन्हीं की जुबानी।
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क्यों नहीं, मेरा नाम जतिंदर भल्ला है और मैं एक रिटायर्ड बिजनेसमैन हूं।
मेरी उम्र 70 वर्ष है।
दिसंबर 2004, यानी पिछले 16 साल से। एक बात और बता दूं इसके साथ ही मुझे हार्ट प्रॉब्लम भी है।
मुझे टाइप 2 डायबिटीज है। हां, कुछ महीनों से कंट्रोल में है।
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ऐसी कोई खास स्ट्रिक्ट डायट नहीं है। बस डॉक्टर ने हार्ट हेल्थ को ध्यान में रखते हुए डीप फ्राइड फूड्स को खाने से मना किया है। साथ ही डायबिटीज के चलते व्हाइट शुगर और रिफाइंड शुगर की मनाही है। डॉक्टर के इन इंस्ट्रक्शन को मैं फॉलो करता हूं।
डायबिटीज टाइप 2 पेशेंट रियल स्टोरी: आपको सच बताऊं तो मेरी लाइफस्टाइल में कुछ खास बदलाव नहीं आया है। सब वैसा ही है। मैं एक फाइटर हूं और मुझे अपनी शर्तों पर जीना है, इसलिए थोड़ा परहेज करता हूं, लेकिन काफी हद तक डॉक्टर्स की सभी बातें नहीं मानता। डायबिटीज के बाद मैंने लाइफस्टाइल में जो बदलाव किया है, वो यही है कि मीठा सीमित मात्रा में खाता हूं। आप ही बताइए मीठे के बिना जिंदगी में स्वाद ही कहां है? 😉
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मेरी लाइफ में ज्यादा चेंजेस नहीं आए हैं। मैं अपनी लाइफ को पूरी तरह एंजॉय करता हूं। बस मैंने अपनी लाइफ में वॉक को एड कर लिया है। मैं रोज 1-1.5 घंटे वॉक करता हूं। साथ ही खाने-पीने में भी थोड़ा कॉम्प्रोमाइज करता हूं। यहां पर एक बात कहना चाहूंगा। छोटी-छोटी चीजाें में अगर आप खुशियां ढूंढेंगे और खुश होने के लिए किसी बड़ी उपलब्धि का इंतजार नहीं करेंगे तो जीवन खुशनुमा हो जाएगा। तो आज से ही खुश होने के लिए किसी बड़े सेलिब्रेशन का इंतजार मत करिए और अपने दिमाग से ये टेंशन हटा दीजिए कि मुझे ये बीमारी है या वो बीमारी है।
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डायबिटीज टाइप 2 पेशेंट रियल स्टोरी: ट्रिक तो नहीं कह सकते पर हां मैंने अपनी डेली डायट में कुछ ट्वीक्स किए हैं। मैं पूरा वेजीटेरियन हूं तो सब्जियां ज्यादा खाता हूं। चावल की जगह चपाती प्रिफर करता हूं। यहां तक कि अब चपाती भी कम ही लेता हूं। पहले मैं 3 चपाती तक खा लेता था, लेकिन अब कुछ सालों से एक ही चपाती लेता हूं खासतौर पर डिनर में। हरी सब्जियां जैसे कि तौरई, लौकी, पालक, शलजम, मैंथी, टिंडा, कद्दू आदि इन्हें ज्यादा खाता हूं। अगर आपने डायट को लेकर इतना सेल्फ डिसिप्लिन कर लिया तो आपको ज्यादा परेशानी नहीं होगी।
एक राज की बात और बताता हूं मेरी वाइफ सर्दियों के सीजन में मुझे बीटरूट का जूस और काले चने का सूप बनाकर पिलाती है यह काफी हेल्दी रहता है। आप भी इसे ट्राय कर सकते हैं। हार्ट और हीमोग्लोबिन के साथ ही ये सभी चीजें डायबिटीज को भी कंट्रोल करने में मदद करती हैं।
दूसरी चीज अब मैं चाय भी फीकी ही पीता हूं। जहां पहले 4-5 कप चीनी वाली चाय हो जाती थीं। वहीं अब 2-3 कप ही पीता हूं वो भी फीकी। इससे भी काफी मदद मिलती है।
महीने में 8-10 बार 😉 हालांकि, मेरी फैमिली मानती है कि मैं तकरीबन हर दिन ही चीट डे मनाता हूं और मीठ खाता हूं। खाने के बाद मीठा तो चाहिए ही ना? चाहे कभी आइसक्रीम का स्कूप हो या घर आया बर्फी का डिब्बा। घर में मीठा कुछ ना मिले ऐसा कम ही होता है क्योंकि सभी मीठे के शौकीन हैं। आए दिन कस्टर्ड, हलवा और केक जैसी चीजें मिलती ही हैं। पर कभी अगर घर में कुछ ना रखा हो या ना बने तो उन दिनों के लिए मुझे गुड़ से काम चलाने में भी कोई दिक्कत नहीं है। डायबिटीज टाइप 2 पेशेंट रियल स्टोरी (Type 2 diabetes case study) से प्रेरणा लेकर आप भी इन टिप्स को अपना सकते हैं।
डायबिटीज टाइप 2 पेशेंट रियल स्टोरी: एक ही सवाल “मुझे क्यों नहीं मिला भाई” ।
A- रस से भरी जलेबी
B- गुलाब जामुन
C- कम मीठे वाली काजू कतली
D- गुड़ वाली मिठाई
कम मीठे वाली काजू कतली इससे ही काम चलाएंगे, क्योंकि कभी-कभी तो थोड़ा परहेज करना पड़ेगा ना 😉
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हां, मैं दवा रोज लेता हूं। जैसे डॉक्टर रिकमंड करते हैं वैसे ही टाइम टू टाइम बिना किसी लापरवाही के मेडिसिन लेता हूं। अगर हम दवा को समय पर नहीं लेते हैं या एक दो दिन के गेप में लेते हैं तो वह असरकारक नहीं रहती।
यूरिन ज्यादा पास होती है और यूरिन में कुछ बदलाव जैसे कि स्मैल और डार्क कलर दिखने लगता है। इससे समझ आ जाता कि शुगर का लेवल बढ़ गया है।
लॉन्ग ईवनिंग वॉक मेरे माइंड और बाडी दोनों के लिए अच्छी है और मैं वही एंजॉय करता हूं। हार्ट पेशेंट होने की वजह से मैं हैवी कार्डियो एक्सरसाइज (Heavy cardio exercises) नहीं कर सकता। इसलिए वॉक ही मेरे लिए ठीक है। इससे मेरी सेहत भी ठीक रहती है।
नहीं, मेरा एटिट्यूड पॉजिटिव है। मुझे इस बात का कोई खास टेंशन नहीं होता।
ऐसा तो कुछ कभी नहीं हुआ। मैंने इस बीमारी को एक्सेप्ट कर लिया है। अब मैं लाइफ में थोड़ा बैलेंस रखता हूं और हमेशा आगे की ओर ही देखता हूं।
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हैवी वेट नहीं उठाता हूं। हालांकि जिसकी जरूरत भी बहुत कम ही पड़ती है। अगर ऐसा कोई मौका आता है तो किसी से मदद लेकर या वेट को दो तीन पार्ट में डिवाइड करके सिचुएशन को मैनेज कर लेता हूं। इसमें कोई खास परेशानी नहीं होती है।
मैं तो कहूंगा कि सब कुछ खाओ, लेकिन सीमित मात्रा में और ज्यादा फिक्र मत करो और ऐश करो। जितनी टेंशन लोगे उतनी जल्दी मरोगे हाहा 😉 तो उससे बेहतर है कि खुश रहो, खाओ पियो और मस्त रहो। कुछ फिजिकल एक्टिविटीज जरूर अपने रूटीन में शामिल करें और स्मोकिंग (Smoking) और एल्कोहॉल (Alcohol) जैसी चीजें से दूर रहें। डायबिटीज टाइप 2 पेशेंट रियल स्टोरी (Type 2 diabetes case study) से ये सीख तो आप ले ही सकते हैं।
यही कि आम नहीं खा रहा हूं पिछले 14-15 सालों से।
हां पता है, लेकिन मैं शुगर लेवल (Sugar level) को बढ़ने नहीं देता हूं।
खाओ पियो और लाइफ को एंजॉय करो। जियो और जीने दो। यही मेरी लाइफ का मोटो है और मैं हमेशा इसे फॉलो करता हूं। खुश रहो मरना तो सभी को है एक दिन।
अब तो आप इस इंटरव्यू को पढ़कर (डायबिटीज टाइप 2 पेशेंट रियल स्टोरी) समझ ही गए होंगे कि थोड़े से डिसिप्लिन और माइंडफुलनेस से किसी भी बीमारी को मैनेज किया जा सकता है। फिर चाहे वह हार्ट डिजीज हो या टाइप 2 डायबिटीज। बात बस इतनी सी है कि हमें हिम्मत नहीं हारना है।
थॉमस फुलर के अनुसार, ”बीमारी आने तक स्वास्थ्य का महत्व पता नहीं चलता” इसलिए बीमारी आने का इंतजार न करते हुए पहले ही स्वास्थ्य के महत्व को समझ लिया जाए तो बेहतर है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए टाइम पर सोना टाइम पर उठना, हेल्दी फूड खाना और एक्सरसाइज करना ये तीन बेसिक हैं। अगर इन्हें ही रूटीन में फॉलो कर लिया जाए तो कई बीमारियों से बचा जा सकता है।
उम्मीद करते हैं कि आपको डायबिटीज टाइप 2 पेशेंट रियल स्टोरी (Type 2 diabetes case study) पर आधारित इंटरव्यू सीरीज पसंद आ रही होगी और डायबिटीज का सामना कैसे करना चाहिए इससे संबंधित जरूरी जानकारियां मिल रहीं होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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