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बायवेंट्रिकुलर हार्ट फेलियर : इस हार्ट फेलियर के लक्षणों को पहचानना क्यों है जरूरी?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Nikhil deore द्वारा लिखित · अपडेटेड 22/12/2021

    बायवेंट्रिकुलर हार्ट फेलियर : इस हार्ट फेलियर के लक्षणों को पहचानना क्यों है जरूरी?

    हमारे हार्ट यानी दिल की दो साइट्स होती हैं। हमारे दिल के स्ट्रक्चर को दो भागों में बांटा गया है, जिन्हें दिल का बाएं और दाएं भाग के रूप में जाना जाता है। हालांकि दिल को अपर और लोअर पोरशंस में भी विभाजित किया गया है। ऊपरी चैम्बर्स को दायां और बायां एट्रिया (Left and Right Atria) कहा जाता है। जबकि नीचे के चैम्बर्स को दायां और बायां वेंट्रिकल्स (Left and Right Ventricles) कहा जाता है। हार्ट डिसफंक्शन (Heart Dysfunction) की लोकेशन हार्ट फेलियर (Heart Failure) का निदान करने में मददगार होती है। आज हम बात करने वाले हैं हार्ट फेलियर के एक प्रकार बायवेंट्रिकुलर हार्ट फेलियर (Biventricular Heart Failure) के बारे में। जानिए इस बारे में विस्तार से। सबसे पहले हार्ट फेलियर के बारे में जान लेते हैं।

    हार्ट फेलियर क्या है? (Heart Failure)

    हार्ट फेलियर का अर्थ यह नहीं है कि इस स्थिति में दिल ने काम करना बंद कर दिया है। लेकिन, हार्ट फेलियर एक गंभीर स्थिति है, जिसमें हार्ट सही से शरीर में ब्लड पंप नहीं कर पाता है। द सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल और प्रिवेंशन (The Centers for Disease Control and Prevention) के अनुसार हार्ट फेलियर के हर साल लाखों मामले सामने आते हैं। जिनमें से अधिक संख्या 65 साल या इससे अधिक उम्र के लोगों की होती है। हार्ट फेलियर के कारण हृदय शरीर के अन्य टिश्यूज और अंगों तक पर्याप्त ब्लड को पंप नहीं कर पाता है या उसे ब्लड पंप करने के लिए अधिक प्रेशर की जरूरत होती है। हार्ट फेलियर के कई प्रकार हैं जिससे हार्ट का एक या दोनों भाग प्रभावित हो सकते हैं। इन्हीं में से एक है बायवेंट्रिकुलर हार्ट फेलियर (Biventricular Heart Failure)। जानिए इस समस्या के बारे में।

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    बायवेंट्रिकुलर हार्ट फेलियर क्या है? (Biventricular Heart Failure)

    हार्ट फेलियर अधिकतर हृदय के लेफ्ट साइड में ही होता है। लेकिन, जब यह नुकसान बढ़ता है तो इसका प्रभाव दिल की राइट साइड पर भी पड़ता है, जिसे बायवेंट्रिकुलर हार्ट फेलियर कहा जाता है। इस हार्ट फेलियर में हृदय के दोनों तरफ नुकसान होता है। लेफ्ट और राइट साइडेड हार्ट फेलियर के लक्षण एक जैसे हो सकते हैं। जिनमें सांस लेने में समस्या और अधिक फ्लूइड बनने से सूजन शामिल है। इस हार्ट फेलियर के अन्य लक्षणों के बारे में जानें।

    बायवेंट्रिकुलर हार्ट फेलियर के लक्षण (Symptoms of Biventricular Heart Failure)

    बायवेंट्रिकुलर हार्ट फेलियर के लक्षण भी सामान्य हार्ट फेलियर के जैसे हो सकते हैं। इनमें से कुछ इस तरफ से हैं:

    • कंजस्टेड लंग्स (Congested Lungs) : इस स्थिति में फेफड़ों में फ्लूइड के बन जाता है और यह सांस लेने में समस्या होती है। खासतौर पर जब रोगी सोया होता है। इसके कारण सूखी खांसी भी हो सकती है।
    • फ्लूइड रिटेंशन (Fluid Retention) : किडनी तक कम ब्लड पहुंचने से वाटर रिटेंशन हो सकता है। इसके कारण एड़ियों, टांगों और पेट में सूजन हो सकती है और इससे वजन भी बढ़ सकता है।
    • थकान और चक्कर आना (Fatigue and Dizziness): शरीर के अंगों तक खून का कम मात्रा में पहुंचने से थकावट हो सकती है। दिमाग में ब्लड फ्लो कम होने से बेचैनी और भ्रम जैसी समस्याएं होना भी सामान्य है।
    • हार्टबीट्स का असामान्य और तेज होना (Irregular and Rapid Heartbeats) : दिल रक्त की कमी को भरने की कोशिश करने के लिए अधिक तेज़ी से पंप कर सकता है, वह प्रत्येक कॉन्ट्रेक्शन के साथ पंप करता है। जिससे हार्टबीट तेज और असामान्य होती है। यह स्ट्रेस हॉर्मोन्स की रिलीज को बढ़ाने के लिए शरीर में स्ट्रेस रिसेप्टर्स को भी सक्रिय कर सकता है।

    कई अन्य स्थितियों के भी बायवेंट्रिकुलर हार्ट फेलियर के समान लक्षण हो सकते हैं। ऐसे में, सही निदान जरूरी है। जिन लोगों को हार्ट संबंधी समस्याएं होती हैं। उन्हें इसके लक्षणों को सही तरीके से मॉनिटर करने की सलाह दी जाती है। अब जानिए क्या हैं इस बीमारी के कारण?

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    बायवेंट्रिकुलर हार्ट फेलियर के कारण (Causes of Biventricular Heart Failure)

    कई स्वास्थ्य स्थितियां जो हार्ट मसल्स को नुकसान पहुंचा सकती हैं, वो बायवेंट्रिकुलर हार्ट फेलियर का कारण बन सकती हैं। यह स्थितियां इस प्रकार हैं:

    • कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary Artery Disease)
    • हार्ट अटैक (Heart Attack)
    • नॉन-इस्कीमिक कार्डियोमायोपैथी  (Non-ischemic Cardiomyopathy)
    • कुछ अन्य स्थितियां, जिनके कारण हार्ट अधिक काम करता है (Conditions that Overwork Heart): इसका उदहारण है वॉल्व संबंधी बीमारियां (Valve Disease), हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure), डायबिटीज (Diabetes), किडनी डिजीज (Kidney Disease), या जन्म के दौरान ही मौजूद हार्ट असमानताएं (Heart Abnormalities Present at Birth)

    इसके साथ ही बायवेंट्रिकुलर हार्ट फेलियर (Biventricular Heart Failure) के कुछ रिस्क फैक्टर्स इस प्रकार हैं:

  • डायबिटीज (Diabetes)
  • मोटापा (Obesity)
  • स्मोकिंग (Smoking)
  • एनीमिया (Anemia)
  • थायरॉयड (Thyroid)
  • हार्ट मसल्स में सूजन (Swelling in heart Muscles)
  • हार्ट एरिथमिया (Heart Arrhythmias)
  • एट्रियल फिब्रिलेशन  (Atrial Fibrillation )
  • हीमोक्रोमैटोसिस (Hemochromatosis)
  • एमिलॉयडोसिस (Amyloidosis)
  • यह तो थे इस समस्या के कारण और इससे जुड़े रिस्क फैक्टर। अब जानिए कैसे संभव है बायवेंट्रिकुलर हार्ट फेलियर का निदान?

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    बायवेंट्रिकुलर हार्ट फेलियर का निदान (Diagnosis of Biventricular Heart Failure)

    अगर डॉक्टर को किसी रोगी को में हार्ट फेलियर होने का संदेह होता है, तो वो निम्नलिखित टेस्ट्स को करवाने के लिए कह सकते हैं:

    • ब्लड और यूरिन टेस्ट (Blood and Urine Test): इन टेस्ट्स से व्यक्ति के ब्लड कॉउंट के साथ ही लिवर, थायरॉइड और किडनी फंक्शन के बारे में जाना जाता है। इसके साथ ही ब्लड टेस्ट हार्ट फेलियर के खास मार्कर्स की जांच के लिए भी कराया जा सकता है।
    • चेस्ट एक्स-रे (Chest X-ray) : चेस्ट एक्स-रे से यह जाना जाता है कि कहीं रोगी का हार्ट एंलार्ज  तो नहीं हो गया है? इसके साथ ही इससे यह भी पता चलता है कि कहीं फेफड़ों में फ्लूइड तो नहीं है?
    • इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram) : इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम का प्रयोग हार्ट की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी और रिदम के रिकॉर्ड के लिए किया जाता है।
    • एकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram): एकोकार्डियोग्राम एक अल्ट्रासाउंड स्कैन है, जो हार्ट के पम्पिंग एक्शन को चेक करता है।

    इन टेस्ट्स के अलावा डॉक्टर कुछ अन्य टेस्ट्स की सलाह भी दे सकते हैं, जैसे:

    • स्ट्रेस टेस्ट (Stress Test)
    • कार्डियक मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (Cardiac Magnetic Resonance Imaging)
    • सीटी स्कैन (CT Scan)
    • B-टाइप नैट्रियूरेटिक पेप्टाइड ब्लड टेस्ट (B-type Natriuretic Peptide Blood Test)
    • एंजियोग्राफी (Angiogram)

    बायवेंट्रिकुलर हार्ट फेलियर (Biventricular Heart Failure) के निदान के बाद जरुरी है सही समय पर उपचार ताकि जटिलताओं को बढ़ने से रोका जा सके।  इस स्थिति का उपचार इस तरह से किया जा सकता है।

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    बायवेंट्रिकुलर हार्ट फेलियर का उपचार किस तरह से संभव है? (Treatment of Biventricular Heart Failure)

    बायवेंट्रिकुलर हार्ट फेलियर (Biventricular Heart Failure) के कारण हार्ट के पंपिंग एक्शन को जो नुकसान हुआ होता है, वो हमेशा रिवर्सिबल नहीं होता। लेकिन, कुछ ट्रीटमेंट्स से रोगी न केवल जीवन की गुणवत्ता को बढ़ा सकता है बल्कि उसे लक्षणों से भी आराम मिल सकता है। इस बीमारी के उपचार का फोकस उस स्थिति का ट्रीटमेंट करना होता है, जो हार्ट फेलियर का कारण बनती है। बायवेंट्रिकुलर हार्ट फेलियर के उपचार के तरीके इस प्रकार हैं :

    दवाइयां (Medications)

    बायवेंट्रिकुलर हार्ट फेलियर (Biventricular Heart Failure) के लक्षणों के उपचार के लिए कई विभिन्न दवाइयां मौजूद हैं, जैसे:

    एंजियोटेंसिन-कंवर्टिंग एंजाइम इन्हिबिटर्स  (Angiotensin-Converting Enzyme)

    यह दवाइयां आर्टरीज को रिलैक्स करती हैं और ब्लड प्रेशर को कम करती हैं। ताकि हार्ट का वर्कलोड को कम किया जा सके। यह दवाईयां हार्ट की परफॉरमेंस को भी बढ़ाती हैं और रोगी के जीवन की गुणवत्ता को भी सुधार सकती हैं।

    एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स (Angiotensin Receptor Blockers )

    एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स हार्ट फेलियर के लक्षणों को कम करती हैं और ब्लड प्रेशर को बढ़ाने में भी मदद कर सकती हैं। इस दवाइयों में कैंडेस्ट्रान(Candesartan), लोसार्टन (Losartan) आदि शामिल हैं।

    एंजियोटेंसिन रिसेप्टर-नेप्रैलीसिन इन्हिबिटर्स (Angiotensin Receptor-Neprilysin Inhibitors)

    यह दवाइयां हार्ट फेलियर के उपचार में मदद करने के लिए हार्ट पर स्ट्रेन को कम करती हैं।

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    डाइयुरेटिक्स (Diuretics):

    डाइयुरेटिक्स टखने में सूजन और फ्लूइड रिटेंशन को छुटकारा पाने में मदद करती हैं। यह दवाइयां हार्ट फेलियर के कारण होने वाली सांस लेने की समस्या को दूर करने में भी सहायक हैं।

    एंटीकोग्युलेंट (Anticoagulants)

    एंटीकोग्युलेंट खून को पतला करती है। इनके कारण ब्लड क्लॉट्स नहीं बनते हैं। जिससे स्ट्रोक से बचने में मदद मिलती है। वार्फरिन (Warfarin)सबसे सामान्य एंटीकोग्युलेंट है।

    डिगॉक्सिन (Digoxin)

    यह दवाई तेज हार्टबीट और असामान्य हार्ट रिदम को कम करने में सहायता कर सकती हैं। इसके साथ ही सभी हार्ट फेलियर रोगियों को बीटा ब्लॉकर्स लेने से भी लाभ होता है।

    एंटीप्लेटलेट ड्रग्स (Antiplatelet Drugs)

    ब्लड प्लेटलेट्स को थक्का बनने से रोकने वाली दवाएं एंटीप्लेटलेट्स कहलाती हैं। एस्पिरिन एंटीप्लेटलेट ड्रग्स का अच्छा उदाहरण है। यह तो थी दवाईयां अब जानते हैं सर्जरी के बारे में।

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    सर्जरी (Surgery)

    बायवेंट्रिकुलर हार्ट फेलियर (Biventricular Heart Failure) से पीड़ित सभी लोगों को दवाइयों से लाभ नहीं होता है। ऐसी स्थिति में सर्जरी की मदद भी ली जा सकती है। यह सर्जरी के तरीके इस तरह से हैं:

    अगर कोई भी सर्जरी या अन्य ट्रीटमेंट काम नहीं करता है, तो हार्ट ट्रांसप्लांट को अंतिम विकल्प माना जाता है। इसमें जिस हार्ट में समस्या होती है उसे अन्य हेल्दी हार्ट के साथ बदल दिया जाता है। अब बायवेंट्रिकुलर हार्ट फेलियर (Biventricular Heart Failure) से बचाव के तरीकों के बारे में जानें।

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    अब बायवेंट्रिकुलर हार्ट फेलियर से कैसे बचें? (Prevention of Biventricular Heart Failure)

    अपने जीवन में कुछ खास बदलाव करने से आप बायवेंट्रिकुलर हार्ट फेलियर (Biventricular Heart Failure) के जोखिम को कम कर सकते हैं और इस समस्या को बढ़ाने से भी रोक सकते हैं। जीवनशैली में यह बदलाव इस प्रकार हैं:

    • धूम्रपान को पूरी तरह से नजरअंदाज करें।
    • हेल्दी डायट लें। जिसमें फल, सब्जियां, गुड क्वालिटी फैट्स, अनरिफायंड कार्बोहायड्रेट्स और साबुत अनाज आदि शामिल है।
    • रोजाना व्यायाम करें और शारीरिक रूप से एक्टिव रहें।
    • शरीर के वजन को सही बनाए रखें।
    • एल्कोहॉल को सीमित मात्रा में लें।
    • रोजाना पर्याप्त और क्वालिटी नींद लें।
    • तनाव से बचें, क्योंकि मेंटल स्ट्रेस से भी दिल पर प्रभाव पड़ सकता है।
    • जो लोग पहले ही हार्ट फेलियर का सामना कर चुके हैं उन्हें नियमित चेकअप कराना चाहिए।

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    बायवेंट्रिकुलर हार्ट फेलियर (Biventricular Heart Failure) की समस्या का इलाज समय पर कराना जरूरी है। क्योंकि,समय के साथ यह बदतर हो सकती है। हार्ट संबंधी समस्याएं होने पर आप डॉक्टर की सलाह का पालन करें और एक लंबी व स्वस्थ जिंदगी के लिए अपनी जीवनशैली में सुधार करें। हार्ट फेलियर की स्थिति में इसके लक्षणों के बारे में जानकारी होना और उन्हें पहचानना बेहद जरूरी है। अगर आपको हार्ट फेलियर का कोई भी लक्षण नजर आता है, तो तुरंत मेडिकल हेल्प लें।

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