एक्सपर्ट यह भी मानते हैं कि टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes) के रोगी को सीलिएक डिजीज का रिस्क अधिक होता है, जो ऑटोइम्यून कंडिशन है। टाइप 1 डायबिटीज की समस्या तब होती है ,जब हमारा इम्यून सिस्टम गलती से पैंक्रियाज में इंसुलिन प्रोड्यूसिंग सेल्स पर अटैक करता है और उन्हें नष्ट कर देता है। इंसुलिन वो हॉर्मोन है, जो खाद्य पदार्थों में कार्बोहाइड्रेट के मेटाबॉलिज्म के लिए आवश्यक है। पर्याप्त इंसुलिन के बिना ब्लड शुगर लेवल्स (Blood sugar levels) में बदलाव आ सकता है। जिससे कई गंभीर कॉम्प्लीकेशन्स हो सकती हैं।
टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति में इंसुलिन की कमी को रिप्लेस करने के लिए इंसुलिन शॉट्स या इंसुलिन पंप का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, बहुत अधिक इंसुलिन से भी ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) बहुत अधिक कम हो सकता है। थायरॉयड एक छोटी ग्रंथि है जो थायरॉयड हार्मोन का उत्पादन करती है और यह शरीर के मेटाबॉलिज्म के कई पहलुओं के लिए आवश्यक है। अधिकतर मामलों में टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में अंडर एक्टिव थायरॉयड विकसित होता है।
इस कंडिशन को हाशिमोटोस थाईरॉइडाईटिस (Hashimoto’s Thyroiditis) कहा जाता है। जबकि, ओवरएक्टिव थायरॉयड को ग्रेव्स’स डिजीज (Graves’ disease) कहा जाता है। यह भी माना जाता है कि सामान्य तौर पर, जिन लोगों को टाइप 1 डायबिटीज होती है, उन्हें भविष्य में कभी भी थायरॉयड की समस्या हो सकती है। अनट्रीटेड थायरॉयड प्रॉब्लम्स से टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes) से पीड़ित बच्चों की ब्लड शुगर लेवल प्रभावित होता है। अगर किसी व्यक्ति को ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) को कंट्रोल करने में समस्या हो रही हो तो यह थायरॉयड के कारण भी हो सकता है।
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टाइप 1 डायबिटीज और ऑटोइम्यून थायरॉइड डिजीज व ब्लड शुगर (Type 1 diabetes and Autoimmune thyroid disease and blood sugar)
जिन लोगों को टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes) की समस्या है, उन्हें ब्लड ग्लूकोज लेवल को कंट्रोल करने में बहुत मेहनत करनी पड़ती है। लेकिन, अगर वो अंडरएक्टिव थायरॉयड के बारे में अवेयर नहीं हैं, तो उन्हें बहुत सी अनएक्सप्लेंड लो ब्लड शुगर (Low blood sugar) की समस्या हो सकती है। अगर किसी को हायपरथायरॉयड की समस्या है, तो उन्हें अनएक्सप्लेंड हाय ब्लड शुगर (High blood sugar) की परेशानी हो सकती है। कभी-कभी टाइप 1 डायबिटीज वाले लोगों का इंसुलिन लेने से वजन बढ़ता है, लेकिन अनएक्सप्लेंड वजन बढ़ना भी एक अंडरएक्टिव थायरॉयड के कारण हो सकता है।
लोगों के लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि अगर किसी को इनमें से कोई भी समस्या है, तो याद रखें कि उन्हें दूसरी कंडिशन की संभावना अधिक है। लेकिन, अधिकतर लोग इनके लक्षणों को पहचान नहीं पाते हैं। ऐसे में आपको टाइप 1 डायबिटीज और ऑटोइम्यून थायरॉइड डिजीज (Type 1 diabetes and Autoimmune thyroid disease) के लक्षणों के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। ऑटोइम्यून थायरॉयड डिजीज को आमतौर पर दवाईयों से मैनेज किया जा सकता है। जो डॉक्टर की सलाह से ली जा सकती हैं। यह तो थी टाइप 1 डायबिटीज और ऑटोइम्यून थायरॉइड डिजीज (Type 1 diabetes and Autoimmune thyroid disease) के बारे में जानकारी। अब जानते हैं कि टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes) के लक्षणों को मैनेज कैसे किया जा सकता है?
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टाइप 1 डायबिटीज को कैसे मैनेज करें? (Management of Type 1 diabetes)