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Prehypertension: तो क्या हाय ब्लड प्रेशर के खतरे की सूचना देता है प्रीहायपरटेंशन?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 25/05/2022

    Prehypertension: तो क्या हाय ब्लड प्रेशर के खतरे की सूचना देता है प्रीहायपरटेंशन?

    शरीर में एक स्थान से दूसरे स्थान में ब्लड को पहुंचने की लिए प्रेशर की जरूरत होती है, जिसे हम ब्लड प्रेशर के नाम से जानते हैं। हाय ब्लड प्रेशर को साइलेंट किलर के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि ये धीमे-धीमे इंसान को मारने का काम करता है। अगर हाय बीपी का ट्रीटमेंट न कराया जाए, तो ये बड़ी समस्या भी पैदा कर सकता है। ब्लड प्रेशर की जांच के दौरान एक अगर थोड़ा सा भी बीपी हाय रहता है, तो डॉक्टर इसे प्रीहाइपरटेंशन (Prehypertension) का नाम देते हैं। जानिए प्रीहाइपरटेंशन (Prehypertension) कैसे आपको बड़े खतरे की सूचना देता है और क्या सावधानियां रखी जा सकती हैं।

    प्रीहाइपरटेंशन (Prehypertension) को 120-139 मिलीमीटर मरकरी (मिमी एचजी) सिस्टोलिक प्रेशर या 80-89 मिमी एचजी (mm Hg) से डायस्टोलिक प्रेशर के रूप में जाना जाता है। चूंकि ब्लड प्रेशर हमेशा एक जैसा नहीं रहता है और अक्सर बदलता रहता है, तो डॉक्टर एक बार में ब्लड प्रेशर की जांच करके ये नहीं बता सकते हैं कि आपको हाय ब्लड प्रेशर की बीमारी है या फिर नहीं। ब्लड प्रेशर को अधिक या हाय तब माना जाता है, जब ये 140/90 से ऊपर हो जाता है। क्रॉनिक किडनी डिजीज वाले लोगों के लिए ये 130/80 से नीचे होता है।

    हायपरटेंशन की फस्ट स्टेज को प्रीहायपरटेंशन (Prehypertension) के नाम से भी जाना जाता है। अगर आपको प्रीहायपरटेंशन (Prehypertension) की समस्या है, तो ये इस बात का संकेत है कि भविष्य में आपको हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure) या फिर हायपरटेंशन की समस्या हो सकती है। हाय ब्लड प्रेशर के कारण हार्ट अटैक, स्ट्रोक, कोरोनरी हार्ट डिजीज (Coronary heart disease), हार्ट फेलियर या फिर किडनी फेलियर का खतरा बढ़ जाता है। हाय ब्लड प्रेशर से बचा नहीं जा सकता है लेकिन इसे कंट्रोल किया जा सकता है। आप डायट में बदलाव कर, लाइफस्टाइल हैबिट बदलकर और दवाइयों की मदद से इस बीमारी को कंट्रोल कर सकते हैं।

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    प्रीहाइपरटेंशन से जुड़े रिस्क (Risk for Prehypertension) क्या हैं?

    अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की मानें तो अमेरिका में करीब 59 मिलयन लोगों को हायपरटेंशन की समस्या है और 18 साल से अधिक आधे से ज्यादा लोगों प्रीहायपरटेंशन (Prehypertension) या हायपरटेंशन की समस्या से जूझ रहे हैं। हायपरटेंशन के कारण कार्डियोवस्कुलर डिजीज का खतरा भी बढ़ जाता है। प्रीहायपरटेंशन (Prehypertension) से ग्रसित व्यक्तियों में हाय कोलेस्ट्रॉल (High cholesterol), मोटापा ( obesity) और डायबिटीज (Diabetes) की संभावना हो सकती है। प्रीहायपरटेंशन (Prehypertension) की समस्या को आप उम्र से जोड़ कर नहीं देख सकते हैं। कहने का मतलब है कि जिन लोगों की उम्र बढ़ रही है, जरूरी नहीं है कि केवल उन्हें ही प्रीहायपरटेंशन (Prehypertension) की समस्या हो। ये समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है। अगर समस्या पर ध्यान न दिया जाए, तो ये अन्य बीमारियों को न्यौता दे सकती है।

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    प्रीहायपरटेंशन का क्या है ट्रीटमेंट (Prehypertension treatment)?

    प्रीयहायपरटेंशन (Prehypertension) एक प्रकार से वॉर्निंग साइन की तरह से काम करता है। आप ऐसे समझ सकते हैं कि अगर डॉक्टर ने जांच के बाद प्रीहायपरटेंशन (Prehypertension) डायग्नोज किया है, तो इसका मतलब ये है कि अगर आप सावधानी नहीं रखते हैं, तो आपका बीपी अधिक बढ़ सकता है और इस कारण से आपको कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। फिलहाल आपको न्यू लाइफस्टाइल को अपनाने की जरूरत है और साथ ही उन बूरी आदतों से दूरी बनाने की भी जरूरत है, जो फिलहाल आपके बीपी को हाय करने में मदद कर रही हैं। जानिए कैसे  प्रीहायपरटेंशन (Prehypertension) की समस्या को कंट्रोल किया जा सकता है और भविष्य में खुद को कैसे बड़े खतरे से बचाया जा सकता है।

    प्रीहाइपरटेंशन में बढ़ा हुआ वजन बन सकता है कई बीमारियों का कारण

    बढ़ा हुआ वजन कई बीमारियों का कारण बन सकता है। अगर आपका वजन अधिक है, तो आपको इस बात को हल्के में नहीं लेना चाहिए। वजन कम करके आप हाय बीपी को लो कर सकते हैं। स्टडी में भी ये बात सामने आई है कि वेट लॉस (Weight loss) करने से हाय बीपी का करीब 20 प्रतिशत खतरा कम हो जाता है। आप वेट घटाने के लिए एक्सरसाइज (Excercise), योग आदि को नियमित अपना सकते हैंं।

    प्रीहाइपरटेंशन में खानपान (Diet) में रखें सावधानी

    अगर आपको अपना बीपी मेंटेन रखना है, तो आपको खानपान में विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। आपको खाने में पर्याप्त मात्रा में फलों का सेवन करना चाहिए। साथ ही खाने में व्होल ग्रेंस, फिश, लो फैट डेयरी (low-fat dairy) आदि को भी शामिल किया जा सकता है।  इन फूड्स में सोडियम कम मात्रा में होती है और साथ ही अधिक मात्रा में पोटैशियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम (Calcium), प्रोटीन और फाइबर शामिल होते हैं। आपको खानपान के साथ ही समय-समय पर बीपी का रेगुलर चेकअप भी कराना चाहिए। अगर आपको नहीं समझ आ रहा है कि खाने में कौन-से फूड्स शामिल करने चाहिए, तो आप डॉक्टर या डायटीशियन से भी इस संबंध में सहायता ले सकते हैं। हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता हैं।

    और पढ़ें: इन हाई ब्लड प्रेशर फूड्स को अपनाकर हाइपरटेंशन को दूर भगाएं!

    प्रीहाइपरटेंशन: खाने में सोडियम और सैचुरेटेड फैट को करें कम

    खाने के दौरान अक्सर लोग ये बात भूल जाते हैं कि शरीर में अधिक मात्रा में नमक या सोडियम पहुंचने पर हाय बीपी का खतरा बढ़ जाता है। आपको खाने में लो सोडियम डायट को अपनाना चाहिए। आपको रोजाना  2,300 मिलीग्राम सोडियम की मात्रा को खाने में शामिल करना चाहिए। आपको खाने में हाय सैचुरेटेड फैट जैसे कि मीट, हाय फैट डेयरी प्रोडक्ट से भी बचना चाहिए। आपको फ्राइड फूड्स (Fried Foods) से भी दूरी बना लेनी चाहिए। अगर आप खाने में कोलेस्ट्रॉल युक्त भोजन जैसे कि मीट, एग यॉक या हाय फैट डेयरी का इस्तेमाल करते हैं, तो ये हार्ट डिजीज के खतरे को बढ़ाने का काम करता है। आपको खाने में वेजीटेरियन डायट को शामिल करना चाहिए और साथ ही नशे से दूरी बनानी चाहिए।
    अगर आप दी गई बातों का ध्यान रखते हैं और समय-समय पर चेकअप कराते हैं, तो आप हाय बीपी की समस्या से बच सकते हैं। अगर आप इस संबंध में कोई भी जानकारी लेना चाहते हैं, तो बेहतर होगा कि आप अपने डॉक्टर से इस बारे में जरूर बात करें।

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    हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता हैं। इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको प्रीहाइपरटेंशन (Prehypertension)  के बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको प्रीहाइपरटेंशन से संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।

    डिस्क्लेमर

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