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कार्बोहायड्रेट, अनसैचुरेटेड फैट और प्रोटीन इंटेक इंसुलिन सेंसिटिविटी को कैसे करते हैं प्रभावित?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 26/11/2021

    कार्बोहायड्रेट, अनसैचुरेटेड फैट और प्रोटीन इंटेक इंसुलिन सेंसिटिविटी को कैसे करते हैं प्रभावित?

    इंसुलिन (Insulin) एक महत्वपूर्ण हॉर्मोन है जिसकी शरीर में कई भूमिकाएं होती हैं। जब इंसुलिन सेंसिटिविटी कम होती है, तो यह पैंक्रियाज पर इंसुलिन प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए दबाव डालता है। कम इंसुलिन सेंसिटिविटी के परिणामस्वरूप लंबे समय तक हाय ब्लड शुगर लेवल भी हो सकता है, जो डायबिटीज और हार्ट डिजीज सहित कई बीमारियों के लिए आपके रिस्क को बढ़ाता है। कार्बोहायड्रेट, अनसैचुरेटेड फैट और प्रोटीन इंटेक का इंसुलिन सेंसिटिविटी पर प्रभाव पड़ता है। जानते हैं इस आर्टिकल में कि इंसुलिन सेंसिटिविटी क्या है, कार्बोहायड्रेट, अनसैचुरेटेड फैट और प्रोटीन इंटेक का इंसुलिन सेंसिटिविटी पर प्रभाव क्या होता है, और इंसुलिन सेंसटिविटी को कैसे बढ़ाया जा सकता है।

     इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin sensitivity) क्या है?

    इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin sensitivity) बताती है कि शरीर इंसुलिन के प्रभावों के प्रति कितना संवेदनशील है। किसी व्यक्ति को इंसुलिन के प्रति सेंसटिव कहा जाता है, उसे कम सेंसिटिविटी वाले व्यक्ति की तुलना में ब्लड शुगर लेवल को कम करने के लिए कम मात्रा में इंसुलिन की आवश्यकता होगी। इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अलग-अलग होती है और डॉक्टर यह निर्धारित करने के लिए टेस्ट कर सकते हैं कि कोई व्यक्ति इंसुलिन के प्रति कितना संवेदनशील है।

    जब आपका पैंक्रियाज हाय ब्लड शुगर को महसूस करता है, तो यह रेजिस्टेंस को दूर करने और आपके ब्लड शुगर को कम करने के लिए अधिक इंसुलिन बनाता है। समय के साथ, यह इंसुलिन-उत्पादक कोशिकाओं को समाप्त कर सकता है, जो टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) में आम है। इसके अलावा, लंबे समय तक हाय ब्लड शुगर नसों और अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है।

    यदि आपको प्रीडायबिटीज या टाइप 2 डायबिटीज की मेडिकल हिस्ट्री है, साथ ही यदि आप अधिक वजन वाले हैं या ओबेसिटी से ग्रस्त हैं, तो आपको इंसुलिन रेजिस्टेंस का सबसे अधिक खतरा है। इसे सुधारने से आपको इंसुलिन रेजिस्टेंस और डायबिटीज सहित कई बीमारियों के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। चलिए अब जान लेते हैं कार्बोहायड्रेट, अनसैचुरेटेड फैट और प्रोटीन इंटेक का इंसुलिन सेंसिटिविटी पर प्रभाव क्या होता है।

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    कार्बोहायड्रेट, अनसैचुरेटेड फैट और प्रोटीन इंटेक का इंसुलिन सेंसिटिविटी पर प्रभाव के बारे में क्या कहती है रिसर्च?

    एक रैंडमाइज्ड और कंट्रोल्ड स्टडी हुई जिसमें 164 व्यक्ति डायबिटीज के बिना प्रीहायपरटेंशन (Prehypertension) या स्टेज 1 हाय ब्लड प्रेशर वाले थे। 2-4 सप्ताह के डायट प्लान पर प्रत्येक को 6 सप्ताह के लिए आहार दिया गया था। पूरे अध्ययन में वेट स्थिर रखा गया था। प्राइमरी आउटकम के लिए, एन्ड-ऑफ-पीरियड में फास्टिंग सीरम ग्लूकोज और इंसुलिन का उपयोग करके क्वांटिटिव इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) चेक इंडेक्स (QUICKI) की गणना की।

    क्विकी इंसुलिन सेंसिटिविटी का एक वैलिडेट मेजरमेंट है। पाया गया कि एक डायट जो आंशिक रूप से असंतृप्त वसा के साथ कार्बोहायड्रेट को रिप्लेस करता है, कार्डियोवैस्कुलर बीमारी के रिस्क वाले लोगों में इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) में सुधार कर सकता है। यानी कार्बोहायड्रेट, अनसैचुरेटेड फैट और प्रोटीन इंटेक का इंसुलिन सेंसिटिविटी पर प्रभाव हो सकता है। अगर आप भी इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ाना चाहते हैं तो नीचे दिए टिप्स मददगार हो सकते हैं।

    इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाने के टिप्स (Tips to increase insulin sensitivity)

    कार्बोहायड्रेट, अनसैचुरेटेड फैट और प्रोटीन इंटेक का इंसुलिन सेंसिटिविटी पर प्रभाव के अलावा दूसरे चीजों का भी इस पर प्रभाव होता है। जान लीजिए उनके बारे में।

    पर्याप्त और अच्छी नींद लें (Get enough and good sleep)

    कार्बोहायड्रेट, अनसैचुरेटेड फैट और प्रोटीन इंटेक का इंसुलिन सेंसिटिविटी पर प्रभाव के अलावा रात की अच्छी नींद का भी इस पर प्रभाव होता है। नींद की कमी बॉडी के लिए हानिकारक हो सकती है और इंफेक्शन, हार्ट डिजीज और टाइप 2 डायबिटीज के लिए आपके रिस्क को बढ़ा सकती है। कई स्टडीज ने खराब नींद को कम इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) से भी लिंक किया है। जैसे, नौ हेल्दी वालंटियर्स से जुड़ी एक स्टडी में पाया गया कि एक रात में सिर्फ 4 घंटे की नींद लेने वाले लोगों की तुलना में 8 1/2 घंटे की नींद लेने वाले लोगों में इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin sensitivity) और ब्लड शुगर को कंट्रोल करने की क्षमता अधिक थी।

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    नियमित व्यायाम करें (Exercise regularly)

    कार्बोहायड्रेट, अनसैचुरेटेड फैट और प्रोटीन इंटेक का इंसुलिन सेंसिटिविटी पर प्रभाव के अलावा नियमित व्यायाम भी इंसुलिन को प्रभावित करता है। यह स्टोरेज के लिए शुगर को मांसपेशियों में ले जाने में मदद करता है और इंसुलिन सेंसिटिविटी में तुरंत ग्रोथ को बढ़ावा देता है।

    एक स्टडी में पाया गया कि मॉडरेट स्पीड से मशीन पर 60 मिनट साइकिलिंग करने से हेल्दी वालंटियर्स में 48 घंटे के लिए इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ जाती है। साथ ही अधिक वजन वाले और बिना डायबिटीज वाले पुरुषों के एक अध्ययन में पाया गया कि जब प्रतिभागियों ने 3 महीने के लिए रेजिस्टेंस ट्रेनिंग की, तो वजन घटाने से उनकी इन्सुलिन सेंसिटिविटी बढ़ गई। जबकि एरोबिक और रेजिस्टेंस ट्रेनिंग दोनों इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ाते हैं, दोनों को अपनी डेली रूटीन में शामिल करना सबसे प्रभावी होता है।

    स्ट्रेस (Stress) कम लें

    तनाव आपकी बॉडी की ब्लड-शुगर को कंट्रोल करने की क्षमता को प्रभावित करता है। यह बॉडी को कोर्टिसोल (Cortisol) और ग्लाइकोजन (Glucagon) जैसे स्ट्रेस हार्मोन के प्रोडक्शन को उत्तेजित करते हैं। स्ट्रेस से आपके तनाव हार्मोन का लेवल हाई रहता है जो कि नुट्रिएंट ब्रेकडाउन (Nutrient breakdown) को उत्तेजित करता है और ब्लड शुगर को बढ़ाता है। वास्तव में, कई स्टडीज में पाया गया है कि स्ट्रेस हार्मोन के हाई लेवल इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) को कम करते हैं। कार्बोहायड्रेट, अनसैचुरेटेड फैट और प्रोटीन इंटेक का इंसुलिन सेंसिटिविटी पर प्रभाव के अलावा तनाव भी इसे प्रभावित कर सकता है।

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    वजन कम करें (Loose weight)

    अधिक वजन, विशेष रूप से बेली के आस पास फैट, इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) को कम करता है और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। बेली फैट मांसपेशियों और लिवर में इंसुलिन रेजिस्टेंस को बढ़ावा देने वाले हार्मोन बनाकर ऐसा कर सकता है। उच्च मात्रा में मौजूद पेट की चर्बी और कम इंसुलिन सेंसिटिविटी के बीच एक लिंक भी मिलता है। इसलिए, वजन कम करना पेट की चर्बी कम करने और इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाने का एक प्रभावी तरीका है।

    अगर आपको प्रीडायबिटीज है तो यह टाइप 2 डायबिटीज के रिस्क को कम करने में भी मदद कर सकता है। जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के एक स्टडी में पाया गया कि प्रीडायबिटीज वाले लोग जिन्होंने 6 महीनों में अपने कुल वजन का 5-7% कम किया, अगले 3 वर्षों के लिए टाइप 2 डायबिटीज के लिए उनके रिस्क को 54% तक कम कर दिया। यानी कार्बोहायड्रेट, अनसैचुरेटेड फैट और प्रोटीन इंटेक का इंसुलिन सेंसिटिविटी पर प्रभाव तो होता ही है, लेकिन वजन कम करके भी इसे ठीक किया जा सकता है।

    सॉल्युबल फायबर (Soluble fiber) से युक्त फूड्स खाएं

    इनसोल्युबल फायबर ज्यादातर स्टूल को आंतों के माध्यम से मूव करने में हेल्प करने के लिए एक बल्किंग एजेंट की तरह काम करता है। वहीं घुलनशील फायबर कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए और भूख कम करने में मददगार साबित होता है। घुलनशील फायबर आपके गट में अनुकूल बैक्टीरिया के लिए हेल्पफुल होता है, जो कि बढ़ी हुई इंसुलिन सेंसिटिविटी से जुड़ा हुआ है। सोल्युबल फायबर से भरपूर खाद्य पदार्थों में फलियां, दलिया, अलसी, सब्जियां जैसे ब्रसेल्स स्प्राउट्स और संतरे जैसे फल शामिल हैं।

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    कार्ब्स (Carbs) को करें कम 

    कार्ब्स इंसुलिन ब्लड लेवल को बढ़ाने का कारण बनते हैं। कम कार्ब्स खाना और लो-जीआई कार्ब्स चुनना इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) को बढ़ाने के स्मार्ट तरीके हैं। कम जीआई वाले कार्ब सोर्स में शकरकंद, ब्राउन राइस, क्विनोआ और दलिया की कुछ किस्में शामिल हैं।

    एडेड शुगर (Added sugar) को कम करें

    नैचुरल शुगर पौधों और सब्जियों जैसे स्रोतों में पाई जाती है, ये दोनों ही बहुत सारे अन्य पोषक तत्व प्रदान करते हैं। इसके विपरीत, एडेड शुगर अधिक प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों में पाई जाती है। प्रोडक्शन प्रोसेस के दौरान एडेड शुगर दो मुख्य प्रकार की होती हैं हाय फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप और टेबल शुगर, जिसे सुक्रोज भी कहा जाता है। दोनों में लगभग 50% फ्रुक्टोज होता है। कई अध्ययनों में पाया गया है कि फ्रुक्टोज के ज्यादा सेवन से डायबिटीज वाले लोगों में इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ सकता है। जिन खाद्य पदार्थों में बहुत अधिक चीनी होती है उनमें फ्रुक्टोज भी अधिक होता है। इसमें कैंडी, केक, कुकीज और पेस्ट्री शामिल हैं।

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    खाने में हर्ब्स (Herbs) और मसालों (Spices) को शामिल करें

    इंसुलिन सेंसिटिविटी पर प्रभाव

    • मेथी बीज-इनमें सोलुएबल फाइबर हाई होते हैं, जो इंसुलिन को और अधिक प्रभावी बनाने में मदद करता है। इन्हें अपनी डाइट में शामिल करने से ब्लड शुगर और इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
    • हल्दी-इसमें करक्यूमिन नामक एक एक्टिव कंपोनेंट होता है, जिसमें स्ट्रॉन्ग एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इन्फ्लामेट्री गुण होते हैं। यह शुगर को कम करके इंसुलिन सेंसिटिविटी (Insulin Sensitivity) को बढ़ाती है।
    • लहसुन-जानवरों पर की गई स्टडी में, लहसुन इंसुलिन स्राव में सुधार करने के लिए हेल्पफुल पाया गया है और इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ाते हैं।

    उम्मीद करते हैं कि आपको कार्बोहायड्रेट, अनसैचुरेटेड फैट और प्रोटीन इंटेक का इंसुलिन सेंसिटिविटी पर प्रभाव से संबंधित जानकारी और इंसुलिन सेंसिटिविटी को नैचुरल तरीके बढ़ाने के तरीके समझ आ गए होंगे। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर की सलाह लें।

    डिस्क्लेमर

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