हालांकि, अधिक शोध की आवश्यकता है, अध्ययनों से पता चलता है कि गाय के दूध में मौजूद बोवाइन इंसुलिन (Bovine insulin) के साथ ए1 बीटा-कैसीन (A1 beta-casein) जेनेटिक रूप से अतिसंवेदनशील बच्चों में जिनमें एक एचएलए (ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन) कॉम्प्लेक्स होता है, ऑटोम्यून्यून रिएक्शन (autoimmune reaction) को ट्रिगर कर सकता है। यह ऑटोइम्यून रिएक्शन शरीर को बीटा-सेल्स के खिलाफ एंटीबॉडी प्रोड्यूस करने का कारण बनता है – सेल्स जो पैंक्रियास इंसुलिन का उत्पादन करती हैं – धीरे-धीरे इन कोशिकाओं को नष्ट कर देती हैं और टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes) का कारण बनती हैं।
डायबिटीज में दूध का सेवन और टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) के बीच क्या है लिंक?
आपको जानकर हैरानी होगी कि 16 स्टडीज से पता चलता है कि फुल-फैट मिल्क वास्तव में डायबिटीज, ओबेसिटी और हार्ट डिजीज से बचा सकता है। दूध के फैट में में पाया जाने वाला एक फैटी एसिड, ट्रांस-पामिटोलिक एसिड (Trans-palmitoleic acid) इंसुलिन के लेवल के साथ-साथ इंसुलिन सेंस्टिविटी में भी सुधार कर सकता है। वहीं, एक अध्ययन में, ब्लड में ट्रांस-पामिटोलिक एसिड के हाई लेवल वाले प्रतिभागियों में निम्न स्तर वाले लोगों की तुलना में डायबिटीज डेवलप होने का रिस्क 60% कम था।
इसके अलावा, डेयरी प्रोडक्ट्स में फैट में ब्यूटायरेट (butyrate) भी होता है जो न केवल गट फ्लोरा (Gut flora) में सुधार करने के लिए जाना जाता है बल्कि सूजन को भी रोकता है जो डायबिटीज और हार्ट डिजीज जैसी क्रोनिक बीमारियों के डेवलपमेंट से जुड़ा हुआ है। फाइटैनिक एसिड (Phytanic acid), डेयरी फैट में मौजूद एक अन्य फैटी एसिड, और दूध में एक नैचुरल ट्रांस फैट संयुग्मित लिनोलेनिक एसिड (Conjugated linolenic acid) भी डायबिटीज, हृदय रोग और कैंसर के रिस्क को कम करने के लिए उपयोगी पाया गया है।
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