इस समस्या से पीड़ित लोगों का इम्यून सिस्टम उनकी बीमारी का कारण नहीं होता है। यही नहीं, डायबिटीज डिजीज के सबग्रुप्स (Subgroups of Diabetes) में से इस ग्रुप से पीड़ित लोगों में सब कुछ टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes) जैसा होता है। बस उनमें वो “ऑटोएंटीबॉडीज” नहीं होते हैं, जो टाइप 1 को इंगित करते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार ऐसा क्यों होता है इसके बारे में जानकारी नहीं है।
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सीवियर इंसुलिन-रेसिस्टेंट डायबिटीज (Severe insulin-resistant diabetes) यानी (SIRD)
डायबिटीज के सब ग्रुप्स में से इस ग्रुप का नाम है सीवियर इंसुलिन-रेसिस्टेंट डायबिटीज (Severe insulin-resistant diabetes)। इनका शिकार अधिकतर वयस्क होते हैं। यह वयस्क गंभीर इंसुलिन रेजिस्टेंस से पीड़ित होते हैं। उनके A1c लेवल्स (A1c levels) बदलते रहते हैं और उन्हें किडनी डिजीज (Kidney disease) होने की संभावना अधिक रहती है। इंसुलिन एक हॉर्मोन है, जिसे हमारा पैंक्रियाज बनाता है। इंसुलिन हमारे सेल्स को ग्लूकोज को एब्सॉर्ब करने और उनका प्रयोग करने की अनुमति देती है। इंसुलिन रेजिस्टेंस से पीड़ित लोगों के सेल्स सही तरीके से इंसुलिन प्रयोग नहीं कर पाते हैं। जब सेल्स ग्लूकोज को एब्सॉर्ब नहीं कर पाते हैं, तो ब्लड में इसका लेवल बढ़ने लगता है।
अगर यह ग्लूकोज लेवल अधिक बढ़ जाए, लेकिन यह इतना अधिक न हो कि डायबिटीज का नाम दिया जाए, तो इस बॉर्डरलाइन डायबिटीज को प्रीडायबिटीज कहा जाता है। प्रीडायबिटीज अक्सर उन लोगों में पायी जाती हैं, जिन्हें हाय इंसुलिन रेजिस्टेंस हो। आपको यह तो समझ में आ गया होगा कि इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin resistance) तब होती है जब खून में बहुत अधिक ग्लूकोज की मात्रा से सेल्स की एनर्जी के लिए ब्लड शुगर को एब्सॉर्ब और प्रयोग करने की क्षमता कम हो जाती है। इसके कारण प्रीडायबिटीज के डेवलप होने का जोखिम बढ़ जाता है, जो बाद में टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) में परिवर्तित हो सकती है।
यदि पैंक्रियाज एब्सॉर्ब के लो रेट को दूर करने के लिए पर्याप्त इंसुलिन बना सकता है, तो मधुमेह विकसित होने की संभावना कम होती है, और ब्लड शुगर भी एक स्वस्थ सीमा के भीतर रहती है। इस समस्या से बचने के लिए आपको अपने जीवनशैली में बदलाव करने चाहिए जैसे नियमित व्यायाम करना, सही आहार का सेवन करना, वजन को सही रखना, तनाव से बचाव आदि। अब जानिए अन्य डायबिटीज डिजीज के सबग्रुप्स (Subgroups of Diabetes) के बारे में।
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डायबिटीज डिजीज के सबग्रुप्स: माइल्ड ओबेसिटी-रिलेटेड डायबिटीज (Mild obesity-related diabetes) यानी (MOD)
माइल्ड ओबेसिटी-रिलेटेड डायबिटीज उन मरीजों में पाई जाती है जो मोटे होते हैं या जिनका वजन बहुत अधिक होता है। लेकिन, जिनमें इंसुलिन रेजिस्टेंस नहीं होती। डायबिटीज के इस सबटाइप में डायबिटीज बिना किसी मेटाबोलिक प्रॉब्लम के माइल्ड फॉर्म में होती है। यह समस्या मोटापे से पीड़ित बच्चों या टीनएजर्स में अधिक पाई जाती है। यह एक जाना-माना तथ्य है कि अगर कोई मोटा या ओवरवेट है, तो उसे टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) होने की संभावना बहुत अधिक होती है। लेकिन, जीवनशैली में बदलाव से मोटापा और डायबिटीज दोनों से राहत मिल सकती है।
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डायबिटीज डिजीज के सबग्रुप्स: माइल्ड ऐज-रिलेटेड डायबिटीज (Mild age-related diabetes) यानी (MARD)
अधिक उम्र के चालीस प्रतिशत लोग इस रोग से पीड़ित होते हैं। डायबिटीज डिजीज के सबग्रुप्स (Subgroups of Diabetes) में से इस में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मुश्किल होती है। यह तो आप जानते ही होंगे कि टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) की समस्या उम्र के बढ़ने के साथ बढ़ती है। इसका कारण यह है कि उम्र के साथ इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ती है। इंसुलिन रेजिस्टेंस को कंट्रीब्यूट करने वाले अन्य फैक्टर्स है मसल्स मास का कम होना, वजन का बढ़ना, और बुजुर्गों का फिजिकल एक्टिविटीज कम करना आदि। अगर बुर्जुर्गों में इसका सही समय पर निदान नहीं होता या सही उपचार नहीं होता है, तो शरीर के मेजर ऑर्गन्स को नुकसान हो सकता है जैसे
- किडनी डैमेज (Kidney damage), जो डायलिसिस (dialysis) का कारण बन सकती है।
- आर्टरी डैमेज (Artery damage), जिससे स्ट्रोक या हार्ट अटैक का जोखिम हो सकता है।
- आई डैमेज (Eye damage), जिससे विज़न लॉस हो सकता है।
- पुरुषों में इरेक्टाइल डिसफंक्शन (Erectile dysfunction) यानी नपुंसकता (impotence)
- नर्व डैमेज (Nerve damage), जिससे ट्रॉमेटिक इंजरी और इंफेक्शन हो सकता है।
अधिक उम्र में डायबिटीज को मैनेज करना मुश्किल हो सकता है। लेकिन, सही दवाईयों और इंसुलिन का ध्यान रख कर, नियमित रूप से हेल्थ चेक-अप और डॉक्टर की सलाह का पूरी तरह से पालन कर के एक स्वस्थ जीवन बिताया जा सकता है। इसके साथ ही हेल्दी आदतों को अपनाना भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह तो थी डायबिटीज डिजीज के सबग्रुप्स (Subgroups of Diabetes) के बारे में जानकारी। अब जानते हैं कि डायबिटीज के प्रकारों या डायबिटीज डिजीज के सबग्रुप्स (Subgroups of Diabetes) में से किसी भी समस्या के होने पर आप इसके लक्षणों को मैनेज कैसे कर सकते हैं और हेल्दी रह सकते हैं।
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डायबिटीज डिजीज के सबग्रुप्स के लक्षणों को कैसे करें मैनेज?
डायबिटीज के निदान के बाद डॉक्टर मरीज को सही उपचार में दवाईयों, इंसुलिन आदि की सलाह देते हैं। ताकि, उनका ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) लो हो सके। इसके अलावा इस समस्या से राहत पाने के लिए कुछ अन्य तरीके भी हैं। जानिए इनके बारे में:
- अपनी डायबिटीज को कंट्रोल में रखने के लिए अपने डॉक्टर से अवश्य बात करें और उनकी सलाह का पूरी तरह से पालन करें। नियमित जांच बेहद जरूरी है।
- सही जूते पहनें और हर रोज अपने पैरों को जांचें, ताकि किसी भी समस्या से बचने में आसानी हो।
- कोई भी हेल्थ प्रॉब्लम की जांच से पहले डॉक्टर को यह अवश्य बताएं कि आप डायबिटिक हैं।
- अपनी स्थिति को ट्रैक करने के लिए नियमित ब्लड ग्लूकोज मॉनिटर करें।
- अपनी डायट का ख्याल रखें और हेल्दी विकल्पों को ही चुनें जैसे कम सैचुरेटेड फैट लें। जबकि हेल्दी और कॉम्प्लेक्स कार्बोहायड्रेट फूड का सेवन करें जैसे फल, सब्जियां, ब्राउन राइस, ओटमील आदि।
- अगर आप स्मोकिंग करते हैं, तो उसे करना छोड़ दें।
- अगर आपका वजन अधिक है, तो उसे कम करने पर विचार करें।
- नियमित व्यायाम करें और तनाव से बचें।
- डॉक्टर की सलाह के अनुसार मेडिकेशन्स लें।

क्या आप जानते हैं कि डायबिटीज को रिवर्स कैसे कर सकते हैं? तो खेलिए यह क्विज!
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उम्मीद है कि डायबिटीज डिजीज के सबग्रुप्स (Subgroups of Diabetes) के बारे में यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। याद रखें डायबिटीज डिजीज के सबग्रुप्स (Subgroups of Diabetes) चाहे कोई भी हों। डायबिटीज का सही उपचार न करने से आप कई गंभीर हेल्थ प्रॉब्लम्स का शिकार हो सकते हैं। लेकिन, सही समय पर निदान और उपचार से आप इनसे बच सकते हैं। अगर आपके मन में इससे संबंधित कोई भी सवाल है तो अपने डॉक्टर से इस बारे में अवश्य जानें। आप हमारे फेसबुक पेज पर भी अपने सवालों को पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।