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स्केलेटल और मस्क्युलर सिस्टम पर एट्रियल फिब्रिलेशन का प्रभाव (Effects of atrial fibrillation on the skeletal and muscular systems)
एट्रियल फिब्रिलेशन का प्रभाव (Afib effects on body) दोनों सिस्टम पर होता है जिसकी वजह से पैरों, एंकल और तलवों में फ्लूइड बिल्डअप हो सकता है। पहले से की जाने वाली नियमित गतिविधियों के दौरान चिड़चिड़ापन और मांसपेशियों में कमजोरी का अनुभव होना भी एट्रियल फिब्रिलेशन का लक्षण हो सकता है। एट्रियल फिब्रिलेशन के प्रभाव के कारण आपको व्यायाम करने में कठिनाई हो सकती है।
एट्रियल फिब्रिलेशन का प्रभाव (Effects of atrial fibrillation) श्वसन प्रणाली पर
रेस्पिरेटी सिस्टम पर भी एट्रियल फिब्रिलेशन का प्रभाव (Effects of atrial fibrillation on body) हो सकता है। बता दें कि आपके लंग्स को ठीक से काम करने के लिए ब्लड की निरंतर सप्लाई की आवश्यकता होती है। दिल की अनियमित पंपिंग भी फेफड़ों में फ्लूइड का बैकअप ले सकती है। इसके लक्षणों में शामिल हैं:
अन्य लक्षण
अन्य लक्षणों में वजन बढ़ना, चक्कर आना, बेचैनी और थकान शामिल हो सकते हैं। कुछ लोगों में फ्रीक्वेंट यूरिनेशन की समस्या भी देखी जा सकती है।
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एट्रियल फिब्रिलेशन का क्या कारण है? (Atrial fibrillation Causes)
कभी-कभी एट्रियल फिब्रिलेशन का कारण पता नहीं होता है। कभी-कभी, यह अन्य स्थितियों, जैसे लंबे समय से चली आ रही अनियंत्रित हाय ब्लड प्रेशर या कोरोनरी आर्टरी डिजीज से हार्ट के इलेक्ट्रिकल सिस्टम को हुए नुकसान की वजह से हो सकता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, हार्ट सर्जरी के बाद एट्रियल फिब्रिलेशन की समस्या सबसे सामान्य है। आमतौर पर, एट्रियल फिब्रिलेशन से अन्य मेडिकल प्रॉब्लम्स हो सकती हैं, जिनमें शामिल हैं: