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एट्रियल फिब्रिलेशन का प्रभाव : सिर्फ हार्ट पर ही नहीं होता, शरीर के ये अंग भी होते हैं प्रभावित!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 24/11/2021

    एट्रियल फिब्रिलेशन का प्रभाव : सिर्फ हार्ट पर ही नहीं होता, शरीर के ये अंग भी होते हैं प्रभावित!

    एट्रियल फिब्रिलेशन (Atrial Fibrillation) दुनिया भर में सबसे सामान्य क्लिनिकल एरिदमिया (Clinical arrhythmia) ​​है। अनुमानों के अनुसार, यह 20 वर्ष से अधिक आयु की वेस्टर्न पॉपुलेशन के 3% तक के लोगों को प्रभावित करता है। एट्रियल फिब्रिलेशन का प्रभाव वृद्ध और वयस्कों में सबसे अधिक देखा जाता है, लेकिन यह कम उम्र में भी हो सकता है। एट्रियल फिब्रिलेशन, जिसे (AFib) या (AF) के रूप में भी जाना जाता है, हृदय के अपर चैम्बर्स का एक इलेक्ट्रिकल डिसऑर्डर (Electrical disorder) है। हालांकि, यह जरूरी नहीं कि यह हानिकारक हो, लेकिन एट्रियल फिब्रिलेशन का प्रभाव (Afib effects on body) दिल से जुड़ी अन्य समस्याओं के साथ-साथ स्ट्रोक का भी खतरा बढ़ा सकता है। दरअसल, यह शरीर में रक्त के सामान्य प्रवाह को बाधित कर सकता है और ब्लड क्लॉट और स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है। शरीर पर एट्रियल फिब्रिलेशन का प्रभाव को जानने के लिए यह लेख जरूर पढ़िए।

    एट्रियल फिब्रिलेशन (AFib) क्या है?

    एट्रियल फिब्रिलेशन हृदय के अपर चैम्बर्स को प्रभावित करता है, जिसे एट्रिया कहा जाता है। यह एक इलेक्ट्रिकल डिसऑर्डर है जो रैपिड इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स का कारण बनता है। इससे प्रति मिनट हार्ट बीट्स सौ तक पहुंच सकती है। क्योंकि इलेक्ट्रिकल इम्पल्सेज इतनी तेज होती हैं, कि एट्रिया कॉन्ट्रैक्ट नहीं हो पता है या यूं कहें कि ब्लड को प्रभावी ढंग से स्क्वीज करने में असमर्थ होता है।

    हार्ट के माध्यम से एक व्यवस्थित ढंग से इम्पल्स कार्य करने के बजाय, कई इम्पल्सेज एक ही समय में शुरू हो जाते हैं और एवी नोड के माध्यम से ट्रैवल करते हुए, एट्रिया के माध्यम से फैलते हैं। एवी नोड इम्पल्सेज जो कि वेंट्रिक्ल तक जाते हैं कि संख्या को सीमित करता है, लेकिन कई इम्पल्सेज तेज और अव्यवस्थित होते हैं। एट्रियल फाइब्रिलेशन के प्रभाव से इम्पल्सेज अनियमित रूप से सिकुड़ते हैं, जिससे दिल की धड़कन तेज और अनियमित हो जाती है। एट्रिया में इम्पल्सेज की दर 300 से 600 बीट्स प्रति मिनट तक हो सकती है। जिसका प्रभाव शरीर के विभिन्न हिस्सों पर पड़ सकता है।

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     हार्ट और सर्क्युलेटरी सिस्टम्स (Cardiovascular and circulatory systems) पर एट्रियल फिब्रिलेशन का प्रभाव

    एट्रियल फिब्रिलेशन का प्रभाव (Afib effects on body) हार्ट और सर्क्युलेटरी सिस्टम पर होता है। जब आपके हार्ट का इलेक्ट्रिकल सिस्टम अस्त-व्यस्त हो जाता है, तो चैम्बर्स अपनी रिदम खो देते हैं। एट्रियल फिब्रिलेशन का एक सामान्य लक्षण दिल का अनियमित रूप से धड़कना है। समय के साथ, एट्रियल फिब्रिलेशन हृदय को कमजोर और खराब कर सकता है। हृदय के अप्रभावी संकुचन के कारण एट्रिया में ब्लड जमा हो जाता है। इससे ब्लड क्लॉटिंग का खतरा बढ़ सकता है। परिणामस्वरूप, आप निम्न अनुभव कर सकते हैं।

    एट्रियल फिब्रिलेशन के दौरान, आपको लग सकता है कि आपकी पल्स बहुत तेज, बहुत धीमी या अनियमित रूप से चल रही है।

    एट्रियल फिब्रिलेशन का प्रभाव (Afib effects on body)

    सेंट्रल नर्वस सिस्टम (Central nervous system) पर एट्रियल फिब्रिलेशन का प्रभाव

    एट्रियल फिब्रिलेशन का प्रभाव (Afib effects on body) सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर ही होता है जिससे स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। जब हार्ट ठीक से कॉन्ट्रैक्शन हों कर पाता है, तो ब्लड एट्रिया में जमा हो जाता है। यदि एक क्लॉट बनता है, तो यह मस्तिष्क तक पहुंच सकता है, जहां यह ब्लड सप्लाई को ब्लॉक करता है, जिससे व्यक्ति को एम्बोलिक स्ट्रोक आता है।

    स्ट्रोक के शुरुआती लक्षणों में गंभीर सिरदर्द और अस्पष्ट भाषा शामिल हैं। यदि आपको एट्रियल फिब्रिलेशन है, तो यह उम्र के साथ स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकता है। स्ट्रोक के अन्य रिस्क फैक्टर्स में शामिल हैं:

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    स्केलेटल और मस्क्युलर सिस्टम पर एट्रियल फिब्रिलेशन का प्रभाव (Effects of atrial fibrillation on the skeletal and muscular systems)

    एट्रियल फिब्रिलेशन का प्रभाव (Afib effects on body) दोनों सिस्टम पर होता है जिसकी वजह से पैरों, एंकल और तलवों में फ्लूइड बिल्डअप हो सकता है। पहले से की जाने वाली नियमित गतिविधियों के दौरान चिड़चिड़ापन और मांसपेशियों में कमजोरी का अनुभव होना भी एट्रियल फिब्रिलेशन का लक्षण हो सकता है। एट्रियल फिब्रिलेशन के प्रभाव के कारण आपको व्यायाम करने में कठिनाई हो सकती है।

     

    एट्रियल फिब्रिलेशन का प्रभाव (Effects of atrial fibrillation) श्वसन प्रणाली पर

    रेस्पिरेटी सिस्टम पर भी एट्रियल फिब्रिलेशन का प्रभाव (Effects of atrial fibrillation on body) हो सकता है। बता दें कि आपके लंग्स को ठीक से काम करने के लिए ब्लड की निरंतर सप्लाई की आवश्यकता होती है। दिल की अनियमित पंपिंग भी फेफड़ों में फ्लूइड का बैकअप ले सकती है। इसके लक्षणों में शामिल हैं:

    अन्य लक्षण

    अन्य लक्षणों में वजन बढ़ना, चक्कर आना, बेचैनी और थकान शामिल हो सकते हैं। कुछ लोगों में फ्रीक्वेंट यूरिनेशन की समस्या भी देखी जा सकती है।

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    एट्रियल फिब्रिलेशन का क्या कारण है? (Atrial fibrillation Causes)

    कभी-कभी एट्रियल फिब्रिलेशन का कारण पता नहीं होता है। कभी-कभी, यह अन्य स्थितियों, जैसे लंबे समय से चली आ रही अनियंत्रित हाय ब्लड प्रेशर या कोरोनरी आर्टरी डिजीज से हार्ट के इलेक्ट्रिकल सिस्टम को हुए नुकसान की वजह से हो सकता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, हार्ट सर्जरी के बाद एट्रियल फिब्रिलेशन की समस्या सबसे सामान्य है। आमतौर पर, एट्रियल फिब्रिलेशन से अन्य मेडिकल प्रॉब्लम्स हो सकती हैं, जिनमें शामिल हैं:

    एट्रियल फिब्रिलेशन का निदान (Atrial fibrillation Diagnosis)

    एट्रियल फिइब्रिलेशन का निदान करने के लिए, डॉक्टर आपके लक्षणों, मेडिकल हिस्ट्री को रिव्यू कर सकता है और फिजिकल चेक अप भी कर सकता है। साथ ही उचित ट्रीटमेंट के लिए कई टेस्ट्स करवा सकता है, जिनमें शामिल हैं:

    • इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी)-यह टेस्ट एट्रियल फिब्रिलेशन के निदान के लिए एक प्राइमरी टूल है।
    • होल्टर मॉनिटर-यह पोर्टेबल ईसीजी डिवाइस हार्ट एक्टिविटी को 24 घंटे या उससे अधिक समय तक रिकॉर्ड करता है। इससे डॉक्टर को लम्बे समय तक हार्ट रिदम की जानकारी मिलती है।
    • इवेंट रिकॉर्डर-इस पोर्टेबल ईसीजी डिवाइस का उद्देश्य कुछ हफ्तों से लेकर कुछ महीनों तक आपकी हार्ट एक्टिविटी की निगरानी करना है। यह आपके डॉक्टर को आपके लक्षणों के समय आपके हार्ट रिदम को निर्धारित करने की अनुमति देता है।
    • इकोकार्डियोग्राम-यह टेस्ट आपके हार्ट की मूविंग इमेज बनाने के लिए साउंड वेव्स का उपयोग करता है। आमतौर पर, स्ट्रक्चरल हार्ट डिजीज या ब्लड क्लॉटिंग का निदान करने के लिए आपका डॉक्टर एक इकोकार्डियोग्राम का उपयोग कर सकता है।
    • ब्लड टेस्ट-ये आपके डॉक्टर को आपके ब्लड में थायराइड की समस्याओं का निदान करने में मदद करते हैं जिससे एट्रियल फिब्रिलेशन हो सकता है।
    • स्ट्रेस टेस्ट-इसे एक्सरसाइज टेस्टिंग भी कहा जाता है। स्ट्रेस टेस्ट में व्यायाम करते समय आपके दिल पर रनिंग टेस्ट किया जाता है।
    • चेस्ट एक्स – रे-एक्स-रे आपके डॉक्टर को आपके फेफड़ों और हृदय की स्थिति देखने में मदद करती हैं। आपका डॉक्टर एट्रियल फिब्रिलेशन के अलावा अन्य स्थितियों का निदान करने के लिए एक्स-रे का भी उपयोग कर सकता है।

     एट्रियल फिब्रिलेशन का उपचार (Atrial fibrillation Diagnosis Treatment)

    एट्रियल फिब्रिलेशन का प्रभाव (Afib effects on body)

    ब्लड क्लॉटिंग को रोकने, हार्ट बीट को धीमा करने, या आपके हार्ट के सामान्य रिदम को रिस्टोर करने में जीवनशैली में बदलाव, दवाओं और सर्जरी सहित अन्य प्रक्रियाओं का सहारा लिया जा सकता है। आपका डॉक्टर आपकी हृदय गति को धीमा करने या हार्ट रिदम को सामान्य बनाए रखने के लिए बीटा ब्लॉकर्स, ब्लड थिनर, कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स आदि को प्रिस्क्राइब कर सकता है। याद रखें हार्ट से जुड़ी किसी भी कंडिशन के लिए दवा का उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना ना करें। साथ ही दवा के डोज और समय में अपने अनुसार बदलाव ना करें। दवा को अपने मन से ना तो बंद करें भले ही आपको स्थिति में सुधार लग रहा हो।

    यदि लाइफस्टाइल में बदलाव और मेडिसिन से एट्रियल फिब्रिलेशन का प्रभाव (Effects of atrial fibrillation on body) शरीर पर कम न हो तो आपका डॉक्टर सर्जिकल प्रोसेस या कुछ मेडिकल डिवाइस के उपयोग की सलाह दे सकता है।

    • कैथेटर एब्लेशन
    • इलेक्ट्रिकल कार्डियोवर्जन
    • लेफ्ट एट्रियल एपेन्डेज को बंद करना या काटना
    • पेसमेकर
    • सर्जिकल एब्लेशन

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    जीवनशैली में बदलाव

    लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव लाने से इस समस्या से बचा जा सकता है। इसमें शामिल है:

    • हार्ट-हेल्दी ईटिंग पैटर्न्स को फॉलो करें
    • यदि हाई बीपी की समस्या है तो नमक का सेवन कम करें
    • शारीरिक रूप से सक्रिय रहना
    • एल्कोहॉल या अन्य उत्तेजक पदार्थों से दूर रहें
    • स्ट्रेस मैनेजमेंट सीखें
    • हेल्दी वजन बनाए रखें
    • स्मोकिंग छोड़ें।

    जब तक कि डॉक्टर द्वारा नहीं बताया जाता है, कुछ लोगों को यह नहीं पता होता है कि उन्हें एट्रियल फिब्रिलेशन की समस्या है। यही कारण है कि, अपनी खुद की हेल्थ और लक्षणों की निगरानी को प्रायोरिटी पर रखें। एट्रियल फिब्रिलेशन का प्रभाव (Effects of atrial fibrillation on body) दिखाने वाले लक्षणों को कम करने का बेस्ट तरीका है कि आप एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं। साथ ही यह सुनिश्चित करें कि आप रिकमेंडेड टेस्ट समय पर कराते हैं और अपने डॉक्टर को नियमित रूप से दिखाएं।

    उम्मीद करते हैं कि आपको एट्रियल फिब्रिलेशन का शरीर पर प्रभाव (Effects of atrial fibrillation on body) और इससे संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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