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पेरीफेरल न्यूरोपैथी में आयुर्वेद : डायबिटीज की इस कॉम्प्लीकेशन्स के लिए आसान उपाय है आयुर्वेद!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/12/2021

    पेरीफेरल न्यूरोपैथी में आयुर्वेद : डायबिटीज की इस कॉम्प्लीकेशन्स के लिए आसान उपाय है आयुर्वेद!

    इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (International Diabetes Federation) के अनुसार पूरी दुनिया में लगभग पचास करोड़ डायबिटीज के रोगी हैं। जिनमें से सात करोड़ डायबिटीज पेशेंट्स केवल भारत में हैं। यह तो थी डायबिटीज से जुड़े  फैक्ट के बारे में जानकारी। अब जानते हैं डायबिटीज के बारे में। ब्लड में ग्लूकोज के लेवल के बढ़ने को डायबिटीज कहा जाता है। यह एक गंभीर समस्या है। अगर आपको डायबिटीज है, तो इससे ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड में नर्व डैमेज की संभावना भी बढ़ जाती है जिसे पेरीफेरल न्यूरोपैथी कहा जाता है। आज हम आपको जानकारी देने वाले हैं पेरीफेरल न्यूरोपैथी में आयुर्वेद (Ayurveda in Peripheral neuropathy) के फायदों के बारे में। लेकिन, पेरीफेरल न्यूरोपैथी में आयुर्वेद (Ayurveda in Peripheral neuropathy) के बारे में जानने से पहले पेरीफेरल न्यूरोपैथी के बारे में जानना जरूरी है।

    पेरीफेरल न्यूरोपैथी क्या है? (Peripheral neuropathy)

    पेरीफेरल न्यूरोपैथी (Peripheral neuropathy) यानी वो स्थिति जिसमें वो नर्व जो स्पाइनल कॉर्ड से ब्रेन तक इंफॉर्मेशन ले जाती है, डैमेज हो जाती है। पेरीफेरल न्यूरोपैथी (Peripheral neuropathy) के कारण रोगी आमतौर पर हाथों और पैरों में कमजोरी, सुन्नता और दर्द महसूस करते हैं। इस समस्या के कारण शरीर के अन्य एरिया और बॉडी फंक्शन्स भी प्रभावित होते हैं जैसे डायजेशन, यूरिनेशन और सर्कुलेशन आदि। हमारा पेरीफेरल नर्वस सिस्टम ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड से शरीर के अन्य शरीर तक इंफॉर्मेशन भेजता है।

    पेरीफेरल न्यूरोपैथी के कई कारण हैं जैसे ट्रॉमेटिक इंजरीज, इंफेक्शंस, मेटाबोलिक प्रॉब्लम्स आदि। लेकिन, इसका सबसे सामान्य कारण है डायबिटीज। इस समस्या से पीड़ित लोग स्टैबिंग, बर्निंग और टिंगलिंग जैसी दर्द महसूस करते हैं। मेडिकेशन्स से पेरीफेरल न्यूरोपैथी की दर्द कम किया जा सकता है। यही नहीं, पेरीफेरल न्यूरोपैथी में आयुर्वेद (Ayurveda in Peripheral neuropathy) को भी बहुत फायदेमंद माना जाता है। लेकिन, पहले जानते हैं कि इसके लक्षणों के बारे में।

    पेरीफेरल नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर्स

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    पेरीफेरल न्यूरोपैथी के लक्षण (Symptoms of Peripheral neuropathy)

    पेरीफेरल न्यूरोपैथी में आयुर्वेद (Ayurveda in Peripheral neuropathy) या अन्य उपचारों के बारे में जानने से पहले इसके सही लक्षणों के बारे में जानना बेहद जरूरी है। पेरीफेरल न्यूरोपैथी (Peripheral neuropathy) के कारण रोगी के हाथों और पैरों में नंबनेस और दर्द होती है। इस समस्या के सामान्य लक्षणों में इंफेक्शन, मेटाबोलिक डिसऑर्डर, इंजरीज आदि भी शामिल हैं। कई बार पैरों की उंगलियों, पैरों, बाजु, हाथ, उंगलियों आदि में दर्द और सुन्नता भी हो सकती है। अगर आपको डायबिटीज की समस्या है, तो आपको यह समस्या होने का जोखिम बहुत अधिक हो सकता है। अब जानिए पेरीफेरल न्यूरोपैथी में आयुर्वेद (Ayurveda in Peripheral neuropathy) के बारे में।

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    पेरीफेरल न्यूरोपैथी में आयुर्वेद (Ayurveda in Peripheral neuropathy)

    पेरीफेरल न्यूरोपैथी में आयुर्वेद (Ayurveda in Peripheral neuropathy) वात दोष से संबंधित है। यह उनकी दो स्थितियों का प्रतिनिधित्व करता है- एक ओवर एक्सप्रेसिव वात दोष या वात गतिविधियों की डिप्रेस्ड एक्सप्रेशन। दोनों ही स्थितियों में हम सामान्य रूप से कह सकते हैं- शरीर का वात संतुलित नहीं है। एक्टिविटी को वात प्रिंसिपल माना जाता है। जब यह एक्टिविटी ट्रेमोरस (Tremors) में बदल जाती है, तो यह हेल्दी कंडिशन नहीं होती है। इसी तरह, जब यह मूवमेंट तुरंत रुक जाती है तो यह भी कोई कंडिशन नहीं है। एक मामले में यह ओवरएक्सप्रेशन है और दूसरे में, यह डिप्रेसिंग एक्टिविटी है।

    इस का एक और उदहारण हैं। टच की सेंसेशन वात दोष का एक्टिविटी है। लेकिन, जब स्किन को कुछ भी नहीं टच करता है और स्किन यह फील करती है कि यहां कुछ है। ऐसा महसूस होना जैसे कि आपने दस्ताने या सॉक्स पहने हैं- वात की ओवरएक्सप्रेशन है और यह न्यूरोपैथिक परिवर्तनों की कंडिशन है। अब जानते हैं आयुर्वेदिक दोष और पेरीफेरल न्यूरोपैथी (Peripheral neuropathy) के बारे में।

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    आयुर्वेदिक दोष और पेरीफेरल न्यूरोपैथी Ayurvedic Doshas and Neuropathy

    आयुर्वेद के अनुसार कोई भी बीमारी एक दोष के कारण नहीं हो सकती है। किसी बीमारी में सभी दोष बराबर रूप से शामिल होते हैं। पेरीफेरल न्यूरोपैथी (Peripheral neuropathy) में कफ और पित शामिल होते हैं। पित दोष में बर्निंग सेंसेशन इन्वॉल्व नहीं होती है। ऐसे में, कफ दोष में सुन्नता यानि नंबनेस नहीं होती और पेरीफेरल न्यूरोपैथी में दोनों समस्याएं होती हैं। इसलिए, यह वात दोष के बारे में नहीं हैं। हमें तीनों दोषों को बैलेंस करने की जरूरत होती है। जब हम डिप्रेस्ड वात के बारे में बात करते हैं तो इसका अर्थ है कि पित और कफ अधिक एक्सप्रेस करेंगे। यही कारण है कि वात दोष में सामान्य बिहेवियर के बाद भी कफ और पित के कारण नंबनेस और जलन होती है। अब जानते हैं पेरीफेरल न्यूरोपैथी में आयुर्वेद (Ayurveda in Peripheral neuropathy) ट्रीटमेंट के बारे में।

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    पेरीफेरल न्यूरोपैथी में आयुर्वेद ट्रीटमेंट (Ayurveda Treatment in Peripheral neuropathy)

    आयुर्वेद कारणों और प्रभाव की थ्योरी में विश्वास करता है। जब तक कारण का पता नहीं है, आप प्रभाव का इलाज नहीं कर सकते। लेकिन, पेरीफेरल न्यूरोपैथी के लिए अधिकांश ट्रीटमेंट प्लान में चीजें विपरीत रहती हैं। अगर आपको दर्द है तो आप कोई न्यूरोपैथिक पैन किलर ले सकते हैं। नंबनेस होने पर आप विटामिन ले सकते हैं। लेकिन, इन केमिकल्स की अपनी कुछ लिमिट्स हैं। इन केमिकल्स आपको कुछ समय तक लाभ होगा। लेकिन, इससे पैथोलॉजी रिवर्स नहीं हो सकती। आयुर्वेद सामान्य फिजियोलॉजिकल एक्टिविटी में विश्वास करता है। पेरीफेरल न्यूरोपैथी में आयुर्वेद (Ayurveda in Peripheral neuropathy) ट्रीटमेंट में भी यही एप्रोच काम करती है। इस ट्रीटमेंट का टारगेट इस प्रकार है:

    • माइलिन शीथ को होने वाले नुकसान को रोकना
    • माइलिन शीथ की रिकंस्ट्रक्शन में मदद करना

    माइलिन शीथ एक इंसुलेटिंग लेयर है, जो नर्व के आसपास बनती है, इसमें ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड भी शामिल हैं। उम्मीद है कि पेरीफेरल न्यूरोपैथी में आयुर्वेद (Ayurveda in Peripheral neuropathy) के बारे में आप जान गए होंगे। अब जानिए कि क्या आयुर्वेद से पेरीफेरल न्यूरोपैथी को रिवर्स किया जा सकता है?

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    आयुर्वेद से पेरीफेरल न्यूरोपैथी को रिवर्स किया जा सकता है?

    पेरीफेरल न्यूरोपैथी को रिवर्स करना किसी चुनौती से कम नहीं है। इसके लिए प्रॉपर एक्सीक्यूशन की जरूरत होती है। ट्रीटमेंट के उद्देश्य के लिए स्टेप-बाय-स्टेप मेथेडोलॉजी को फॉलो करना बेहद जरूरी है। इसके मुख्य पॉइंट्स इस प्रकार हैं

    पेरीफेरल न्यूरोपैथी में आयुर्वेद ट्रीटमेंट (Ayurveda Treatment in Peripheral neuropathy) के तीन टूल्स इस प्रकार हैं:

    • आयुर्वेदिक मेडिसिन्स (Ayurvedic Medicines): इन दवाईयों का उद्देश्य दोष एक्विलिब्रियम (Dosha equilibrium) को मेंटेन रखना है।
    • पंचकर्मा थेरेपीज (Panchakarma Therapies): यह थेरेपीज दो तरह से मददगार साबित हो सकती हैं। सबसे पहले शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में और दुसरा नर्व शीथ तक पर्याप्त न्यूट्रिशन पहुंचाने में।

    योगा (Yoga): स्ट्रेस के कारण आप कई समस्याओं का अनुभव कर सकते हैं। ऐसे में स्ट्रेस को मैनेज करना बहुत जरूरी है। यह योगा की तकनीकों द्वारा संभव है। अब जानते हैं पेरीफेरल न्यूरोपैथी में आयुर्वेद (Ayurveda in Peripheral neuropathy) आयुर्वेदिक मेडिसिन्स के बारे में।

    पेरीफेरल न्यूरोपैथी में आयुर्वेद

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    पेरीफेरल न्यूरोपैथी में आयुर्वेदिक मेडिसिन्स

    कुछ आयुर्वेदिक मेडिसिन्स पेरीफेरल न्यूरोपैथी समस्याओं के लिए बेहद प्रभावी साबित हो सकती हैं। यह आयुर्वेदिक इलाज उन रोगियों को दिया जा सकता है, जो इस समस्या से पीड़ित हैं। पेरीफेरल न्यूरोपैथी (Peripheral neuropathy) के लिए आयुर्वेदिक मेडिसिन्स इस प्रकार हैं

    पेरीफेरल न्यूरोपैथी में आयुर्वेद: लिपॉइक एसिड (Lipoic acid)

    पेरीफेरल न्यूरोपैथी में आयुर्वेद (Ayurveda in Peripheral neuropathy) के बारे में पूरी तरह से जानने के लिए आपका आयुर्वेदिक मेडिसिन्स के बारे में जानना जरूरी है। इस आयुर्वेदिक मेडिसिन का रोजाना थोड़ी मात्रा में सेवन करने से इस समस्या के लक्षणों को कम किया जा सकता है। डायबिटीज के रोगियों के लिए ब्लड ग्लूकोज लेवल को नियमित रूप से मॉनिटर करना और डॉक्टर की सलाह लेना बेहद आवश्यक है।

    CoQ10

    CoQ10 भी एक प्रभावी आयुर्वेदिक मेडिसिन है। पेरीफेरल न्यूरोपैथी (Peripheral neuropathy) के लक्षणों को कंट्रोल करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा हार्ट और ब्रेन के लिए भी यह अच्छी है।

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    ओमेगा-3 फैटी एसिड (Omega-3 fatty acid)

    ओमेगा-3 फैटी एसिड को डैमेज नर्व प्रॉब्लम के उपचार के लिए अच्छा माना जाता है। इसके लिए आप सलमोन फिश और अलसी के बीजों का सेवन कर सकते हैं।

    St.जॉन’स वोर्ट (St.John’s wort)

    एक आयुर्वेदिक हर्ब को St.जॉन’स वोर्ट के नाम से जाना जाता है। यह सभी तरह की नर्व इंजरीज के उपचार में प्रभावी है। यही नहीं बर्निंग और शूटिंग पैन के साथ ही माइल्ड डिप्रेशन में भी इसे सहायक माना जाता है।

    पेरीफेरल न्यूरोपैथी में आयुर्वेद: ओट सीड (Oat Seed)

    लिंब में सुन्नता और कमजोरी को ओट्स सीड्स के नियमित प्रयोग से दूर किया जा सकता है। इस हर्ब में मिनरल्स पर्याप्त मात्रा में होते हैं। यह एक सुरक्षित नेचुरल मेडिसिन है जिसके कोई साइड इफेक्ट्स नहीं होते हैं।

    पैशन फ्लावर (Passion Flower)

    यह ऐंठन, मसल ट्विचिंग और बेचैनी को ठीक करने में उपयोगी है। इसके अलावा भी कुछ अन्य हर्ब्स और आयुर्वेदिक मेडिसिन्स हैं जो पेरीफेरल न्यूरोपैथी में लाभदायक साबित हो सकती हैं। अधिक जानकारी के लिए किसी एक्सपर्ट से संपर्क करें।

    क्या आप जानते हैं कि डायबिटीज को रिवर्स कैसे कर सकते हैं? तो खेलिए यह क्विज!

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    यह तो थी पेरीफेरल न्यूरोपैथी में आयुर्वेद (Ayurveda in Peripheral neuropathy) के बारे में जानकारी। हालांकि कई समस्याओं जैसे पेरीफेरल न्यूरोपैथी (Peripheral neuropathy) , डायबिटिक फुट (Diabetic foot) आदि में आयुर्वेद और आयुर्वेदिक मेडिकेशन्स और सही देखभाल से राहत पाई जा सकती है। लेकिन, इन समस्याओं में केवल आयुर्वेदिक उपचार या मेडिकेशन से ही फायदा नहीं होता। इसके लिए आपका ब्लड ग्लूकोज की नियमित जांच और डॉक्टर की सलाह का पालन करना जरूरी है। इसके साथ ही पेरीफेरल न्यूरोपैथी में आयुर्वेद (Ayurveda in Peripheral neuropathy) व आयुर्वेदिक उपचार के बारे में किसी एक्सपर्ट से पहले बात करें और उसके बाद ही सही इलाज कराएं।

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