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स्लिप डिस्क की परेशानी को करना है 9-2-11, तो अपनाएं ये आयुर्वेदिक उपाय

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/03/2021

    स्लिप डिस्क की परेशानी को करना है 9-2-11, तो अपनाएं ये आयुर्वेदिक उपाय

    लॉन्ग वर्किंग आवर, गलत तरीके से बैठना या बॉडी पॉश्चर ठीक नहीं रहने की वजह से बॉडी पेन या बैक पेन की समस्या तो आम है, लेकिन इससे एक और शारीरिक परेशानी या यूं कहें कि इससे शारीरिक पीड़ा और बढ़ जाती है। वैसे ऐसी स्थिति में प्रायः लोगों को स्लिप डिस्क की समस्या शुरू हो जाती है। क्या है स्लिप डिस्क की परेशानी और स्लिप डिस्क का आयुर्वेदिक उपाय (Ayurvedic treatment for Slip disc) इस आर्टिकल में समझेंगे।

    • क्या है स्लिप डिस्क की समस्या?
    • क्या स्लिप डिस्क के प्रकार भी होते हैं?
    • स्लिप डिस्क के लक्षण क्या हैं?
    • स्लिप डिस्क के कारण क्या हैं?
    • स्लिप डिस्क का आयुर्वेदिक उपाय क्या है?

    चलिए अब एक-एक कर इन ऊपर दिए गए सवालों का जवाब जानते हैं।

    क्या है स्लिप डिस्क की समस्या? (What is Slip disc?)

    स्लिप डिस्क का आयुर्वेदिक उपाय (Ayurvedic treatment for Slip disc)

    ह्यूमन बॉडी को सपोर्ट देने के लिए बॉन यानी हड्डियों की अहम भूमिका होती है। बिना हड्डी के हमारी बॉडी स्ट्रेट नहीं रह सकती है। मनुष्य के शरीर में रीढ़ की हड्डी में मौजूद हड्डी जैसी संरचना, जो वास्तव में हड्डी ही होती है, उसे कशेरुका (Vertebrae) कहते हैं। यहीं हड्डियों को सपोर्ट देने के लिए छोटी-छोटी गद्देदार दो डिस्क होती हैं, जो रीढ़ की हड्डी को किसी झटकों या चोट से बचाने में मदद करती है। इसे सुरक्षाकवच भी आप कह सकते हैं। हालांकि अगर किसी कारण या चोट लगने की वजह से एक या दोनों डिस्क खराब हो जाएं या इनमें सूजन या टूटने के कारण परेशानी आ जाए, तो इसे स्लिप डिस्क (Slip Disk) कहते हैं। यह ध्यान रखें कि कभी-कभी किसी कारण अगर डिस्क अपने रियल पॉश्चर से खिसक जाए, तो इससे भी स्लिप डिस्क की समस्या हो सकती है। इसके अलावा डिस्क अपनी सामान्य सीमाओं से आगे बढ़ जाए, फूल जाए या इन डिस्क के आउटर लेयर से संबंधित कोई परेशानी जैसे दरार या छेद हो जाती है, तो इसमें मौजूद द्रव जिसे न्यूक्लियस पल्पोसस (Nucleus Pulposus) कहते हैं, उसका रिसाव होने लगता है। जिसका नेगेटिव प्रभाव रीढ़ की हड्डी या उसके आस पास के नर्व पर पड़ता है। ऐसी स्थिति होने पर हाथ या पैर में कमजोरी आ सकती है। वैसे स्लिप डिस्क (Slip Disk) की ये परेशानी पढ़कर बेहद गंभीर लग रही हो, तो परेशान ना हों और स्लिप डिस्क का आयुर्वेदिक उपाय (Ayurvedic treatment for Slip disc) अपनाएं। हालांकि स्लिप डिस्क का आयुर्वेदिक उपाय से पहले इसके प्रकार, लक्षण और कारणों को समझ लेते हैं।

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    क्या स्लिप डिस्क के प्रकार भी होते हैं? (Types of Slip disc)

    स्लिप डिस्क की समस्या तीन अलग-अलग तरह के होते हैं। जैसे:

    1. सर्वाइकल डिस्क स्लिप (Cervical disc slip)
    2. थोरैसिक डिस्क स्लिप (Thoracic disc slip)
    3. लंबर डिस्क स्लिप (Lumbar disc slip)

    स्लिप डिस्क के अलग-अलग स्टेज भी होते हैं।

    पहला स्टेजः बढ़ती उम्र की वजह से डिस्क में डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है, जिसकी वजह से फ्लैक्सीब्लिटि कम होती है और यह धीरे-धीरे कमजोर होने लगती है।

    दूसरा स्टेजः उम्र बढ़ने की वजह से डिस्क की रेशेदार परतों में दरारें आने लगती हैं, जिससे उसके अंदर का लिक्विड बाहर आने लगता है।

    तीसरा स्टेजः इस स्टेज में आने पर न्यूक्लिअस का एक भाग टूट सकता है।

    चौथा स्टेजः यह स्लिप डिस्क का आखरी स्टेज होता है। इस दौरान डिस्क के अंदर का द्रव न्यूक्लियस पल्पोसस डिस्क (Nucleus pulposus disc) से बाहर आने लगता है और रीढ़ की हड्डी में उसका रिसाव होने लगता है।

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    स्लिप डिस्क के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Slip disc)

    स्लिप डिस्क की समस्या होने पर निम्नलिखित लक्षण नजर आ सकते हैं। जैसे:

    • बॉडी के एक या दोनों ओर दर्द महसूस होना
    • शरीर के एक या दोनों हिस्सों में कमजोरी महसूस होना
    • एक हाथ या पैर या दोनों में दर्द की तकलीफ बने रहना
    • खड़े होने या बैठने की स्थिति में तेज दर्द होना
    • चलने या बॉडी मूवमेंट के दौरान शरीर के निचले हिस्से में दर्द होना
    • बॉडी ऑर्गेन में झुनझुनी होना
    • प्रभावित अंगों में जलन महसूस होना
    • मांसपेशियों का कमजोर होना

    ये लक्षण स्लिप डिस्क के हो सकते हैं। इसलिए स्वास्थ्य विशेषज्ञों से कंसल्ट करें और स्लिप डिस्क का आयुर्वेदिक उपाय (Ayurvedic treatment for Slip disc)

    अपायें।

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    स्लिप डिस्क के कारण क्या हैं? (Causes of Slip disc)

    स्लिप डिस्क की परेशानी मुख्य रूप से दो कारणों की वजह से होती है। जैसे:

    बढ़ती उम्र-

    उम्र बढ़ने के साथ-साथ रीढ़ की हड्डी कमजोर (Weak bone) होने लगती है, जिससे डिस्क पर प्रेशर बढ़ सकता है। इसके साथ ही बढ़ती उम्र के कारण डिस्क की हड्डियां की वजह से हड्डियां भी कमजोर होने लगती हैं, जिससे इनके टूटने, साइज और स्ट्रक्टर में बदलाव होने और इनमें दरारें आना का खतरा भी ज्यादा बढ़ सकता है।

    डिस्क में चोटिल लगना-

    गिरने, धक्का लगने, बहुत वजनदार वस्तु उठाने, किसी तरह की एक्सरसाइज (Workout) करने या अचानक से कोई शारीरिक गतिविधि करने से डिस्क पर अधिक दबाव पड़ सकता है, जिससे स्लिप डिस्क (Slip disc) की समस्या हो सकती है।

    स्लिप डिस्क की समस्या इन दो कारणों की वजह से हो सकती है। अब आगे जानते हैं स्लिप डिस्क का आयुर्वेदिक उपाय (Ayurvedic treatment for Slip disc)

    कैसे किया जा सकता है।

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    स्लिप डिस्क का आयुर्वेदिक उपाय क्या है? (Ayurvedic treatment for Slip disc)

    स्लिप डिस्क का आयुर्वेदिक उपाय (Ayurvedic treatment for Slip disc)

    रिसर्च रिपोर्ट्स और आयुर्वेद से जुड़े जानकारों के अनुसार स्लिप डिस्क की समस्या होने पर नसों में ब्लड सर्क्युलेशन ठीक तरह से नहीं हो पाता है। ऐसी स्थिति होने पर आयुर्वेद दवाओं और आयुर्वेदिक पद्धति से शरीर में ब्लड सर्क्युलेशन को बेहतर बनाने में मदद मिलती है। स्लिप डिस्क का आयुर्वेदिक इलाज पेट से जुड़ी अन्य परेशानियों से भी निजात मिल सकता है, तो चलिए जानते हैं स्लिप डिस्क का आयुर्वेदिक उपाय क्या है, जिससे इस दर्द और तकलीफ को दूर करने में मदद मिल सकती है।

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    स्लिप डिस्क का आयुर्वेदिक उपाय (Ayurvedic treatment for Slip disc)

    स्लिप डिस्क का आयुर्वेदिक इलाज निम्नलिखित आयुर्वेदिक पद्धति से किया जाता है। इनमें शामिल है-

    स्वेदन- स्वेदन आयर्वेद के पंचकर्म थेरिपी (Therapy) में शामिल है। इस पद्धति से शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाला जाता है। इससे मरीजों को महसूस होने वाली परेशानियां जैसे दर्द, अकड़न या भारीपन महसूस होने वाली परेशानी दूर होती है।

    स्नेहन- आयुर्वेद में स्नेहन का अर्थ है मालिश। हर्बल ऑयल (Herbal Oil) की मदद से शरीर की मालिश की जाती है, जिससे मरीज को लाभ मिलता है।

    बस्ती- स्लिप डिस्क का आयुर्वेदिक उपाय बस्ती विधि से भी किया जाता है। इस दौरान आयुर्वेद एक्सपर्ट शरीर के प्रभावित हिस्सों पर औषधीय तेल डालकर करते हैं। इसके अलावा हर्बल काढ़े की मदद से भी शरीर में मौजूद टॉक्सिन (Toxine) को बाहर निकालने में मदद मिलती है।

    नास्य- जिन लोगों को स्लिप डिस्क की आज से गर्दन (Nack) और कन्धों (Shoulder) में अत्यधिक परेशानी महसूस होती है, उनके लिए नास्य बेहद प्रभावी माना जाता है। दरअसल नास्य पद्धति के दौरान पेशेंट के नाक में औषधीय तेल या अर्क डाला जाता है। यह पढ़ती तब बेहद कारगर मानी जाती है। नास्य विधि सिर्फ गर्दन और कन्धों की समस्या से निजात दिलाने के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है।

    शिरोधारा- डिस्क का आयुर्वेदिक उपाय शिरोधारा विधि से भी किया जाता है। इस दौरान हर्बल तेल (Herbal Oil) का प्रयोग किया जाता है, जो मरीज के सिर पर डाला जाता है। इससे पेशेंट को रिलैक्स महसूस होता है और मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं।

    पिझिचिल- आयुर्वेदिक एक्सपर्ट गुनगुने औषधीय तेल से मरीज के शरीर की मालिश करते हैं। डिस्क का आयुर्वेदिक उपाय पिझिचिल से करने पर लगातार 10 दिनों तक एक्सपर्ट के कंसल्टेशन में रहने की जरूरत पड़ती है, क्योंकि इस विधि के दौरान लगातार 10 दिनों तक शरीर की मसाज कुछ देर तक की जाती है।

    इन अलग-अलग आयुर्वेदिक पद्धति से स्लिप डिस्क का इलाज किया जाता है, लेकिन स्लिप डिस्क का आयुर्वेदिक उपाय (Ayurvedic treatment for Slip disc) सिर्फ यहीं तक सिमित नहीं है। अब क्या है स्लिप डिस्क का दूसरा आयुर्वेदिक उपाय जानते हैं आगे।

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    स्लिप डिस्क का आयुर्वेदिक उपाय (Ayurvedic treatment for Slip disc) के लिए ये जड़ी-बूटियां हैं लाभकारी-

    स्लिप डिस्क का आयुर्वेदिक उपाय (Ayurvedic treatment for Slip disc)

    गुडूची- गुडूची एक हर्ब्स है, जिसका सेवन स्लिप डिस्क के मरीजों के लिए लाभकारी माना जाता है। अगर आप गुडूची नाम से परिचित ना हों, तो परेशान ना हों, क्योंकि इसे गिलोय भी कहा जाता है। गिलोय में मौजूद कॉपर (Copper), आयरन (Iron), फॉस्फोरस (Phosphorus), जिंक (Zinc), कैल्शियम (Calcium) और मैगनीज (Magnes) जैसे तत्व बॉडी की इम्यून पावर को स्ट्रॉन्ग करने में मददगार होते हैं। इसलिए स्लिप डिस्क के पेशेंट्स के गुडूची का सेवन लाभकारी माना जाता है।

    अश्वगंधा– अश्वगंधा एक जड़ी-बूटी है, जिसका प्रयोग कई रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है। इन्हीं रोगों में स्लिप डिस्क भी शामिल है। इसमें मौजूद एन्टीस्ट्रेस (Antistress), एंटी ट्यूमर (Antitumor), एंटी-इंफ्लेमेटरी (Anti-inflammatory) एवं एंटीअर्थरिटिक (Antiarthritic) गुण रामबाण उपाय माना जाता है।

    शुंथि- शुंथि चमत्कारी जड़ी-बूटियों की लिस्ट में शामिल है। इसलिए स्लिप डिस्क का आयुर्वेदिक उपाय शुंथि से भी किया जाता है। इसमें एंटीऑक्सिडेंट (Antioxidant) की मौजूदगी स्लिप डिस्क की मरीजों के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

    नोट: आयुर्वेद रिसर्च रिपोर्ट्स के मुताबिक ये 3 जड़ी-बूटियां स्लिप डिस्क की परेशानी से निजात दिलाने में खास भूमिका निभाती हैं, लेकिन इनका सेवन अपनी मर्जी से ना कर आयुर्वेदिक डॉक्टर के सलाह अनुसार किया जाना चाहिए। क्योंकि कुछ खास स्थितियों में स्लिप डिस्क का आयुर्वेदिक उपाय इन जड़ी-बूटियों के अलावा आयुर्वेदिक दवाओं से भी किया जा सकता है।

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    स्लिप डिस्क की तकलीफ को दूर करने के लिए आयुर्वेदिक दवाएं कौन सी हैं?

    स्लिप डिस्क का आयुर्वेदिक उपाय आयुर्वेदिक दवाओं से भी किया जाता है। इन दवाओं में शामिल है:

    1. दशमूल क्वाथ

    2. त्रयोदशांग गुग्गुल

    3. वृहत वात चिंतामणि रस

    ये तीन दवा स्लिप डिस्क की परेशानी को दूर करने के लिए आयुर्वेद डॉक्टर्स द्वारा प्रिस्क्राइब की जाती हैं।

    नोट: इन आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन अपनी मर्जी से ना करें। हेल्थ एक्सपर्ट के बताये अनुसार ही सेवन करने से फायदा मिल सकता है।

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    स्लिप डिस्क की परेशानी होने पर किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

    इस दौरान निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें। जैसे:

    • गुनगुने पानी से नियमित स्नान करें
    • बॉडी पॉश्चर हमेशा ठीक रखें (बैठने, चलने या आराम करने के दौरान भी)।
    • अत्यधिक भारी सामान ना उठायें।
    • जिम में एक्सरसाइज करने के दौरान विशेष सतर्कता बरतें।
    • एक्सपर्ट से सलाह लेकर योगासन करें।
    • मेडिटेशन करना भी लाभकारी होगा।
    • हेल्दी फूड हैबिट्स (Healthy food habits) बनायें।
    • ठंडे खाद्य या पेय पदार्थों से दूर रहें।
    • थकने वाला काम ना करें।

    इन बातों को ध्यान में रखकर स्लिप डिस्क की समस्या से बचा जा सकता है।

    अगर आप स्लिप डिस्क का आयुर्वेदिक उपाय (Ayurvedic treatment for Slip disc) या स्लिप डिस्क से जुड़ी किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। ध्यान रखें किसी भी बीमारी का इलाज खुद से ना करें और कोई भी बीमारी या शारीरिक परेशानी होने पर अपने करीबी और डॉक्टर से बात करें और स्वस्थ्य रहें।

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