दुर्लभ मामलों में छोटे बच्चों को DTap वैक्सीन से गंभीर साइड इफेक्ट हो सकता है जैसे-
- सिजर्स
- 105 डिग्री से अधिक बुखार
- 3 घंटे या उससे अधिक समय तक लगातार रोना
- जहां इंजेक्शन लगा है उस पूरे हाथ या पैर में सूजन
अति गंभीर एलर्जिक रिएक्शन भी बहुत दुर्लभ है और यह वैक्सीन लगने के कुछ ही मिनटों के अंदर हो सकता है। लक्षणों में शामिल है-
- त्वचा का फूलना, खुजली या सूजन
- हाइव्स
- सांस लने में परेशानी या श्वसन संबंधी अन्य समस्या
- मुंह और गले में सूजन
- उल्टी, मतली, डायरिया या पेट में मरोड़
- चक्कर आना, लो ब्लड प्रेशर, धड़कन बढ़ना
- बेहोश होना
गंभीर रिएक्शन होने पर तुरंत इमरजेंसी नंबर पर फोन करें या डॉक्टर के पास जाएं और उन्हें बताएं कि बच्चे को वैक्सीन कब लगी थी।
और पढ़ें: क्या बच्चों को हर बार चोट लगने पर टिटेनस इंजेक्शन लगवाना है जरूरी?
टेटिनस इंजेक्शन अधिक डोज होने पर दिखने वाले लक्षण
अगर आपको डॉक्टर द्वारा टिटनेस इंजेक्शन की अधिक डोज दे दी गई है, तो आपें इस तरह के लक्षण नजर आ सकते हैं, जैसे कि –
- चक्कर आना
- बेचैनी महसूस होना
- बुखार आ जाना
- मितली
- भूख नहीं लगना
- शरीर पर रेशैज होना
एक्सपायर्ड टिटनेस इंजेक्शन होने पर
अगर डॉक्टर द्वारा आपको गलती से एक्सपायर्ड इंजेक्शन दे दिया गया है तो, आपमें असहज और अपनी शरीरिक हालत को खराब महसूस कर सकते हैं, जैसे कि घबराहट, तनाव और बुखार जैसे कई लक्षण हो सकते हैं। ऐसा होने पर तुरंत अपने डॉक्टर से मिलें, इसे अंदेखा न करें।
क्यों जरूरी है टेटिनस की वैक्सीन?
टिटनेस बेहद गंभीर संक्रमण है जिसका असर हमारे नर्वस सिस्टम पर होता है। समय रहते यदि टीका न लगाया जाए तो यह संक्रमण जानलेवा भी हो सकता है। प्रेग्नेंसी में मां और गर्भस्थ शिशु दोनों को इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में प्रेग्नेंट महिला को वैक्सीन लगाकर दोनों का बचाव किया जा सकता है।
इस बारे में डॉक्टर्स का कहना है कि टिटनेस का वैक्सीन चोट लगने पर किसी भी व्यक्ति के अलावा प्रेग्नेंट महिला और मां-शिशु को टिटनेस की वैक्सीन देना बहुत जरूर है। यदि ऐसा नहीं किया गया तो, मरीज की जान को खतरा हो सकता है। क्योंकि टिटनेस इंफेक्शन होने पर 90 फीसद पीड़ित की मौत होना निश्चित होती है। इसके अलावा टिटनेस का सीधा असर हमारे नर्वस सिस्टम पर पड़ता है। समय रहते ध्यान नहीं दिया जाए तो, यह बीमारी जानलेवा भी साबित हो सकती है।
प्रेग्नेंसी में टेटिनस का इंजेक्शन क्यों हैं जरूरी?
गर्भावस्था में संक्रमण मां में कई तरह के इंफेक्शन होने का खतरा वैसी ही ज्यादा होता है। ऐसे में अगर मां को टेटिनस जैसा इंफेक्शन हो जाए, तो इसका सीधा बुरा प्रभाव बच्चे पर भी पड़ता है। तो ऐसे में मां के टीकाकरण से गर्भ में पल रहा बच्चा भी सुरक्षित हो जाता है। गर्भावस्था में टेटिनस का इंजेक्शन लगवाने पर उनके शरीर में एंटीबॉडीज गर्भ में पल रहे शिशु तक पहुंच जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि शिशु के जन्म के बाद उसे पहला टेटिनस का टीका नहीं लग जाता है, इसलिए तब तक मां के शरीर में मौजूद एंटीबॉडीज के जरिये बच्चा शुरुआती कुछ महीनों तक इस इंफेक्शन से बच सकता है। टेटिनस का इंजेक्शन मां और शिशु दोनों के लिए सुरक्षित होता है। शिशु को टिटनेस का टीका वैसे तो पैदा होने के छह से आठ हफ्तों के बीच डीटीपी टीके दिया जाता है।
प्रेग्नेंट मिहला को गर्भावस्था के दौरान टीटी का इंजेक्शन कब लगेगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि मां को पहला इंजैक्शन कब लगेगा। आप कितनी बार गर्भवती हो चुकी हैं और आपकी पहली और इस गर्भावस्थाओं में अंतर कितना है। इन टीकों की हर खुराक में कम से कम 4 सप्ताह का अंतर जरूर होना चाहिए। इसलिए डॉक्टर द्वारा बताए गए समय पर इसे लगवाना चाहिए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट द्वारा कि जिन महिलाओं ने कभी टीके लगवाएं ही नहीं हैं। उन्हें गर्भावस्था के दौरान टेटिनस के इंजेक्शन की पहली डोज जल्द से जल्द लगवाने की सलाह दी जाती है। पहली खुराक के चार हफ्तों बाद दूसरी खुराक लगवा लेनी चाहिए। दूसरी खुराक के ठीक छह महीने बाद फिर से तीसरे खुराक की सलाह दी जाती है। इसलिए डॉक्टर पहले अप्वाइंटमेंट के दौरान ही गर्भवती को टेटिनस के टीके की पहली खुराक दें और शिशु का जन्म होने तक तीन खुराकें दें। पहली गर्भावस्था में यदि टीटी के टीकों की दो खुराकें लगती हैं, तो आप अगले तीन साल तक टिटनस से प्रतिरक्षित रह सकती हैं। यदि आपको तीन खुराकें लगी हैं, पांच सालों तक आपका टिटनेस जैसी बीमारी से बचाव रहेगा। यदि आप इस समय सीमा के अंदर दोबारा गर्भवती हो जाती हैं, तो आपको शायद केवल एक बूस्टर खुराक लेने की जरूरत होगी।
ये बात तो आप समझ ही चुके होंगे की टेटिनस का इंजेक्शन कितना जरूरी है, चाहें वो चोट लगे व्यक्ति के लिए हो या गर्भवती मां और शिशु के लिए । सही समय पर इस वैक्सीन को जरूर लेना चाहिए।