बच्चों की सेहत को प्रभावित करने वाले कारक (Factors affecting the child’s health)
बच्चों का संपूर्ण स्वाथ्य कई चीजों से प्रभावित होता है जिसमें माता पिता की आर्थिक स्थिति से लेकर उनकी शिक्षा और पारिवारिक वातावरण सबकुछ शामिल है। आमतौर पर बच्चों की सेहत को प्रभावित करने वाले कारकों में शामिल है-
आर्थिक कारण- आर्थिक रूप से समृद्ध पैरेंट्स के बच्चों का स्वास्थ्य (Children health) अच्छा रहता है, क्योंकि उनके पास हर तरह की सुविधाएं और पौष्टिक आहार तक आसान पहुंच होती है। ऐसे पैरेंट्स बच्चे की सेहत का पूरा ध्यान रख पाते हैं, जबकि गरीब पैरेंटस बच्चों को पौष्टिक आहार (Nutritious diet) भी मुहैया नहीं करा पाते हैं और वह अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने में ही व्यस्त रहते हैं जिससे बच्चे के स्वास्थ्य पर ध्यान हीं दे पाते और कई बार बीमारी का भी इलाज नहीं करा पाते। ऐसे पैरेंट्स के बच्चों का स्वास्थ्य आमतौर पर ठीक नहीं रहता है।
शिक्षा- शिक्षित पैरेंट्स अपने बच्चों की सेहत को लेकर ज्यादा जागरूक होते हैं जबकि कम पढ़े-लिखे पैरेंट्स को स्वास्थ्य के संबंध में ज्यादा जानकारी नहीं होती है। पैरेंट्स का शिक्षित होना बच्चों के संपूर्ण स्वास्थ्य (Overall health)को निर्धारित करने में अहम भूमिका निभाता है।
पारिवारिक माहौल- बच्चों की सेहत पर पारिवारिक माहौल (Family environment) का भी असर पड़ता है। अच्छे माहौल में पले-बढ़े बच्चों की मानसिक और सामाजिक स्थिति अन्य के मुकाबले अच्छी होती है।
बच्चों की अन्य हेल्थ प्रॉब्लम्स और उनका उपचार (Children common health issues)
बच्चों को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है, सर्दी-खासी बुखार के साथ ही बच्चों में अन्य स्वास्थ्य संबंधी बीमारियां (Other Child Health Issues) भी होती है जिसका ध्यान रखने की जरूरत है। बच्चों की अन्य हेल्थ प्रॉब्लम्स में शामिल है-
बच्चों में अन्य स्वास्थ्य संबंधी बीमारियां: रेस्पिरेटरी सिंसिशल वायरस (Respiratory syncytial virus)
रेस्पिरेटरी सिंसिशल वायरस (Respiratory syncytial virus (RSV) बच्चों में रेस्पिरेटरी इंफेक्शन के लिए यही वायरस जिम्मेदार होता है। यह फेफड़े (lungs) और श्वसन नली (breathing passages) में संक्रमण पैदा करता है। इसके लक्षण कफ जैसे ही होते हैं जैसे नाक बहना, कफ और बुखार। आपको डॉक्टर के पास जाने की जरूरत है यदि बच्चे में निम्न लक्षण दिखे-
- तेज बुखार
- बलगम से नाक भरी हो
- खाने और पीने में दिक्कत हो
- खांसी के साथ बलगम आ रहा हो
- बच्चा डिहाइड्रेटेड हो जाता हो।