दिल्ली में थायरॉइड के अन्य आंकड़ें (Thyroid problem in Delhi)
दिल्ली में थायरॉइड के आंकड़ों के मुताबिक लैंगिक आंकड़ो की बात करें तो महिलाओं में 5219 महिलाएं हाइपरथायरॉइडिज्म से और 16688 महिलाएं हाइपोथायरॉडिज्म की शिकार हैं तथा इनका प्रतिशत हाइपरथायरॉडिज्म में 4.93 और हाइपोथायरॉडिज्म में 15.75 रहा। वहीं पुरुषों में 678 लोग हाइपरथायरॉइडिज्म से और 3202 लोग हाइपोथायरॉडिज्म के शिकार हैं तथा इनका प्रतिशत हाइपरथायरॉडिज्म में 3.93 और हाइपोथायरॉडिज्म में 18.54 रहा।
दिल्ली में थायरॉइड की स्टडी पर बात करते हुए, मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर लिमिटेड के चीफ क्वालिटी ऑफिसर, डॉ. पुनीत कुमार निगम ने कहा कि, ‘वैश्विक परिपेक्ष्य में थायरॉइड डिसऑर्डर आम है, लेकिन इसी के साथ इस क्रॉनिक हेल्थ कंडीशन को नजरअंदाज किया जाता है। यह डिसऑर्डर थायरॉइड ग्लैंड के सामान्य कार्यों को प्रभावित करता है, जिससे इसके द्वारा उत्पादित होने वाले हॉर्मोन का स्तर कम या ज्यादा होता है। अगर इसका इलाज न किया जाए, तो हाइपरथायरॉइडिज्म से दिल की बीमारी, हड्डी की बीमारी, मूड का उतार-चढ़ाव और थायरॉइड स्टॉर्म नाम की गंभीर समस्या हो सकती है। गर्भवती महिलाओं में हाइपोथायरॉइडिज्म की वजह से प्लासेंटल असामान्यताएं और साथ ही भ्रूण की जान को भी खतरा हो सकता है।’
दिल्ली में थायरॉइड स्टडी में डॉ. निगम ने आगे कहा कि, ‘समय पर किए गए ब्लड टेस्ट शरीर में हो रहे किसी भी बदलाव को जांच सकते हैं। सभी थायरॉइड डिसऑर्डर दवाइयों की मदद से आसानी से ठीक किए जा सकते हैं। रेगुलर एक्सरसाइज, संपूर्ण आहार, समय पर जांच और ट्रीटमेंट जैसे जीवनशैली में बदलाव भी थायरॉइड की समस्या को ठीक करने में मदद करते हैं।’
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