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मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर की स्टडी ने पेश किए दिल्ली में थायरॉइड के आंकड़े

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Surender aggarwal द्वारा लिखित · अपडेटेड 08/06/2021

    मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर की स्टडी ने पेश किए दिल्ली में थायरॉइड के आंकड़े

    आज के समय में थायरॉइड (Thyroid) की समस्या काफी आम हो चुकी है, लेकिन यह जितनी आम हो गई है, उससे कहीं ज्यादा गंभीर है। इसमें शरीर का वजन अत्यधिक बढ़ने या कम होने लगता है और पाचन तंत्र बिगड़ जाता है। जिससे शरीर को पर्याप्त पोषण प्राप्त नहीं हो पाता और कमजोरी आने लगती है। इससे पीड़ित व्यक्ति को कई और शारीरिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर लिमिटेड ने दिल्ली में थायरॉइड की समस्या पर एक स्टडी की है, आइए देखते हैं उसमें क्या सामने आया है।

    दिल्ली में थायरॉइड के आंकड़े जानने से पहले थायरॉइड (Thyroid) के बारे में थोड़ी जानकारी

    दिल्ली में थायरॉइड के आंकड़े जानने से पहले इस ग्लैंड के बारे में जान लेते हैं। थायरॉइड ग्लैंड हमारे शरीर में मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने के साथ-साथ उसे एनर्जी प्रदान करने का कार्य करती है। यह हमारी हृदयगति और पाचन तंत्र को भी रेगुलेट करती है। थायरॉइड ग्लैंड हमारे शरीर में सेल्स द्वारा एनर्जी का इस्तेमाल करने के लिए जरूरी टेट्राआयोडोथायरोनिन (T4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) (tetraiodothyronine (T4) & triiodothyronine (T3)) नामक दो हॉर्मोन का उत्पादन भी करती है। थायरॉइड स्टिमूलेटिंग हॉर्मोन (Thyroid Stimulating Hormone; TSH) पिट्यूटरी ग्लैंड द्वारा उत्पादित किया जाता है। जिससे T3 और T4 हॉर्मोन के उत्पादन में मदद मिलती है। जिस वजह से,

    • अगर आपके शरीर में TSH का स्तर ज्यादा है, तो इससे पता चलता है कि आपकी थायरॉइड ग्लैंड अंडरएक्टिव (हाइपोथायरॉइड) है और पर्याप्त थायरॉइड हॉर्मोन का उत्पादन नहीं कर रही है।
    • अगर आपके शरीर में TSH का स्तर कम है, तो इससे पता चलता है कि आपकी थायरॉइड ग्लैंड ओवरएक्टिव (हाइपरथायरॉइड) है और अत्यधिक थायरॉइड हॉर्मोन का उत्पादन कर रही है।

    आपके शरीर में थायरॉइड की समस्या का प्रकार जानने के लिए TSH टेस्ट की मदद ली जाती है।

    दिल्ली में थायरॉइड

    और पढ़ें: थायरॉइड के बारे में वो बातें जो आपको जानना जरूरी हैं

    थायरॉइड के लक्षण (Thyroid Symptoms)

    दिल्ली में थायरॉइड के आंकड़े के साथ इसके लक्षण भी जानना जरूरी है। हाइपोथायरॉइडिज्म (hypothyroidism) में अचानक वजन बढ़ना, थकान, हृदय गति धीमी होना, ब्लड कोलेस्ट्रॉल बढ़ना, फर्टिलिटी की समस्या और याद्दाश्त कमजोर होने लगती है। महिलाओं में इस समस्या से मासिक धर्म भी प्रभावित होता है। नियमित ब्लड टेस्ट की मदद से शरीर में होने वाले किसी भी बदलाव का पता लगाया जा सकता है। यह समस्या दवाइयों की मदद से आसानी से ठीक की जा सकती है।

    हाइपरथायरॉडिज्म (hypothyroidism) में असामान्य हृदयगति, नींद न आना, कमजोर बाल और पुरुषों में ब्रेस्ट के विकास जैसे लक्षण दिखते हैं। हाइपोथायरॉइडिज्म की तरह हाइपरथायरॉडिज्म को भी दवाइयों की मदद से ठीक किया जा सकता है। नियमित एक्सरसाइज, संपूर्ण आहार, समय पर जांच और इलाज की मदद से विश्व में कहीं भी या दिल्ली में थायरॉइड की समस्या को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।

    दिल्ली में थायरॉइड की समस्या पर क्या कहती है स्टडी? (Thyroid problem in Delhi)

    मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर द्वारा दो साल की अवधि में थायरॉइड स्टिमूलेटिंग हॉर्मोन की जांच के लिए कुल 1,22,498 सैंपल लिए गए। जिसमें से 16 प्रतिशत लोग हाइपोथायरॉइडिज्म से पीड़ित पाए गए। दिल्ली में थायरॉइड के आंकड़ों के मुताबिक हाइपोथायरॉइडिज्म सबसे ज्यादा 40 से 50 वर्ष (23 प्रतिशत) की उम्र के लोगों में पाई गई। जिसके बाद 50-60 वर्ष (22 प्रतिशत) और 60-70 वर्ष (21 प्रतिशत) वर्ग का नंबर आता है। कुल पुरुषों में से 18 प्रतिशत और कुल महिलाओं में से 16 प्रतिशत में इस समस्या को देखा गया।

    • दिल्ली में थायरॉइड स्टडी में पाया गया कि, 4 प्रतिशत से अधिक लोग हाइपरथायरॉइडिज्म की समस्या से परेशान हैं। हाइपरथायरॉडिज्म में आपका शरीर थायरॉइड हॉर्मोन थायरॉक्सिन की अत्यधिक मात्रा उत्पादित करने लगता है। जबकि, हाइपोथायरॉडिज्म में कम मात्रा उत्पादित करता है।
    • दो साल के भीतर लिए गए 1,22,498 सैंपल में से कुल 5890 लोग हाइपरथायरॉइडिज्म से और 19767 लोग हाइपोथायरॉडिज्म के शिकार हैं तथा इनका प्रतिशत हाइपरथायरॉडिज्म में 4.81 और हाइपोथायरॉडिज्म में 16.14 रहा।
    • जिसमें 10 से 20 वर्ष की उम्र में 293 लोग हाइपरथायरॉइडिज्म से और 879 लोग हाइपोथायरॉडिज्म के शिकार हैं तथा इनका प्रतिशत हाइपरथायरॉडिज्म में 3.63 और हाइपोथायरॉडिज्म में 10.9 रहा।
    • 20 से 30 वर्ष की उम्र में 2396 लोग हाइपरथायरॉइडिज्म से और 6611 लोग हाइपोथायरॉडिज्म के शिकार हैं तथा इनका प्रतिशत हाइपरथायरॉडिज्म में 4.44 और हाइपोथायरॉडिज्म में 12.25 रहा।
    • 30 से 40 वर्ष की उम्र में 1283 लोग हाइपरथायरॉइडिज्म से और 5483 लोग हाइपोथायरॉडिज्म के शिकार हैं तथा इनका प्रतिशत हाइपरथायरॉडिज्म में 4.34 और हाइपोथायरॉडिज्म में 18.56 रहा।
    • दिल्ली में थायरॉइड के आंकड़ों के मुताबिक 40 से 50 वर्ष की उम्र में 781 लोग हाइपरथायरॉइडिज्म से और 3327 लोग हाइपोथायरॉडिज्म के शिकार हैं तथा इनका प्रतिशत हाइपरथायरॉडिज्म में 5.33 और हाइपोथायरॉडिज्म में 22.71 रहा।
    • 50 से 60 वर्ष की उम्र में 562 लोग हाइपरथायरॉइडिज्म से और 1942 लोग हाइपोथायरॉडिज्म के शिकार हैं तथा इनका प्रतिशत हाइपरथायरॉडिज्म में 6.35 और हाइपोथायरॉडिज्म में 21.93 रहा।
    • 60 से 70 वर्ष की उम्र में 403 लोग हाइपरथायरॉइडिज्म से और 1114 लोग हाइपोथायरॉडिज्म के शिकार हैं तथा इनका प्रतिशत हाइपरथायरॉडिज्म में 7.68 और हाइपोथायरॉडिज्म में 21.22 रहा।
    • 70 से 80 वर्ष की उम्र में 133 लोग हाइपरथायरॉइडिज्म से और 318 लोग हाइपोथायरॉडिज्म के शिकार हैं तथा इनका प्रतिशत हाइपरथायरॉडिज्म में 7.81 और हाइपोथायरॉडिज्म में 18.68 रहा।
    • 80 वर्ष से ज्यादा की उम्र में 39 लोग हाइपरथायरॉइडिज्म से और 93 लोग हाइपोथायरॉडिज्म के शिकार हैं तथा इनका प्रतिशत हाइपरथायरॉडिज्म में 8.52 और हाइपोथायरॉडिज्म में 20.31 रहा।

    दिल्ली में थायरॉइड के अन्य आंकड़ें (Thyroid problem in Delhi)

    दिल्ली में थायरॉइड के आंकड़ों के मुताबिक लैंगिक आंकड़ो की बात करें तो महिलाओं में 5219 महिलाएं हाइपरथायरॉइडिज्म से और 16688 महिलाएं हाइपोथायरॉडिज्म की शिकार हैं तथा इनका प्रतिशत हाइपरथायरॉडिज्म में 4.93 और हाइपोथायरॉडिज्म में 15.75 रहा। वहीं पुरुषों में 678 लोग हाइपरथायरॉइडिज्म से और 3202 लोग हाइपोथायरॉडिज्म के शिकार हैं तथा इनका प्रतिशत हाइपरथायरॉडिज्म में 3.93 और हाइपोथायरॉडिज्म में 18.54 रहा।

    दिल्ली में थायरॉइड की स्टडी पर बात करते हुए, मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर लिमिटेड के चीफ क्वालिटी ऑफिसर, डॉ. पुनीत कुमार निगम ने कहा कि, ‘वैश्विक परिपेक्ष्य में थायरॉइड डिसऑर्डर आम है, लेकिन इसी के साथ इस क्रॉनिक हेल्थ कंडीशन को नजरअंदाज किया जाता है। यह डिसऑर्डर थायरॉइड ग्लैंड के सामान्य कार्यों को प्रभावित करता है, जिससे इसके द्वारा उत्पादित होने वाले हॉर्मोन का स्तर कम या ज्यादा होता है। अगर इसका इलाज न किया जाए, तो हाइपरथायरॉइडिज्म से दिल की बीमारी, हड्डी की बीमारी, मूड का उतार-चढ़ाव और थायरॉइड स्टॉर्म नाम की गंभीर समस्या हो सकती है। गर्भवती महिलाओं में हाइपोथायरॉइडिज्म की वजह से प्लासेंटल असामान्यताएं और साथ ही भ्रूण की जान को भी खतरा हो सकता है।’

    दिल्ली में थायरॉइड स्टडी में डॉ. निगम ने आगे कहा कि, ‘समय पर किए गए ब्लड टेस्ट शरीर में हो रहे किसी भी बदलाव को जांच सकते हैं। सभी थायरॉइड डिसऑर्डर दवाइयों की मदद से आसानी से ठीक किए जा सकते हैं। रेगुलर एक्सरसाइज, संपूर्ण आहार, समय पर जांच और ट्रीटमेंट जैसे जीवनशैली में बदलाव भी थायरॉइड की समस्या को ठीक करने में मदद करते हैं।’

    और पढ़ें: Thyroid Nodules : थायरॉइड नोड्यूल क्या है?

    दिल्ली में थायरॉइड स्टडी- TSH का स्तर

    अगर आपकी थायरॉइड की जांच में TSH हॉर्मोन का स्तर निम्नलिखित आता है, तो आपको उसके आधार पर हाइपरथायरॉइडिज्म या हाइपोथायरॉइडिज्म हो सकता है। यह जानकारी सिर्फ ज्ञान के लिए है।

    जांच में 0.45 mlU/L से कम स्तर- हाइपरथायरॉइडिज्म

    जांच में 0.45-4.50 mlU/L के बीच का स्तर- सामान्य

    4.50 mlU/L से ज्यादा का स्तर- हाइपोथायरॉइडिज्म

    और पढ़ें: थायरॉइड और वजन में क्या है कनेक्शन? ऐसे करें वेट कम

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