थायरॉइड के कारण (Thyroid causes)
थायरॉइड किसी एक वजह से नहीं होता है, इसके लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं।
- खाने में आयोडीन की कमी (Iodine deficiency) से थायरॉइड ग्लैंड बढ़ जाता है।
- ऑटोइम्यून डिसीज (autoimmune diseases) भी थायरॉइड को बढ़ा सकता है, इसमें इम्यून सिस्टम (Immune system) थायरॉइड पर हमला करता है।
- किसी वायरस या बैक्टीरिया के कारण होने वाली सूजन के कारण भी थायरॉइड हो सकता है।
- प्रेग्नेंसी के दौरान भी कुछ महिलाओं में थायरॉइड ग्लैंड बढ़ जाता है।
- गैर-कैंसरयुक्त गांठ (non-cancerous lumps) भी थायरॉइड के लिए जिम्मेदार हो सकता है।
- कैंसर के ट्यूमर (cancerous tumours) की वजह से भी थायरॉइड हो सकता है।
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थायरॉइड का उपचार (Thyroid treatment)
थायरॉइड के उपचार का मकसद है हार्मोन्स को संतुलित रखना। यदि आपको हाइपरथायरॉइडिज्म (hyperthyroidism) की समस्या है तो उसके उपचार में शामिल है-
- थायरॉइड ग्लैंड को अधिक मात्रा में हार्मोन्स बनाने से रोकने के लिए एंटी थायरॉइड दवा (Anti-thyroid drugs) दी जाती है।
- थायरॉइड के सेल्स को डैमेज करके उसे अधिक मात्रा में थायरॉइड हार्मोन बनाने से रोकने के लिए रेडियोएक्टिव आयोडीन (Radioactive iodine) ट्रीटमेंट का भी विकल्प है।
- बीटा ब्लॉकर्स दवा थायरॉइड के लक्षणों को कंट्रोल करने में मदद करती है।
- सर्जरी इसका परमानेंट उपचार है। यदि आपके डॉक्टर को लगता है इसकी जरूरत है तो सलाह देगा। लेकिन इसके बाद आपको थायरॉइड रिप्लेसमेंट हार्मोन की जीवनभर जरूरत पड़ेगी।
हाइपोथायरॉइडिज्म- यदि आपको हाइपोथायरॉइडिज्म की समस्या है तो इसका मुख्य उपचार थायरॉइड रिप्लेसमेंट मेडिकेशन (Thyroid replacement medication) है। यानी दवाओं के जरिए इलाज किया जाता है। ये दवाएं हार्मोन को वापस शरीर में लाने का कृत्रिम तरीका है। दवा के जरिए थायरॉइड को कंट्रोल करके मरीज सामान्य जीवन जी सकते हैं।
थायरॉइड का घरेलू उपचार (Thyroid treatment)

वैसे तो थायरॉइड के इलाज के लिए कई दवाएं उपलब्ध हैं और डॉक्टर निश्चित समय तक इसका सेवन करने की सलाह देते हैं। लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इसे कुदरती तरीके अपनाकर भी ठीक किया जा सकता है। थायरॉइड की समस्या से छुटकारा पाने के लिए डायट में इन चीजों को शामिल किया जाना चाहिए।
विटामिन बी (Vitamin B) – थायरॉइड ग्लैंड (Thyroid gland) सही तरीके से काम करके इसके लिए विटामिन बी बहुत जरूरी है। खासतौर से हाइपोथायरायडिज्म के मरीजों के लिए विटामिन बी 12 (Vitamin B 12) बहुत फायदेमंद होता है। इसकी पूर्ति के लिए डायट में रोजाना अंडा, मीट, मछली, फलियां, दूध और अखरोट शामिल करें।
विटामिन डी (Vitamin D) – थायरॉइड के लिए विटामिन डी (Vitamin D) की कमी भी जिम्मेदार हो सकती है और विटामिन डी पाने के बेहतरीन स्रोत है धूप। इसलिए रोजाना कम से कम 15 मिनट के लिए धूप में बैठें या चलें। इससे इम्यून सिस्टम (Immune system) भी मजबूत बोती है। कुछ फूड आइटम्स में भी विटामिन डी होता है जैसे डेयरी प्रोड (Dairy products) प्रोडक्ट्स, तिल, संतरे का रस और अंडे की जर्दी। यदि किसी के शरीर में विटामिन डी की बहुत कमी है, तो डॉक्टर सप्लीमेंट लेने की सलाह देते हैं।
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नारियल का तेल (Coconut oil)- खाने में नारियल तेल का इस्तेमाल करें, इसमें फैटी एसिड (Fatty acid) होता हैं जो थायरायड ग्रंथि (Thyroid gland) को सही तरीके से काम करने में मदद करता है। यही नहीं नारियल तेल वजन कम (Weight loss) करने में भी मदद करता है और शरीर के मेटाबॉलिज्म (Metabolism) को बढ़ाता है।
एपल साइडर विनेगर (Apple cider vinegar)- यह थायरॉइड ग्लैंड (Thyroid gland) को सही मात्रा में हार्मोन के उत्पादन में मदद करता है। यह फैट को कम करता है और शरीर से हानिकारक टॉक्सिन को बाहर निकालता है। शहद और पानी के साथ इसका सेवन किया जा सकता है।
बादाम (Almond)- थायरॉइड में बादाम बहुत फायदेमंद होता है। प्रोटीन (Protein), फाइबर (Fiber) और मिनरल्स से भरपूर बादाम थायरॉइड ग्लैंड को अपना काम सहज तरीके से करने में मदद करता है। बादाम में सेलेनियम और मैग्नीशियम भी होता है।
डेयरी प्रोडक्ट्स (Dairy products)- दूध और दूध से बनी चीजें जैसे पनीर, दही आदि खाना भी बहुत फायदेमंद होता है, क्योंकि इनमें आयोडीन (Iodine) की भी अच्छी मात्रा होती है जो थायरॉइड ग्लैंड (Thyroid gland) को सही तरीके से काम करने में मदद करती है।
अलसी के बीज (Flaxseed)- स्वाद और सेहत से भरपूर अलसी के बीज फैटी एसिड (Fatty acid) से भरपूर होते हैं। यह दिल को स्वस्थ रखने के साथ ही थायरॉइड के लिए भी अच्छे माने जाते हैं। इसमें विटामिन बी 12 होता है जो हाइपोथायरायडिज्म से लड़ने में मदद करता है।
अश्वगंधा (Ashwaganda)- अश्वगंधा एक जड़ी बूटी है जिसे थायरॉइड में फायदेमंद माना जाता है। इसका सेवन पाउडर या टैबलेट के रूप में किया जा सकता है, लेकिन किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह के बाद ही अश्वगंधा का सेवन करें।
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कहीं आपको भी हिडेन थायरॉइड (Hidden thyroid) तो नहीं है इसका पता लगाने के लिए अपनी सेहत पर पैनी नजर रखें और किसी भी तरह का लक्षण दिखने पर नजरअंदाज न करें, तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। क्योंकि हिडेन थायरॉइड (Hidden thyroid) यानी थायरॉइड होने पर भी उसके बारे में आपको पता नहीं चलता है तो समय पर उपचार न होने से समस्या और बढ़ सकती है।