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PCOS के लिए नैचुरल ट्रीटमेंट में अश्वगंधा और तुलसी के अलावा ये हर्ब्स भी आ सकते हैं काम!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/02/2022

    PCOS के लिए नैचुरल ट्रीटमेंट में अश्वगंधा और तुलसी के अलावा ये हर्ब्स भी आ सकते हैं काम!

    भारत में हर 10 में से 1 महिला पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic Ovary Syndrome [PCOS]) की समस्या से पीड़ित हैं। बदलती लाइफ स्टाइल के वक्त में महिलओं में PCOS की समस्या आम समस्या बन गई है। कई बार हॉर्मोनल इम्बैलेंस की वजह से भी पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) का सामना महिलाओं को करना पड़ता है। पीसीओएस की समस्या 16 से 35 वर्ष की महिलाओं में ज्यादा देखा जाता है। भले ही यह समस्या लड़कियों में या महिलाओं में आम हो, लेकिन अगर इसका इलाज ठीक तरह से किया गया, तो पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) की समस्या से राहत मिल सकती है। वहीं नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (NCBI) के अनुसार PCOS के लिए नैचुरल ट्रीटमेंट (Natural treatment of PCOS) अपनाकर इस परेशानी को धीरे-धीरे ठीक की जा सकती है। इसे ठीक कैसे किया जाए, चलिए जानते हैं कुछ इस बारे में!

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    PCOS के लिए नैचुरल ट्रीटमेंट क्या है? (Natural treatment of PCOS)

    PCOS के लिए नैचुरल ट्रीटमेंट (Natural treatment of PCOS)

    PCOS का नैचुरल ट्रीटमेंट निम्नलिखित तरह से किया जा सकता है। जैसे:

    माका रूट (Maca root)

    माका रूट में विटामिन-सी (Vitamin C), कॉपर (Copper) एवं आयरन (Iron) की मौजूदगी सेहत के लिए लाभकारी मानी जाती है। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार माका रूट (Maca root) के सेवन की मदद से PCOS के लिए नैचुरल ट्रीटमेंट (Natural treatment of PCOS) किया जा सकता है। इससे फर्टिलिटी (Fertility) और लिबिडो (Libido) का भी इलाज किया जाता है। दरअसल माका रूट हॉर्मोन को बैलेंस रखता है और कॉर्टिसॉल (Cortisol) लेवल को बैलेंस बनाये रखने में सहायता प्रदान करता है। यही नहीं ऐसा माना जाता है कि अगर डिप्रेशन (Depression) की वजह से PCOS की समस्या हुई है, तो वह भी दूर हो सकती है।

    कैसे करें माका रूट का सेवन?

    माका रूट (Maca root) का सेवन ओटमील या स्मूदी के साथ किया जा सकता है।

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    अश्वगंधा (Ashwagandha)

    अश्वगंधा एंटीऑक्सिडेंट (Antioxidant) रिच माना जाता है। इसलिए हर्बल प्रॉडक्ट्स की बात हो और अश्वगंधा शामिल ना हो ऐसा हो नहीं सकता है। अश्वगंधा का सेवन एक नहीं, बल्कि कई शारीरिक परेशानियों को दूर करने के लिए किया जाता है। अश्वगंधा एक तरह का एडाप्टोजेन (Adaptogen) है, जो मनुष्य के एड्रिनल ग्लैंड (Adrenal gland) को स्ट्रॉन्ग बनाने में सहायक होता है। एड्रिनल ग्लैंड हमारे शरीर में स्ट्रेस कम करने में सहायक होता है। दरअसल कोर्टिसोल (Cortisol) लेवल स्ट्रेस लेवल से सीधे जुड़ा हुआ होता है और स्ट्रेस की वजह से पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) की समस्या हो सकती है। इसलिए PCOS के लिए नैचुरल ट्रीटमेंट (Natural treatment of PCOS) के तौर पर अश्वगंधा के सेवन की सलाह दी जाती है।

    कैसे करें अश्वगंधा का सेवन?

    अश्वगंधा पाउडर (Ashwagandha) का सेवन पानी (Water), घी (Ghee) या शहद (Honey) के साथ रोजाना किया जा सकता है।

    तुलसी (Basil)

    औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी का सेवन कई बीमारियों के उपचार में किया जाता है। वहीं PCOS के लिए नैचुरल ट्रीटमेंट (Natural treatment of PCOS) का इलाज भी तुलसी से किया जा सकता है। तुलसी के सेवन से बॉडी के इम्यून पावर (Immune Power) को स्ट्रॉन्ग बनाने में मदद मिलती है। तुलसी में मौजूद एंटी-एन्ड्रोजेनिक (Antiandrogenic) गुण टेस्टोस्टेरोन (Testosteron) लेवल को कम करने में भी सहायक है। इसलिए PCOS की समस्या को कम करने में इसके सेवन की सलाह दी जाती है।

    कैसे करें तुलसी का सेवन?

    PCOS के लिए नैचुरल ट्रीटमेंट तुलसी (Basil) से करना सबसे आसान माना जाता है, क्योंकि तुलसी की 5 से 8 पत्तियों को अच्छी तरह पानी से धो लें और फिर उसका सेवन कर लें।

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    दालचीनी (Cinnamon)

    थाइमीन, फॉस्फोरस, प्रोटीन, सोडियम, विटामिन, कैल्शियम, मैंग्नीज, पोटैशियम, निआसीन, कार्बोहाइडे्ट जैसे अन्य पौष्टिक तत्वों की मौजूदगी दालचीनी को सेहत के लिए लाभकारी माना जाता है। दालचीनी में मौजूद इन्हीं गुणों के कारण PCOS के लिए नैचुरल ट्रीटमेंट (Natural treatment of PCOS) के रूप में सेवन की सलाह दी जाती है। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (NCBI) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार दालचीनी इंसुलिन लेवल को भी बैलेंस रखने में सहायक माना जाता है और बॉडी के वेट को बैलेंस रखने में मददगार है।

    कैसे करें दालचीनी का सेवन?

    दालचीनी का पाउडर तैयार कर लें और एक चम्मच दालीचीनी (Cinnamon) पाउडर को गर्म पानी में मिलाकर पीने से लाभ मिलता है।

    मेथी (Fenugreek)

    पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) की समस्या होने पर बॉडी वेट तेजी से बढ़ने लगता है। रिसर्च के अनुसार मेथी के सेवन से बॉडी में ग्लूकोज के मेटाबोलिज्म को ठीक रखने में सहायता मिलती है। PCOS के लिए नैचुरल ट्रीटमेंट (Natural treatment of PCOS) के रूप में इसलिए मेथी के सेवन की सलाह दी जाती है।

    कैसे करें मेथी का सेवन?

    एक चम्मच मेथी को रात के वक्त पानी में भिगो दें और सुबह मेथी (Fenugreek) के दाने को शहद के साथ मिलाकर सेवन किया जा सकता है।

    मुलेठी (Mulethi)

    टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) के लेवल को कम करने का राज मुलेठी (Mulethi) में छिपा है। रिसर्च रिपोर्ट्स के अनुसार ऑव्युलेशन प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए भी मुलेठी का सेवन किया किया जा सकता है। इसमें मौजूद पौष्टिक खाद्य पदार्थ PCOS के लिए नैचुरल ट्रीटमेंट (Natural treatment of PCOS) के साथ-साथ सर्दी-जुकाम या खांसी (Cold and Cough) से भी राहत दिलाने में बेहद कारगर माना जाता है।

    कैसे करें मुलेठी का सेवन?

    एक चम्मच मुलेठी के चूर्ण को गर्म पानी में मिक्स करें और फिर इसका सेवन चाय की तरह करें।

    पुदीना (Mint)

    सलाद, बिरयानी, हेल्दी ड्रिंक्स में अपने खुशबु के लिए पुदीना अत्यधिक प्रसिद्ध है और पसंद भी किया जाता है, उतना ही यह सेहत के लिए भी लाभकारी होता है। पुदीने में मौजूद पौष्टिक तत्व PCOS के लिए नैचुरल ट्रीटमेंट (Natural treatment of PCOS) की तरह भी कारगर माना जाता है। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (NCBI) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार पुदीने (Mint) का सेवन पीसीओएस में करने से विशेष लाभ मिल सकता है।

    कैसे करें पुदीने का सेवन?

    पुदीने का सेवन आसानी से किया जा सकता है। पुदीने की 6 से 8 पत्तियों को साफ कर एक कप पानी में 10 से 12 मिनट उबाल लें और फिर चाय की तरह इसका सेवन करें।

    नोट: PCOS के लिए नैचुरल ट्रीटमेंट (Natural treatment of PCOS) के रूप में ऊपर बताये गए हर्ब्स का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इनका सेवन अपनी मर्जी से ना करें। आयुर्वेद एक्सपर्ट से कंसल्ट करने के बाद ही करें, क्योंकि इन हर्बल प्रॉडक्ट्स (Herbal products) का सेवन कितना और कब करना चाहिए, इसकी सलाह शारीरिक बनावट को ध्यान में रखकर बताई जाती है।

    पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic Ovary Syndrome [PCOS]) की समस्या नैचुरल ट्रीटमेंट (Natural treatment of PCOS) के साथ-साथ डायट का भी विशेष ख्याल रखना पड़ता है। हेल्दी डायट फॉलो करने से बॉडी हॉर्मोन को बैलेंस रखने में मदद मिलती है और मेंस्ट्रुअल साइकिल (Menstrual cycle) भी ठीक रहता है। पीसीओएस की समस्या से बचने के लिए फ्रोजेन और पैक्ड फूड का सेवन ना करें। पीसीओएस की समस्या होने पर या इस तकलीफ से खुद को बचाए रखने के लिए साबुत अनाज का सेवन जरूर करें। पीसीओएस की समस्या अगर आप पीड़ित हैं, तो ऐसे PCOS के लिए नैचुरल ट्रीटमेंट, हेल्दी डायट (Healthy Diet) के साथ-साथ फ्रूट्स के सेवन पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए।

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    PCOS की समस्या होने पर कौन-कौन से फ्रूट्स (Fruits) का सेवन करें?

    नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) होने पर निम्नलिखित फ्रूट्स का सेवन किया जा सकता है। जैसे:

    स्ट्रॉबेरी (Strawberries)- हल्का खट्टा और हल्के मीठे स्वाद से भरपूर स्ट्रॉबेरी सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। मिनिरल से भरपूर स्ट्रॉबेरी में प्रोटीन एवं नियासिन जैसे अन्य पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं। PCOS के लिए नैचुरल ट्रीटमेंट (Natural treatment of PCOS) स्ट्रॉबेरी फल के सेवन से भी किया जा सकता है।

    ब्लूबेरी (Blueberries)- ब्लूबेरी में मौजूद खनिज तत्व कैंसर (Cancer), डायबिटीज (Diabetes), मोटापा (Obesity) एवं कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) लेवल को बैलेंस रखने में अत्यधिक सहायक है। पीसीओएस की समस्या पर वजन बढ़ने (Weight gain) की समस्या सबसे आम होती है और वेट कंट्रोल कर पीसीओएस (PCOS) की समस्या को कम किया जा सकता है।

    रास्पबेरी (Raspberries)- लाल, काले एवं बैंगनी रंग का यह फल सेहत के लिए अत्यधिक लाभकारी माना है। इस फल में विटामिन-सी (Vitamin C) के साथ-साथ अन्य जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जिस कारण इसे PCOS के लिए नैचुरल ट्रीटमेंट (Natural treatment of PCOS) के रूप में भी सेवन किया जाता है।

    पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic Ovary Syndrome) की समस्या होने पर या इस परेशानी के लिए इन ऊपर बताये 3 फ्रूट्स को अपने पसंद के अनुसार रेग्यूलर खाने की आदत डालें।

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    पीरियड्स के दौरान महिलाएं कैसे रख सकतीं हैं अपने सेहत का ख्याल, जानने के लिए नीचे दिए इस वीडियो लिंक पर क्लिक करें।

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    पीसीओएस की समस्या होने पर किस तरह के खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए?

    जिन महिलाओं को पीसीओएस की समस्या है या इस परेशानी से बचने के लिए अपने आहार में निम्नलिखित खाद्य पदार्थों से दूर बनायें। जैसे:

    • पेस्ट्री एवं वाइट ब्रेड या किसी अन्य रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन ना करें।
    • फ्राइड फूड या फास्ट फूड का सेवन ना करें।
    • सोडा और एनर्जी ड्रिंक (Energy drink) का सेवन ना करें।
    • प्रोसेस्ड मीट और रेड मीट को डायट में शामिल ना करें।
    • कॉफी (Coffee) का सेवन कम से कम करें

    इन खाद्य पदार्थ एवं पेय पदार्थों से दूरी बनायें रखें।

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    PCOS के लिए नैचुरल ट्रीटमेंट (Natural treatment of PCOS) में एक्सरसाइज या योग को विशेष रूप से शामिल करें।

    PCOS के लिए नैचुरल ट्रीटमेंट (Natural treatment of PCOS)

    एक्सरसाइज (Workouts)-

    इन वर्कऑउट्स के अलावा अन्य वर्कऑउट्स भी किये जा सकते हैं, लेकिन एक्सरसाइज के साथ-साथ बॉडी को फिजिकली एक्टिव भी रखना जरूरी है।

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    योगासन (Yoga)-

    नोट: ऊपर बताये गए एक्सरसाइज या योग की शुरुआत से पहले डॉक्टर से सलाह लें और उनके द्वारा बताई गई एक्सरसाइज या योग करें। अगर आपने पहले योग या एक्सरसाइज नहीं किया है, तो पहले इन्हें करने का तरीका समझें और फिटनेस एक्सपर्ट या योगाएक्सपर्ट की निगरानी में करें।

    नैशनल विमेंस हेल्थ नेटवर्क ऑफ वाशिंगटन (National Women’s Health Network of Washington) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic Ovary Syndrome [PCOS]) की समस्या का मुख्य कारण तनाव (Tension) है। ऐसे में महिलाओं को बिलकुल भी स्ट्रेस नहीं लेना चाहिए, क्योंकि शुरुआती वक्त में भले ही यह परेशानी सामान्य हो, लेकिन अगर इस परेशानी को इग्नोर किया जाए तो धीरे-धीरे पीसीओएस (PCOS) की समस्या गंभीर हो सकती है।

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    PCOS की वजह से कौन-कौन सी बीमारियों का बढ़ता है खतरा? (Risk factor of PCOS)

    पीसीओएस की वजह से निम्नलिखित बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। जैसे:

    • डायबिटीज टाइप-2 (Type 2 Diabetes)  की समस्या होना
    • हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) की परेशानी होना
    • कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) की समस्या होना
    • हार्ट से जुड़ी परेशानी (Heart Problem) होना
    • मेटाबॉलिज्म ठीक तरह से ना होना
    • लिवर (Liver) में सूजन आना
    • स्लीप एप्निया (Sleep Apnea) की समस्या
    • गर्भाशय से ब्लीडिंग होना
    • एस्ट्रोजन हॉर्मोन (Estrogen Hormone) लेवल बढ़ने से गर्भाशय कैंसर (Uterine Cancer) का खतरा बढ़ना
    • एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (Ectopic pregnancy) की समस्या होना

    इन ऊपर बताई गई परेशानियों का खतरा बढ़ सकता है अगर पीसीओएस का इलाज समय पर शुरू ना किया जाए तो।

    अगर आप पीसीओएस या PCOS के लिए नैचुरल ट्रीटमेंट (Natural treatment of PCOS) से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।

    पीसीओडी (PCOS) या पीसीओएस (PCOD)! जानिए इनसे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी नीचे दिए इस क्विज में।

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