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कौन से हैं दुर्लभ कैंसर? जानिए इनके उपचार के बारे में विस्तार से!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 09/03/2021

    कौन से हैं दुर्लभ कैंसर? जानिए इनके उपचार के बारे में विस्तार से!

    कैंसर का नाम सुनते ही घबराना सामान्य है। क्योंकि, अधिकतर लोग ऐसा मानते हैं कि कैंसर होने पर रोगी का ठीक होना असंभव है। लेकिन ऐसा नहीं है, सही उपचार और जानकारी से इस रोग को भी कंट्रोल किया जा सकता है। कैंसर शरीर में कहीं भी असामान्य कोशिकाओं की ग्रोथ के कारण होता है। असामान्य कोशिकाओं के समूह एक गांठ का रूप ले सकते हैं, उन्हें ट्यूमर कहा जाता है। जानिए ट्यूमर और अन्य कैंसर (Other Cancer) के बारे में। इसके साथ ही उनके उपचार पूरी जानकारी पाना न भूलें।

    ट्यूमर और उसके प्रकार क्या हैं? (Tumor and its Types)

    ट्यूमर तब होता है जब हमारे शरीर के किसी भी भाग की कोशिकाएं बहुत अधिक बढ़ जाती हैं। ट्यूमर का आकार छोटे से लेकर बहुत बड़ा भी हो सकता है। यह इसके प्रकार पर निर्भर करता है। यही नहीं, ट्यूमर शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। ट्यूमर तीन प्रकार के होते हैं, जैसे:

    • बिनाइन (Benign): यह ट्यूमर कैंसर ग्रस्त नहीं होते। यह ट्यूमर फैल या विकसित नहीं हो सकते या बहुत धीरे-धीरे फैलते हैं। अगर डॉक्टर उन्हें हटा देते हैं तो यह फिर से नहीं होते।
    • प्रीमलिग्नैंट (Premalignant): इन तरह के ट्यूमर में, कोशिकाएं अभी तक कैंसरस नहीं हुई होती, लेकिन यह हानिकारक हो सकती हैं।
    • मलिग्नैंट (Malignant) : मलिग्नैंट ट्यूमर कैंसर ग्रस्त होते हैं। इसमें कोशिकाएं शरीर के अन्य भागों में विकसित हो सकती हैं या फैल सकती हैं।

    इस बात की कोई जानकारी नहीं होती कि ट्यूमर भविष्य में किस तरह से बढ़ेंगे। कुछ बिनाइन भी प्रीमलिग्नैंट और मलिग्नैंट बन सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि हमेशा ट्यूमर की ग्रोथ की जांच कराते रहना चाहिए। अब जानते हैं कैंसर सेल्स के बारे में और यह किस तरह से बढ़ती हैं?

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    कैंसर सेल्स क्या हैं और यह कैसे बढ़ते हैं? (Cancer Cells and their Growth)

    हमारा शरीर टिश्यूस और अंगों को बनाने के लिए कई कोशिकाओं से बना होता है। हर कोशिका के न्यूक्लियस के अंदर जीन यह बताते हैं कि उन्हें कब बढ़ना, काम करना, विभाजित या नष्ट होना है। आम तौर पर, हमारी कोशिकाएं इन निर्देशों का पालन करती हैं और हम स्वस्थ रहते हैं। लेकिन जब हमारे डीएनए में कोई परिवर्तन होता है या उसे नुकसान होता है, तो जीन में परिवर्तन आ सकता है। इससे यह जीन सही से काम नहीं करते। जिसके कारण कोशिकाएं अनियंत्रित हो जाती हैं और कई भागों में विभाजित हो जाती हैं। इनकी वजह से ही कैंसर होता है।

    जैसे-जैसे कैंसर कोशिकाएं विभाजित होती रहती हैं, एक ट्यूमर विकसित होता और बढ़ता रहता है। कैंसर कोशिकाओं की सामान्य कोशिकाओं की तरह ही जरूरतें होती हैं। उन्हें बढ़ने के लिए ऑक्सीजन और पोषक तत्वों के लिए रक्त की आपूर्ति की आवश्यकता होती है। जब एक ट्यूमर बहुत छोटा होता है, तो यह आसानी से बढ़ सकता है, और यह पास के ब्लड वेसल्स (Blood Vessels) से ऑक्सीजन और पोषक तत्व प्राप्त करता है।

    other cancers

    लेकिन जैसे-जैसे ट्यूमर बढ़ता है, उसे कैंसर कोशिकाओं (Cancer Cells) में ऑक्सीजन और अन्य पोषक तत्वों को लाने के लिए अधिक रक्त की आवश्यकता होती है। तो कैंसर कोशिकाएं ट्यूमर के लिए नए ब्लड वेसल्स (Blood Vessels) को बनाने के लिए संकेत भेजती हैं। इसे एंजियोजेनेसिस (Angiogenesis) कहा जाता है। यह एक कारण है कि ट्यूमर बढ़ता है और बड़ा होता है। जैसा कि एक ट्यूमर बड़ा हो जाता है, कैंसर कोशिकाएं ट्यूमर के बगल के सामान्य टिश्यूस को हटा कर आसपास के ऊतकों और स्ट्रक्चर में फैल जाती हैं। कैंसर उस जगह भी फैल सकता है जहां से यह कैंसर पहली बार शरीर के अन्य हिस्सों में शुरू हुआ था। यह प्रक्रिया मेटास्टैसिस (Metastasis) कहलाती है। 

    कौन से हैं अन्य कैंसर, जानिए इसके लक्षण, कारण और उपचार के बारे में (All About Other Cancers)

    कैंसर के लगभग 200 प्रकार हैं। हर कैंसर के अलग कारण, लक्षण और उपचार हैं। कैंसर का उपचार संभव है लेकिन इसके लिए उसका निदान शुरुआत में ही हो जाना चाहिए। जानिए कुछ अन्य कैंसर (Other Cancer) के बारे में विस्तार से :

    एनाप्लास्टिक थायराइड कैंसर (anaplastic thyroid cancer) 

    एनाप्लास्टिक थायराइड कैंसर (anaplastic thyroid cancer) चार प्रकार के थायराइड कैंसर में से एक है। यह गर्दन के निचले हिस्से में थायराइड ग्रंथि में पाया जाने वाला दुर्लभ कैंसर है। इसके सामान्य लक्षण हैं: 

    कैंसर के बढ़ने के साथ आप इन चीजों को भी नोटिस कर सकते हैं:

    कारण और रिस्क फैक्टर (Cause and Risk Factors)

    हालांकि, इस अन्य कैंसर (Other Cancers) का सही कारण ज्ञात नहीं है। लेकिन, इसका एक कारण जेनेटिक भी हो सकता है। जानिए किन स्थितियों में यह कैंसर होने ही संभावना बढ़ जाती है :

    • अधिक उम्र (Ageing)
    • गोइटर होना (Having a Goiter)
    • छाती या गर्दन के लिए पिछले विकिरण जोखिम (Previous Radiation Exposure to the chest or neck)

    निदान (Diagnosis)

    • इस कैंसर के निदान के लिए सबसे पहले शारीरिक जांच की जाती है। डॉक्टर आपके गर्दन की जांच करेंगे। अगर उन्हें वहां गांठ महसूस होती है तो यह ट्यूमर हो सकता है। इसके लिए वो आपको एंडोक्राइनोलॉजिस्ट (Endocrinologist) या ऑन्कोलॉजिस्ट (Oncologist) के पास जाने की सलाह दे सकते हैं।
    • यह जानने के लिए कि यह ट्यूमर कैंसरस है या नहीं,  बायोप्सी (Biopsy) कराई जाएगी। जिसमें आपके ट्यूमर का सैंपल लिया का सकता है। 
    • अगर ट्यूमर कैंसरस है तो यह जाना जाएगा कि यह कितना बढ़ चुका है। कैंसर की गंभीरता के अनुसार ही इसका इलाज किया जाता है।
    • इसके साथ ही गर्दन और छाती का सिटी स्कैन (CT Scan) भी कराया जा सकता है, जिससे डॉक्टर को यह ज्ञान होगा कि ट्यूमर कितना बड़ा है। यही नहीं, इससे यह भी पता चलेगा कि कैंसर कितना फैल चुका है

    यह भी पढ़ें: स्किन कैंसर के संकेत देते हैं यह लक्षण, भूलकर भी न करें नजरअंदाज

    स्माल बॉवेल एडेनोकार्सिनोमा कैंसर (small bowel adenocarcinoma cancer)

    एडेनोकार्सिनोमा (Adenocarcinoma) छोटी आंत की लाइनिंग में ग्लैंडुलर कोशिकाओं (Glandular Cells) में शुरू होता है। इनमें से अधिकांश ट्यूमर पेट के पास छोटी आंत के हिस्से में होते हैं। यह ट्यूमर बढ़ सकते हैं और आंत को ब्लॉक कर सकते हैं। इसके लक्षण इस प्रकार हैं: 

    • वजन कम होना और पेट में दर्द (Weight loss or Stomach pain)
    • पेट में मरोड़ (Abdominal Cramp)
    • पेट में गांठ (Stomach lump)
    • मल में खून (Blood in the stool)

    कारण और रिस्क फैक्टर (Causes and Risk Factors)

    स्माल बोवेल एडेनोकार्सिनोमा कैंसर के कारणों के बारे में भी सही जानकारी नहीं है सामान्य तौर पर, स्माल बॉवेल एडेनोकार्सिनोमा कैंसर तब शुरू होते हैं। जब छोटी आंत्र में स्वस्थ कोशिकाएं अपने डीएनए में बदलाव (म्यूटेशन) करती हैं। इससे जुड़े रिस्क फैक्टर इस प्रकार हैं।

    • अधिक फैट युक्त डाइट लेना (Fat Diet)
    • क्रोहन रोग (Crohn disease)
    • सीलिएक रोग (Celiac disease)
    • फेमिलियल एडिनोमेटस पॉलीपोसिस (Familial Adenomatous Polyposis)

    निदान (Diagnosis)

    स्माल बॉवेल एडेनोकार्सिनोमा का निदान कई बार मुश्किल होता है। इसी कारण रोगी को कई टेस्ट या प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। यह टेस्ट इस प्रकार हैं:

    • इमेजिंग टेस्ट : जैसे सीटी स्कैन (CT Scan) , मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (Magnetic resonance imaging)
    • पॉज़िट्रान एमिशन टोमोग्राफी (Positron Emission Tomography)
    • एक्स-रे (X-rays)
    • न्यूक्लियर मेडिसिन स्कैन्स (Nuclear Medicine Scans)
    • इंडोस्कोपिक टेस्ट्स (Endoscopic Tests)

    फाइब्रोलामैलर हेपेटोसेल्यूलर कार्सिनोमा (fibrolamellar hepatocellular carcinoma) 

    अन्य कैंसर (Other Cancers) में अगला है फाइब्रोलामैलर हेपेटोसेल्यूलर कार्सिनोमा (fibrolamellar hepatocellular carcinoma) जो लिवर से जुड़े  कैंसर का एक दुर्लभ रूप है। जो आमतौर पर किशोरों और युवा वयस्कों (40 वर्ष की आयु से पहले) को होता है। इस रोग के शुरुआत में कोई लक्षण नजर नहीं आते। लेकिन, इसके लक्षण इस प्रकार हैं:

    • पेट में दर्द (Abdominal pain)
    • भूख में कमी  (Loss of appetite)
    • वजन का कम होना (Weight loss.)
    • बैचनी (Malaise)
    • पीलिया (Jaundice)
    • उलटी (Vomiting)
    • इसके दुर्लभ लक्षणों में माइग्रेटरी  थ्रोम्बोफ्लेबिटिस (Migratory thrombophlebitis)  वेनस थ्रॉम्बोसिस (venous  thrombosis) और गाइनेकोमैस्टिया (Gynecomastia) शामिल है।

    कारण और रिस्क फैक्टर (Cause and Risk Factor)

    फाइब्रोलामैलर हेपेटोसेल्यूलर कार्सिनोमा (fibrolamellar hepatocellular carcinoma) के कारणों के बारे में सही जानकारी नहीं है। लेकिन लिवर से सम्बन्धित इस कैंसर के यह कारण हो सकते हैं जैसे हेपेटाइटिस B या C वायरल इंफेक्शन, अधिक शराब का सेवन या लिवर की ऑटोइम्यून बीमारी आदि।

    अन्य कैंसर

    निदान (Diagnosis)

    इस अन्य कैंसर (Other Cancers) के निदान के लिए डॉक्टर लक्षणों के बारे में जानने के बाद शारीरिक जांच कराते हैं। अगर डॉक्टर को रोगी में फाइबर्लेमेलर हेपेटोसेल्यूलर कार्सिनोमा का संदेह होता है तो वो अल्ट्रासाउंड, MRI  करा सकते हैं।

    गयनेकोलॉजिकल सार्कोमा (Gynaecological Sarcomas)

    गयनेकोलॉजिकल सार्कोमा (Gynaecological Sarcomas) को गाइना सार्कोमा भी कहा जाता है। यह कैंसर महिला की प्रजनन प्रणाली (Reproductive System)  में होता है जैसे गर्भाशय (Womb), एंडोमेट्रियम (Endometrium) अंडाशय (Ovaries), योनि (Vagina), वल्वा (Vulva ) और फैलोपियन ट्यूब (Fallopian Tubes)। यह किसी भी उम्र की महिलाओं को हो सकता है, हालांकि वे 30 साल से कम उम्र की महिलाओं में इसकी संभावना कम हैं। 

    गयनेकोलॉजिकल सार्कोमास के लक्षण ट्यूमर के साइज और लोकेशन के अनुसार अलग हो सकते हैं, इसके लक्षण इस प्रकार हैं: 

    • पीरियड्स के दौरान अधिक ब्लीडिंग होना (Heavy Periods)
    • बढ़े हुए फाइब्रॉएड (Enlarging Fibroid)
    • मेनोपॉज के बाद योनि से स्त्राव (Vaginal Bleeding after the Menopause)
    • वैजिनल डिस्चार्ज में खून (Blood in Vaginal Discharge)
    • पेट में दर्द (Abdominal Pain)
    • वल्वा में गांठ नजर आना (A noticeable Lump in Vulva)

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    कारण और रिस्क फैक्टर (Cause and Risk Factors) 

    गयनेकोलॉजिकल सार्कोमास  के कारणों के बारे में जानकारी नहीं है। लेकिन, महिलाएं जो पेल्विक एरिया में रेडिएशन थेरेपी से गुजर चुकी हैं या जिनका ब्रेस्ट कैंसर की स्थिति में ड्रग टेमोक्सीफेन (Drug Tamoxifen) से उपचार किया गया हो, उसमें इस कैंसर की संभावना अधिक होती है।

    निदान (Diagnosis)

    गयनेकोलॉजिकल सार्कोमास का निदान के दौरान आपकी गयनेकोलॉजिस्ट (Gynecologist) आपसे लक्षणों के बारे में पूछेंगी और इसके साथ ही आपकी शारीरिक जांच भी की जाएगी। इसके साथ ही आपको कुछ इमेजिंग टेस्ट भी कराने के लिए कहा जाएगा, जैसे:

    • एक्स-रे (X-Ray)
    • अल्ट्रासाउंड (Ultrasound)
    • ट्रांस-वजाइनल अल्ट्रासाउंड (Trans-vaginal Ultrasound)
    • हिस्टेरोस्कोपी (Hysteroscopy)
    • कंप्यूटर टोमोग्राफी (Computer Tomography)
    • पॉज़िट्रान एमिशन टोमोग्राफी (Positron Emission Tomography)
    • मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (Magnetic Resonance Imaging)
    • हिस्टोपैथोलॉजी (Histopathology)

     स्लेवरी ग्लैंड कैंसर (Salivary gland cancer) 

    स्लेवरी ग्लैंड कैंसर (Salivary gland cancer) स्लेवरी ग्लैंड में से एक में शुरू होता है। यह सिर्फ एक बीमारी नहीं है। वास्तव में मुंह के अंदर और आसपास कई अलग-अलग स्लेवरी ग्लैंड पाई जाती हैं। इन ग्रंथियों में कई प्रकार के कैंसर और बिनाइन (गैर-कैंसर) ट्यूमर विकसित हो सकते हैं। इस कैंसर के लक्षण इस प्रकार हैं: 

    • उनके मुंह को पूरी तरह से खोलने में कठिनाई (Difficulty opening Mouth Completely)
    • चेहरे की एक तरफ की कमजोर मांसपेशियां (Weak Muscles on one side of the Face)
    • जबड़े, मुंह, या गर्दन के चारों ओर एक सूजन या गांठ (Inflammation or Lump around the Jaw, Mouth, or Neck)
    • चेहरे के हिस्से में सुन्नपन महसूस होना (Numbness in part of Face)
    • सेल्वरी ग्लैंड में लगातार दर्द (Constant Pain in the Salivary Gland)

    कारण और रिस्क फैक्टर (Cause and Risk Factor)

    स्लेवरी ग्लैंड कैंसर से बचाव मुश्किल हो सकता है क्योंकि डॉक्टर इसके कारणों के बारे में नहीं जानते हैं। हालांकि, कुछ स्थितियों में यह जोखिम भरा हो सकता है, जैसे

    • जो लोग पहले हेड और नैक कैंसर की वजह से किसी रेडिएशन थेरेपी से गुजरे हों।
    • जेनेटिक फैक्टर्स (Genetic factors)
    • अधिक उम्र (Ageing)
    • हानिकारक केमिकल या चीजों के सम्पर्क में आना (Contact with Chemical and others)

    निदान (Diagnosis)

    इस कैंसर के निदान के लिए डॉक्टर मरीज से उसके लक्षण, मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानेंगे और मुंह की जांच करेंगे। डॉक्टर इस बीमारी के स्थान और प्रसार को निर्धारित करने के लिए आपको इमेजिंग टेस्ट के लिए कह सकते हैं जैसे एक्स रे, सिटी स्कैन आदि इसके साथ ही आपको बायोप्सी के लिए भी कहा जा सकता है। बायोप्सी में डॉक्टर एक छोटा सा कट कर के ट्यूमर का एक नमूना निकलते हैं, जिसे वे जांच के लिए एक प्रयोगशाला भेज देते हैं।

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    थाइमोमा (Thymoma) 

    थाइमोमा एक प्रकार का ट्यूमर या थाइमस ग्रंथि (thymus gland) में वृद्धि है। थाइमिक ट्यूमर थाइमस ग्रंथि के ट्यूमर हैं। थाइमस ग्रंथि ऊपरी फेफड़ों के बीच में होती है। इस समस्या से पीड़ित कुछ लोग इसमें कोई भी लक्षण अनुभव नहीं करते। हालांकि, इसके कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं 

    • लगातार खांसी (Persistent Cough)
    • सांस लेने में समस्या (Problem in Breathing)
    • छाती में दर्द या दबाव (Chest pain or Pressure)
    •  मांसपेशियों में कमजोरी (Muscle Weakness)
    • हाथ या चेहरे की सूजन (Swelling of Hands or Face)
    • निगलने में कठिनाई (Difficulty Swallowing)
    • एनीमिया (Anemia)
    • बार-बार संक्रमण (Recurrent Infection)
    • सिर चकराना (Dizziness)

    कारण और रिस्क फैक्टर (Cause and Risk factor)

    थायोमस का सटीक कारण अज्ञात है। थाइमोमा पुरुषों और महिलाओं में समान रूप से आम हैं और जीवन के चौथे और पांचवें दशकों में सबसे अधिक बार देखे जाते हैं। ऐसे कोई ज्ञात रिस्क फैक्टर नहीं हैं जो किसी व्यक्ति में थाइमोमा के लिए प्रेरित करते हैं।

    अन्य कैंसर

    निदान (Diagnosis)

    थाइमोमा और थाइमिक कार्सिनोमा का निदान अचानक ही हो सकता है, जब किसी मरीज के सीने का एक्स-रे या सीटी स्कैन किसी अन्य कारण से किया गया हो। लेकिन, अगर आप इसके लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं तो आपको डॉक्टर से जांच करना जरूरी है। इसके निदान के लिए डॉक्टर आपसे आपके लक्षणों, मेडिकल हिस्ट्री आदि के बारे में पूछ सकते हैं। 

    छाती का एक्स रे, सिटी स्कैन, मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (Magnetic Resonance Imaging) और पॉज़िट्रान एमिशन टोमोग्राफी (Positron Emission Tomography) आदि से भी इस समस्या का निदान किया जा सकता है। यदि इन इमेजिंग परीक्षणों से थाइमोमा या अन्य कैंसर (Other Cancers) की उपस्थिति का सुझाव मिलता है, तो बायोप्सी की जाती है।

    मेटास्टैटिक एनल कैंसर (Metastatic Anal Cancer)

    मेटास्टैटिक एनल कैंसर तब होता है, जब कैंसर शरीर के उस हिस्से से फैलता है, जहां इसकी शुरुआत हुई थी यानी एनल या शरीर के अन्य हिस्सों में। एनल केनल मलाशय के अंत में एक छोटी ट्यूब है होती है जिसके माध्यम से मल शरीर से बाहर निकलता है। इसके लक्षण इस प्रकार हैं :

    • एनस या मलाशय से रक्तस्राव (Bleeding from the Anus or Rectum)
    • एनस में दर्द (Pain in the area of the Anus)
    • एनस में खुजली (Anal itching) 

    कारण और रिस्क फैक्टर (Cause and Risk Factor)

    एनल कैंसर तब होता है जब जेनेटिक म्युटेशन सामान्य, स्वस्थ कोशिकाओं को असामान्य कोशिकाओं में बदल देता है। इससे असामान्य कोशिकाएं बढ़ती हैं और नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं। यह असामान्य कोशिकाएं एक ट्यूमर बनाती हैं। कैंसर कोशिकाएं आस-पास के ऊतकों पर आक्रमण करती हैं और शरीर में कहीं भी फैलने के लिए एक प्रारंभिक ट्यूमर से अलग हो सकती हैं।  इससे जुड़े रिस्क फैक्टर इस प्रकार हैं:

    • उम्र का बढ़ना (Ageing)
    • एनल सेक्स (Anal Sex )
    • स्मोकिंग (Smoking)
    • कैंसर की हिस्ट्री (History of Cancer)
    • ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (Human papillomavirus )
    • अधिक सेक्शुअल पार्टनर होना (more than one sex partners)

     निदान (Diagnosis)

    इस समस्या के निदान के लिए सबसे पहले डॉक्टर लक्षणों के बारे में जानेंगे और आपकी शारीरिक जांच करेंगे। इस जांच के बाद वो किसी असामान्य ट्यूमर को महसूस कर सकते हैं। इसके बाद वो आपको अल्ट्रासाउंड के लिए कह सकते हैं।

    • अगर डॉक्टर को इस कैंसर का संदेह होता है तो वो बायोप्सी  के माध्यम से अफेक्टेड टिश्यू का सैंपल ले कर इसे जांच के लिए लेबोरेटरी भेज सकते हैं ।
    • अगर डॉक्टर को यह कन्फर्म हो जाता है कि रोगी को एनल कैंसर है तो डॉक्टर अन्य टेस्ट कराने की भी सलाह दे सकते हैं। ताकि, बता चल सके कि यह लिम्फ नोड या अन्य भागों में तो नहीं फैल गया है। जैसे: कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी (Computerized tomography), मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (Magnetic resonance imaging),पॉज़िट्रान एमिशन टोमोग्राफी (Positron emission tomography)

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    पीनायल कैंसर (Penile Cancer)

    अन्य कैंसर (Other Cancers) में अगला पीनायल कैंसर पीनस से जुड़ा कैंसर है। जब लिंग की कोशिकाएं नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं तो इसे पीनायल कैंसर कहा जाता है। यह अक्सर स्किन सेल्स में शुरू होता है। इससे जुड़े लक्षण इस प्रकार हैं 

    • लिंग की त्वचा में बदलाव  (Changes in Skin of Penis)
    • पीनस में रैश या छाला या घाव (Rash Bumps on Penis)
    • फोरस्किन के नीचे से गन्दी बदबू के साथ डिस्चार्ज (Bad-smelling Discharge underneath Foreskin)
    • पीनस के ऊपर घाव जिससे खून निकल सकता है  (A sore on Penis, which may Bleed)
    • पीनस में सूजन (Swelling in Penis)
    • ग्रोइन की त्वचा के नीचे गांठ (Lumps under the skin of Groin)

    कारण और रिस्क फैक्टर (Cause and Risk Factor)

    विशेषज्ञों को यह पता नहीं है कि पीनायल कैंसर किन कारणों से होता है। लेकिन इन स्थितियों में इसका जोखिम बढ़ सकता है:

    • ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (Human Papillomavirus)
    • अधिक उम्र (Ageing)
    • स्मोकिंग (Smoking)
    • कमजोर इम्युनिटी (Weak Immunity)
    • फिमॉसिस जैसी स्थिति (Phimosis)

    निदान (Diagnosis)

    इस अन्य कैंसर (Other Cancers) के निदान के लिए डॉक्टर मरीज की शारीरिक जांच करेंगे और लक्षणों के बारे में जान सकते हैं। इसके साथ ही इन टेस्ट्स को करने के लिए भी कहा जा सकता है। 

    •  बायोप्सी (biopsy)
    • इमेजिंग टेस्ट जैसे एक्स-रे (X-rays), सिटी स्कैन (CT Scans) , अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) या मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (Magnetic Resonance Imaging) 

    कैंसर का उपचार कैसे होता है? (Treatment of Cancer)

    कैंसर के उपचार के कई प्रकार हैं। यह उपचार के प्रकार इस बात पर निर्भर करते हैं कि रोगी को कौन सा कैंसर है और यह कितना विकसित हो चुका है। कैंसर से पीड़ित कुछ लोगों का केवल एक ही ट्रीटमेंट दिया जाता है। लेकिन अधिकांश लोगों के कई उपचार एक साथ किये जाते हैं, जैसे कीमोथेरेपी या रेडिएशन चिकित्सा के साथ सर्जरी। जानिए कौन से हैं कैंसर के उपचार: 

    • सर्जरी (Surgery): सर्जरी में सर्जन कैंसर को शरीर से निकाल देते हैं।
    • रेडिएशन थेरेपी (Radiation therapy) : इसमें हाई डोज रेडिएशन का प्रयोग कर के कैंसर सेल्स को नष्ट किया जाता है।
    • कीमोथेरेपी (Chemotherapy): इसमें दवाइयों के माध्यम से कैंसर सेल्स को नष्ट किया जाता है।
    • इम्यूनोथेरेपी (Immunotherapy): इस ट्रीटमेंट से इम्यून सिस्टम कैंसर के खिलाफ लड़ने में मदद करता है।
    • टार्गेटेड थेरेपी (Targeted Therapy) : टार्गेटेड थेरेपी में कैंसर सेल्स के उस क्षेत्र को टारगेट किया जाता है जहां कैंसर सेल्स विकसित हो रहे होते हैं ।
    • हॉर्मोन थेरेपी (Hormone Therapy) :हार्मोन थेरेपी एक ऐसा उपचार है जो स्तन और प्रोस्टेट कैंसर के विकास को धीमा करता है या रोकता है , जो हार्मोन का उपयोग करते हैं।
    • स्टेम सेल ट्रांसप्लांट (Stem Cell Transplant) : स्टेम सेल ट्रांसप्लांट ऐसी प्रक्रियाएं हैं जो कैंसर  के रोगियों में रक्त बनाने वाली उन स्टेम कोशिकाओं को रिस्टोर करती हैं, जिनका कीमोथेरेपी या रेडिएशन थेरेपी के कारण अधिक नुकसान हुआ हो।
    • बायोमार्कर टेस्टिंग (Biomarker Testing) : बायोमार्कर टेस्टिंग जीन, प्रोटीन और अन्य पदार्थों के बारे में जानने का एक तरीका है, जो कैंसर के बारे में जानकारी प्रदान कर सकते हैं।

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    कैंसर ट्रीटमेंट के साइड इफेक्ट क्या हैं? (Side Effects of Cancer Treatment)

    कैंसर ट्रीटमेंट के कई साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। साइड इफेक्ट यानी ट्रीटमेंट के बाद होने वाली वो परेशानियां जो हमारे शरीर के हेल्दी टिश्यूस या अंगों को प्रभावित करती हैं। कैंसर ट्रीटमेंट के साइड इफेक्ट को आप अपने डॉक्टर की मदद और जीवनशैली में बदलाव से मैनेज कर सकते हैं। यह साइड इफेक्ट इस प्रकार हैं:

    • एनीमिया (Anemia)
    • भूख का कम लगना (Appetite Loss)
    • ब्लीडिंग और नील पड़ना (Bleeding and Bruising)
    • कब्ज (Constipation)
    • डायरिया (Diarrhea)
    • सूजन (Swelling)
    • थकावट (Fatigue)
    • महिलाओं और पुरुषों में फर्टिलिटी समस्याएं (Fertility Issues in men or women)
    • फ्लू जैसे लक्षण  (Flu-Like Symptoms)
    • बालों का झड़ना (Hair Loss) 
    • इंफेक्शन (Infection)
    • लिम्फेडेमा (Lymphedema)
    • याददाश्त संबंधी समस्या (Memory Problems)
    • गले या मुंह में समस्या (Mouth and Throat Problems)
    • उलटी (Vomiting)
    • नर्व प्रॉब्लम (Nerve Problems) 
    • दर्द (Pain)
    • सेक्शुअल स्वास्थ्य समस्या (Sexual Health Issues) 
    • नींद में समस्या (Sleep Problems)
    • मूत्र या ब्लैडर संबंधी समस्या (Urinary and Bladder Problems)

    अन्य कैंसर

    कैंसर रोगियों को लाइफस्टाइल में क्या परिवर्तन लाने चाहिए? (Change in lifestyle for cancer patients) 

    स्वस्थ रहना बेहद जरूरी है। अगर आप कैंसर से पीड़ित हैं या उपचार से गुजर रहे हैं या चुकें हैं, तो अपने जीवन में परिवर्तन आपके लिए बेहद जरूरी है। कुछ चीजों का ध्यान रख कर आप सामान्य जीवन जी सकते हैं। जानिए आपको कौन से बदलाव अपने जीवन में लाने चाहिए:

    दूसरों की मदद लें (Take Help of Others)

    आपके स्वास्थ्य के लिए अन्य लोगों की शारीरिक और भावनात्मक मदद बहुत महत्वपूर्ण है। इसके लिए आप ऐसे लोगों से मिलें जिनका आपके जैसा अनुभव रहा हो। अपने प्रियजनों के आसपास रहें और अच्छा महसूस करें। 

    तनाव से बचें (Stay away from Depression)

    तनाव से बचकर आप अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य (Physical and Mental Health) को सही बनाए रख सकते हैं। इसके लिए व्यायाम, मेडिटेशन या योग करें। सकारात्मक रहें, पूरी नींद लें, अच्छा खाएं और डॉक्टर की राय ले।

    पर्याप्त नींद (Enough Sleep)

    कैंसर के रोगियों के लिए आराम बेहद जरूरी है। अपने आराम और नींद को कभी नजरअंदाज न करें। कम से कम सात से आठ घंटे की नींद लें।

    व्यायाम करें (Exercise)

    कैंसर के उपचार के दौरान या बाद में भी व्यायाम करना न भूलें। इससे आपको अपनी थकावट को कम करने और स्ट्रेंथ को बढ़ने में मदद मिलेगी। 

    सही खाएं (Healthy Diet)

    हेल्दी डायट भी कैंसर के साइड इफेक्ट्स को कम करने में और आपको जल्दी ठीक होने में मदद करेगी। इसलिए अपने आहार में कुछ चीजों को लेना न भूलें और कुछ चीजों का सेवन करना छोड़ दें।

    • फल और सब्जियों को जरूर शामिल करें
    • फाइबर युक्त आहार जैसे साबुत अनाज, बीन्स, सीड्स, मेवे आदि।
    • प्रोसेस्ड आहार, कैफीन, चीनी और नमक आदि का कम सेवन करें।
    • ओमेगा-3 युक्त चीजों जैसे केनोला आयल. अलसी के बीज, अवोकेडो आदि का सेवन करें।
    • दिन में थोड़ी-थोड़ी देर बार कम मात्रा में खाएं।
    • स्मोकिंग और शराब से दूर रहें।
    • कुछ एन्वॉयरमेंटल टोक्सिन भी कैंसर की समस्या को बढ़ा सकते हैं, उनसे भी दूर रहना जरूरी है।

    यह भी पढ़ें: ओवेरियन कैंसर स्टेज 4 : क्या है इस गंभीर स्थिति से बचने का उपाय? 

    कैंसर एक भयानक बीमारी है, लेकिन यह जीवन का अंत नहीं है। इन अन्य कैंसर (Other Cancers) के होने पर भी आपको सही उपचार की जरूरत है। अगर आपको इनके लक्षण नजर आते हैं, तो तुरंत इलाज कराएं। याद रखें, कैंसर से ड़रना इसे बढ़ाने जैसा है। इससे डरे नहीं, बल्कि सही उपचार कराएं और सावधानियां बरते। इसके बाद आप अपने नार्मल जीवन को फिर से जी पाएंगे

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    डॉ. प्रणाली पाटील

    फार्मेसी · Hello Swasthya


    AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 09/03/2021

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