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भ्रूण का सेक्स जेस्टेशनल डायबिटीज के रिस्क को कैसे बढ़ा सकता है जानिए

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 27/12/2021

    भ्रूण का सेक्स जेस्टेशनल डायबिटीज के रिस्क को कैसे बढ़ा सकता है जानिए

    प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले कॉम्प्लिकेशन में से एक जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes)। जिसे गर्भावस्था के दौरान होने वाली डायबिटीज कहा जाता है। कई बार यह डायबिटीज प्रेग्नेंसी के बाद ठीक हो जाती है तो कई महिलाएं इससे बाद में भी पीड़ित रहती हैं। शायद आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भ्रूण का सेक्स और जेस्टेशनल डायबिटीज का रिस्क (Fetal sex and risk of gestational diabetes mellitus) बढ़ने के बीच संबंध हो सकता है, लेकिन उस स्टडी में इसके बारे में पता चला है। जिसमें भ्रूण के सेक्स यानी जेंडर का महिलाओं को होने वाले कॉम्प्लिकेशन के रिस्क को बताया गया है। चलिए इस बारे में विस्तार से जानते हैं, सबसे पहले शुरुआत करते हैं जेस्टेशनल डायबिटीज से।

    जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes) क्या है?

    जेस्टेशनल डायबिटीज डायबिटीज का एक प्रकार है जो प्रेग्नेंट महिलाओं में दिखाई देता है जिनको पहले कभी डायबिटीज नहीं थी। जेस्टेशनल डायबिटीज प्रेग्नेंसी के मध्य में दिखाई देती है। डॉक्टर अक्सर इसके लिए 24 से 28वे हफ्ते में टेस्ट करते हैं। अक्सर जेस्टेशनल डायबिटीज हेल्दी फूड्स के सेवन और रेगुलर एक्सरसाइज से ठीक हो सकती है, लेकिन कभी-कभी कुछ महिलाओं को जेस्टेशनल डायबिटीज के चलते इंसुलिन लेना पड़ता है। जेस्टेशनल डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं में अगर ब्लड शुगर को अच्छी तरह नियंत्रित नहीं किया जाता है तो इससे महिला और उसके बच्चे दोनों को समस्या हो सकती है। जिनके बारे में आगे जानकारी दी जाएगी।

    चलिए अब जान लेते हैं कि भ्रूण का सेक्स और जेस्टेशनल डायबिटीज का रिस्क (Fetal sex and risk of gestational diabetes mellitus) कैसे एक दूसरे से संबंधित हैं।

    और पढ़ें: प्रेग्नेंसी में डायबिटीज रिस्क के लिए सप्लीमेंट्स : इस्तेमाल करने से होगा फायदा!

    भ्रूण का सेक्स और जेस्टेशनल डायबिटीज का रिस्क (Fetal sex and risk of gestational diabetes mellitus)

    भ्रूण का सेक्स और जेस्टेशनल डायबिटीज के रिस्क और डिलिवरी के बाद महिलाओं में टाइप 2 डायबिटीज मेलिटस के विकास के जोखिम को परिभाषित कर सकता है। ऐसे अध्ययन हैं जो सुझाव देते हैं कि प्रसव के समय भ्रूण के लिंग का प्रसूति संबंधी परिणामों पर प्रभाव पड़ सकता है। मेल भ्रूण के चलते समय से पहले झिल्लियों का टूटना (Premature rupture of membranes), अंबिलिकल कोर्ड में गांठ (Umbilical cord knot), सीजेरियन सेक्शन और कम एपीजीएआर स्कोर के रूप में प्रतिकूल प्रसवकालीन परिणाम विकसित होने का अधिक खतरा होता है। यह कभी भी संदेह नहीं किया गया था कि मेल फीटस को कैरी करना महिला के लिए जेस्टेशनल डायबिटीज मेलिटस के रिस्क और बाद में टाइप 2 डायबिटीज के रिस्क को बढ़ा सकता है।

    दिलचस्प रूप से हाल के कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि एक मेल फीटस को कैरी करने से महिलाओं में अग्नाशयी बीटा-सेल कार्य में कमी आ सकती है जिससे हाइपरग्लेसेमिया (Hyperglycemia) हो सकता है और जिससे टाइप 2 मधुमेह मेलिटस (Type 2 Diabetes Mellitus) विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। यानी भ्रूण का सेक्स और जेस्टेशनल डायबिटीज का रिस्क (Fetal sex and maternal risk of gestational diabetes mellitus) आपस में संबंधित हो सकता है।

    भ्रूण का सेक्स और जेस्टेशनल डायबिटीज का रिस्क (Fetal sex and risk of gestational diabetes mellitus) : क्या कहती है स्टडी

    एनसीबीआई में छपी एक स्टडी के अनुसार 1074 प्रेग्नेंट महिलाएं इसमें शामिल थीं। जिसमें 534 महिलाएं फीमेल फीटल कैरी कर रही थी वही 540 महिलाएं मेल फीटस। इन दोनों को कंपेयर किया गया। इनका ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट भी किया गया। जिसमें पता चला कि मेल फीटल पुअर बीटा सेल फंक्शन, पोस्टप्रांडियल ग्लाइसीमिया और महिलाओं में जेस्टेशनल डायबिटीज के रिस्क जुड़े हुए थे। भ्रूण का सेक्स और जेस्टेशनल डायबिटीज का रिस्क बढ़ा सकता है या प्रेग्नेंसी में ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म (Glucose metabolism) को प्रभावित कर सकता है।

    यद्यपि एक पुरुष भ्रूण और जेस्टेशनल डायबिटीज के विकास का जोखिम बहुत मामूली है, लेकिन फिर भी, यह मातृ शरीर क्रिया विज्ञान पर भ्रूण के प्रभाव की अवधारणा का समर्थन करता है। इस बात के प्रमाण हैं कि पुरुष भ्रूण गर्भावधि मधुमेह के जोखिम को बढ़ाता है, यह बताता है कि मातृ और भ्रूण शरीर क्रिया विज्ञान के बीच संबंधों का पता लगाने के लिए आगे के अध्ययन किए जाने चाहिए। मां और उसके बढ़ते भ्रूण के बीच एक महत्वपूर्ण चयापचय संबंध हो सकता है जिसका अधिक विस्तार से अध्ययन करने की आवश्यकता है। भ्रूण का सेक्स और जेस्टेशनल डायबिटीज का रिस्क (Fetal sex and maternal risk of gestational diabetes mellitus) का संबंध तो है, लेकिन इसे और स्पष्ट किए जाने की आवश्यकता है।

    और पढ़ें: प्रेग्नेंसी में डायबिटीज : गर्भावस्था के दौरान बढ़ सकता है शुगर लेवल, ऐसे करें कंट्रोल

    जेस्टेशनल डायबिटीज के चलते होने वाली परेशानियां (Problems of Gestational Diabetes in Pregnancy)

    भ्रूण का सेक्स और जेस्टेशनल डायबिटीज का रिस्क (Fetal sex and risk of gestational diabetes mellitus) तो आपने समझ लिया आप यह भी जान लीजिए कि जेस्टेनशनल डायबिटीज के चलते मां और बच्चे दोनों को किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है? जिसमें निम्न शामिल हैं।

    बेबी का आकार बढ़ना (An Extra Large Baby)

    डायबिटीज के कंट्रोल में नहीं रहने के कारण बेबी का ब्लड शुगर हाय हो जाता है। बच्चा ओवरफीड करता है और ज्यादा बड़ा हो जाता है। प्रेग्नेंसी के आखिरी कुछ महीनों में इससे असहजता होने लगती है। एक्सट्रा लार्ज बेबी के चलते डिलिवरी के वक्त मां और बच्चे दोनों को परेशानियां हो सकती हैं। बेबी की डिलिवरी के लिए सी सेक्शन की जरूरत हो सकती है। इसके साथ ही डिलिवरी के दौरान शोल्डर पर प्रेशर के चलते बेबी नर्व डैमेज के साथ पैदा हो सकता है।

    सी सेक्शन (C-Section)

    सी सेक्शन एक ऑपरेशन होता है जो बेबी की डिलिवरी के लिए किया जाता है। जिस महिला को डायबिटीज या जेस्टेशनल डायबिटीज होती है और अगर उनका ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में नहीं रहता है उनके सी सेक्शन की संभावना बढ़ जाती है। अगर महिला का सी सेक्शन होता है तो महिला को चाइल्ड बर्थ से (Childbirth) रिकवर करने में काफी टाइम लगता है।

    और पढ़ें: जेस्टेशनल डायबिटीज क्या है? जानें इसके लक्षण और उपचार विधि

    हाय ब्लड प्रेशर या प्रीक्लैप्सिया (High Blood Pressure or Preeclampsia)

    भ्रूण का सेक्स और जेस्टेशनल डायबिटीज का रिस्क (Fetal sex and maternal risk of gestational diabetes mellitus) बढ़ना महिला के लिए बड़ी परेशानी खड़ी कर देता है। जब गर्भवती महिला का ब्लड प्रेशर ज्यादा होता है, यूरिन में प्रोटीन होता है जिससे उंगलियों और अंगूठे में सूजन आ जाती है जो जाती नहीं है। महिला को प्रीक्लैप्सिया भी हो सकता है। यह एक गंभीर समस्या है जिसकी पास से निगरानी करना जरूरी होता है। हाय ब्लड बच्चे और मां दोनों को नुकसान पहुंचा सकता है। इसकी वजह से डिलिवरी के समय बेबी का जल्दी पैदा होना और स्ट्रोक जैसी समस्याएं हो सकती है। जिन महिलाओं को डायबिटीज होती है उन महिलाओं का ब्लड प्रेशर जिनको नहीं होती उनसे ज्यादा होता है।

    लो ब्लड शुगर (Low Blood Sugar Or Hypoglycemia)

    जो महिलाएं जेस्टेशनल डायबिटीज के चलते इंसुलिन या दूसरी डायबिटीज मेडिसिन लेती हैं उनका ब्लड प्रेशर बहुत कम हो सकता है। लो ब्लड शुगर का इलाज अगर जल्दी ना किया जाए तो यह बहुत गंभीर और यहां तक कि जानलेवा स्थिति हो सकती है। जेस्टेशनल डायबिटीज का शिकार महिलाएं अगर अपने ब्लड शुगर को ठीक से मॉनिटर करती हैं और लो ब्लड शुगर लेवल का इलाज जल्दी करवाती हैं तो इसे अवॉइड किया जा सकता है।

    जेस्टेशनल डायबिटीज को मैनेज करने के टिप्स  (Tips to manage gestational diabetes)

    भ्रूण का सेक्स और जेस्टेशनल डायबिटीज का रिस्क (Fetal sex and risk of gestational diabetes mellitus)

    • हेल्दी फूड का सेवन करें जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करें। इसके लिए डायटीशियन की मदद ली जा सकती है।
    • डॉक्टर की सलाह पर रेगुलर एक्सरसाइज करें। यह ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मददगार है।
    • ब्लड शुगर को चेक करते रहें।
    • कई प्रकार जेस्टेशनल डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं को इंसुलिन की जरूरत पड़ जाती है। इसलिए जैसे डॉक्टर ने कहा है उस हिसाब से इंसुलिन लेते रहे।
    • बेबी की डिलिवरी होने के 6 से 12 हफ्ते के बाद डायबिटीज टेस्ट कराएं। ताकि 1-3 साल समय-समय पर ये तक टेस्ट कराते रहें।

    और पढ़ें: महिलाओं में डायबिटीज और हार्ट प्रॉब्लम्स के बीच का क्या है कनेक्शन?

    उम्मीद करते हैं कि आपको भ्रूण का सेक्स और जेस्टेशनल डायबिटीज का रिस्क (Fetal sex and risk of gestational diabetes mellitus) इससे संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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