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जानिए टाइप 2 डायबिटीज पेशेंट के लिए क्यों है कैल्शियम एवं मैग्नीशियम आवश्यक

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/12/2021

    जानिए टाइप 2 डायबिटीज पेशेंट के लिए क्यों है कैल्शियम एवं मैग्नीशियम आवश्यक

    कैल्शियम एवं मैग्नीशियम का सेवन और T2D का खतरा ना हो ऐसे में क्या विकल्प अपनाना चाहिए? अगर आपके मन में भी ऐसे प्रश्न आ रहें हैं, तो आज कैल्शियम एवं मैग्नीशियम का सेवन और का खतरा (Calcium, Magnesium intake and T2D risks) से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी शेयर करेंगे। तो चलिए सबसे पहले समझते हैं टाइप 2 डायबिटीज के बारे में।

    टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) क्या है?

    कैल्शियम एवं मैग्नीशियम का सेवन और का खतरा (Calcium, Magnesium intake and T2D risks)

    टाइप 2 डायबिटीज में बॉडी के सेल्स इन्सुलिन (Insulin) के काम में बाधा पहुंचाती है, जो ग्लूकोज को सेल्स में प्रवेश करने नहीं देती हैं। ऐसी स्थिति में ब्लड में ग्लूकोज लेवल बढ़ जाता है। ब्लड ग्लूकोज लेवल बढ़ने से शारीरिक अंगों को नुकसान पहुंचता है और हॉर्मोनल इम्बैलेंस (Hormonal imbalance) का खतरा भी बढ़ जाता। है। वहीं शरीर में ग्लूकोज की कमी कोशिकाओं को तोड़ने में सक्षम होती हैं। टाइप 2 डायबिटीज की समस्या विकसित होने में ज्यादा समय लगता है, जिसकी वजह से शुरूआती दिनों में इसकी जानकारी नहीं मिल पाती है।

    किसी भी हेल्दी व्यक्ति में इन्सुलिन अलग-अलग प्रक्रिया से ब्लड शुगर लेवल को कम करता है जैसे कि प्रोटीन संश्लेषण में वृद्धि और रक्त से ग्लूकोज का वसा और मांसपेशियों की कोशिकाओं में प्रवेश कर। यही प्रक्रिया ग्लूकोज को ग्लाइकोजन (Glycogen) के रूप में स्टोर करने में सहायक भी होती है। अलग-अलग रिसर्च रिपोर्ट्स के अनुसार डायबिटीज पेशेंट में 90 से 95 प्रतिशत लोग टाइप 2 डायबिटीज की समस्या से पीड़ित होते हैं। बढ़ती उम्र में टाइप 2 डायबिटीज की समस्या (Type 2 Diabetes problem) आम है। ऐसा इन्सुलिन के कम प्रभावी होने पर ब्लड में ग्लूकोज लेवल कम होने की वजह से होता है, जिसका मुख्य कारण मोटापा (Obesity) और बदलती जीवनशैली (Unhealthy lifestyle) को माना गया है।

    ये है टाइप 2 डायबिटीज की कहानी और कैल्शियम एवं मैग्नीशियम का सेवन और T2D का खतरा आखिर क्यों माना जाता है या इसके पीछे क्या है रिसर्च इसे समझने की कोशिश करते हैं।

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    कैल्शियम एवं मैग्नीशियम का सेवन और T2D का खतरा: क्या है इन सबका का आपसी तालमेल?

    कैल्शियम एवं मैग्नीशियम का सेवन और T2D का खतरा! यहां कैल्शियम और मैग्नीशियम के बारे में एक-एक कर समझते हैं।

    कैल्शियम एवं मैग्नीशियम का सेवन और T2D का खतरा: कैल्शियम और टाइप 2 डायबिटीज (Calcium and Type 2 Diabetes)

    नैशनल इंस्टीटूट ऑफ हेल्थ (National Institute of Health) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार कैल्शियम ह्यूमन बॉडी के लिए बेहद आवश्यक है। कैल्शियम से दांतों एवं हड्डियों (Bone) को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाने के साथ-साथ नियमित रूप से संतुलित मात्रा में कैल्शियम के सेवन से डायबिटीज (Diabetes) के खतरे को कम करने में मदद मिल सकती है। सिर्फ इतना ही नहीं डायबिटीज पेशेंट के लिए कैल्शियम शरीर को मजबूत बनाने में और इस बीमारी से लड़ने में मददगार है। यू.एस. नैशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन (U.S. National Library of Medicine) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) पेशेंट के लिए कैल्शियम (Calcium) और विटामिन डी (Vitamin D) की संतुलित मात्रा में सेवन करने से शरीर में ग्लूकोज लेवल (Glucose level) को बैलेंस बनाने में मदद मिल सकती है। कैल्शियम के सेवन से हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) को भी बैलेंस में रखने में मदद मिल सकती है।

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    कैल्शियम एवं मैग्नीशियम का सेवन और T2D का खतरा: शरीर के लिए नियमित कैल्शियम की मात्रा कितनी होनी चाहिए?

    ह्यूमन बॉडी में 99 प्रतिशत कैल्शियम दांतों और हड्डियों में पाया जाता है, जो शरीर की कोशिकाओं के लिए भी आवश्यक होता है। नर्व्स, ब्लड, मसल्स और हार्ट बीट को नियंत्रित करने में कैल्शियम की अहम भूमिका होती है। इसके अलावा ये सभी सेल्स के अंदर कई केमिकल रिएक्शन्स में भी मदद करता है।

    इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन (Institute of medicine) के अनुसार रोजाना शरीर को कैल्शियम मिलना जरूरी है। इसलिए निम्नलिखित आयु वर्ग के लोगों को कैल्शियम का सेवन आवश्यक माना गया है। जैसे:

    • 50 और उससे कम उम्र की महिलाओं को प्रति दिन 1,000 मिलीग्राम
    • 70 और उससे कम उम्र के पुरुषों को प्रति दिन 1,000 मिलीग्राम
    • 50 से ज्यादा उम्र की महिलाओं को प्रति दिन 1,200 मिलीग्राम
    • 70 से अधिक उम्र के पुरुषों को प्रति दिन 1,200 मिलीग्राम

    नोट: यहां कैल्शियम के सेवन की मात्रा एवरेज एज और हेल्दी व्यक्ति के लिए बताई गई है। किसी भी हेल्थ कंडिशन (Health condition) से पीड़ित लोगों के लिए या हर व्यक्ति की शारीरिक बनावट के अनुसार कैल्शियम (Calcium) की आवश्यकता पड़ती है। ऐसे में डॉक्टर से सलाह लेकर कैल्शियम का सेवन करें।

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    कैल्शियम एवं मैग्नीशियम का सेवन और T2D का खतरा: टाइप 2 डायबिटीज को किन-किन खाद्य पदर्थों का सेवन करना चाहिए?

    कैल्शियम एवं मैग्नीशियम का सेवन और का खतरा (Calcium, Magnesium intake and T2D risks)

    टाइप 2 डायबिटीज पेशेंट्स के लिए कैल्शियम रिच फूड इस प्रकार हैं-

    • बादाम (Almond)- बादाम में कैल्शियम के साथ-साथ प्रोटीन की मात्रा भी उच्च होती है, जो शरीर में ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) को बैलेंस बनाये रखने में सहायक माना जाता है।
    • डेयरी प्रॉडक्ट्स (Diary product)- कैल्शियम की पूर्ति के लिए डेयरी प्रॉडक्ट में शामिल पनीर और दूध के सेवन बेहतर बताया गया है।
    • संतरा (Orange)- टाइप 2 डायबिटीज पेशेंट को संतरे का सेवन करना चाहिए।
    • अंजीर (Fig)- कैल्शियम, फाइबर और पोटैशियम ये तीनों ही अंजीर में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होता है, जो टाइप 2 डायबिटीज पेशेंट के लिए लाभकारी माना गया है।

    नोट: अगर आपको इनमें से किसी भी खाद्य पदार्थों से एलर्जी (Allergy) है, तो आप इनका सेवन ना करें और डॉक्टर से सलाह लेकर अपने डायट में कैल्शियम शामिल करें।

    कैल्शियम डायबिटीज मरीजों के लिए लाभकारी बताया गया है और अब मैग्नीशियम एवं टाइप 2 डायबिटीज से जुड़ी जानकारियों को समझते हैं।

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    कैल्शियम एवं मैग्नीशियम का सेवन और T2D का खतरा: मैग्नीशियम और टाइप 2 डायबिटीज

    मैग्नीशियम ब्रेन के लिए आवश्यक पोषक तत्व होने के साथ ही टाइप 2 डायबिटीज पेशेंट्स के लिए आवश्यक माना गया है। मैग्नीशियम ब्लड शुगर लेवल को बैलेंस करने में खास भूमिका निभाता है। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार टाइप 2 डायबिटीज पेशेंट में मैग्नीशियम की कमी ज्यादा देखी जाती है। ऐसे नहीं है कि टाइप 2 डायबिटीज पेशेंट के शरीर में इन्सुलिन का निर्माण नहीं होता है, बल्कि शरीर को जितनी इन्सुलिन की आवश्यकता पड़ती है उतनी नहीं होती है। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार संतुलित मात्रा में मैग्नीशियम के सेवन से डायबिटीज होने के रिस्क 15 प्रतिशत तक कम हो सकता है। वहीं शरीर में मैग्नीशियम की कमी हृदय सम्बन्धित बीमारियों (Heart disease) को दावत दे सकती हैं।

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    कैल्शियम एवं मैग्नीशियम का सेवन और T2D का खतरा: टाइप 2 डायबिटीज को किन-किन खाद्य पदर्थों का सेवन करना चाहिए?

    कैल्शियम एवं मैग्नीशियम का सेवन और का खतरा (Calcium, Magnesium intake and T2D risks)

    टाइप 2 डायबिटीज पेशेंट्स के लिए मैग्नीशियम रिच फूड इस प्रकार हैं-

    होल ग्रेन (Whole Grain)- होल ग्रेन ब्रेड में मौजूद पोषक तत्व एवं मैग्नीशियम टाइप 2 डायबिटीज मरीजों के लिए अच्छा माना गया है।

    • हरी सब्जी (Green Vegetables)- टाइप 2 डायबिटीज पेशेंट्स को अपने डायट में हरी पत्तेदार सब्जियों एवं मौसमी सब्जियों को शामिल करना चाहिए।
    • काजू एवं बादाम (Almonds and Cashews)- काजू एवं बादाम जैसे नट्स का सेवन संतुलित मात्रा में करना चाहिए।
    • सीड्स (Seeds)- पंपकिन सीड्स सनफ्लावर सीड्स और फ्लैक्स सीड्स का सेवन डायबिटीज पेशेंट को करना चाहिए।

    नोट: अगर आपको इनमें से किसी भी खाद्य पदार्थों से एलर्जी है, तो आप इनका सेवन ना करें और डॉक्टर से सलाह लेकर अपने डायट में मैग्नीशियम शामिल करें।

    अगर आप डायबिटीज या कैल्शियम एवं मैग्नीशियम का सेवन और T2D का खतरा (Calcium, Magnesium intake and T2D risks) महसूस कर रहें और इससे जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जबाव जानना चाहते हैं या अगर आप ऐसी किसी भी शारीरिक परेशानी से गुजर रहीं हैं, तो आपको अपने डॉक्टर से जल्द से कंसल्ट करना चाहिए। किसी भी बीमारी का इलाज शुरुआती स्टेज में आसानी से किया जा सकता है आपको बीमारी से छुटकारा भी मिल सकती है या इसे आसानी से मैनेज किया जा सकता है।

    डिस्क्लेमर

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