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डायबिटीज सेल्फ मैनेजमेंट के लिए 5 बातों का रखें विशेष ख्याल!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 24/12/2021

    डायबिटीज सेल्फ मैनेजमेंट के लिए 5 बातों का रखें विशेष ख्याल!

    डायबिटीज … नैशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (National Centre for Disease Control) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार भारत में 6.51 करोड़ डायबिटीज पेशेंट हैं। ऐसा माना जा रहा है कि साल 2035 तक देश में डायबिटीज के मरीजों की संख्या 10.9 करोड़ हो सकती है। इसके पीछे अनहेल्दी लाइफ स्टाइल फॉलो करना मुख्य कारण माना जा रहा है। वहीं नैशनल सेंटर फॉर बायोटेकोनोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) पेशेंट्स ज्यादा देखे जा रहें हैं। हालांकि अगर डायबिटीज सेल्फ मैनेजमेंट किया जाए तो ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) को इम्बैलेंस होने से रोका जा सकता है। इसलिए आज इस आर्टिकल में डायबिटीज सेल्फ मैनेजमेंट (Diabetes Self Management) और डायबिटीज (Diabetes) से जुड़े कई सवालों के जवाब आपके साथ शेयर करेंगे।

    नोट: डायबिटीज की समस्या को रिवर्स किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए डॉक्टर द्वारा दी गई सलाह और डायबिटीज में सेल्फ मैनेजमेंट के तरीकों (Diabetes Self Management tips) को जरूरी समझें है।

    और पढ़ें : Huminsulin N: जानिए डायबिटीज पेशेंट के लिए ह्युमिनसुलिन एन के फायदे और नुकसान

    डायबिटीज (Diabetes) क्या है?

    डायबिटीज सेल्फ मैनेजमेंट करने के लिए सबसे पहले डायबिटीज क्या है इसे समझना जरूरी है। डायबिटीज एक, लेकिन अलग-अलग तरह की होने वाली समस्या है। जैसे टाइप 1 डायबिटीज, टाइप 2 डायबिटीज और जेस्टेशनल डायबिटीज।

    1. टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes): टाइप 1 डायबिटीज की समस्या बच्चों और किशोरावस्था में होती है। टाइप 1 डायबिटीज की समस्या होने पर शरीर में इन्सुलिन का निर्माण बिल्कुल नहीं होता है या कम होता है। इन्सुलिन एक तरह का हॉर्मोन है, जिसका निर्माण पैंक्रियाज द्वारा होता है। इन्सुलिन का मुख्य काम ब्लड में ग्लूकोज लेवल को नियंत्रित करना है। अगर शरीर में इन्सुलिन का निर्माण ना हो, तो ऐसी स्थिति में डायबिटीज की समस्या शुरू हो सकती है। रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार 5 से 10 प्रतिशत डायबिटीज मरीजों में टाइप 1 डायबिटीज की समस्या होती है। ऐसे लोगों को इन्सुलिन रिप्लेसमेंट थेरिपी (Insulin Replacement Therapy) पर उम्र भर निर्भर रहना पड़ता है।
    2. टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes): टाइप 2 डायबिटीज में शरीर की कोशिकाएं इन्सुलिन की क्रियाओं का विरोध करती हैं, जो ग्लूकोज को कोशिकाओं में प्रवेश करने नहीं देती हैं। ऐसी स्थिति में ब्लड में ग्लूकोज लेवल बढ़ जाता है। ब्लड ग्लूकोज लेवल बढ़ने से शारीरिक अंगों को नुकसान पहुंचता है और हॉर्मोनल इम्बैलेंस का खतरा बढ़ जाता। है। वहीं शरीर में ग्लूकोज की कमी कोशिकाओं को तोड़ने में सक्षम होती हैं। टाइप 2 डायबिटीज की समस्या विकसित में होने काफी वक्त लगता है और इसके निदान की जानकारी निदान वयस्क होने पर मिलती है।
    3. जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes): डायबिटीज का तीसरा प्रकार है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (CDC) एवं प्रिवेंशन के अनुसार प्रेग्नेंसी के दौरान हॉर्मोन में होने वाले बदलाव की वजह से जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes) का खतरा बढ़ जाता है। वैसे प्रेग्नेंसी के बाद डायबिटीज की यह समस्या ठीक हो जाती है, लेकिन कुछ महिलाओं में प्रेग्नेंसी के बाद टाइप 2 डायबिटीज की समस्या शुरू हो जाती है।

    ये हैं डायबिटीज के अलग-अलग प्रकार और अब आगे समझेंगे डायबिटीज सेल्फ मैनेजमेंट (Diabetes Self Management) के लिए क्या करना चाहिए, जिससे ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) को बैलेंस रखने में मदद मिल सकती है।

    और पढ़ें : समझें क्या है टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज?

    डायबिटीज सेल्फ मैनेजमेंट (Diabetes Self Management) कैसे करें?

    डायबिटीज सेल्फ मैनेजमेंट (Diabetes Self Management)

    कई बार बीमारी का नाम सुनते ही हममें से कई लोग घबरा जाते हैं या परेशान हो जाते हैं। जबकि ऐसा करने से पेशेंट या फेमली मेंबर्स अनजाने में मेंटल टेंशन को बढ़ाने का काम करते हैं। अगर आपको डयबिटीज या किसी अन्य बीमारी की जानकारी मिली है, तो ऐसे में बीमारी से छुटकारा मिले इसलिए डॉक्टर द्वारा दी गई सलाह का पालन करना आवश्यक है और डायबिटीज सेल्फ मैनजमेंट (Diabetes Self Management) के लिए यहां हम आपके साथ टिप्स शेयर करने जा रहे हैं।

    डायबिटीज सेल्फ मैनेजमेंट टिप्स 1: वजन रखें संतुलित (Weight management)

    बढ़ता वजन सिर्फ डायबिटीज ही नहीं, बल्कि कई गंभीर बीमारियों को दावत देने का काम करती है। इसलिए अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन (American Diabetes Association) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार वजन संतुलित रखना जरूरी है। वहीं रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार टाइप 2 डायबिटीज पेशेंट में ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन (Glycated hemoglobin) लेवल को 0.3 से 2 प्रतिशत तक कम करने में मदद मिल सकती है।

    डायबिटीज सेल्फ मैनेजमेंट टिप्स 2: पौष्टिक आहार का करें सेवन (Healthy food habit)

    टाइप1 डायबिटीज हो या टाइप-2 डायबिटीज की समस्या दोनों के ही मरीजों को अपने डायट में हरी पत्तेदार सब्जियां, शताबरी (asparagus), चुकंदर, गाजर, अजवाइन, प्याज, काली मिर्च, स्प्राउट्स और टमाटर का सेवन नियमित रूप से करने करना चाहिए। वहीं अगर फलों की बात करें, तो ऐसे फलों का सेवन करें, जिनमें विटामिन-सी (Vitamin C), विटामिन-के (Vitamin A), फाइबर (Fiber), मैग्नीशियम (Magnesium), पोटैशियम (Potassium) और मिनरल (Mineral) की मात्रा ज्यादा हो। इसके सेवन से इम्यूनिटी पावर (Immunity power) बढ़ती है साथ ही यह डायबिटीज के मरीजों के लिए भी अत्यधिक लाभकारी होता है।

    और पढ़ें : पैंक्रियाटोजेनिक डायबिटीज: क्या डायबिटीज के इस तीसरे प्रकार के बारे में जानते हैं आप?

    डायबिटीज सेल्फ मैनेजमेंट टिप्स 3: योग या एक्सरसाइज करें रोजाना (Yoga and workout)

    डायबिटीज में सेल्फ मैनजमेंट और शरीर को एक्टिव रखने का यह सबसे बेहतर विकल्प है, क्योंकि नियमित एक्सरसाइज या योगासन आपको स्वस्थ्य रहने में आपका साथ निभाता है। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन (American Diabetes Association) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार डायबिटीज पेशेंट्स को सप्ताह में कम से कम 5 दिन व्यायाम या योग आधे घंटे के लिए करना चाहिए। हालांकि अगर डायबिटीज पेशेंट डायबिटीज के अलावा किसी अन्य हेल्थ कंडिशन से पीड़ित हैं, तो ऐसे में डॉक्टर से सलाह लेकर और एक्सपर्ट की निगरानी में एक्सरसाइज या योगासन करना चाहिए।

    डायबिटीज सेल्फ मैनेजमेंट टिप्स 4: मेडिकेशन (Medication) सही समय पर लें

    डायबिटीज में सेल्फ मैनजमेंट टिप्स इस बात का अत्यधिक ख्याल रखना चाहिए कि डॉक्टर से पेशेंट को दवा या इन्सुलिन (Insulin) के सेवन की सलाह कब-कब दी है। हेल्दी फूड हैबिट, नियमित वर्कआउट या योगासन के साथ-साथ समय-समय पर सेवन करने से ही ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) को मैनेज करने में मदद मिल सकती है।

    डायबिटीज सेल्फ मैनेजमेंट टिप्स 5: एल्कोहॉल (Alcohol) एवं स्मोकिंग (Smoking) से रहें दूर

    डायबिटीज में सेल्फ मैनजमेंट करना चाहते हैं, तो आपको एल्कोहॉल (Alcohol) एवं स्मोकिंग (Smoking) से भी खुद को दूर रखना चाहिए। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन (American Diabetes Association) के रिपोर्ट में यह भी सलाह दी गई है कि ई-सिगरेट (e-cigarettes) का सेवन भी नहीं करना चाहिए। डायबिटीज पेशेंट्स अगर स्मोकिंग करते हैं, तो ऐसे में वो जाने-अनजाने में कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (Cardiovascular disease) एवं डायबिटीज कॉम्प्लिकेशन (Diabetes complications) को दावत देने का काम कर रहें।

    और पढ़ें : डायबिटीज में एल्कोहॉल का सेवन नुकसानदायक हो सकता है या नहीं, जानने के लिए पढ़ें यह आर्टिकल

    डायबिटीज पेशेंट्स को किन-किन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए? (Things to avoid)

    • रिफाइंड शुगर का सेवन ना करें।
    • कार्बोनेटेड ड्रिंक्स का सेवन ना करें।
    • खाने में ऊपर से नमक का सेवन ना करें।

    ब्लड शुगर लेवल बैलेंस रखने के लिए डायबिटीज प्लेट मेथड (Diabetes plate method) एक आसान तरीका है, जिससे आप आवश्यक खाद्य पदार्थों की पूर्ति कर सकें। यह एक रेगुलर 9-इंच की प्लेट होती है, जिसमें आवश्यक पोषक तत्वों को शामिल किया जाता है।

    और पढ़ें : डायबिटीज है! इन्सुलिन प्लांट स्टीविया का कर सकते हैं सेवन, लेकिन डॉक्टर के इजाजत के बाद!

    डायबिटीज सेल्फ मैनजमेंट करने के लिए ब्लड शुगर लेवल कितनी होनी चाहिए? (Balanced blood sugar level)

    नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार उम्र के अनुसार ब्लड शुगर लेवल निम्नलिखित होना चाहिए।

    6-12 वर्ष

    • फास्टिंग- 80-180 mg/dL
    • खाना खाने के पहले- 90-180 mg/dL
    • एक्सरसाइज के पहले- 150 mg/dL
    • सोने के दौरान- 100-180 mg/dL

    और पढ़ें : बच्चों में डायबिटीज के लक्षणों को ना करें इग्नोर

    13-19 वर्ष

    • फास्टिंग- 70-150 mg/dL
    • खाना खाने के पहले- 90-130 mg/dL
    • एक्सरसाइज के पहले- 150 mg/dL
    • सोने के दौरान- 90-150 mg/dL

    20 वर्ष से ज्यादा

    • फास्टिंग- 100 mg/dL
    • खाना खाने के पहले- 70-130 mg/dL
    • एक्सरसाइज के पहले- 180 mg/dL
    • सोने के दौरान- 100-140 mg/dL

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    अगर आप डायबिटीज या डायबिटीज सेल्फ मैनजमेंट (Diabetes Self Management) से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जबाव जानना चाहते हैं या अगर आप ऐसी किसी भी शारीरिक परेशानी से गुजर रहीं हैं, तो आपको अपने डॉक्टर से जल्द से कंसल्ट करना चाहिए। किसी भी बीमारी का इलाज शुरुआती स्टेज में आसानी से किया जा सकता है आपको बीमारी से छुटकारा भी मिल सकती है या इसे आसानी से मैनेज किया जा सकता है।

    शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए खान-पान का विशेष ख्याल रखना चाहिए। इसके साथ ही नियमित और सही योगासन करना आवश्यक माना गया है। आप नीचे दिए इस वीडियो लिंक पर क्लिक कर योग से जुड़े आसनों को समझें और उन्हें अपने जीवन में रोजाना शामिल करें।

    डिस्क्लेमर

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