यूटराइन प्रोलैप्स के कारण यूट्रस अपनी जगह से खिसक कर नीचे की ओर आ जाता है। यूटराइन प्रोलैप्स का टीट्रमेंट सर्जरी के माध्यम से किया जाता है। जिन महिलाओं को यूटराइन प्रोलैप्स की समस्या होने की आशंका है या फिर यूटराइन प्रोलैप्स की समस्या है तो उन्हें एक्सरसाइज की हेल्प लेनी चाहिए। महिला की सर्जरी अगर नहीं हुई है तो एक्सरसाइज की हेल्प लेना सही रहेगा। जिन महिलाओं की वजायनल डिलिवरी हुई है और भविष्य में अगर यूटराइन प्रोलैप्स की समस्या से बचना चाहती हैं, उनके लिए भी कीगल एक्सरसाइज बेहतर रहेगी। इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए की किस तरह से यूटराइन प्रोलैप्स में एक्सरसाइज मददगार साबित हो सकती है।
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यूटराइन प्रोलैप्स
जब किसी भी महिला में बच्चेदानी या यूट्रस नीचे की और खिसक जाती है तो इस क्रिया को यूटराइन प्रोलैप्स कहते हैं। महिला में बच्चेदानी लिगामेंट और टिशू यानी ऊतक से जुड़ी हुई होती है। जब किन्हीं कारणों से सपोर्ट में कमी आ जाती है तो महिला की बच्चेदानी नीचे की ओर खिसक जाती है। बच्चेदानी के साथ ही महिला का मूत्राशय भी प्रभावित होता है। ऐसे में महिला को यूरिन पास करने में भी दिक्कत हो सकती है। जब महिला को पेट या फिर पेल्विस में भारीपन लगता है, पेट साफ नहीं हो पाता है या फिर कमर के नीचे दर्द की समस्या होती है तो इसका पता लगता है। यूटराइन प्रोलैप्स के कारण महिला को ब्लैडर में इंफेक्शन की समस्या भी हो सकती है। अधिक मात्रा में डिस्चार्ज भी होता है। महिलाओं को यूटराइन प्रोलैप्स के कारण पीरियड्स के दौरान दिक्कत या फिर दर्द की समस्या भी हो सकती है।
यूटेरिन प्रोलैप्स की कितनी स्टेज होती हैं?
यूटेरिन प्रोलैप्स दो तरह का होता है।
1. इनकंप्लीट यूटेरिन प्रोलैप्स (Incomplete uterine prolapse)
यूट्रस वजायना के पास आ जाता है, लेकिन वजायना से बाहर नहीं आता है, जिसे इनकंप्लीट यूटेरिन प्रोलैप्स कहते हैं।
2. कंप्लीट यूटेरिन प्रोलैप्स (Complete uterine prolapse)
जब यूट्रस का एक हिस्सा वजायना से बाहर आ जाता है, तो ऐसी स्थिति को कंप्लीट यूटेरिन प्रोलैप्स कहते हैं। यूट्रस वजायना के कितने पास आता है। इसका ग्रेड (grade) से निर्णय लिया जाता है।
फर्स्ट ग्रेड- सर्विक्स वजायना में आ जाता है, जिसे यूटेरिन प्रोलैप्स का फर्स्ट ग्रेड कहते हैं।
सेकेंड ग्रेड- सर्विक्स वजायना के सबसे ऊपरी हिस्से में पहुंच जाता है।
थर्ड ग्रेड- सर्विक्स वजायना के बाहरी हिस्से में आ जाता है।
फोर्थ ग्रेड- पूरा यूट्रस वजायना के बहार आ जाता है।
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नॉर्मल डिलिवरी के बाद होते हैं चांसेस
जिन महिलाओं की डिलिवरी नॉर्मल हुई है, उनको यूटराइन प्रोलैप्स की समस्या हो सकती है। यूटेरिन प्रोलैप्स चाइल्ड बर्थ से रिलेटेड है। प्रेग्नेंसी और डिलिवरी के बाद ये समस्या बढ़ सकती है। प्रसव के दौरान वैक्यूम या फॉरसेप्स के यूज से टिशू कमजोर पड़ सकते हैं। जिन महिलाओं को खांसी अधिक आती है या फिर किसी भी शारीरिक क्रिया के लिए जोर लगाना पड़ता है, उन्हें ये समस्या हो सकती है। यूटराइन प्रोलैप्स की समस्या महिला को अधिक उम्र या फिर कम उम्र में भी हो सकती है। ज्यादातर महिलाओं में ये समस्या 50 के बाद होती है।
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यूटराइन प्रोलैप्स में एक्सरसाइज करना सही है?
यूटराइन प्रोलैप्स में एक्सरसाइज से सुधार हो सकता है। यूटराइन प्रोलैप्स में एक्सरसाइज सभी महिलाओं को फायदा पहुंचाएगी, ये जरूरी नहीं है। जिन महिलाओं को यूटराइन प्रोलैप्स पहली से तीसरी डिग्री तक होता है, उन्हें अधिकतर मामलों में सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती है। कभी-कभी अंग अपने आप सही स्थिति में वापस आ जाते हैं, या फिर नीचे की ओर ज्यादा नहीं आते हैं। कई महिलाओं को पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज की हेल्प से बहुत राहत मिलती है। पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज को कीगल एक्सरसाइज भी कहते हैं। यूटराइन प्रोलैप्स में एक्सरसाइज से महिला को पूरी तरह से राहत मिलेगी या नहीं, इस बारे में कहा नहीं जा सकता है। स्टडी के बाद ये बात सामने आई है कि 100 महिलाओं में से 3 महिलाओं को पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज के बाद भी सर्जरी का सहारा लेना पड़ा। अगर महिला को ज्यादा समस्या नहीं है तो उसे सर्जरी से बचने के लिए यूटराइन प्रोलैप्स में एक्सरसाइज करना अच्छा विकल्प साबित हो सकता है।
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यूटराइन प्रोलैप्स में एक्सरसाइज के लिए कीगल
कीगल एक्सरसाइज या पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज की हेल्प से पेल्विक के निचले हिस्से की मांसपेंशियों को मजबूती मिलती है। यूटराइन प्रोलैप्स में एक्सरसाइज उन महिलाओं के लिए सही रहती है जिन्हें माइल्ड ब्लैडर लीकेज ( mild bladder leakage) की समस्या होती है। इसे स्ट्रैस इंकॉन्टिनेंस (stress incontinence) भी कहते हैं। पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज में मसल्स को स्क्वीज किया जाता है। कीगल एक्सरसाइज को रोजाना कुछ समय के लिए किया जा सकता है। अगर आपको इस बारे में जानकारी नहीं है तो ऑनलाइन वीडियो की हेल्प से भी यूटराइन प्रोलैप्स में एक्सरसाइज की जा सकती है। कई बार फिजियोथेरेपिस्ट भी पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज में आपकी हेल्प कर सकते हैं।
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जानें कब यूटेरिन प्रोलैप्स में एक्सरसाइज फायदेमंद होती है?
यूटराइन प्रोलैप्स में एक्सरसाइज तब ज्यादा फायदेमंद मानी जाती है, जब महिला को पहले से तीसरे डिग्री के प्रोलैप्स की समस्या होती है। ऐसे समय में एक्सरसाइज के माध्यम से लक्षणों में सुधार किया जा सकता है। अगर महिला नियमित रूप से एक्सरसाइज कर रही है तो कुछ अंगों जैसे यूट्रस ओर मूत्राशय को नीचे की खिसकने से भी रोका जा सकता है। यूटराइन प्रोलैप्स में एक्सरसाइज का फायदा कुछ समय बाद ही सामने आता है। कीगल एक्सरसाइज को रोजाना अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए। कुछ महिलाओं को एक्सरसाइज के बाद भी राहत नहीं मिलती है। ऐसे में महिलाओं को डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए। पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज तब ज्यादा फायदेमंद साबित होती है जब प्रोलैप्स अंग पेल्विक के सामने वाले हिस्से में हो। जहां ब्लैडर और यूरिन ट्यूब पाए जाते हैं। स्टडी में ये बात सामने आई है कि जो महिलाएं पहले ही सर्जरी कर चुकी हैं, उनमें यूटराइन प्रोलैप्स में एक्सरसाइज का कोई खास फर्क नजर नहीं आता है। ये बात भी सामने आई है कि लंबे समय तक पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज अंगों को नीचे की ओर जाने से रोकने में मदद करती है।
कीगल एक्सरसाइज के लिए स्टेप
- सबसे पहले अपने घुटनों को मोड़ें और बैठ जाएं। आप चाहे तो लेट भी सकते हैं।
- अपने बैक को ऊपर की ओर उठाएं। अब पेल्विक मसल्स को टाइट करने की कोशिश करें।
- कुछ समय के लिए टाइट रखें और फिर रिलैक्स करें।
- इस प्रॉसेस के दौरान रिलैक्स करना बहुत जरूरी है।
- कीगल एक्सरसाइज को 10 से 15 बार करें।
- अगर आप लेट कर इस एक्सरसाइज को कर रही हैं, तो लेटकर घुटनों को मोड़ लें। इसके बाद इसे करें।
- अगर खड़े हो कर कर रहे हैं तो पैर को फैला लें और उसके बाद इस एक्सरसाइज को करें।
अगर आपको यूटराइन प्रोलैप्स के लक्षण दिख रहे हैं तो इस बारे में पहले डॉक्टर से परामर्श करें। यूटराइन प्रोलैप्स में एक्सरसाइज के बारे में डॉक्टर से जानकारी प्राप्त करें। यूटराइन प्रोलैप्स में एक्सरसाइज का असर हर महिला पर अलग तरीके से होगा। इसलिए इस बारे में डॉक्टर से जरूर सलाह कर लें।
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