परिचय
एंटीमाइटोकॉन्ड्रियल एंटीबॉडी टेस्ट (Antimitochondrial Antibody Test ) क्या है?
एंटीमाइटोकॉन्ड्रियल एंटीबॉडी टेस्ट का अक्सर इस्तेमाल प्राइमरी बिलियरी सिरहोसिस (पीबीसी) की जांच करने के लिए किया जाता है। एंटीमाइटोकॉन्ड्रियल एंटीबॉडी एक साईटोप्लास्मिक एंटीबॉडीज हैं, जो मिटोकोंड्रीया पर लिपोप्रोटीन के विपरीत काम करता है. एंटीमाइटोकॉन्ड्रियल एंटीबॉडी उन 94% मरीजों में होती है जो प्राइमरी बिलियरी सिरहोसिस से पीड़ित होते हैं। एम-2 एंटीबॉडी का समूह प्राइमरी बिलियरी सिरहोसिस के निदान के लिए ख़ास माना जाता है। हालांकि, ये एंटीबॉडी रोग में होने वाली बढ़ोतरी को जांचने में मदद नहीं करती।
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एंटीमाइटोकॉन्ड्रियल एंटीबॉडी टेस्ट (Antimitochondrial Antibody Test ) क्यों किया जाता है?
एएमए या एएमए-एम2 टेस्ट आमतौर पर डॉक्टर द्वारा कराने की तब सलाह दी जाती है जब उन्हें लगता है कि आप ऑटोइम्यून डिसऑर्डर जैसे प्राइमरी बिलियरी सिरोसिस कोलेस्टासिस से पीड़ित हैं।
प्राइमरी बिलियरी सिरहोसिस कोलेस्टासिस के लक्षण जैसे :
- खुजली की समस्या
- पीलिया की बीमारी
- थकान का एहसास
- पेट में दर्द
- लिवर का बड़ा होना
कई लोगों में शुरूआती चरणों में प्राइमरी बिलियरी सिरोसिस कोलेस्टेसिस बिना किसी लक्षण के देखा जाता है। इस डिसऑर्डर को आमतौर पर अन्य परीक्षणों में असामान्यताओं के माध्यम से पहचाना जाता है जैसे लीवर एन्ज़ाइम्स। आप अधिक जानकारी के लिए इस बारे में डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं।
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महत्वपूर्ण जानकारी
एंटीमाइटोकॉन्ड्रियल एंटीबॉडी टेस्ट (Antimitochondrial Antibody Test ) से पहले मुझे क्या पता होना चाहिए?
एएमए या एएमए-एम2 टेस्ट का इस्तेमाल अन्य टेस्ट के साथ भी किया जा सकता है, जिनका उपयोग लिवर रोग या चोट के अन्य कारणों का पता लगाने के लिए किया जाता है। ये कारण जिनमें इन्फेक्शन, जैसे वायरल हेपेटाइटिस की बीमारी, ड्रग, अल्कोहल की लत, टॉक्सिन्स, अनुवांशिक रूप से बीमारियां, मेटाबोलिक बीमारियां, और ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस शामिल हैं। एएमए या एएमए-एम2 टेस्ट प्राइमरी बिलियरी सिरहोसिस का निदान नहीं कर सकते हैं, अन्य टेस्ट और चिकित्सीय लक्षणों की मदद से प्राइमरी बिलियरी सिरहोसिस कोलेस्टासिस का निदान हो सकता है।
अन्य टेस्ट जिनकी सलाह डॉक्टर दे सकते हैं जैसे ;
- एंटी न्यूक्लियर एंटीबॉडीज (एएनए);
- इम्युनोग्लोब्युलिन एम ( (आईजीएम);
- बिलीरुबिन;
- एल्बुमिन;
- सी – रिएक्टिव प्रोटीन;
- चिकनी मांसपेशी एंटीबॉडी (एसएमए)।
डॉक्टर को अलग से लीवर बायोप्सी करने की जरूरत पड़ सकती है जिससे एएमए टेस्ट और हाई लीवर एन्ज़ाइम्स के सकारात्मक परिणाम के बाद प्राइमरी बिलियरी सिरहोसिस का पता चल सके।
प्राइमरी कोलेस्टेटिक सिरोसिस के लगभग 50% मामलों का पता, मरीज को लक्षण दिखने से पहले ही पता चल जाते हैं.
जरूरी है कि आप इस सर्जरी से पहले चेतावनी और सावधानियों के बारे में अच्छे से समझ लें। अगर आपको किसी भी तरह का सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से बात करें।
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कोलेस्ट्रॉल टेस्ट
प्राइमरी बिलियरी सिरहोसिस से ग्रस्त करीब आधे से ज्यादा लोगों में ब्लड फैट (लिपिड्स) बढ़ जाता है। कुल कोलेस्ट्रॉल लेवल भी इसमें शामिल है।
लिवर टेस्ट
लिवर टेस्ट के दौरान एंजाइम के लेवल को चेक किया जाता है जो कि लिवर डिजीज या फिर बाइल डक्ट इंजरी के बारे में जानकारी देता है।
ऑटोइम्यून डिजीज के लिए एंटीबॉडी टेस्ट
ब्लड टेस्ट के दौरान एंटी माइटोकॉन्ड्रियल एंटीबॉडी (AMAs) के बारे में जानकारी मिलती है। ये सबस्टेंस बिना बीमारी के व्यक्ति में नहीं पाए जाते हैं भले ही व्यक्ति को कोई अन्य लिवर डिसऑर्डर हो।
जानिए कैसे होता है टेस्ट
एंटीमाइटोकॉन्ड्रियल एंटीबॉडी टेस्ट (Antimitochondrial Antibody Test ) के लिए कैसे तैयारी करें?
- आपको अपने डॉक्टर द्वारा दी गयी सलाह को ध्यानपूर्वक सुनना चाहिए।
- टेस्ट से पहले आपको इसमें किसी भी तरह की फ़ास्ट या ख़ास तैयारी करने की जरूरत नहीं है।
- आप एक बार चाहे तो डॉक्टर से जानकारी प्राप्त कर सकती हैं कि आपको टेस्ट के पहले क्या एहतियात बरतने चाहिए।
एंटीमाइटोकॉन्ड्रियल एंटीबॉडी टेस्ट (Antimitochondrial Antibody Test) के दौरान क्या होता है?
- एंटीमाइटोकॉन्ड्रियल एंटीबॉडी टेस्ट(Antimitochondrial Antibody Test ) या एएमए टेस्ट के दौरान ब्लीडिंग रोकने के लिए हाथ के आसपास पट्टी बांधी जाती है।
- इंजेक्शन के आसपास की जगह को एल्कोहॉल से साफ किया जाता है
- नसों में सूई लगायी जाती है। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर एक से ज्यादा बार भी लगा सकता है
- ब्लीडिंग रोकने के लिए नली लगायी जाएगी।
- रक्त निकलना बंद होने के बाद हाथ पर बंधी पट्टी को हटा दिया जाएगा।
- इंजेक्शन वाली जगह पर रूई या पट्टी बांधी जाएगी।
- इंजेक्शन वाली जगह पर अर्गो लगाएं.
एंटीमाइटोकॉन्ड्रियल एंटीबॉडी टेस्ट या एएमए टेस्ट के बाद क्या होता है?
टेस्ट के बाद नसों को दबाना चाहिए क्योंकि अगर आपको लिवर से जुड़ी समस्या है तो इससे ब्लीडिंग डिसऑर्डर भी हो सकता है.
- त्वचा के अंदर खून जा जमाव जिसे हेमाटोमा नाम से जाना जाता है.
- इंजेक्शन वाली जगह पर संक्रमण
एंटीमाइटोकॉन्ड्रियल एंटीबॉडी से जुड़ा अगर आपको कोई सवाल है तो अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए अपने डॉक्टर से सलाह लें।
परिणाम
एंटीमाइटोकॉन्ड्रियल एंटीबॉडी टेस्ट: मेरे परिणामों का क्या मतलब है?
एएमए टेस्ट के सामान्य परिणाम
सीरम एंटीमाइटोकॉन्ड्रियल एंटीबॉडी की उपस्थिति प्राइमरी बिलियरी सिरोसिस (पीबीसी) होने का संकेत है.
एंटीमाइटोकॉन्ड्रियल एंटीबॉडी इम्यूनोऐसे का एंजाइम इम्यूनोऐसे पर रेंज 1.40 से थोडा सा कम होता हैऔर इनडायरेक्ट इम्यूनोफ्लोरसीन (आईएफ) पर निगेटिव होता है.
एएमए टेस्ट के असामान्य परिणाम
एंटीबॉडीज का बढ़ता स्तर :
- प्राइमरी बिलियरी सिरहोसिस (पीबीसी):
- सक्रीय क्रोनिक हेपेटाइटिस ;
- सिस्टेमेटिक लुपुस एरिथिमाटोसुस ;
- सिफिलिस ;
- ड्रग इंड्यूस्ड बिलियरी ऑब्स्ट्रक्शन ;
- ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस ;
- एक्स्ट्राहेपाटिक ऑब्स्ट्रक्शन ;
- एक्यूट इंफेकशियस हेपेटाइटिस।
- प्रयोगशाला और अस्पताल के आधार पर, एंटीमाइटोकॉन्ड्रियल एंटीबॉडी परीक्षण की सामान्य सीमा भिन्न हो सकती है। आपको अपने टेस्ट को लेकर जिस भी तरह के सवाल है उस बारे में अपने डॉक्टर से बात करें।
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एंटीमाइटोकॉन्ड्रियल एंटीबॉडी टेस्ट (Antimitochondrial Antibody Test) के दौरान रिस्क क्या है?
एंटीमाइटोकॉन्ड्रियल एंटीबॉडी टेस्ट(Antimitochondrial Antibody Test ) के दौरान जब डॉक्टर खून निकालता है तो आपको असुविधा हो सकती है। टेस्ट के दौरान या फिर बाद में पंचर साइट में (puncture site ) दर्द का एहसास हो सकता है। वैसे तो खून अधिक निकलने का जोखिम नहीं होता है।
- सैंपल लेने के दौरान असुविधा, सैंपल लेने के दौरान अगर निडिल चिपक जाती है (multiple needle sticks) तो खून अधिक निकल सकता है।
- सैंपल लेने के दौरान पेशेंट को बेहोशी आ सकती है।
- स्किन में हेमेटोमा (hematoma) की समस्या, जिसमें रक्त त्वचा के नीचे इक्ट्ठा हो जाता है।
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