परिभाषा
बोन मैरो बायोप्सी टेस्ट(Bone Marrow Biopsy) क्या है?
बोन मैरो बायोप्सी टेस्ट के जरिए डॉक्टर ब्लड सेल्स की सेहत की जांच करता है। बोन मैरो अधिकांश बड़ी हड्डियों में पाया जाने वाला मुलायम टिशू है। बोन मैरो शरीर में कई ब्लड सेल्स बनाता है, जैसे- रेड ब्लड सेल्स, वाइट ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स।
बोन मैरो के अंदर मौजूद स्टेम सेल्स कई तरह के ब्लड सेल्स बनाता है। बोन मैरो में दो तरह के स्टेम सेल्स होते हैं- माइलॉयड और लिम्फोइड सेल्स (कोशिकाएं)।
माइलॉयड कोशिका रेड ब्लड सेल्स, व्हाइड ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स बनाती हैं। जबकि लिम्फोइड स्टेम सेल्स खास तरह की व्हाइट ब्लड सेल बनाती है जो इम्यूनिटी के लिए जिम्मेदार है।
रक्त विभिन्न तत्वों से मिलकर बना होता है और शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में इसकी अहम भूमिका होती है और इन तत्वों को बोन मैरो बनाता है। रेड ब्लड सेल्स पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है। वाइट ब्लड सेल्स, जो कई प्रकार के होते हैं, संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। प्लेटलेट्स खून का थक्का जमने में सहायता करते हैं।
बोन मैरो बायोप्सी (Bone Marrow Biopsy) क्यों किया जाता है ?
यदि खून की जांच में आपके प्लेटलेट्स, वाइट ब्लड सेल्स और रेड ब्लड सेल्स सामान्य से कम या अधिक है तो डॉक्टर बोन मैरो बायोप्सी के लिए कह सकता है। बायोप्सी इन असमानताओं के कारणों की जांच में मदद करती है जिसमें शामिल हैः
- एनीमिया या रेड ब्लड सेल्स काउंट का कम होना
- माइलोफिब्रोसिस या माइलोडायस्प्लास्टिक सिंड्रोम जैसी बोन मैरो बीमारी
- ब्लड सेल्स की स्थिति, जैसे- ल्यूकोपेनिया, थ्रोम्बोसाइटोपेनिया या पॉलीसिथेमिया
- बोन मैरो या ब्लड कैंसर, जैसे- ल्यूकेमिया या लिम्फोमास
- हेमोक्रोमैटोसिस, एक अनुवांशिक बीमारी जिसमें में आयरन बनने लगता है
- संक्रमण या अज्ञात कारण से बुखार
यह स्थितियां आपके ब्लड सेल्स के उत्पादन और ब्लड सेल्स के विभिन्न प्रकारों के स्तर को प्रभावित कर सकती हैं। जब शरीर बल्ड सेल्स बनाने में असफल होता है तो इस स्थिति को मायेलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम कहा जाता है।
डॉक्टर बोन मैरो टेस्ट के लिए कह सकता है, ताकि इसकी ज़रिए वह पता लगा सके कि बामारी कितनी बढ़ी है, कैंसर कौन से स्टेज तक पहुंचा है या इलाज कितना प्रभावी हो रहा है।
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एहतियात/चेतावनी
बोन मैरो बायोप्सी (Bone Marrow Biopsy) से पहले मुझे क्या पता होना चाहिए?
किसी भी अन्य मेडिकल टेस्ट की तरह बोन मैरो बायोप्सी में संभावित जोखिम रहता है। बोन मैरो एस्पीरेशन और बायोप्सी का सबसे आम साइड इफेक्ट है रक्तस्राव। हालांकि यह असामान्य है और 1 प्रतिशत से भी कम लोगों को होता है, लेकिन यदि मरीज का प्लेटलेट काउंट बहुत कम है तो इसकी संभावना बढ़ जाती है। इस मामले में निदान से संभावित जोखिम कम कर देता है।
अन्य खतरे
- संक्रमण (त्वचा में जिस जगह सुई चुभाई जाती है) का भी जोखिम रहता है, खासतौर पर उन लोगों को जिनका
व्हाइड ब्लड सेल्स कम होता है। टेस्ट की प्रक्रिया के बाद कुछ लोगों को लगातार दर्द भी हो सकता है। इन जोखिमों को प्रक्रिया से पहले कंप्लीट ब्लड काउंट टेस्ट कराके कम किया जा सकता है।
- ब्रेस्ट की हड्डियां हृदय और फेफड़ों से सटी होती है ऐसे में इन पर बोन मैरो एस्पीरेशन करते समय इनके आसपास की संरचना को नुकसान पहुंचने का खतरा रहता है।
- साथ ही बेहोशी के लिए इस्तेमाल होने वाली दवा या टेस्ट वाली जगह को सुन करने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे लोकल एन्सथेटिक से एलर्जिक रिएक्शन का भी जोखिम रहता है।
- जिन लोगों का प्लेटलेट काउंट बहुत कम होता है उनकी बायोप्सी प्रक्रिया को कुछ दिनों के लिए रोक देना चाहिए या इससे पहले प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन किया जाना चाहिए। जिन लोगों का वाइट और रेड ब्लड सेल्स कम है उन्हें भी कुछ दिन बात ही बायोप्सी टेस्ट करवाना चाहिए या फिर टेस्ट से पहले रेड और व्हाइड ब्लड सेल्स को बढ़ाने के लिए दवा लेने की जरूरत है।
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प्रक्रिया
बोन मैरो बायोप्सी (Bone Marrow Biopsy) के लिए कैसे तैयारी करें?
- बोन मैरो टेस्ट सुरक्षित तरीके से हो इसके लिए आपका डॉक्टर टेस्ट से पहले कुछ सवाल पूछेगा।
- सवालों की लिस्ट और मेडिकल हिस्ट्री पहले से ही तैयार कर लेने से आपको आसानी होगी।
- बोन मैरो बायोप्सी में रक्तस्राव का जोखिम रहता है, इसलिए डॉक्टर आपसे आपकी दवाइयों और यदि कोई हर्बल ट्रीटमेंट ले रहें हैं तो उसके बारे में पूछ सकता है, क्योंकि यह ब्लीडिंग को बढ़ा सकते हैं।
- सामान्य पेन किलर जैसे एस्प्रिन, आईब्रूफेन और नैप्रोक्सेन भी ब्लीडिंग बढ़ा सकते हैं। एंटीकोआगुलंट्स या हेपरिन और वार्फरिन जैसी खून को पतला करने वाली दवाइयों के कारण भी ब्लीडिंग का खतरा बढ़ सकता है।
- डॉक्टर आपको बताएगा कि टेस्ट से पहले आपको इन दवाइयों का सेवन करना है या नहीं।
- बायोप्सी के दौरान एलर्जी की समस्या भी हो सकती है। इसलिए डॉक्टर आपसे इस बारे में पूछेगा, खासतौर पर एन्सेथेटिक्स और लैटेक्स जो सर्जिकल ग्लव्स में होते हैं, से एलर्जी के बारे में। प्रक्रिया के दौरान एन्सथेटिक्स का इस्तेमाल होता है इसलिए टेस्ट के बाद मरीज को अपने किसी परिवार के सदस्य या दोस्त को घर पहुंचाने के लिए बोलना होगा।
बोन मैरो बायोप्सी (Bone Marrow Biopsy) के दौरान क्या होता है?
बोन मैरो बायोप्सी की प्रक्रिया हर डॉक्टर के हिसाब से अलग होती है। आमतौर पर इस प्रक्रिया में निम्न चरण होते हैंः
- एस्पिरेशन: डॉक्टर बोन मैरो से तरल पदार्थ निकाल देता है
- बायोप्सी: डॉक्टर हड्डी और बोन मैरो टिशू का छोटा सा हिस्सा निकालता है
आमतौर पर बोन मैरो बायोप्सी के लिए अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत नहीं होती है, लेकिन कुछ पेशेंट को एडमिट करने के बाद यह किया जाता है। बोन मैरो बायोप्सी आमतौर पर पेल्विक बोन के साथ किया जाता है, लेकिन इसके लिए दूसरी हड्डियों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
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बोन मैरो बायोप्सी की प्रक्रियाः
- बायोप्सी से पहले मरीज को गाउन पहनाया जाता है। फिर उसे एक साइड या पेट के बल लेटने को कहा जाता है। बायोप्सी की जगह के हिसाब से सोने की पोजीशन अलग हो सकती है। फिर डॉक्टर बायोप्सी वाले हिस्से को एंटीसेप्टिक से साफ करता है।
- बायोप्सी वाले हिस्से को सुन्न करने के लिए डॉक्टर सुई की मदद से एन्सथेटिक देता है। इस प्रक्रिया में जब एनेस्थेटिक उस हिस्से में प्रवेश करता है तो थोड़ा दर्द महसूस होता है।
- एक बार बायोप्सी वाला हिस्सा सुन्न कर देने के बाद डॉक्टर उस जगह पर छोटा सा चीरा लगाता है। बोन मैरो एस्पिरेशन अक्सर पहले किया जाता है। डॉक्टर सीरिंज की मदद से बोन मैरो सेल्स का तरल नमूना लेता है।
- एस्पिरेशन के बाद डॉक्टर बोन मैरो बायोप्सी करता है। इस प्रक्रिया में एस्पिरेशन के लिए इस्तेमाल हुई सुई से भी बड़ी सुई का इस्तेमाल किया जाता है। डॉक्टर सुई को हड्डी के अंदर डालकर घुमाता है और हड्डी और टिशू का नमूना निकालता है।
बोन मैरो बायोप्सी (Bone Marrow Biopsy) के बाद क्या होता है ?
सुई निकालने के बाद उस हिस्स को दबाकर रक्तस्राव रोकने की कोशिश का जाती है और फिर बैंडेज लगा दिया जाता है।
यदि आपको लोकल एनेस्थीसिया दिया जाता है तो आपको 10-15 मिनट लेटने और बायोप्सी वाले हिस्से को दबाकर रखने के लिए कहा जाता है। इसके बाद जब आप बेहतर महसूस करें तो अपनी रोज़मर्रा के काम शुरू कर सकते हैं।
यदि आपको आईवी सेडेशन किया जाता है तो आपको रिकवरी एरिया में ले जाया जाता है। इसके बाद कोई दोस्त या परिवार वाले को कहे कि वह आपको घर ले जाए और 24 घंटों तक आराम करें।
बोन मैरो टेस्ट के बाद एक हफ्ते या उससे ज़्यादा समय तक आपको दर्द और कमज़ोरी महसूस हो सकती है। अपने डॉक्टर से एसिटामिनोफेन (टाइलेनॉल, अन्य) जैसी दर्द निवारक दवाइयां लेने के बारे में पूछें।
टेस्ट के 24 घंटे तक बैंडेज को गीला न होने दें। स्नान न करें, स्वीमिंग या हॉट टब का भी इस्तेमाल न करें। एस्पिरेशन और बायोप्सी के 24 घंटे बाद उस स्थान को गीला कर सकते हैं।
डॉक्टर से संपर्क करें यदिः
- बहुत ज़्यादा खून आने लगे और बैंडज भीग जाए। दबाव देने पर भी ब्लाडिंग न रुके।
- लगातार बुखार
- दर्द या बेचैनी बढ़ना
- बायोप्सी वाली जगह पर सूजन
- उस हिस्से का लाल होना या ड्रेनेज होना
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रक्तस्राव कम करने के लिए टेस्टके बाद एक दो दिन तक ज्यादा काम और एक्सरसाइज न करें।
बोन मैरो बायोप्सी के बारे में किसी तरह का प्रश्न होने पर और उसे बेहतर तरीके से समझने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
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परिणामों को समझें
मेरे परिणामों का क्या मतलब है ?
बोन मैरो सैंपल को मूल्यांकन के लिए लैबोरेट्री में भेजा जाता है। आपका डॉक्टर कुछ दिनों में इसके परिणाम बता देगा, कभी-कभार ज्यादा समय भी लग सकता है।
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लैब में
लैब में एक हेमटोलॉजिस्ट या बायोप्सी (पैथोलॉजिस्ट) नमूनों का मूल्यांकन कर यह पता लगाता है कि क्या आपका बोन मैरो पर्याप्त रेड ब्लड सेल्स बना रहा है और क्या कुछ असामान्य सेल्स हैं। इस जानकारी से डॉक्टर को मदद मिलती हैः
- निदान की पुष्टि में
- बीमारी कितनी बढ़ी है निर्धारित करने में
- इलाज प्रभावी है या नहीं इसका मूल्यांकन करने में
आपके परिणामों के आधार पर फॉलो अप टेस्ट के लिए कहा जा सकता है।सभी लैब और अस्पताल के आधार पर बोन मैरो बायोप्सी की सामान्य सीमा अलग-अलग हो सकती है। परीक्षण परिणाम से जुड़े किसी भी सवाल के लिए कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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