के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist
सीएमवी जन्मजात इंफेक्शन भी हो सकता है।
पहले कभी संक्रमित होने या गर्भावस्था के दौरान माँ को ये बीमारी दोबारा हो सकती है । मां से संक्रमित शिशु निश्चित रूप से 10% इनफैक्ट होने के कारण मेन्टल रिटार्डनेस और सुनने की समस्या से पीड़ित होते है ।
भ्रूण में संक्रमण से माइक्रोसेफली, हाइड्रोसिफ़लस, सेरेब्रल पाल्सी, मेन्टल डिसेबिलिटी या मृत्यु तक हो सकती है।
टर्म टीओआरसीएच
टी- (टॉक्सोप्लाज्मोसिस [टॉक्सोप्लाज्मोसिस]
ओ- अन्य (other) बीमारियां
आर- रूबेला,
सी- सीएमवी (साइटोमेगालोवायरस, हर्पीज)
जैसे, संक्रामक भूर्ण पे गंभीर रोगजनक और हानिकारक प्रभाव डालते है ।
आमतौर पे संक्रमण भ्रूण, बच्चों और किशोरों में होता है।
उन लोगों में सीएमवी संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है जो : समलैंगिक या गे है, ऑर्गन ट्रांसप्लांट के रोगी और जिन्हें एड्स है ।
अक्सर संक्रमण तरल पदार्थ या मूत्र के संपर्क में आने से होता है। ब्लड इंफेक्शन एक आम सीएमवी प्रसारक है। एक्यूट सीएमवी संक्रमण वाले ज्यादातर रोगियों में कुछ लक्षण दिखाई देते है और कुछ में ना के बराबर होते है ।
कुछ टेस्ट द्वारा सीएमवी के लक्षणों का पता लगाया जा सकता है जो ये बता सकते है कि आप संक्रमित है या नहीं । ब्लड सैंपल, शरीर के तरल पदार्थ, बॉडी टिश्यू के नमूने की जांच और बायोप्सी कराने के साथ साथ पीसीआर या ट्रांसप्लांट के द्वारा वायरस का पता लगाया जा सकता है ।
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ये टेस्ट इस बात को निश्चित करता है कि आपको इंफेक्शन है या नहीं । अगर आप प्रेग्नेंट है तो ये टेस्ट और भी जरूरी हो जाता है क्योंकि इस बात की बहुत कम संभावना है कि, प्रग्नेंट महिला के एन्टीबॉडीज भूर्ण को पूरी सुरक्षा दे पाए और उसे संक्रमण से बचा पाए।
यदि प्रेग्नेंसी के दौरान कोई नया इंफेक्शन पकड़ में आया है तो निश्चित रूप से आपको एमनियोटिक फ्लूइड पंचर टेस्ट कराने के बारे में सोचना चाहिए । डॉक्टर एमनियोटिक फ्लूइड से इस बात का पता लगाता है कि भ्रूण वायरस से संक्रमित है या नहीं।
आमतौर पे एमनियोटिक फ्लूइड पंचर टेस्ट का महत्व तब और बढ़ जाता है जब सीएमवी वायरस के कारण शारीरिक स्थितियों में गड़बड़ी होने लगती है और अल्ट्रासाउंड में दूसरे इंफेक्शन के बारे में पता चलता है ।
यदि आपको या आपके डॉक्टर को लगता है कि आपके बच्चे को जन्मजात सीएमवी इंफेक्शन (जन्म के बाद से संक्रमित) हो सकता है, तो जन्म होने के बाद के पहले तीन हफ्तों में शिशु का टेस्ट करना बहुत जरूरी है।
लबे समय की देरी होने से टेस्ट आपको सही रिपोर्ट नहीं दे पाएगा कि, आपका शिशु जन्मजात सीएमवी से संक्रमित है या नहीं । क्योंकि तब तक बच्चा चिकित्सा कर्मियों से या भाई-बहन या अन्य वायरस से संक्रमित बच्चों के संपर्क में आने से संक्रमित हो सकता है।
अगर आपको कोई इम्यून सिस्टम को कमजोर करने या आपके रोगों से लड़ने की क्षमता को नुकसान पहुचाने वाला विकार है तो सीएमवी टेस्ट आपके लिए कारगर सिद्ध हो सकता है ।
यदि आपको एचआईवी या एड्स है, तो आपको सीएमवी स्क्रीनिंग कराने की जरूरत है। अगर आप किसी सक्रिय संक्रमण से ग्रस्त नहीं भी है, फिर भी सीएमवी संक्रमण की समस्याओं को समझने के लिए आपको स्क्रीनिंग की आवश्यकता होती है, जैसे कि देखने या सुनने कि समस्या ।
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डॉक्टर ट्रांसप्लांट से, सीएमवी पहचान और उसे दूर कर सकते हैं। लेकिन इस तरह, डॉक्टर हाई इंफेक्शन को क्रोनिक इंफेक्शन और इनएक्टिव इंफेक्शन से अलग नहीं कर सकता है।
कल्चर को अलग करने के लिए, डॉक्टर यूरिन, थूक, लार के सैंपल की जांच कर सकते है। आपका डॉक्टर नए सैंपल लेने के लिए भी निर्देश दे सकता है ।
दो तीन दिनों में सैम्पल लैब में कल्चर होते है।
ब्लड सैम्पल देने के बाद आपको खून के बहाव को रोकने के लिए बैंडेज लगाना चाहिए और नस को दबा के रखना चाहिए।
यदि आपके मन मे साइटोमेगालोवायरस टेस्ट को लेकर कोई सवाल हैं, तो कृपया निर्देशों को बेहतर ढंग से समझने के लिए अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
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नार्मल रिजल्ट: सीएमवी से संक्रमित नहीं।
एब्नार्मल रिजल्ट: सीएमवी।
सीएमवी एंटीबॉडी की मौजूदगी सीएमवी इंफेक्शन होने का संकेत देती है। यदि एंटीबॉडी की मात्रा (एंटीबॉडी टाइट्रे कहा जाता है) कुछ हफ्तों के भीतर बढ़ जाती है, तो इसका मतलब है कि आप इन्फेक्टेड हैं या हाल में हुए हैं।
अलग अलग हॉस्पिटल या लैब में साइटोमेगालोवायरस टेस्ट की नार्मल रेंज अलग अलग हो सकती है कृपया अपने रिजल्ट के बारे में अपने डॉक्टर से बात करे।
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हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में साइटोमेगालोवायरस टेस्ट से जुड़ी ज्यादातर जानकारियां देने की कोशिश की है, जो आपके काफी काम आ सकती हैं। साइटोमेगालोवायरस टेस्ट से जुड़ी यदि आप अन्य जानकारी चाहते हैं तो आप हमसे कमेंट कर पूछ सकते हैं।
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