4. डिमेंशिया
दुनिया भर में लगभग 50 मिलियन लोग डिमेंशिया की मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं। डिमेंशिया ग्रस्त व्यक्ति की याददाशत इतनी ज्यादा प्रभावित हो जाती है कि वे अपने रोजमर्रा के कामों को ठीक से नहीं कर पाते। यहां तक कि इंसान कभी-कभी अपना शहर, कौन-सा साल या महीना चल रहा है, यह सब भी भूल जाता है। अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का सबसे आम कारण है। यह मानसिक बीमारी सिर की गंभीर चोट, स्ट्रोक आदि के कारण भी हो सकती है।
सलाह-डिमेंशिया का उपचार उसके कारण पर निर्भर करता है। कुछ दवाइयां और थेरेपी इसके उपचार के लिए इस्तेमाल की जाती है। जो डिमेंशिया के लक्षणों को कम करने में काफी मददगार होती हैं। इसके अलावा दिमाग को सक्रिय बनाएं रखने के लिए किसी न किसी रचनात्मक कार्य में रोगी को व्यस्त रखें।
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5. ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर
ओसीडी (ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर) एक प्रकार की मानसिक बीमारी है जिसमें लोग एक ही चीज को बार-बार करते हैं जैसे बार-बार वस्तुओं को गिनना, बार-बार जाकर देखना कि दरवाजा बन्द है कि नहीं, बार-बार हाथ धोना, एक ही बात को रिपीट करना या कुछ विचार उनके मन में बार-बार आते हैं। इसके चलते व्यक्ति को बेचैनी, डर और चिंता का सामना करना पड़ता है। इस मानसिक विकार से ग्रसित इंसान काम को बार-बार दोहराता है जिससे उसके दैनिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगता है।
सलाह-आज तक ओसीडी को ठीक नहीं किया जा सका है लेकिन इलाज से लक्षणों को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है जिससे पीड़ित के दैनिक दिनचर्या में कोई समस्या न आए। इसके दो मुख्य इलाज हैं, मनोचिकित्सा और दवाएं। दोनों के मेल से उपचार ज्यादा प्रभावी होता है।
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6. पर्सनालिटी डिसऑर्डर
मानसिक अस्वस्थ्यता के चलते पर्सनालिटी डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्तियों के व्यवहार में इतने ज्यादा बदलाव होते है कि इंसान उससे परेशान हो जाता है और उसका बुरा प्रभाव व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन पर पड़ता है। इस तरह के मानसिक विकार से पीड़ित व्यक्ति को खुद भी आभास नहीं होता है कि वह क्या कर रहा है? भीड़ में जाने से डरना, घर के बाहर निकलने में बहुत ज्यादा डरना आदि लक्षण पीड़ित में अक्सर देखने को मिलते हैं। इसके अलावा, ऐसा व्यक्ति बहुत अलग तरीके से सोचता और ऐसे व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव लाना बहुत कठिन होता है।
सलाह- इस तरह के मानसिक विकार में व्यक्ति दवाओं के साथ-साथ डॉक्टर के द्वारा बताई गई थेरेपी का प्रयोग भी करते हैं।
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7. पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD)
पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर एक ऐसी स्थिति है जिसका सीधा संबंध व्यक्ति के साथ घटी एक दर्दनाक या भयानक घटना के साथ होता है। जैसे यौन या शारीरिक उत्पीड़न, कोई गंभीर दुर्घटना, किसी प्रियजन की अस्वाभाविक मौत आदि। इस तरह की घटनाओं को या तो व्यक्ति अनुभव कर चुका होता है या उसे देख चुका होता है। हालांकि शारीरिक रूप से ऐसा व्यक्ति ठीक दिखता है लेकिन मानसिक रूप से वे काफी छतिग्रस्त होते हैं। इस तरह के मेंटल डिसऑर्डर से पीड़ित इंसान लंबे समय तक उन भयानक घटनाओं से उबर नहीं पाता है जिससे उसके जीवन का हर एक पहलू प्रभावित होता है।
सलाह- इस तरह के मानसिक रोग से पीड़ित व्यक्ति को भावनात्मक रूप से सपोर्ट करें। समय और उचित देखरेख के साथ पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के लक्षण कम हो जाते हैं। हालत में जल्दी सुधार के लिए किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ की मदद लें। पर्याप्त आराम के साथ व्यायाम करना और स्वस्थ पोषक आहार लेना भी इसके उपचार में शामिल है।
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