ओवरी से प्रोजेस्ट्रॉन रिलीज होता है। प्रोजेस्ट्रॉन लेवल में बदलाव के कारण पीरियड्स (मासिकधर्म) अनियमित हो जाते हैं। गर्भ ठहरने के लिए प्रोजेस्ट्रॉन की अहम भूमिका होती है। प्रोजेस्ट्रॉन के लेवल में आ रहे बदलाव के कारण मूड स्विंग्स, डिप्रेशन और एकने जैसी परेशानी शुरू हो जाती हैं। इस तरह प्रेग्नेंसी में हाॅर्मोनल बदलाव का महिलाओं के व्यवहार पर गहरा असर पड़ता है।
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को सेक्स करने की इच्छा भी नहीं होती है। प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स का आनंद उठाया जा सकता है लेकिन कुछ महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स करने से डरती है। साथ ही महिलाओं में हार्मोन में बदलाव के कारण सेक्स ड्राइव में कमी भी होती है। इस कारण से महिलाएं सेक्स से झिझकती हैं। अगर प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ बातों पर ध्यान दिया जाए तो सेक्स का आनंद भी लिया जा सकता है।
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प्रेग्नेंसी में हाॅर्मोनल बदलाव (Hormonal changes during pregnancy) में ईस्ट्रोजन में भी होता है बदलाव
ईस्ट्रोजन हॉर्मोन महिलाओं के लिए बेहद जरूरी है। ईस्ट्रोजन की कमी के कारण अनियमित पीरियड्स, तनाव और इनफर्टिलिटी की समस्या शुरू हो सकती है। प्रेग्नेंसी के दौरान ईस्ट्रोजन गर्भ में पल रहे भ्रूण (Embryo) के विकास में सहायक होता है।
प्रेग्नेंसी में हाॅर्मोनल बदलाव: प्रोलेक्टिन (Prolactin)
प्रोलेक्टिन हॉर्मोन गर्भ में पल रहे शिशु के लिए शारीरिक विकास के साथ-साथ लंग्स और ब्रेन के विकास के लिए अनिवार्य होता है। प्रोलेक्टिन हॉर्मोन गर्भ में पल रहे शिशु के साथ-साथ गर्भवती महिला की इम्यून सिस्टम को भी स्ट्रॉन्ग बनाने में मदद करता है। यही नहीं ब्रेस्ट मिल्क का प्रोडक्शन प्रोलेक्टिन हॉर्मोन के कारण ही होता है।
रिलेक्सिन भी है प्रेग्नेंसी में हाॅर्मोनल बदलाव (Hormonal changes during pregnancy) में शामिल
पहली तिमाही में रिलेक्सिन का लेवल ज्यादा होता है लेकिन, उसके बाद रिलेक्सिन हॉर्मोन के लेवल में कमी आ जाती है। रिलेक्सिन हॉर्मोन समय से पहले डिलिवरी न हो इसमें सहायक होता है। ब्लड वेसेल्स को आराम देने के साथ-साथ किडनी और प्लसेंटा तक ब्लड सप्लाई को बैलेंस्ड रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
प्रेग्नेंसी में हॉर्मोनल बदलाव में शामिल हैं ऑक्सिटोसिन
ऑक्सिटोसिन हॉर्मोन गर्भावस्था के अंत में ज्यादा सक्रिय होता है।
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