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Follicular study: फॉलिक्युलर स्टडी क्या है और कैसे किया जाता है?

Follicular study: फॉलिक्युलर स्टडी क्या है और कैसे किया जाता है?

परिचय

फॉलिक्युलर स्टडी क्या है?

फॉलिक्युलर स्टडी महिलाओं में की जाने वाली स्टडी है। फॉलिक्युलर स्टडी यह बताती है कि महिला में ओवुलेशन हो रहा है या नहीं। दरअसल यह अंडाशयी फॉलिकल तरल से भरी एक थैली होती है। यह महिलाओं के अंडाशय में पाया जाता है। दरअसल फॉलिक्युलर स्टडी और गर्भावस्था से संबंधित है। महिला के मासिक चक्र की शुरुआत में बहुत से फॉलिकल विकसित होना शुरु होते हैं। एक महिला लगभग 4 लाख फॉलिकल के साथ जन्म लेती है। इन 4 लाख फॉलिकल में से हर फॉलिकल एक अंडा रिलीज करता है। इससे यह भी पता चलता है की एक महिला में कितना ओवुलेशन हुआ है। यह अध्ययन करने के लिए कुछ सिंपल अल्ट्रासाउंड  स्कैन किए जाते हैं। यह जांच करने के लिए महिला के मासिक धर्म की वर्तमान स्थिति को जानने में मदद मिलती है। इसमें गर्भाशयी परत की मोटाई का भी पता चलता है।

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किसके लिए होता है

फॉलिक्युलर स्टडी किसके लिए होती है?

नियमित चक्र वाली महिलाएं, जो गर्भवती होने के बाद भी सफल तरीके से गर्भ धारण नहीं कर पाती है। उनके लिए यह स्टडी मददगार होती है। इसके अलावा जिन महिलाओं के चक्र अनियमित रुप से होते हैं उनके लिए भी यह मददगार होता है। इसका उपयोग महिलाएं करती हैं। यह  फर्टिलिटी से संबंधित समस्याओं में मदद करता है। जिस प्रकार का ट्रीटमेंट आप गर्भावस्था में ले रही है क्या वह सही रुप से कार्य कर रहा है, ये भी यह जानने में मदद करता है। भले ही आपने फर्टिलाइजेशन के लिए इन विट्रो फर्टिलाइजेशन ( IVF) की सहायता ली है। इसके बावजुद आपको फॉलिक्युलर स्टडी कराना चाहिए। 

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क्यों की जाती है

फॉलिक्युलर स्टडी क्यों की जाती है

आपको बता दें की महिलाओं में फॉलिक्युलर स्टडी स्कैन की मदद से यह पता लगाया जाता है। आखिर महिला में ओवुलेशन के दौरान एक बार में कितने अंडे हैं। इसमें यह भी पता चलता है कि वो पूर्ण रुप से स्वस्थ हैं या नहीं। इस अवस्था में हार्मोन बहुत मायने रखते हैं। यदि आपके हॉर्मोन का स्तर ठीक नहीं होता है तो आपको गर्भधारण में समस्या उत्पन्न होती है। जिसके लिए डॉक्टर आपको दवा लिखते हैं। 

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फॉलिकल्स कितना बड़ा होना चाहिए?

फॉलिकल्स कितना बड़ा होना चाहिए?

यदि आप प्रजनन उपचार से गुजर रहे हैं, तो आपका डॉक्टर अल्ट्रासाउंड के माध्यम से कूपिक विकास की निगरानी कर सकता है। इन अल्ट्रासाउंड के दौरान, विकासशील कूप की संख्या गिना जाएगा। उन्हें भी मापा जाएगा। रोम मिलीमीटर (मिमी) में मापा जाता है। आमतौर पर, जब आपके रोम पूर्ण परिपक्व आकार तक पहुंचने वाले हों। यह लगभग 18 मिमी का होता है। एक परिपक्व फॉलिकल्स जो ओव्यूलेट करने वाला है, वह 18 से 25 मिमी के बीच का हो सकता है।

मासिक धर्म चक्र के चरण

मासिक धर्म चक्र के चरण

यदि आप ऐसा सोचते हैं कि फॉलिक्युलर विकास मासिक धर्म चक्र के कूपिक चरण के दौरान शुरू और समाप्त होता है। तो आप गलत सोच रहे हैं। पूरा फॉलिक्युलर जीवन चक्र एक लड़की के जन्म से पहले शुरू होता है। जब अंडाशय विकसित होते हैं। इस समय, अंडाशय में केवल प्राइमर्डियल फॉलिकल होते हैं। महिलाओं का मासिक धर्म चक्र हार्मोन-संचालित घटनाओं की एक श्रृंखला है। यह आपको गर्भवती होने से लेकर बच्चे का जन्म होने तक के लिए तैयार करता है। इसको 4 प्रकार से अलग-अलग स्टेप में बांटा गया है।

माहवारी

यह तब होता है जब आपके मासिक अवधि के दौरान आपके गर्भाशय की मोटी परत निकलती है। मासिक धर्म आपके चक्र की लंबाई के आधार पर तीन से सात दिनों तक रह सकता है।

फ़ॉलिक्यूलर फ़ेस

यह एक शुरुआती दौर है, जो आपके मासिक धर्म के पहले दिन से शुरू होता है। जब आप ओव्यूलेट करना शुरू करते हैं तो उस दौरान यह समाप्त होता है। इस चरण के दौरान, अंडों से युक्त फली को फॉलिकल्स रिपन कहा जाता है। 

ओवुलेशन

ओवुलेशन तब होता है, जब अंडाशय उस परिपक्व अंडे को निषेचन के रास्ते पर फैलोपियन ट्यूब से नीचे छोड़ता है। यह चक्र कुछ समय में ही सामप्त हो जाता है। यह मात्र 24 घंटे तक चलता है।

ल्युटल फेज  

इसमें जिस कूप के द्वारा अंडा रिलीज होता है उसमें हार्मोन पैदा होते हैं। जो महिला के गर्भाशय को मोटा और मजबूत बनाने का कार्य करता है। जिससे वो  गर्भावस्था के लिए तैयार हो सके। यदि आप गर्भवती बनने का काफी समय से प्रयास कर रहे हैं, तो यह जानने में मदद कर सकता है कि आपके कूपिक और ल्यूटियल चरण लंबे या छोटे हैं, और आपके मासिक धर्म में कब होता है।यह बहुत जरुरी है क्योंकि इन चरणों के साथ ही समस्याएं आपकी प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं। 

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एंट्रिकल फॉलिक्युलर काउंट टेस्ट

 एंट्राल फॉलिकल काउंट टेस्ट (AFC) टेस्ट  

 एंटेरोल  फॉलिक्युलर गिनती एक प्रजनन परीक्षा है। यह ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासाउंड के माध्यम से किया जाता है। कभी-कभी चक्र 2 और 5 के बीच  होता है। अल्ट्रासाउंड तकनीक प्रत्येक अंडाशय को देखता है। इसके बाद 2 और 10 मिमी के बीच के  फॉलिकल्स की संख्या की गणना करेगी।

साइड इफेक्ट्स

क्या इससे कोई साइड इफेक्ट्स भी हैं?

आमतौर पर तो यह महिलाओं के लिए बहुत मददगार होता है। ऐसा शायद ही देखा गया होगा कि इसके कोई साइड इफेक्ट्स देखे गए हो। लेकिन कुछ मामलों में कुछ महिलाएं बहुत तनाव में रहती है। फॉलिक्युलर स्टडी की तरफ वो महिलाएं ज्यादा आकर्षित होती है जो कई समय से गर्भ धारण करने की कोशिश कर रही हैं लेकिन उनका प्रयास पूरा नहीं हो पाता है। 

-कुछ ऐसे जोड़े होते हैं, जिनके बीच सेक्सुअल रिलेशन धीरे-धीरे खत्म होने लगती है। तो यह उनके जीवन को बहुत प्रभावित करता है। डॉक्टर इसमें उनके केस स्टडी करके सहायता करते है। जिससे वो गर्भ धारण कर सके। इस प्रक्रिया के कारण महिलाओं में केवल  ओवुलेशन के दौरान ही सेक्स करने की उत्पन्न होती है। तो वहीं पुरुषों को लगता है इस दौरान ज्यादा सेक्स करने समस्या हो सकती है। जो लोग फॉलिक्युलर स्टडी कराते हैं। अपने बच्चे के लिए सावधानी बर्तने कि जरुरत होती है। गर्भ के साथ-साथ आपका निजी रिश्ता भी आपस में अच्छा होना जरुरी होता है। इस स्कैन की मदद से आप सही समय पर गर्भधारण करने का प्रयास कर सकती हैं और गर्भावस्था की संभावनाओं को बढ़ा सकती हैं।

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क्या यह दर्दनाक होता है

क्या यह दर्दनाक हो सकता है? 

आपको बता दें यह दर्दनाक नहीं होता है। इसमें आपको अधिक घबराने की आवश्यकता नहीं होती है। यह आपके पेट के ऊपर से स्कैन किया जाता है जो साधारण रुप से किसी अन्य अल्ट्रासाउंड जैसा ही होता है। इसमें एक ठंडे जेल को आपके पेट पर लगाया जाता है। जो आपको अजीब लग सकता है। लेकिन इसमें बिल्कुल भी दर्द नहीं होता है। पेट के बाद ल्युब्रिकेंट लगाकर प्रोब आपके वजाइना में प्रवेश कराया जाता है। इस दौरान आपको कुछ अजीब महसूस हो सकता है। जिन लोगों के साथ यह पहली बार हो रहा है उनको इसमें ज्यादा असहज महसूस हो सकता है। लेकिन आपको किसी प्रकार से दर्द महसूस नहीं होता है। यह कुछ ही देर में हो जाता है। यह एक प्रकार की सरल प्रक्रिया होती है। जिसमें आपको घबराना नहीं चाहिए। 

अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से संपर्क करें।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Automated ovarian follicular monitoring: a novel real-time approach: https://ieeexplore.ieee.org/document/8036904 Accessed on 25/03/2020

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Current Version

24/07/2020

shalu द्वारा लिखित

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ

Updated by: Mona narang


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डॉ. पूजा दाफळ

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shalu द्वारा लिखित · अपडेटेड 24/07/2020

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