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Fetal Ultrasound: फेटल अल्ट्रासाउंड क्या है?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Anu sharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 07/12/2020

Fetal Ultrasound: फेटल अल्ट्रासाउंड क्या है?

जानिए मूल बातें

फेटल अल्ट्रासाउंड (Fetal ultrasound) क्या है?

प्रेग्नेंसी के दौरान महिला को कई चीज़ों का ध्यान रखना पड़ता है। इस दौरान उसे कई दवाइयां दी जाती हैं और कई टेस्ट भी किए जाते हैं ताकि मां और बच्चे दोनों सुरक्षित रहें। टेस्ट करने से गर्भ में शिशु की सेहत और विकास के बारे में भी जानकारी मिलती है। इन्हीं टेस्ट में से एक है फेटल अल्ट्रासाउंड जिसे सोनोग्राम के नाम से भी जाना जाता है। जानिए फेटल अल्ट्रासाउंड के बारे में और अधिक।

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फेटल अल्ट्रासाउंड क्यों किया जाता है?

फेटल अल्ट्रासाउंड से गर्भ में पल रहे शिशु की तस्वीर बनती है जिससे भ्रूण के स्वास्थ्य के बारे में पता चलता है। यह अल्ट्रासाउंड के दौरान शिशु के दिल, सिर, रीढ़ की हड्डी और शरीर के अन्य भागों को भी जांचा जाता है। इस टेस्ट को होने वाली मां के पेट या योनि के माध्यम से किया जा सकता है। यह अल्ट्रासाउंड एक इमेजिंग का तरीका है जिसमे साउंड वेव्स के प्रयोग से गर्भ के पल रहे शिशु की तस्वीर बनाई जाती है। इस तरीके से अगर शिशु को कोई समस्या हो तो उसका पता भी चल जाता है।

यह अल्ट्रासाउंड आमतौर पर गर्भावस्था की पहली तिमाही में किया जाता है ताकि गर्भावस्था की पुष्टि हो सके और इस बात का भी पता लगाया जा सके कि आप कब से गर्भवती हैं। अगर आपकी गर्भावस्था में कोई समस्या नहीं है तो अगला अल्ट्रासाउंड दूसरी तिमाही में कराया जाता है। अगर कोई समस्या हो तो डॉक्टर इस फेटल अल्ट्रासाउंड के बाद अन्य टेस्ट की सलाह दे सकते हैं।

फेटल अल्ट्रासाउंड के प्रकार

मुख्य फेटल अल्ट्रासाउंड दो तरह के होते हैं, जिनमें शामिल हैंः

ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड

इस तरह के फेटल अल्ट्रासाउंड में एक वेंड की तरह की चीज प्रयोग की जाती है जिसे ट्रान्सडूसर कहा जाता है। इस डिवाइस को होने वाली वजाइना में डाला जाता है ताकि गर्भ तक ध्वनि तरंगों को पहुंचाया जा सके और सही तस्वीरें मिलें। ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड को गर्भावस्था के शुरुआती चरणों में किया जाता है। आमतौर पर ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड का सहारा तब लिया जाता है जब ट्रांसएब्डोमिनल अल्ट्रासाउंड से सही परिणाम नहीं मिल रहे हों।

ट्रांसएब्डोमिनल अल्ट्रासाउंड

ट्रांसवजाइनल फेटल अल्ट्रासाउंड में ट्रान्सडूसर का प्रयोग पेट के ऊपर से किया जाता है। 

अन्य फेटल अल्ट्रासाउंड इस प्रकार हैं:

  • स्टैंडर्ड अल्ट्रासाउंड: इसमें ध्वनि तरंगों का प्रयोग टू-डायमेंशनल तस्वीर को कंप्यूटर स्क्रीन पर बनाने के लिए किया जाता है।
  • डोप्पलर अल्ट्रासाउंड: इस अल्ट्रासाउंड से शिशु के शरीर में रक्त प्रवाह के बारे में भी जानकारी मिलती है
  • 3-D अल्ट्रासाउंड: इस अल्ट्रासाउंड से शिशु के चेहरे की समस्याओं या तंत्रिका ट्यूब दोष का पता लगाने में मदद मिलती है।

और पढ़ें : HCG Blood Test: जानें क्या है एचसीजी ब्लड टेस्ट?

फेटल अल्ट्रासाउंड कराने से पहले जानने योग्य बातें

फेटल अल्ट्रासाउंड कराने से मुझे क्या पता चलता है?

फेटल अल्ट्रासाउंड गर्भावस्था में रुटीन चेकअप का हिस्सा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसमें कोई जोखिम नहीं होता और सही जानकारियां भी मिलती हैं। इस अल्ट्रासाउंड से भ्रूण की समस्याओं और अन्य परेशानियों के बारे में सही से पता चल जाता है। इसमें भ्रूण की इन सब चीजों को जांचा जाता है:

  • पेट
  • बाजुएं, टांगें और शरीर के अन्य हिस्से
  • गले के पीछे का हिस्सा
  • सिर और दिमाग
  • दिल का चेम्बर और वाल्व
  • किडनी
  • गर्भनाल की स्थित
  • रीढ़ की हड्डी
  • मूत्राशय

फेटल अल्ट्रासाउंड से इन चीजों के बारे में भी पता चलता है

  • अगर महिला के गर्भ में कई शिशु हों
  • गर्भ में पल रहे शिशु की विकास दर
  • शिशु का विकास सही से हो रहा है या नहीं
और पढ़ें : Parathyroid Hormone Blood Test : पैराथाइराइड हार्मोन ब्लड टेस्ट क्या है?

जोखिम

प्रेग्नेंसी में इन अल्ट्रासाउंड का प्रयोग कई सालों से किया जा रहा है और इसे पूरी तरह से सुरक्षित माना जाता है बस इसे सही तरीके से किया जाना चाहिए। इस अल्ट्रासाउंड की एक कमी यह है कि इससे शिशु की जन्म संबंधी समस्याओं का पता नहीं लगाया जा सकता या इसके बारे में गलत सूचना भी मिल सकती है।

फेटल अल्ट्रासाउंड की तैयारी कैसे करें

  • फेटल अल्ट्रासाउंड से पहले आपको पर्याप्त पानी या तरल पदार्थ पीने और मूत्र त्याग न करने की सलाह दी जाती है। हालांकि, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि अल्ट्रासाउंड कौन सा है।
  • इस अल्ट्रासाउंड को पेट या योनि के माध्यम से किया जाता है। आपको खुले कपड़े पहनने चाहिए।
  • अपने डॉक्टर को इन स्थितियों के बारे में पहले ही बता दें, जैसे:
  • अगर आपको किसी दवाई से एलर्जी है।
  • अगर आप कोई दवाई, विटामिन या अन्य चीज ले रहे हों।
  • इससे पहले पर्याप्त पानी पीएं ताकि तस्वीर अच्छी आये।

फेटल अल्ट्रासाउंड कैसे किया जाता है

  • ट्रांसएब्डोमिनल फेटल अल्ट्रासाउंड के दौरान आपको एक बेड पर लिटा दिया जाएगा और आपके पेट को ढका नहीं जाता।
  • इसके बाद आपके पेट पर जेल लगाया जाएगा। 
  • अब डॉक्टर या तकनीशियन आपके पेट पर ट्रान्सडूसर को घुमाएंगे। साउंड वेव्स मॉनिटर में तस्वीर का रूप ले लेंगी
  • शिशु की शरीर रचना की तस्वीर आपको मॉनिटर पर मिल जायेगी।
  • शिशु के स्थिति और विकास के अनुसार आप भी उसका चेहरा, हाथ, उंगलियों, टांगों आदि को देख पाएंगी।
  • आपको इसकी तस्वीर और अन्य जानकारी प्रिंट करके दे दी जायेगी। अन्य तरह के फेटल अल्ट्रासाउंड का तरीका भी एक जैसा ही होता है। वजाइनल अल्ट्रासाउंड में ट्रान्सडूसर को योनि में डालकर तस्वीर ली जाती है।
  • टेस्ट के बाद 
  • टेस्ट के बाद आप अपने पेट पर लगे जेल को साफ कर दें। अगर आप का मूत्राशय भरा हुआ हे तो टेस्ट के बाद आप मूत्र त्याग कर सकती हैं।

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क्या फेटल अल्ट्रासाउंड करवाना सुरक्षित है?

सभी चिकित्सा प्रक्रियाओं में कुछ जोखिम शामिल होते हैं। हालांकि, फेटल अल्ट्रासाउंड कराने से जुड़े जोखिम बहुत ही कम देखें जाते हैं। यह मां और गर्भ में पल रहे भ्रूण के लिए सुरक्षित होता है। लेकिन, ध्यान रखें कि अपने भ्रूण का अल्ट्रासाउंड हमेशा एक अच्छे क्लीनिक में की करवाएं और अनुभवी चिकित्सक या प्रशिक्षित तकनीशियन द्वारा ही अपना टेस्ट करवाएं।

परिणामों को समझें

मेरे परिणामों का क्या मतलब है?

3D फेटल अल्ट्रासाउंड में बच्चे का चेहरा नजर आता है इसके साथ ही इस चीज का भी पता चलता है कि गर्भ में शिशु सही से विकास कर रहा है या नहीं। अगर आपके डॉक्टर को गर्भ में पल रहे शिशु के बारे में अन्य जानकारियां भी चाहिए होंगी तो वो कोई और टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। डॉक्टर विभिन्न पहलुओं को देखकर इसके परिणाम आपको समझाएंगे।

हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपका इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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