नोट- ऊपर दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। इसलिए किसी भी घरेलू उपचार, दवा या सप्लिमेंट का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।
5- गठिया
आजकल तो गठिया के दर्द की परेशानी को उम्र की बंदिश में बांधा नहीं जा सकता है। किसी भी उम्र में यह बीमारी हो सकती है। दिन भर एसी में काम करने के कारण कम उम्र में ही महिला हो या पुरुष सबको यह बीमारी हो जाती है। चिरौंजी का एंटी-इंफ्लमेटरी गुण दर्द से राहत दिलाने में सहायता करता है।
6- घाव
कहीं चोट लगने पर या कट जाने के कारण घाव हो गया है और वह ठीक होने का नाम नहीं ले रहा है तो चिरौंजी का इस्तेमाल करने से घाव जल्दी सूख जाता है। इसके बीज में मौजूद एंटी-माइक्रोबियल गुण घाव को ठीक होने में मदद करते हैं, क्योंकि माइक्रोब्स घाव को ठीक होने में बाधा उत्पन्न करते हैं और घाव को सूखने नहीं देता है।
7- मुंह के छाले
अगर आप हमेशा पेट की समस्या यानी अपच जैसी समस्याओं से ग्रस्त रहते हैं तो मुंह के छाले से भी परेशान रहते होंगे। चिरौंजी का डायजेस्टिव गुण अपच की समस्या से निजात दिलाकर मुंह के छालों को ठीक करने और दोबारा आने से रोकता है।
8- त्वचा संबंधी समस्या
वैसे तो आजकल के प्रदूषण भरे वातावरण में स्किन संबंधी समस्या से कौन नहीं परेशान रहता है। किसी को स्किन एलर्जी होती है तो किसी को पिंपल्स या एक्ने की समस्या होती है। जहां एक तरफ चिरौंजी का बीज मुंहासे, स्किन एलर्जी जैसी समस्याओं के उपचार में बहुत मददगार साबित होता है तो दूसरी तरफ यह स्किन को क्लिन करने में भी सहायता करता है। यहां तक कि कुछ अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि चिरौंजी कुष्ठ रोग के उपचार में भी इस्तेमाल किया जाता है।
9- डायबिटीज
अचरज में न पड़ें, जी हां चिरौंजी का इस्तेमाल डायबिटीज या मधुमेह को नियंत्रित करने में भी किया जाता है। इसका एंटीऑक्सिडेंट और एंटीडायबिटिक गुण मधुमेह को कंट्रोल करने में मदद करता है।
10- दिल की बीमारी
चिरौंजी दिल को भी सेहतमंद रखने में मदद करता है। विश्वास नहीं हो रहा है? लेकिन सच है यह। चिरौंजी का पर्गटिव गुण दिल के लिए कार्डियोटॉनिक जैसा काम करता है।