ईयर वैक्स को सेरुमेन भी कहा जाता है और यह हमारी शारीरिक क्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह कान के अंदर से गंदगी निकालने में मदद करने के साथ ही कान के कैनाल यानी नली में होने वाले संक्रमण के खतरे को कम करता है। यह कान में खुजली और पानी चले जाने पर होने वाली असहजता को कम करता है। हालांकि कई बार हमारा शरीर अधिक मात्रा में ईयर वैक्स बनाने लगता है, जिसके परिणामस्वरूप ईयर कैनाल में ब्लॉकेज हो जाता है जिस कान में वैक्स ब्लॉकेज कहा जाता है। कॉटन स्वैब से कान साफ करने पर भी कान में वैक्स ब्लॉकेज हो सकता है क्योंकि यह वैक्स को पीछे धकेल देता है। अधिक कान में वैक्स के कारण कई लोगों की सुनने की क्षमता चली जाती है, जबकि इसक वजह से बच्चों में डिलेड स्पीच की समस्या हो सकती है। कान के अंदर 24 मिलीमीटर की एक्सटरनल ऑडिटरी कैनाल होती है। इसमें सेरुमिनस और नाइलोसीबेशियस नामक ग्लैंड होते हैं और इन्हीं ग्लैंड के स्राव से वैक्स बनता है। कान में वैक्स ब्लॉकेज को मेडिकल की भाषा में सेरुमेन इम्पैक्शन कहा जाता है। आमतौर पर लोग घर पर ही इसका इलाज कर लेते हैं।
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ईयर वैक्स कहां से आता है?
डेड स्किन और अन्य गंदगी सेबेसश (चर्बीयुक्त) से होने वाले स्राव और स्वेट ग्लैंड (पसीने की ग्रंथि) के साथ मिलकर कान का मैल बनाते हैं। बहुत सारी गंदगी इकट्ठा होने पर या ईयर वैक्स के ईयर कैनल में लंबे समय तक रहने पर वैक्स कठोर हो जाता है, जिसकी वजह से कान में मैल जम जाता है। एक्जिमा जैसी कंडिशन जिसमें ढेर सारी ड्राई स्किन और पपड़ीनुमा त्वचा बनती है, के कारण भी कान का मैल सख्त हो जाता है और कान में ब्लॉकेज का कारण बनता है।