backup og meta

Glomerulonephritis: ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस क्या है?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Kanchan Singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 25/05/2020

Glomerulonephritis: ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस क्या है?

परिभाषा

ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस (Glomerulonephritis) किडनी की आंतरिक सरंचना जिसे ग्लोमेरूली कहते हैं, में सूजन है। जिसके कारण किडनी अपना काम सही तरह से नहीं कर पाती और पीड़ित शख्स को किडनी फेलियर भी हो सकता है। ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस के बारे में जानिए सबकुछ इस आर्टिकल में।

ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस क्या है?

किडनी के अंदर रक्त वाहिकाओं का एक समूह होता है जिसे ग्लोमेरूली कहते हैं और यही शरीर से अतिरिक्त तरल, इलेक्ट्रोलेट्स और अपशिष्ट पदार्थों को रक्तवाहिका से निकालकर यूरीन तक पहुंचाता है। जब कभी ग्लोमेरूली में किसी कारण से सूजन आ जाती है तो इसे ही ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस कहा जाता है। यह अपने आप हो सकता है या किसी बीमारी के परिणामस्वरूप भी हो सकता है जैसे ल्यूपस या डायबिटीज। ग्लोमेरूली में सूजन यदि लंबे समय तक रहता है तो इससे किडनी क्षतिग्रस्त हो सकती है। कई मामलों में किडनी फेलियर भी हो जाता है। ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस को कभी-कभी नेफ्राइटिस भी कहा जाता है और यदि इसका समय पर उपचार न कराया जाए तो यह जानलेवा साबित हो सकता है। ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस अचानक यानी एक्यूट हो सकता है या लंबे समय का यानी क्रॉनिक हो सकता है।

और पढ़ेंः Dental Abscess: डेंटल एब्सेस (दांत का फोड़ा) क्या है?

लक्षण

ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस के लक्षण

ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस दो प्रकार के होते हैं एक्यूट और क्रॉनिक और इसके आधार पर ही इसके लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। एक्यूट ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस के लक्षणों में शामिल हैः

  • पेशाब का रंग भूरा या उसे हल्का खून आना
  • हाई ब्लड प्रेशर
  • सुबह उठने पर चेहरे पर सूजन
  • कम पेशाब आना
  • फेफड़ों में भरे तरल पदार्थ के कारण खांसी और सांस लेने में दिक्कत

क्रॉनिक ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस अचानक नहीं होता, बल्कि धीरे-धीरे लंबी अवधि में होता है। इसके लक्षणों में शामिल हैः

  • वॉटर रिटेंशन के कारण टखने (ankle) और चेहरे पर सूजन
  • हाई ब्लड प्रेशर
  • पेशाब में ब्लड या प्रोटीन
  • पेशाब में बबल या झाग बनना, यह अतिरिक्त प्रोटीन के कारण होता है
  • रात में बार-बार पेशाब जाना

यदि किसी शख्स को किडनी फेलियर है तो उसकी भूख कम हो जाएगा, मितली या उल्टी जैसा महसूस होगा। नींद के पैर्टन में बाधा आने के कारण थकान महसूस होना, रात के सम मसल्स मे ऐंठन और त्वचा रूखी हो जाएगी और खुजली होती है।

और पढ़ेंः Upper Airway Obstruction: अपर एयरवे ऑब्स्ट्रक्शन क्या है?

कारण

ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस के कारण

एक्यूट और क्रॉनिक ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस के कारण अलग-अलग हो सकते है।

एक्यूट ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस किसी तरह के संक्रमण जैसे स्ट्रेप थ्रोट या एब्सेस्ड टूथ के कारण हो सकता है। ऐसा संक्रमण को लेकर आपके इम्यून सिस्टम के ओवररिएक्ट करने के कारण भी हो सकता है। आमतौर पर यह समस्या बिना किसी इलाज के ठीक हो जाती है, लेकिन यदि ऐसा नहीं होता है तो आपको उपचार की जरूरत है, ताकि किडनी को किसी तरह का नुकसान न पहुंचे। एक्यूट ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस के कारणों में शामिल हैः

  • गुडपावर सिंड्रोम, एक दुर्लभ ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें एंटीबॉडी आपकी किडनी और फेफड़ों पर हमला करते हैं
  • स्ट्रेप थ्रोट
  • ल्यूपस
  • अमाइलॉइडोसिस, तब होता है जब आपके शरीर में आपके अंगों और टिशू को नुकसान पहुंचाने वाले असामान्य प्रोटीन बनने लगते हैं
  • पॉलीआर्थराइटिस नोडोसा, एक ऐसी बीमारी जिसमें कोशिकाएं आर्टरीज पर हमला करती हैं
  • आइबुप्रोफेन (एडविल) और नेप्रोक्सन (एलेव) जैसी नॉनस्टेरॉयडल एंटी इंफ्लामेट्री दवाओं के अधिक इस्तेमाल से भी जोखिम बढ़ जाता है
  • ग्रैनुलोमैटोसिस के साथ पोलियांगाइटिस एक दुर्लभ बीमारी जिसकी वजह से रक्त वाहिकाओं में सूजन आती है।

क्रॉनिक ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस  लंबे समय में विकसित होता है। इस दौरान कुछ लक्षण दिख भी सकते हैं और नहीं भी। यह किडनी को बहुत अधिक हानि पहुंचाता है और किडनी फेलियर का कारण बनता है। क्रॉनिक ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस का हमेशा कोई स्पष्ट कारण नहीं होता है। कई बार अनुवांशिक बीमारी के कारण यह हो सकता है। अन्य संभावित कारणों में शामिल हैः

इसके अलावा यदि किसी को एक्यूट ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस  है तो बाद में इसके क्रॉनिक होने की बहुत अधिक संभावना रहती है।

और पढ़ेंः Shin splints: शिन स्प्लिंट्स क्या है?

निदान

ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस का निदान

ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस  के निदान के लिए सबसे पहले यूरिनैलिसिस टेस्ट किया जाता है। आपके यूरिन में मौजूद प्रोटीन और रक्त से बीमारी का पता लगाया जाता है। इसके अलावा ब्लड में एंटीजेन्स और एंटीबॉडी का भी पता लगाया जाता है। कई बार अन्य बीमारी के लिए कराए जाने वाले रूटीन फिजिकल एग्जाम में भी ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस का पता चल जाता है।

किडनी बायोप्सी भी की जाती है जिसमें एक छोटी सुई के जरिए किडनी टिशू का सैंपल निकाला जाता है और लैब में टेस्ट के लिए दिया जाता है। इससे स्थिति की गंभीरता का पता चलता है।

ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस का पता लगाने के लिए किडनी फंक्शन टेस्ट भी किया जाता है जिसमें ब्लड और यूरिन सैंपल का टेस्ट शामिल है।

आपका डॉक्टर निम्न की जांच के लिए इम्यूनोलॉजी टेस्ट भी कर सकता हैः

  • एंटीग्लोमेरुलर बेसमेंट मेंमब्रेन एंटीबॉडी
  • एंटीन्यूट्रोफिल साइटोप्लाज्मिक एंटीबॉडी
  • एंटीबायोटिक एंटीबॉडी
  • कॉम्प्लिमेंट लेवल्स

ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस के निदान के बारे में अधिक जानने के लिए डॉक्टर कुछ इमेजिंग टेस्ट भी कर सकता है जिसमें शामिल हैः

[mc4wp_form id=’183492″]

और पढ़ें: Acoustic Trauma: अकूस्टिक ट्रॉमा क्या है?

उपचार

ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस का उपचार

ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस का उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि आपको एक्यूट ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस है या क्रॉनिक और यह कितना गंभीर है। यदि ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस का कारण कोई अन्य स्वास्थ्य समस्या है तो उसका उपचार करने पर ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस अपने आप ठीक हो जाता है। उपचार का मकसद किडनी को क्षतिग्रस्त होने से बचाना है।

ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस के कारण यदि किडनी को गंभीर क्षति पहुंचती है या किडनी फेलियर होता है तो आपको डायलासिस या किडनी ट्रांस्प्लांट की जरूरत हो सकती है।

ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस से बचाव

ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस के अधिकांश मामलों में बचाव संभव नहीं होता। हालांकि कुछ कदम इसे कुछ हद तक रोकने में फायदेमंद साबित हो सकते हैः

  • हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करें, जो हाइपरटेंशन के कारण किडनी के नुकसान की संभावना को कम करता है।
  • गले में किसी तरह का संक्रमण या दर्द होने पर उचित उपचार करवाएं।
  • ऐसे संक्रमण जो ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस का कारण बन सकते हैं जैसे एचआईवी और हेपेटाइटिस से बचने की कोशिश करें। सेफ सेक्स की गाइडलाइन फॉलो करें और इंट्रालेनस दवा से परहेज करें।
  • डायबटिक नेफ्रोपैथी से बचाव के लिए ब्लड शुगर को कंट्रोल करें
  • किडनी की बीमारी, जैसे ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस होने पर कुछ दवाओं (जैसे आइबुप्रोफेन, नेप्रोक्सन या एंटी इन्फ्लामेट्री दवाओं) से परहेज करके स्थिति को अचानक बिगड़ने से बचाया जा सकता है। किडनी की बीमारी से होने वाली जटिलताओं जैसे एनीमिया और हड्डियों की समस्या को सही निगरानी और समय पर इलाच करके कम किया जा सकता है।

ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस से उबरने और भविष्य में इससे बचने के लिए कुछ छोटी लेकिन अहम बातों का ध्यान रखेः

हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

फार्मेसी · Hello Swasthya


Kanchan Singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 25/05/2020

advertisement iconadvertisement

Was this article helpful?

advertisement iconadvertisement
advertisement iconadvertisement