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आखिर क्यों कुछ लोगों को अकेले रहने में मजा आता है?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Ankita mishra द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/09/2020

    आखिर क्यों कुछ लोगों को अकेले रहने में मजा आता है?

    जब भी आप दोस्तों की भीड़ में होते हैं तो क्या करते हैं? गप्पे मारते हैं, दिन भर की फालतू बातें करते हैं, एक-दूसरे का मजाक बनाते हैं और ऐसी ही न जाने कितनी हरकते करते होगें। लेकिन, कुछ शोध यह भी दावा करते हैं कि कुछ लोगों को हमेशा अकेले रहने में ज्यादा मजा आता है! उनका बर्ताव आपकी और मेरी तरह सामान्य ही रहता है, लेकिन, वो दिल से तभी खुश होते हैं, जब वो अकेले में रहते हैं। तो क्या यह किसी बीमारी का लक्षण हो सकता है? या यह उनका मिजाज हो सकता है? अकेलापन बिल्कुल उसी तरह है जैसे आपको अपना पसंदीदा काम करने या खेल खेलने में मजा आता है। जिस तरह किसी को क्रिकेट खेलने, शॉपिंग करने में, नए-नए पकवान खाने या घूमने में मजा आता है, ठीक उसी तरह कुछ लोगों को अकेले रहने में मजा आता है।

    अकेलेपन पर रिसर्च के दावे

    अमेरीका के बफैलो यूनिवर्सिटी की मनोवैज्ञानिक जूली बोकर ने अपनी टीम के साथ अकेलेपन पर रिसर्च की है। उनका दावा है कि लोग तीन वजहों से अकेले रहना पसंद करते हैं। यह तीन वजहें उन्हें दूसरे लोगों से घुलने-मिलने से रोक सकता है।

    • कुछ लोग शर्मीले होते हैं।
    • कुछ लोगों को भीड़भाड़ रास नहीं आता।
    • कुछ लोग मिलनसार तो होते हैं लेकिन, अकेला रहना ज्यादा पसंद करते हैं।

    उन्होंने दावा भी किया है कि जो लोग अकेले रहना पसंद करते हैं, वो अपनी क्रिएटिविटी को बेहतर बना सकते हैं। अकेले रहने पर वो अपने काम पर अच्छे से फोकस कर पाते हैं।

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    क्यों अकेलापन अच्छा लगता है?

    अकेले में खुश रहने के पीछे क्या-क्या कारण हो सकते हैं, इसके लिए हैलो स्वास्थ्य की टीम ने कुछ लोगों से बात की। इस दौरान हमने अलग-अलग माहौल और अलग-अलग शहरों से आए लोगों की राय जानी, जिनके विचार कुछ मुद्दों पर एक जैसे ही रहें।

    “अच्छा लगता है खुद को समय देना’

    लखनऊ की शिखा पटेल कहती हैं, “मेरे दोस्तों की लिस्ट बहुत लंबी नहीं है लेकिन, मुझे उनके साथ एक क्वालिटी टाइम स्पेंड करना पसंद है। जब मैं अपने दोस्तों के साथ रहती हूं, तो बहुत खुश रहती हूं। इसके साथ ही मुझे अकेले रहना भी पसंद है। लेकिन, अकेले रहने पर मैं कुछ करना पसंद नहीं करती। उस दौरान मैं बस किसी एक कमरे में खुद को अकेले में समय देना पसंद करती हूं।’

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    “खुद से सीखती हूं’

    मुंबई की शिल्पा खोपडे कहती हैं, “मेरा बचपन एक जॉइंट फैमिली में गुजरा है। शादी के पहले में 17 सदस्यों के परिवार में रहती थी। लेकिन, शादी के बाद मैं सिर्फ चार लोगों के परिवार में बहू बनकर गई। शादी के पहले परिवार बड़ा था, तो मेरे सगे-चचेरे भाई-बहन ही मेरे दोस्त थे, जिसकी वजह से मेरे दोस्त बहुत ही कम लोग बनते थे। संयुक्त परिवार होने पर हर काम को हम बहुत जल्दी और किसी की मदद से सीख सकते हैं। लेकिन शादी के बाद सब कुछ बदल गया। शादी के कुछ समय बाद ही जॉब की वजह से मुझे अकेले रहना पड़ा रहा है। जहां पर मुझे क्या करना चाहिए क्या नहीं, यह बताने या समझाने वाला कोई नहीं होता है।’

    हालांकि, अब उन्हें अपना अकेलापन थोड़ा बहुत पसंद आने लगा है। क्योंकि, उनके पास खुद के लिए समय होता है। वो खुद के बारे में कुछ नया सीख सकती हैं। किसी भी काम को बिना किसी के मदद के अकेले ही सीख रही हैं।

    “खुद को समय देना भी जरूरी है’

    पटना की निधि सिन्हा मुंबई में अकेले रहती हैं। उनका कहना है, “खुद को समय देना बहुत जरूरी होता है। आपको क्या पसंद है, क्या नहीं पसंद है, यह तभी जान सकते हैं जब अकेले रहेंगे। अगर आपको डांस करना पसंद है या गाना गाना पसंद है, तो ये सारे काम आप अकेले रहते हुए ज्यादा बेहतर कर और सीख सकते हैं।’

    “खुद को डेवलप कर सकते हैं’

    लखनऊ की सोनू कहती हैं, “अकेले रहने पर खुद को अच्छे से समझ सकते हैं। खुद के बारे में नई-नई बातें तो सीख ही सकते हैं। साथ ही, अपने आप को कुछ नया काम भी सिखा सकते हैं।’

    डॉक्टर की राय

    हैलो स्वास्थ्य की टीम ने अकेलेपन की आदत को समझने के लिए हमदर्द इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च (HIMSR), दिल्ली के एमबीबीएस डॉ. मयंक खंडेलवाल से बात की। उनका कहना है “कई वजह हो सकती हैं, जिसकी वजह से कुछ लोगों को अकेलापन ज्यादा पसंद हो सकता है। जैसे वे स्वभाव से शर्मीले हैं, तो अपनी भावना व्यक्त करने में हमेशा एक हिचक का अनुभव कर सकते हैं, जिस वजह से वो अकेले रहना शुरू कर सकते हैं। इसके अलावा, लोगों के साथ बिताया गया अनुभव भी काफी हद तक अकेलेपन का कारण बन सकता है। मान लीजिए किसी के साथ बचपन में किसी तरह की बुरी घटना अगर घटी है, तो वह धीरे-धीरे अपने उस डर की वजह से अकेले रहना ही सुरक्षित समझ सकता है। इनके अलावा, ऐसे लोग, जो किसी वजह से डिप्रेशन में होते हैं, उन्हें अकेलापन सबसे ज्यादा पसंद आ सकता है क्योंकि, वो अपनी बातें किसी से न शेयर कर सकते हैं, न ही उस परिस्थिति से लड़ने में सक्षम होते हैं। ऐसे में अकेले रहना ही उनकी आदत बन सकती है।’ 

    अमेरीकी लेखिका की राय

    लोगों को अकेलापन कैसे अच्छा लगा सकता है, इसके बारे में अमेरीकी लेखिका एनेली रुफस ने ‘पार्टी ऑफ वन: द लोनर्स मैनीफेस्टो’ के नाम से एक किताब लिखी है। जिसमें उन्होंने अकेले रहने के किस्से लिखे हैं। उनकी किताब के मुताबिक, अकेले रहने के बहुत से मजे हैं। अकेलेपन में आपके पास इतना सारा समय होता है कि उस समय में आप सिर्फ खुद पर फोकस कर सकते हैं। अपनी क्रिएटिविटी बढ़ा सकते हैं। अकेले रहने पर ऐसे लोगों से दूर रह सकते हैं, जो एक मुखौटे में खुद को छिपाए रखते हैं।

    क्या कहता है ब्रिटिश कॉलेज?

    जहां अकेलापन खुद के लिए को जानने का मौका देता है, वहीं इसकी वजह से किसी भी जान पर भी बन सकती है। ब्रिटिश रॉयल कॉलेज ऑफ जनरल प्रैक्टिशनर्स कहता है कि अकेलापन डायबिटीज जैसी एक भयानक बीमारी है। उसका दावा है कि अकेलेपन से हर साल उनते ही लोगों की मौत होती है, जितनी डायबिटीज की वजह से। अकेलापन सोचने-समझने की क्षमता कम कर सकता है। बीमारियों से लड़ने की शारीरिक क्षमता और मानसिक क्षमता को भी कमजोर बना सकता है।

    भले ही ब्रिटिश कॉलेज के अनुसार अकेलेपन के कारण कई नुकसान भी होते हैं लेकिन, यह पूरी तरह व्यक्ति की मानसिकता पर निर्भर करता है कि वो इसे किस तरह से लेता है। अगर व्यक्ति मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ है और इसे एंजॉय कर रहा है, तो अकेलापन आपको खुद से मिलाने का मौका हो सकता है।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

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