ईट, स्लीप, पी, पूप, रिपीट (Eat, sleep, pee, poop, repeat)… नवजात के जन्म से उनका यही रूटीन होता है और इस रूटीन को फॉलो करना पैरेंट्स या घर के अन्य सदस्यों की जिम्मेदारी होती है। पैरेंट्स को हमेशा यह ध्यान रखना होता है कि बच्चा ईट, स्लीप, पी, पूप ठीक तरह से कर रहा है या नहीं! कोलकाता की रहने वाली मिनी माथुर से हमने बात की, क्योंकि मिनी न्यूली मॉम हैं। जब मिनी से हमने जानना चाहा कि शिशु को दूध पिलाने के नियम या बेबी फीडिंग शेड्यूल (Baby Feeding Schedule) वो कैसे तय करती हैं? और क्या बच्चों को दूध पिलाने का समय या फीडिंग में कोई कठिनाई भी आती है? तो मिनी कहती हैं कि ‘मेरी बेटी अभी एक साल दो महीने की है। मुझे उसके फीडिंग शेड्यूल का पूरा ध्यान रखना पड़ता है, क्योंकि अभी हम उनके खाने-पीने का जितना ख्याल रखेंगे आगे भी वो उतना ही हेल्दी रहेगी। मुझे शुरुआत में कठिनाई होती थी और समझ नहीं आता था कि इसे कब और क्या खिलाऊं, लेकिन जब मैंने पीडियाट्रिशियन से कंसल्ट किया, तो मेरी प्रॉब्लम कम हुई और अब उतनी प्रॉब्लम नहीं होती है।’ तो मिनी डॉक्टर से गाइडेंस लेने के बाद अब टेंशन फ्री हैं, लेकिन अगर आपभी बेबी फीडिंग शेड्यूल (Baby Feeding Schedule) को लेकर टेंशन में रहती हैं, तो हैलो स्वास्थ्य आपके साथ शेयर करने जा रहा है शिशु को दूध पिलाने के नियम कैसे बनायें और किन-किन बातों का ध्यान रखें।
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शिशु को दूध पिलाने के नियम कैसे करें तय? (Baby Feeding Schedule according to age. ) 👶 🍼
हर बच्चा अपने आप में यूनिक होता है और बेबी फीडिंग शेड्यूल भी अलग-अलग होता है। दरअसल जो बच्चे मां का दूध पीते हैं, उन्हें बॉटल से दूध पीने वाले बच्चों की तुलना में ज्यादा भूख लगती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि ब्रेस्ट मिल्क फॉर्मूला मिल्क की तुलना में तेजी से डायजेस्ट होता है। इसलिए शिशु को दूध पिलाने के नियम तय करना या और उन्हें समझना दोनों ही जरूरी है। इस आर्टिकल में आगे समझेंगे उम्र के अनुसार शिशु को दूध पिलाने के नियम कैसे करें तय? और कितना दूध उन्हें देना चाहिए।
उम्र के अनुसार बेबी फीडिंग शेड्यूल (Baby Feeding Schedule) क्या होना चाहिए?
अगर आप अपने बच्चे को स्तनपान करवा रहीं हैं, तो आपका बच्चा कितना दूध पी रहा है, यह समझना या ट्रैक रखना काफी डिफिकल्ट होता है। वहीं अगर बच्चा किसी भी कारण से बॉटल से दूध पी रहा है, तो आप आसानी से समझ सकती हैं कि बच्चे ने कितना दूध पिया। हालांकि यह ध्यान रखें कि शिशु के स्वास्थ्य के लिए फॉर्मूला मिल्क की बजाये मां का दूध ही फायदेमंद होता है।
फूड एंड न्यूट्रिशन बोर्ड गवर्मेंट ऑफ इंडिया में पब्लिश्ड एक रिपोर्ट के अनुसार शिशु के लिए मां का दूध सबसे ज्यादा पौष्टिक होता है, क्योंकि इसके कई कारण हो सकते हैं। जो इस प्रकार हैं:
- ब्रेस्ट मिल्क बच्चों के लिए सबसे बेस्ट नैचुरल फूड होता है।
- ब्रेस्ट मिल्क में किसी भी तरह का मिलावट नहीं होता है।
- स्तनपान से बच्चों को किसी भी बीमारी से बचाये रखने में मदद मिलती है।
- बच्चों के दिमाग को तेज करने में भी मां के दूध की खास भूमिका होती है।
- ब्रेस्ट मिल्क के लिए किसी भी तरह की प्रिपरेशन के जरूरत नहीं पड़ती है।
- स्तनपान से मां और शिशु की बॉन्डिंग बनती है।
स्तनपान के खासियत के साथ-साथ बच्चों को दूध पिलाने का समय भी तय होना जरूरी है। इसलिए आगे जानिए अमेरिकन एकैडमी ऑफ पीडिएट्रिक्स (AAP) के अनुसार बेबी फीडिंग शेड्यूल (Baby Feeding Schedule) कैसा होना चाहिए?
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बच्चों को दूध पिलाने का समय (Baby Feeding Schedule) कैसा होना चाहिए?
- 2 सप्ताह के शिशु को .5 औंस (oz) देना चाहिए और इन्हें किसी भी तरह के सॉलिड फूड नहीं दी जा जानी चाहिए।
- 2 सप्ताह से 2 महीने के बच्चों को 2 से 4 औंस (oz) दूध देना चाहिए और इन्हें भी सॉलिड फूड ना दें।
- 2 से 4 महीने के बच्चों को 4 से 6 औंस (oz) दूध दें और और सॉलिड फूड ना दें।
- 4 से 6 महीने के बच्चों को 6 से 8 औंस (oz) दूध। इन्हें भी सॉलिड फूड से दूर ही रखें।
- 6 से 12 महीने के बच्चों को 8 औंस (oz) दूध दें और अब अपने लाडले या लाडली को सॉलिड फूड जैसे दाल का पानी, हरी सब्जी या फ्रूट्स को अच्छी तरह से मैश कर के दे सकते हैं।
अगर आपका शिशु ठीक तरह से स्तनपान नहीं कर पाता है, तो पीडिएट्रिक्स से कंसल्ट करें।
शिशु को दूध पिलाने के नियम को इस आर्टिकल में आगे और बेहतर तरीके से समझेंगे। शिशु को दूध पिलाने के नियम अलग-अलग होते हैं। दरअसल जो महिलाएं अपने शिशु को स्तनपान करवाती हैं या फॉर्मूला मिल्क देती है, उन दोनों के लिए बेबी फीडिंग शेड्यूल (Baby Feeding Schedule) अलग-अलग होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ब्रेस्ट फीडिंग करने वाले बच्चों की तुलना में फॉर्मूला मिल्क पीने बच्चों की तुलना में भूख ज्यादा लगती है।
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शिशु को दूध पिलाने के नियम में सबसे पहले बात कर लेते हैं ब्रेस्ट फीडिंग 🤱 करने वाले बच्चों की-
4 घंटे के गैप पर शिशु को स्तनपान करवाते रहें और निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें। जैसे:
- बेबी फीडिंग शेड्यूल में अगर आपका शिशु 1 से 3 महीने का है, तो 24 घंटे में 7 से 9 बार ब्रेस्ट फीडिंग करवाएं।
- 3 महीने के शिशु को 24 घंटे में 6 से 8 बार फीडिंग करवाएं।
- 6 महीने के शिशु को 24 घंटे में 6 बार स्तनपान करवाना चाहिए।
- 12 महीने के शिशु को 24 घंटे में 4 बार फीडिंग करवाना चाहिए।
नोट: अगर आप अपने बच्चे को अब सॉलिड फूड देना चाहते हैं, तो उसे अच्छी तरह से मैश कर खिलाएं।
ध्यान रखें कि यह पैटर्न सिर्फ एक उदाहरण के तौर पर आपको बताया गया है। वहीं शिशु को दूध पिलाने के नियम में बदलाव भी हो सकते हैं, क्योंकि यह शिशु के सेहत पर भी निर्भर करता है।
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बॉटल 🍼 से स्तनपान करने वाले बच्चों के लिए फीडिंग शेड्यूल-
अगर आपका शिशु किसी भी कारण से बॉटल से स्तनपान करता है, तो उन्हें इस तरह फीडिंग करवाएं। जैसे:
- नवजात शिशुओं को 2 से 3 घंटे के गैप में दूध पिलाएं।
- 2 महीने के शिशु को 3 से 4 घंटे के गैप में दूध पिलाएं।
- बेबी फीडिंग शेड्यूल में थोड़ा बदलाव लाएं और 4 से 6 महीने के शिशुओं को 4 से 5 घंटे के गैप पर दूध पिलाते रहें।
- जब आपका शिशु 6 महीने या इससे ज्यादा का हो जाए, तो 24 घंटे में 4 से 5 बार फीडिंग करवाएं।
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कैसे समझें शिशु को भूख लगी है या नहीं?
किड्स हेल्थ में पब्लिश्ड एक रिपोर्ट के अनुसार निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखें, तो आप आसानी से समझ सकते हैं कि आपके लाडले या लाडली को भूख लगी है। जैसे:
- शिशु का सिर हिलना या इधर-उधर देखना
- बार-बार भूख लगना
- जीभ बार-बार बाहर निकालना
- हाथ, हाथ की उंगली या पैर को मुंह में डालना
- अपनी होंठों को चूसना
ब्रेस्ट फीडिंग या बॉटल से फीड करने वाले बच्चों के लिए महत्वपूर्ण टिप्स
- एक साल से कम उम्र के बच्चों को ब्रेस्ट मिल्क या फॉर्मूला मिल्क के अलावा कोई अन्य लिक्विड या जूस ना दें।
- छोटे बच्चों के दूध में कोई भी अन्य चीज ना मिलाएं। इससे बच्चे को नुकसान पहुंच सकता है और अगर कोई सॉलिड फूड मिलते हैं, तो यह बच्चे के गले में फस सकता है।
- 6 महीने से छोटे बच्चों को कोई भी अनाज नहीं देना चाहिए।
- एक साल से छोटे बच्चों को शहद ना दें, क्योंकि शिशु को इन्फेंट बॉटुलिस्म (Infant botulism) की समस्या हो सकती है। इन्फेंट बॉटुलिस्म एक तरह का बैक्टीरिया है, जो शिशु के इंटेस्टाइन के लिए हानिकारक होता है।
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बेबी फीडिंग शेड्यूल (How to get on a feeding schedule) के साथ किन-किन बातों का ध्यान रखें?
बेबी फीडिंग शेड्यूल के अलावा निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें। जैसे:
- जब आप अपने शिशु को सॉलिड फूड देना शुरू करते हैं, तो एक साथ या खाने का मिक्सचर बनाकर ना खिलाएं। एक-एक कर और धीरे-धीरे सॉलिड फूड देना शुरू करें। एक-एक कर सॉलिड फूड देने से आप आसानी से समझ सकते हैं कि आपके शिशु को क्या पसंद है और क्या नहीं और कौन से खाद्य या पेय पदार्थों से एलर्जी हो रही है।
- एक बार में ज्यादा सॉलिड फूड ना दें।
- सॉलिड फूड की शुरुआत चावल, दाल, सब्जी, फ्रूट्स या मीट से की जा सकती है, लेकिन बच्चे को अच्छी तरह से मैश कर के ही खिलाएं।
- गाय का दूध भी बच्चे को एक साल के होने के बाद ही दें।
- सिर्फ एक तरह के खाने की आदत ना लगाएं या सिर्फ अपनी पसंदीदा ही खाने-पीने की चीजें ना दें।
- बच्चे को डेली फैट और कैलोरी वाले आहार ही दें। हालांकि अगर डॉक्टर ने बच्चे की सेहत को देखते हुए कुछ एडवाइस किया है, तो उसे फॉलो करें।
- शिशुओं और छोटे बच्चों को हॉट डॉग्स, नट्स, बीज, कैंडी, पॉपकॉर्न, कच्चे फल, कच्ची सब्जियां, अंगूर, या मूंगफली एवं मक्खन नहीं देना चाहिए। ये छोटे बच्चों के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं।
अगर आप शिशु को दूध पिलाने के नियम (Baby Feeding Schedule) या अगर फीडिंग से जुड़ी कोई परेशानी महसूस होती है, तो जुड़े किसी तरह के कोई सवाल जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
स्तनपान 👶 🍼 से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों को जानने और समझने के लिए नीचे दिए इस वीडियो लिंक पर क्लिक करें।
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