शिशु के जन्म के बाद माता-पिता के जीवन में बदलाव आना स्वभाविक है। जहां एक तरफ उत्साह व खुशी की कोई सीमा नहीं होती, वहीं नई जिम्मेदारी को लेकर थोड़ा भय भी हो सकता है। नवजात शिशु पूरी तरह से अन्य लोगों पर निर्भर होता है। जन्म के बाद पहले साल शिशु कई तरह के परिवर्तनों से गुजरता है। नए बने माता-पिता को न केवल शिशु की देखभाल कैसे करनी चाहिए, यह पता होना चाहिए। बल्कि, उन्हें कई चीजों का खास ध्यान भी रखना चाहिए। आज हम बात करने वाले हैं बेबी केयर बेसिक्स (Baby care basics) के बारे में। आइए जानें बेबी केयर बेसिक्स (Baby care basics) के बारे में और जानें अपने नवजात शिशु की देखभाल से जुड़ी कुछ खास बातें।
बेबी केयर बेसिक्स (Baby care basics)
नवजात शिशु की देखभाल तब से ही शुरू हो जाती है, जैसे ही वो दुनिया में कदम रखता है। शिशु के जन्म के तुरंत बाद ब्रेस्टफीडिंग की सलाह दी जाती है। यह शिशु और मां दोनों के लिए बेहद जरूरी है। इसलिए, उसे ब्रेस्टफीड अवश्य कराएं। यही नहीं, शिशु के जन्म के बाद आपके परिवार के लोग और दोस्त आपको अस्पताल में विजिट करना चाहेंगे। लेकिन, अधिक लोगों शिशु को विजिट न करने दें। ऐसा करना आपके और शिशु के लिए परेशानी का कारण बन सकता है। यह बेबी केयर बेसिक्स (Baby care basics) में सबसे पहले नंबर पर है।
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ब्रेस्टफीडिंग बेसिक्स (Breastfeeding basics)
ब्रेस्टफीडिंग एक नेचुरल प्रक्रिया है। लेकिन, कुछ महिलाओं के लिए यह मुश्किल हो सकता है। ऐसे में कुछ तकनीकें आपके काम आ सकती हैं, जैसे:
इसमें देरी न करें (Don’t Delay)
ऐसा माना जाता है कि डिलीवरी के एक घंटे के अंदर मां के लिए अपने नवजात शिशु को ब्रेस्टफीड कराना बेहद जरूरी है। इसके लिए नर्स या अन्य हॉस्पिटल स्टाफ मेंबर्स से भी मदद ली जा सकती है।
डिमांड पर नर्स करें (Nurse on Demand)
डिलीवरी के पहले छह हफ्तों के दौरान, शिशु जब भी चाहे, उसे नर्स करना जरूरी है। पर्याप्त मिल्क सप्लाई को लेकर चिंतित न हों। क्योंकि, जितना अधिक शिशु ब्रेस्टफीड करेगा, उतना ही अधिक मिल्क प्रोड्यूज होता है। इसके साथ ही शिशु को सही से ब्रेस्टफीड कराने की पोजीशन के बारे में भी आपको जानकारी होना जरूरी है।
पर्याप्त लिक्विड लें (Have enough liquid))
दिन में कम से कम आठ गिलास लिक्विड का सेवन करें। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान आपको रोजाना 2,200 से 2,400 कैलोरीज की जरूरत होती है। किंतु, यह आपकी उम्र, मेटाबॉलिज्म और एक्टिविटी लेवल पर निर्भर करता है। ब्रेस्टफीडिंग को लेकर अच्छी बात यह है कि ब्रेस्टफीडिंग से आप अपना वजन भी कम कर सकती हैं।
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शिशु को ब्रेस्टफीडिंग उसे केवल न्यूट्रिशन प्रदान करना नहीं है। इससे मां और शिशु दोनों के बीच की बॉन्डिंग भी बढ़ती है और अन्य कई फायदे भी होते हैं। ब्रेस्टफीडिंग से पहले इसके लिए उपयुक्त पोजीशन का चुनाव करें। अपने शिशु और अपने आराम के अनुसार आप सही पोजीशन को चुनें। कई लोग इसके लिए क्रैडल होल्ड का इस्तेमाल भी करते हैं। पोजीशन चाहे कोई भी हो, कोई सपोर्ट अवश्य लें जैसे नर्सिंग पिलो, बेड पिलो आदि। गुड लेच (Good latch) भी आराम से ब्रेस्टफीडिंग कराने का महत्वपूर्ण भाग है।
यदि इस दौरान बच्चे का सिर ट्विस्टेड हो या उसका मुंह मुड़ा हुआ है, तो इससे न केवल उसे दूध पीने में मुश्किल हो सकती है, बल्कि इससे आपके निपल्स भी खराब हो सकते हैं। एक हाथ से निप्पल को होल्ड कर के शिशु के मुंह तक ले जाएं। इससे शिशु के लिए दूध पीना आसान होगा। बेबी केयर बेसिक्स (Baby care basics) में अगर किन्हीं कारणों से आपने अपने शिशु को बेबी फार्मूला या बोतल फीडिंग का चुनाव किया जा तो भी सही तकनीक का इस्तेमाल जरूरी है।
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बेबी केयर बेसिक्स (Baby care basics) में डायपरिंग (Diapering)
डायपर बदलना शायद सभी शिशु देखभाल गतिविधियों में सबसे मुश्किल हो सकता है। किंतु ,इस मामले की सच्चाई यह है कि समय के साथ डायपरिंग करना आसान होता जाता है। बाजार में कई डिस्पोजल डायपर मौजूद हैं। जिन्हें आप अपने बजट और शिशु की जरूरत के अनुसार चुन सकते हैं। शिशु को डायपर पहनाने या बदलने के लिए सबसे पहले जरूरी चीजों को इकठ्ठा कर लें जैसे डायपर, वाइप्स और ओइंटमेंट्स आदि। अब किसी साफ और सही जगह का चुनाव करें जैसे कोई मेज या बेड। बच्चे को आराम से इस पर लेटा दें। इस दौरान बच्चे को कभी भी अकेले न छोड़ें। अब बच्चे के पुराने डायपर को खोल दें, लेकिन इसे बच्चे के नीचे से एकदम बाहर न निकालें।
इसके लिए बच्चों के एड़ियों को हल्के से पकड़ें और उन्हें ऊपर की तरफ उठाते हुए वाइप्स की मदद से शिशु के बॉटम को क्लीन करें। जैसे ही बच्चे की स्किन क्लीन हो जाए, तो बच्चे को नया डायपर पहना दें। बच्चे के कपड़े वापस पहनने के बाद, पुराने डायपर को लें और इसे डस्टबीन में ड़ाल दें। आप इस तरह से बाजार में मौजूद डायपर और घर के क्लॉथ डायपर का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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नहलाना (Bathing)
बेबी केयर बेसिक्स (Baby care basics) में अगला पॉइंट है बच्चे को नहलाना। बच्चे का नहाना मां और शिशु दोनों के लिए रिलेक्सिंग टाइम हो सकता है। लेकिन, शिशु को नहलाना थोड़ा मुश्किल का काम है और इस दौरान भी कुछ चीजों का खास ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए सबसे पहले उन चीजों को इकठ्ठा करें जिनका इस्तेमाल शिशु को नहलाते हुए आपको करना है जैसे शिशु के कपड़े, तौलिया, साबुन, लोशन, शिशु के लिए गुनगुना पानी आदि। इसके लिए आप किसी भी टब का इस्तेमाल कर सकते हैं। शिशु के लिए इस्तेमाल होने वाला पानी न अधिक गर्म होना चाहिए न ही ठंडा।
बच्चे को नहलाते हुए उससे बातें करते रहें। अब आराम से बच्चे के कपड़ों को उतारें। टब में बच्चे को रखें। एक हाथ से बच्चे को पकडे और दूसरे से उसे नहलाएं। इसके लिए किसी की मदद भी आप ले सकते हैं। शिशु को नहलाने की शुरुआत उसके चेहरे और गर्दन से करें और डायपर एरिया को सबसे अंत में साफ करें। जब शिशु को नहला लें, तो उसे टॉवल में अच्छे लपेट लें और सूखा लें। इसके बाद आप उसे लोशन लगा सकते हैं। अब साफ डायपर और कपड़े शिशु को पहनाएं। नहलाने से पहले बच्चे की मालिश भी कर लें। मालिश के भी शिशु को कई मानसिक और शारीरिक लाभ प्राप्त होते हैं।
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बेबी केयर बेसिक्स (Baby care basics) में शिशु को होल्ड करना (Holding the Baby)
शिशु को सही से होल्ड करना यानी पकड़ना एक जिम्मेदारी भरा काम है। शिशु को होल्ड करने के कई तरीके हैं। यही नहीं, उस समय तो यह और भी मुश्किल हो जाता है अगर आप कोई और काम कर रहे हों या शिशु बीमार हो। आप ब्रेस्टफीडिंग के लिए भी इन पोसिशन्स का इस्तेमाल कर सकती हैं। शिशु को पकड़ने के कुछ तरीके इस प्रकार हैं-
- क्रैडल होल्ड (Cradle Hold)
- क्रॉस क्रैडल होल्ड (Cross cradle hold)
- बेली होल्ड (Belly Hold)
- हिप होल्ड (Hip Hold)
- शोल्डर होल्ड (Shoulder hold)
- स्लिंग होल्ड (Sling Hold)
आपको और शिशु को कौन सी पोजीशन आरामदायक लगती है, इसके अनुसार आप उसे चुन सकते हैं।
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न्यूबोर्न के लिए फर्स्ट ऐड (First aid for newborn)
नवजात शिशु जल्दी बीमार पड़ते हैं। ऐसे में घर में इंफेंट फर्स्ट किट होना जरूरी है। ताकि, आप तुरंत इनका इस्तेमाल कर सकें। इस फर्स्ट ऐड किट में इन चीजों को अवश्य शामिल करें:
- बेबी थर्मामीटर (Baby thermometer)
- नेजल एस्पिरेटर (Nasal aspirator)
- मेडिसिन ड्रॉपर (Medicine dropper)
- बेबी नेल क्लिपर (Baby nail clipper)
- बेबी कोंब (Baby comb)
- एसिटामिनोफेन (Acetaminophen), लेकिन इसका इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह के बाद ही करें।
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यही नहीं, कुछ एमरजेंसी नम्बरों की सूची भी अपने पास रखें जैसे डॉक्टर, नजदीकी एमरजेंसी रूम और पॉयजन कंट्रोल नंबर आदि। अगर आपके शिशु को कोई समस्या है तो तुरंत मदद लें। यह तो थी जानकारी बेबी केयर बेसिक्स (Baby care basics) के बारे में। आप अगर पहली बार मां बनी हैं तो आप अपने मन से शिशु की परवरिश को लेकर अगर कोई भी शंका है तो उसे अपने मन से निकाल दें और इस समय का पूरा आनंद लें। यही नहीं, अगर आपके मन में इसको लेकर कोई भी सवाल है तो उसे अपने डॉक्टर से जानना न भूलें।
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