अपने नन्हें बच्चे के पास सोना पेरेंट्स के लिए एक अलग फीलिंग है, लेकिन को-स्लीपिंग (Co-sleeping) या बेड शेयरिंग करने को लेकर लोगों में कई तरह की राय हैं। एक फैमिली के लिए इनमें से क्या ज्यादा अच्छा है इसका पता लगाना कठिन हो सकता है। फैमिली बेड कई कारणों से माता-पिता को अट्रैक्टिव लग सकता है, लेकिन इसके कुछ रिस्क भी हो सकते हैं। जानकर हैरानी होगी कि यह आपके बच्चे के सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम (SIDS) की संभावना को बढ़ा सकता है। दूसरी ओर, अपने बच्चे को उसके कमरे में, उसके पालने (Crib) में सोने से, एसआईडीएस से बचाव हो सकता है।
हालांकि, इससे रात में बच्चे के जागने और उसके खाने को मैनेज करने में कुछ प्रॉब्लम हो सकती है। माता-पिता के को-स्लीपिंग से जुड़े सबसे सामान्य प्रश्नों के उत्तर इस आर्टिकल में दिए गए हैं। ये सवाल-जवाब आपको बेहतर ऑप्शन चुनने में फायदेमंद साबित हो सकते हैं।
को-स्लीपिंग (Co-sleeping) क्या है और पेरेंट्स इसे क्यों पसंद करते हैं?
को-स्लीपिंग (Co-sleeping) उसे कहते हैं जब माता-पिता अपने बच्चों के साथ एक ही सर्फेस पर बच्चे के करीब सोते हैं। को-स्लीपिंग (Co-sleeping) सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम के बढ़ते रिस्क से जुड़ी है, जिसमें कुछ परिस्थितियों में फेटल स्लीपिंग एक्सीडेंट्स शामिल हैं, लेकिन माता-पिता कई कारणों से अपने बच्चों को अपने साथ बिस्तर पर रखना पसंद करते हैं। जैसे कुछ पेरेंट्स का मानना है कि इससे उनके बच्चों को सेफ महसूस करने में मदद मिलती है। ये पेरेंट्स क्लोज बॉडी कॉन्टैक्ट को पसंद करते हैं और मानते हैं कि यह उनके बच्चों के साथ उनके रिलेशनशिप के लिए अच्छा है।
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को-स्लीपिंग (Co-sleeping) और बेड-शेयरिंग (Bed-sharing) में क्या अंतर है?
को-स्लीपिंग और बेड-शेयरिंग शब्द अक्सर एक-दूसरे के लिए उपयोग किए जाते हैं, लेकिन वे बिल्कुल समान नहीं हैं। बेड-शेयरिंग का अर्थ है अपने बच्चे के साथ एक ही बिस्तर पर सोना। जबकि को-स्लीपिंग का अर्थ है अपने बच्चे के करीब सोना, कभी एक ही बिस्तर पर और कभी-कभी एक ही कमरे में। दूसरे शब्दों में, बेड-शेयरिंग, को-स्लीपिंग का एक तरीका है, लेकिन यह एक हेल्दी प्रैक्टिस नहीं है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (एएपी) बेड-शेयरिंग के खिलाफ वॉर्निंग देता है क्योंकि इससे एसआईडीएस के लिए बच्चे का खतरा बढ़ जाता है।
अपने बच्चे के साथ को-स्लीपिंग का सुरक्षित तरीका रूम शेयर करना है – जहां आपका बच्चा बेडरूम में, अपने पालने, बेसिनेट या प्लेयार्ड में सोता है। वास्तव में, अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (AAP) आपके बच्चे के साथ कम से कम 6 महीने की उम्र तक, और संभवतः उसके पहले जन्मदिन तक कमरे में रहने की सलाह देती है।
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को-स्लीपिंग के क्या लाभ हैं? (Benefits of Co-sleeping)
- बेड-शेयरिंग से रात में ब्रेस्टफीडिंग कराना आसान हो जाता है और बच्चों और माता-पिता को अधिक नींद लेने में मदद मिलती है। कुछ लोगों का कहना है कि अतिरिक्त आराम का समय आपको अपने बच्चे के करीब महसूस करने में भी मदद कर सकता है, लेकिन ये सब बेड-शेयरिंग को सेफ नहीं बनाती हैं।
- अपने बच्चे को अपने बिस्तर के ठीक बगल में अपने पालने या बासीनेट (Bassinet) में रखने से नाईट टाइम फीडिंग उतनी ही जल्दी और आसान हो जाती है, जिससे हर कोई आराम से सो सकता है।
- यह रूम-शेयरिंग का एक मात्र लाभ नहीं हैं। सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि यह SIDS के रिस्क को 50 प्रतिशत तक कम करने में मदद कर सकता है। अपने बच्चे को अपने सोने की जगह में अपने बगल में रखने का मतलब है कि आप रात के दौरान किसी भी संभावित समस्या के लिए आसानी से सतर्क हो सकते हैं।
को-स्लीपिंग के रिस्क क्या हो सकते हैं? (Risk of Co-sleeping)
- सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका में हर साल लगभग 3,500 बच्चों की नींद से संबंधित कारणों से मृत्यू हो जाती है और बेड-शेयरिंग शिशुओं में मृत्यु के सबसे सामान्य कारणों में से एक है, विशेष रूप से 3 महीने से कम उम्र के बच्चों में।
- जब आपका बच्चा एक टाइट शीट के साथ गद्दे के अलावा किसी और चीज पर सोता है और पास में कुछ भी नहीं है, तो इससे एसआईडीएस का खतरा बढ़ जाता है, खासकर लाइफ के पहले छह महीनों में।
- सॉफ्ट या लूज बेडिंग, तकिए और एडल्ट बेड मैट्रेस सभी शिशुओं के लिए घुटन यानी सफोकेशन पैदा कर सकते हैं और थके हुए, गहरी नींद में सोने वाले पेरेंट्स के लिए, बच्चे के ऊपर रोल करने का खतरा (जिससे घुटन हो सकती है) बढ़ जाता है। यदि आप स्मोकिंग करते हैं या एल्कोहॉल लेते हैं तो SIDS का खतरा और भी बढ़ जाता है। अपने बच्चे के साथ एक ही सरफेस पर सोना सुरक्षित नहीं है। सेफ स्लीप को बढ़ावा देने के लिए, आपको रूम-शेयर करना चाहिए, लेकिन अपने बच्चे के साथ कभी भी बेड-शेयर नहीं करना चाहिए।
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क्या आप अपने बच्चे के साथ रूम-शेयरिंग करते हुए उसे स्लीप ट्रेनिंग (Sleep training) दे सकती हैं?
जब आपका शिशु नवजात होता है, तो उसे रात में बार-बार दूध पिलाना पड़ता है, और बोतल या दूध पिलाने के लिए कम से कम कुछ महीनों के लिए मां रात भर भी जाग सकती है, लेकिन एक बार जब आपका शिशु 4 से 6 महीने में पहुंच जाता है, तो उसकी आदतों सोने और खाने को लेकर कुछ बदलाव लिए जा सकते हैं। अमेरिकन अकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स का कहना है कि शिशु अपने माता-पिता के साथ कम से कम छह महीने तक एक ही कमरे में रहता है, तो इससे उसकी स्लीप ट्रेनिंग खराब हो सकती है। स्लीप ट्रेनिंग, जिसे स्लीप टीचिंग या सूदिंग ट्रेनिंग के रूप में भी जाना जाता है, का अर्थ है कि अपने बच्चे को रात में जागने पर अपने आप सो जाना सिखाना। याद रखें कि स्लीप ट्रेनिंग एक पर्सनल डिसीजन है जो आपके परिवार के लिए सही हो भी सकता है और नहीं भी। यदि आप अपने बच्चे को स्लीप ट्रेनिंग के लिए कम्फर्टेबल नहीं हैं, तो कोई बात नहीं।
अपने बच्चे के साथ एक ही कमरे में सोते हुए उसे स्लीप ट्रेनिंग के लिए कुछ टिप्स अपनाए जा सकते हैं जो निम्न हैं।
- अपने बच्चे को बिस्तर से थोड़ा दूर ले जाएं ताकि आप एक दूसरे को न देख सकें।
- पंखे या किसी मशीन का उपयोग करके कमरे में थोड़ा-सा शोर को ऐड करें।
- स्लीप ट्रैनिंग का एक मेथड चुनें और उस पर टिके रहने का प्रयास करें।
कोई भी तकनीक अपनाने से पहले आप डॉक्टर से सलाह मशविरा भी कर सकते हैं।
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आपको रूम-शेयरिंग कब बंद करना चाहिए? (When you should stop room sharing)
अमेरिकन अकडेमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार जब आपका शिशु 6 से 12 महीने का हो जाए, तब आप रूम-शेयरिंग करना बंद कर सकती हैं। शोध से पता चलता है कि जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते जाते हैं, शिशु और उनके माता-पिता दोनों एक कमरे में रहने के दौरान खराब नींद का शिकार हो सकते हैं।
हालांकि, को-स्लीपिंग (Co-sleeping) एक कंट्रोवर्शियल सब्जेक्ट है। याद रखने वाली सबसे जरूरी बात यह है कि बचपन के दौरान सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम के रिस्क को कम करने के लिए रूम-शेयरिंग सेफ है, जबकि बेड-शेयरिंग खतरनाक हो सकती है और SIDS के रिस्क को बढ़ा सकती है। यदि आपको बच्चे के लिए सुरक्षित स्लीपिंग अरेंजमेंट का पता लगाने में परेशानी हो रही है, तो अपने पेडियाट्रेशन से बात करें।
उम्मीद करते हैं कि आपको को-स्लीपिंग (Co-sleeping) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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