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सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम : जिसमें सोते वक्त ही हो जाती है शिशु की मौत, जानें कैसे नवजात को बचाएं इस सिंड्रोम से?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 01/12/2021

    सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम : जिसमें सोते वक्त ही हो जाती है शिशु की मौत, जानें कैसे नवजात को बचाएं इस सिंड्रोम से?

    सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम (Sudden infant death syndrome) एक साल से कम उम्र के एक स्वस्थ बच्चे की आमतौर पर नींद के दौरान होने वाली अस्पष्टीकृत मौत (Unexplained death) है। कई बार इसे एक क्रिब डेथ (Crib death) भी माना जाता है क्योंकि अक्सर नवजात की मौत बच्चे के पलने या बिछौने में ही हो जाती है। हालांकि, सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है, लेकिन इसका संबंध ब्रेन के हिस्से में डिफेक्ट से हैं जो बच्चे के सोते वक्त सांस लेने और जागने को नियंत्रित करता है।

    शोधकर्ताओं ने कुछ ऐसे कारकों की खोज की है जो शिशुओं को अतिरिक्त जोखिम में डाल सकते हैं। उन्होंने आपके बच्चे को SIDS से बचाने में मदद के लिए उठाए जा सकने वाले उपायों की भी पहचान की है। शायद सबसे महत्वपूर्ण है अपने बच्चे को सोने के लिए उसकी पीठ के बल लिटाना। इस आर्टिकल में इस सिंड्रोम के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी जा रही है।

    सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम के कारण क्या हैं? (Sudden infant death syndrome causes)

    फिजिकल और स्लीप एनवायरमेंट फैक्टर्स बच्चों के लिए संडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम की चपेट में आने का कारण बनते हैं। यह फैक्टर्स हर बच्चे के लिए अगल हो सकते हैं। सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम के कारण निम्न प्रकार हैं।

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    फिजिकल फैक्टर्स (Physical factors)

    सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम (Sudden infant death syndrome) के फिजिकल फैक्टर्स में निम्न शामिल हैं।

    ब्रेन डिफेक्ट्स (Brain defects)

    कुछ इंफेंट्स ऐसी समस्याओं के साथ पैदा होते हैं जिनकी वजह से उनमें सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम (Sudden infant death syndrome) की आशंका बढ़ जाती है। उनमें दिमाग का वह हिस्सा उतना परिपक्व नहीं होता है जो सोते वक्त सांस लेने और नींद से जागने को कंट्रोल करता है।

    लो बर्थ वेट (Low birth weight)

    प्रीमैच्योर बर्थ के कारण भी बेबी का ब्रेन पूरी तरह से मैच्योर नहीं हो पाता। जिसकी वजह से बच्चे का ब्रीदिंग और हार्ट रेट जैसी ऑटोमेटिक प्रॉसेस पर नियंत्रण नहीं रहता है।

    रेस्पिरेटरी इंफेक्शन (Respiratory infection)

    कई नवजात शिशु जिनकी मौत सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम (Sudden infant death syndrome) से हुई उन्हें कुछ समय पहले ही कोल्ड हुआ था जो ब्रीदिंग प्रॉब्लम्स को बढ़ाने का कारण बनता है।

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    स्लीप एनवायरमेंटल फैक्टर्स (Sleep environmental factors)

    बच्चे के सोने की जगह वहां रखा हुआ सामान और उनकी स्लीपिंग पॉजिशन बच्चे की फिजिकल प्रॉब्लम्स से मिल जाती हैं जिससे एसआईडीएस का रिस्क बढ़ जाता है। उदाहरण इस प्रकार है।

    • पेट के बल या साइड में सोना। जो शिशु इन पॉजिशन में सोते हैं उनमें पीठ के बल सोने वाले बच्चों की तुलना में अधिक परेशानियां होती हैं।
    • सॉफ्ट सरफेस पर सोना। सॉफ्ट गद्दे या चादर में मुंह दबाकर सोने से शिशुओं की एयरवेज ब्लॉक हो सकती है।
    • सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम का रिस्क शिशु के एक ही रूम में पेरेंट्स के साथ सोने पर कम हो सकता है। वहीं एक ही बेड पर पेरेंट्स, सिबलिंग्स और पेट्स के साथ सोने से रिस्क बढ़ जाता है।
    • ओवरहीटिंग। सोते वक्त बेबी के बहुत अधिक गर्म होने से सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम (Sudden infant death syndrome) का रिस्क बढ़ जाता है।

    एसआईडीएस के रिस्क फैक्टर्स क्या हैं? (Risk factors of SIDS)

    हालांकि एसआईडीएस किसी भी शिशु को हो सकता है, लेकिन फिर भी रिचर्स ने कुछ फैक्टर्स के बारे में बताया है जो बेबी के रिस्क को बढ़ा सकते हैं। उनके बारे में भी जान लीजिए:

    • लड़कियों की तुलना में लड़कों की डेथ सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम (Sudden infant death syndrome) से ज्यादा होती है।
    • शिशु जम्न के दूसरे और चौथे महीने में एसआईडीएस की चपेट में ज्यादा आते हैं।
    • इस कारण के बारे में ज्यादा पता नहीं है, लेकिन नॉनव्हाइट शिशु इस सिंड्रोम की चपेट में ज्यादा आते हैं।
    • जो बच्चे स्मोकर्स के साथ रहते हैं उनमें सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम (Sudden infant death syndrome) होने का रिस्क काफी बढ़ जाता है।
    • जो महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान स्मोक करती हैं, ड्रग्स और एल्कोहॉल को सेवन करती हैं, जिनकी उम्र 20 से कम होती हैं उनके बच्चों में एसआईडीएस का रिस्क बढ़ जाता है।
    • जिन बच्चों के भाई बहन या कजिन्स की मौत इस सिंड्रोम की वजह हुई हो उनमें इसका रिस्क हाय होता है।

    शिुश को सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम से कैसे बचाएं  (Sudden infant death syndrome Prevention)

    एसआईडीएस से बच्चे को बचाने का कोई गारंटीड उपाय नहीं है, लेकिन कुछ टिप्स को अपनाकर आप अपने बच्चे की सुरक्षा कर सकते हैं। बच्चे को पीठ के बल सुलाएं नाकि पेट के बल या साइड में। एक साल तक बच्चे की पॉजिशन का विशेष ध्यान रखें। यह आवश्यक नहीं है जब आपका शिशु जाग रहा हो या बिना किसी मदद के दोनों तरफ लुढ़कने में सक्षम हो। अगर कोई दूसरा बच्चे को सुला रहा है तो उन्हें बच्चे की पॉजिशन सही रखने की सलाह दें। अगर बच्चे के लिए नेनी को रखा है तो उन्हें बच्चे को पेट के बल ना सुलाएं के लिए कहें।

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    इन बातों का ना भूलें

    सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम (Sudden infant death syndrome)

    • बच्चे के पालने या जहां पर सोता है वहां बहुत ज्यादा मुलायम या गुदगुदा तकिया और गद्दा चादर ना रखें। सोते वक्त चादर उसके मुंह तक ना ढंकें। बच्चे के पास फल्फी टॉयज ना रखें। अगर इनसे बच्चे का चेहरा दबता है तो ये सांस लेने में परेशानी उत्पन्न कर सकते हैं।
    • बच्चों को वॉर्म रखना अच्छा है, लेकिन ओवरहीट ना करें। उनको कवर करने के लिए एडिशनल कवर का उपयोग ना करें।
    • बच्चों 6 महीने तक को एक ही रूम में लेकिन पालने में सुलाने की सलाह दी जाती है। वे बच्चे की स्लीप के लिए ही डिजाइन किए जाते हैं। बड़ों के बेड शिशुओं के लिए सुरक्षित नहीं होते हैं। ऐसे में बच्चा सफोकेट हो सकता है अगर पेरेंट गलती से बच्चे के नाक या मुंह को कवर कर लेते हैं।
    • कम से कम 6 महीने तक ब्रेस्टफीडिंग कराने से एसआईडीएस का रिस्क कम हो सकता है।
    • किसी भी प्रकार के बेबी मॉनिटर्स और दूसरे कमर्शियल डिवाइस का उपयोग ना करें जो सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम के रिस्क को कम करने का दावा करते हों। ये डिवाइस असरकारक नहीं होती हैं।
    • जब आप प्रेग्नेंट हों तो स्मोकिंग ना करें और किसी को भी बच्चे के पास स्मोक करने की अनुमति ना दें

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    सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम (Sudden infant death syndrome) के होने को लेकर कोई अन्य थ्योरी है?

    जबकि SIDS का कारण अज्ञात है, कई चिकित्सक और शोधकर्ता मानते हैं कि SIDS बच्चे की नींद से जगाने की क्षमता, ऑक्सीजन के निम्न स्तर या रक्त में कार्बन डाइऑक्साइड के निर्माण में समस्याओं से जुड़ा है। जब बच्चे मुंह के बल सोते हैं, तो वे उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड को फिर से सांस ले सकते हैं। आम तौर पर, कार्बन डाइऑक्साइड का बढ़ता स्तर ब्रेनस्टेम में तंत्रिका कोशिकाओं को सक्रिय करता है, जो मस्तिष्क के श्वसन और उत्तेजना केंद्रों को उत्तेजित करता है। बच्चा तब उठता है, अपना सिर घुमाता है, और अधिक ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए तेजी से सांस लेता है। हालाँकि, SIDS के बच्चे उठने में विफल हो सकते हैं।

    SIDS के लिए “ट्रिपल-रिस्क मॉडल’ SIDS कैसे होता है को समझाता है।

    मॉडल मानता है कि SIDS तब होता है जब तीन स्थितियां एक साथ मौजूद होती हैं:

    • शिशु में एक अंतर्निहित (जैसे, ब्रेनस्टेम) असामान्यता जो उसे ब्लड में कम ऑक्सीजन या उच्च कार्बन डाइऑक्साइड स्तर पर प्रतिक्रिया करने में असमर्थ बनाती है।
    • शिशु का एक ट्रिगर करने वाली घटना के संपर्क आना जैसे कि उसका पेट के बल नीचे सोना
    • ये घटनाएं शिशु के विकास के एक संवेदनशील चरण के दौरान होती हैं, यानी जीवन के पहले छह महीने

    सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम (Sudden infant death syndrome) का कोई इलाज मौजूद नहीं है। बस आप सोते वक्त बच्चे की सुरक्षा का ध्यान रखकर उसे इस सिंड्रोम से बचाने में मदद कर सकती हैं। इस सिंड्रोम को डायग्नोस करने का भी कोई तरीका नहीं है। इसलिए बच्चे की सुरक्षा का ध्यान रखें।

    उम्मीद करते हैं कि आपको सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम (Sudden infant death syndrome) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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