शिशु की रक्षा करना (Baby’s Protection)
महिलाएं प्राकृतिक रूप से अपने बच्चे के लिए अधिक प्रोटेक्टिव होती है। वो अपने बच्चे की देखभाल के लिए किसी भी जोखिम को उठाने के लिए तैयार रहती है। यह मैटरनल इंस्टिंक्ट (Maternal Instinct) का एक अच्छा उदाहरण है। यही नहीं, मां अपने बच्चे की आवाज तक को दूर से पहचान लेती है, बिना कहे उसकी मन की बातों को भी समझ लेती है।
क्या मैटरनल इंस्टिंक्ट सभी महिलाओं में होती है?
क्या मैटरनल इंस्टिंक्ट (Maternal Instinct) सभी महिलाओं में होती है या नहीं, यह बात अभी तक बहस का विषय है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि गर्भावस्था के दौरान और बाद में महिला के शरीर में कई परिवर्तन होते हैं। ऑक्सीटोसिन (Oxytocin) जैसे हार्मोन शिशु और मां के बीच की बॉन्डिंग को मजबूत करने में सहायक हैं। यह भी माना जाता है कि ब्रेस्टफीडिंग से ऑक्सीटोसिन अधिक मात्रा में रिलीज़ होता है, जिससे शिशु और मां का प्यार और मजबूत होता है। लेकिन, यह इंस्टिक्ट सभी महिलाओं में होती है या नहीं, यह कहना मुश्किल है। हालांकि, अधिकतर महिलाओं में अपने बच्चे के प्रति खास भावनाएं होती हैं। अब जानते हैं कि इस बारे में वैज्ञानिकों का क्या मानना है।
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वैज्ञानिकों के अनुसार मैटरनल इंस्टिंक्ट सच है या मिथक?
मैटरनल इंस्टिंक्ट (Maternal Instinct) को एक तरह का मिथक माना गया है। एक्सपर्ट ऐसा मानते हैं कि मां के अलावा शिशु के अन्य करीबी लोग भी बच्चे के लिए इस तरह की बॉन्डिंग महसूस कर सकते हैं। जैसे माता-पिता दोनों इस बात को जान सकते हैं कि उनका बच्चा किन कारणों से रो रहा है। यही नहीं, बच्चे के बड़े होने पर उसके व्यवहार से वो जान सकते हैं कि उसका व्यवहार सामान्य नहीं है या कुछ गड़बड़ है। उनका मानना है कि मैटरनल इंस्टिंक्ट साइकोलॉजी (Maternal Instinct Psychology) असल में बच्चे के साथ बॉन्डिंग और अनुभव के साथ आती है।
यह अनुभव बच्चे के साथ अधिक से अधिक समय बिताने के साथ आता है। बच्चे की देखभाल के कई पहलू जैसे नर्सिंग, शांत रहना और डायपर बदलना आदि नयी माताओं को पहले नहीं आता है। बल्कि वो अनुभव से इसे सीखती हैं। इसके लिए उन्हें केवल सही मार्गदर्शन की जरूरत होती है।