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मैटरनल इंस्टिंक्ट : क्यों जरूरी है शिशु कि देखभाल के लिए?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 01/10/2021

    मैटरनल इंस्टिंक्ट : क्यों जरूरी है शिशु कि देखभाल के लिए?

    इसमें कोई संदेह नहीं है कि शिशु को उसकी मां से ज्यादा प्रेम और कोई नहीं कर सकता। इसीलिए, तो मां को भगवान के समान का दर्जा दिया गया है। मां और मातृत्व से जुड़े हर पहलू के बारे में आपने सुना होगा। उन्ही में से एक टर्म है मैटरनल इंस्टिंक्ट (Maternal Instinct)। मैटरनल इंस्टिंक्ट (Maternal Instinct) के बारे में हम सबने सुना है, लेकिन हम में से अधिकतर लोग इसे खास महत्व नहीं देते। कुछ लोग इसे भ्रम, झूठ या मन के वहम का नाम देते हैं।  हम सब यह मानते हैं कि हर महिला के अंदर मां बनने की इच्छा होती है और हर मां यह पता होता है कि बच्चे का पालन-पोषण कैसे किया जाता है। भले ही उस महिला को इसकी जरूरत या अनुभव हो या न हो। लोगों का सोचना यह है कि यह सब पहले से ही महिलाएं सीख कर आती हैं।

    आज हम इसी मैटरनल इंस्टिंक्ट (Maternal Instinct) के बारे में बात करने वाले हैं। आइए, जानें क्या मैटरनल इंस्टिंक्ट (Maternal Instinct) सच है या मिथक। लेकिन इससे पहले जानते हैं कि आखिर मैटरनल इंस्टिंक्ट है क्या (Maternal Instinct)?

    किसे कहते हैं मैटरनल इंस्टिंक्ट? (Maternal Instinct)

    मैटरनल का अर्थ है मां से संबंधित और इंस्टिंक्ट का अर्थ है स्वाभाविक या नेचुरल। इसलिए, मैटरनल इंस्टिंक्ट (What is Maternal Instinct) शब्द का अर्थ है, महिलाओं द्वारा मां के रूप में देखभाल करने से संबंधित व्यवहार और ज्ञान। ऐसा माना जाता है कि मैटरनल इंस्टिंक्ट वो इच्छा है जो महिलाओं को मां बनने के साथ ही बच्चे के पैदा होने पर उसकी परवरिश कैसे करनी है, इसके लिए मोटिवेट करती है।

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    जब किसी मां के मन में यह भावनाएं पैदा नहीं होती, तो इसे महिला की असफलता मानी जाती है। खुद महिलाएं भी इसे अपनी हार मानती हैं। लेकिन ऐसा नहीं होता कि उनमें मैटरनल इंस्टिंक्ट नहीं होती लेकिन असल में उन को स्पोर्ट और मदद की जरूरत होती है। यानि, ऐसे व्यक्ति के सहयोग की, जो उन्हें सही से सिखाएं और उनका मार्गदर्शन करे। आइए, अब इसके कारणों के बारे में जान लेते हैं: 

    मैटरनल इंस्टिंक्ट के क्या कारण हैं? (Cause of Maternal Instinct)

    ऐसा माना जाता है कि हर महिला में आमतौर पर मैटरनल इंस्टिंक्ट (Maternal Instinct) होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों है और मैटरनल इंस्टिंक्ट (Maternal Instinct) का कारण क्या है? वैज्ञानिकों के अनुसार इसका कारण है ऑक्सीटोसिन (oxytocin) नाम का हॉर्मोन, जिसे लव हॉर्मोन के नाम से भी जाना जाता है। ऑक्सीटोसिन को सामाजिक और मैटरनल व्यवहार की रेगुलेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है। एक शोध के मुताबिक महिलाओं के दिमाग के एक क्षेत्र में ऑक्सीटोसिन द्वारा सक्रिय कोशिकाओं का समूह होता है, जो पुरुषों में मौजूद नहीं होता। ऑक्सीटोसिन, रिसेप्टर सेल्स ब्रेन एरिया में होता है, जो मैटरनल बेहेवियर के रेगुलेशन से जुड़ा होता है।

    इन कोशिकाओं में ऑक्सीटोसिन रिसेप्टर्स की अभिव्यक्ति केवल एस्ट्रोजन (प्राथमिक महिला सेक्स हार्मोन) की उपस्थिति में मौजूद है। ये कोशिकाएं मेटरनल व्यवहार को प्रेरित करती हैं। यानी, असल में ऑक्सीटोसिन को मैटरनल इंस्टिंक्ट (Maternal Instinct) के लिए जिम्मेदार माना जाता है। 

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    मैटरनल इंस्टिंक्ट के उदाहरण क्या हैं? (Example of Maternal Instinct)

     वैज्ञानिक और विशेषज्ञ मैटरनल इंस्टिंक्ट (Maternal Instinct) को सच नहीं मानते। लेकिन, मैटरनल इंस्टिंक्ट (Maternal Instinct) को पूरी तरह से झुठलाया भी नहीं जा सकता। इसके कुछ ऐसे उदाहरण इस प्रकार हो सकते हैं:

    मां बनाने की इच्छा 

    बहुत सी महिलाएं प्रेग्नेंसी को लेकर तब तक निश्चिन्त नहीं होती, जब तक वो सच में गर्भवती नहीं हो जाती। उसके बाद उन्हें महसूस होता है कि मां बनना उनके जीवन की सबसे बड़ी खुशी है। शिशु के जन्म के बाद उनके जीवन में खुशियां बढ़ती हैं। इसे आप मैटरनल इंस्टिंक्ट (Maternal Instinct)  कह सकते हैं, क्योंकि शिशु के होने से उनका नजरिया ही बदल जाता है।शिशु को जिम्मेदारी समझने वाली मां उसी में अपने लिए खुशियां ढूंढ लेती है।

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    शिशु की देखभाल (Baby Care)

    मां के शरीर को भगवान ने इस तरह से बनाया है कि वो शिशु का पोषण कर सके। जैसे उसे ब्रेस्टफीडिंग कराना आदि। हालांकि, ब्रेस्टफीडिंग कुछ महिलाओं के लिए एक चुनौती हो सकता है। लेकिन, अधिकतर महिलाओं के लिए यह शिशु के पोषण का एक प्राकृतिक तरीका है। यही नहीं, मां और बच्चे का बॉन्ड पिता और शिशु के बॉन्ड से कई गुना मजबूत होता है। मां पिता की तुलना में अपने बच्चे और उसकी जरूरतों को अधिक समझती है। माता-पिता खासतौर पर मां अपने शिशु के चेहरे से ही उसकी इमोशनल स्टेट को बता सकती है की वो क्या महसूस कर रहा है। यह भी मैटरनल इंस्टिंक्ट (Maternal Instinct) ही है।

    शिशु की रक्षा करना (Baby’s Protection)

    महिलाएं प्राकृतिक रूप से अपने बच्चे के लिए अधिक प्रोटेक्टिव होती है। वो अपने बच्चे की देखभाल के लिए किसी भी जोखिम को उठाने के लिए तैयार रहती है। यह  मैटरनल इंस्टिंक्ट (Maternal Instinct) का एक अच्छा उदाहरण है। यही नहीं, मां अपने बच्चे की आवाज तक को दूर से पहचान लेती है, बिना कहे उसकी मन की बातों को भी समझ लेती है।

    क्या मैटरनल इंस्टिंक्ट सभी महिलाओं में होती है? 

    क्या मैटरनल इंस्टिंक्ट (Maternal Instinct) सभी महिलाओं में होती है या नहीं, यह बात अभी तक बहस का विषय है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि गर्भावस्था के दौरान और बाद में महिला के शरीर में कई परिवर्तन होते हैं। ऑक्सीटोसिन (Oxytocin) जैसे हार्मोन शिशु और मां के बीच की बॉन्डिंग को मजबूत करने में सहायक हैं। यह भी माना जाता है कि ब्रेस्टफीडिंग से ऑक्सीटोसिन अधिक मात्रा में रिलीज़ होता है, जिससे शिशु और मां का प्यार और मजबूत होता है। लेकिन, यह इंस्टिक्ट सभी महिलाओं में होती है या नहीं, यह कहना मुश्किल है। हालांकि, अधिकतर महिलाओं में अपने बच्चे के प्रति खास भावनाएं होती हैं। अब जानते हैं कि इस बारे में वैज्ञानिकों का क्या मानना है।

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    वैज्ञानिकों के अनुसार मैटरनल इंस्टिंक्ट सच है या मिथक?

    मैटरनल इंस्टिंक्ट (Maternal Instinct) को एक तरह का मिथक माना गया है। एक्सपर्ट ऐसा मानते हैं कि मां के अलावा शिशु के अन्य  करीबी लोग भी बच्चे के लिए इस तरह की बॉन्डिंग महसूस कर सकते हैं। जैसे माता-पिता दोनों इस बात को जान सकते हैं कि उनका बच्चा किन कारणों से रो रहा है। यही नहीं, बच्चे के बड़े होने पर उसके व्यवहार से वो जान सकते हैं कि उसका व्यवहार सामान्य नहीं है या कुछ गड़बड़ है। उनका मानना है कि मैटरनल इंस्टिंक्ट साइकोलॉजी (Maternal Instinct Psychology) असल में बच्चे के साथ बॉन्डिंग और अनुभव के साथ आती है।

    यह अनुभव बच्चे के साथ अधिक से अधिक समय बिताने के साथ आता है। बच्चे की देखभाल के कई पहलू जैसे नर्सिंग, शांत रहना और डायपर बदलना आदि नयी माताओं को पहले नहीं आता है। बल्कि वो अनुभव से इसे सीखती हैं। इसके लिए उन्हें केवल सही मार्गदर्शन की जरूरत होती है।

    इंस्टिंक्ट और ड्राइव के बीच अंतर क्या है (Difference between Instinct and Drive)

    इंस्टिंक्ट और ड्राइव को एक ही समझने की गलती न करें। इंस्टिंक्ट और ड्राइव दोनों एक दूसरे से बहुत अलग होती है। इंस्टिंक्ट एक ऐसा गुण है जो स्वाभाविक रूप से आता है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण जानवर हैं जो बिना किसी अनुभव या मदद के अपने बच्चे की रक्षा और देखभाल करते हैं। लेकिन, मनुष्य उनसे अलग होते हैं। इसलिए, स्ट्रांग इंस्टिंक्ट (Strong instinct) जानवरों पर लागू होती है।

    जबकि, ड्राइव एक प्रेरणा की स्थिति है जो किसी आवश्यकता के कारण हमारे मन में पैदा होती है। मदरली ड्राइव हॉर्मोन्स (Motherly Drive Hormones) में बदलाव के कारण आती है, जो प्रेग्नेंसी की वजह से  हमारे शरीर में आते हैं और हमारे इमोशंस और बिहेवियर पर प्रभाव डालते हैं। बहुत सी स्वस्थ महिलाएं मेटरनल ड्राइव महसूस नहीं करती हैं लेकिन कई पिता इसे अनुभव करते हैं। इसलिए इसे सभी माता-पिता में अपने बच्चे के लिए केयरिंग इंस्टिंक्ट भी कहा जा सकता है।

    मां के रूप में अपनी ताकत को पहचानें 

    एक्सपर्ट का यह भी मानना है कि अगर आप मैटरनल इंस्टिंक्ट (Maternal Instinct) का अनुभव नहीं करती है, तो मां के रूप में अपनी ताकत को पहचानें और खुद पर विश्वास रखें। अगर आप ऐसा करेंगी तो आप एक अच्छी और आदर्श मां बनने में सफल होंगी। इस बात को सुनिश्चित करने के लिए समय निकालें कि मां के रूप में कौन सी चीजें आपके लिए महत्वपूर्ण है। इसके लिए आपको किसी इंस्टिंक्ट या अन्य चीज पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है। अपने अनुभवों और सही मार्गदर्शन से आप मातृत्व की मुश्किल राह को भी आप आसान और जीवन का सबसे सुन्दर रास्ता बना सकते हैं।

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    सभी महिलाओं से यह उम्मीद की जाती है कि वो मां बनने से पहले ही उसकी देखभाल करना जानती होंगी। तो इससे महिलाओं के ऊपर बहुत अधिक दबाव पड़ता है। इसके कारण वो पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या हो सकती है। कुछ महिलाएं जो मैटरनल इंस्टिंक्ट (Maternal Instinct) साइकोलॉजी से दूर होती है वो शर्मिंदा महसूस करती हैं और इसके लिए खुद को जिम्मेदार मानती हैं। लेकिन, खुद को जिम्मेदार मानने से अच्छा है यह समझना कि इसमें आपकी कोई गलती नहीं है। शिशु के जन्म के बाद आप खुद यह सब समझ और सीख जाएंगी। वैज्ञानिक तो इसे केयरिंग इंस्टिंक्ट मानते हैं जो समय और अनुभव के साथ आती है। इसलिए, मैटरनल इंस्टिंक्ट पर विश्वास न करते हुए आप खुद पर विश्वास रखें।

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