अधिकतर मामलों में बच्चों में होने वाले ईटिंग डिसऑर्डर के सही कारणों के बारे में पता नहीं चल पाया है। टीएनजर्स में ईटिंग डिसऑर्डर का कारण, उनकी मेंटल हेल्थ और लुक को लेकर चिंता देखी गई है। मानसिक कारणों में शामिल हैं, परफेक्ट दिखने की चाहत और अपनी बॉडी इमेज को लेकर परेशान रहना। बच्चों में एंग्जायटी और डिप्रेशन की वजह भी यह हो सकती है। लुक्स को लेकर आजकल बच्चों में हीनभावना ज्यादा बढ़ती जा रही है। इसलिए बच्चों में ईटिंग डिऑर्डर का सबसे बड़ा कारण बच्चों में लुक कॉन्शियस देखा गया है। इसके अलावा बच्चों में ईटिंग डिसऑर्डर के और भी कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि कोई अंनरूनी बीमारी, स्वाद को लेकर दिक्कत या खाना खाने की इच्छा न होना आदि।
बच्चों को ईटिंग डिसऑर्डर से कैसे बचाएं (Eating Disorder Treatment)
पेरेंट्स और बच्चों के बीच बातचीत से भी इस विकार को पैदा होने से रोका जा सकता है। बच्चों को ईटिंग डिसऑर्डर से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में समझाएं। उन्हें बताएं कि इसका असर उनके विकास और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ेगा। बच्चों को अपने विचारों और भावनाओं को अपने साथ शेयर करने के लिए कहें। बॉडी इमेज और रंग को लेकर होने वाली नेगेटिव बातों से दूर रहने की आदत डालें। अगर कोई व्यक्ति उन्हें गलत बोलता है, तो बच्चे को इस तरह की स्थिति से निपटना सिखाएं। बच्चों को भोजन और पोषण के महत्व के बारे में बताएं ताकि वो खाने से जी न चुराए।
क्या है इलाज (Eating Disorder Treatment)
कई मामलों में ईटिंग डिसऑर्डर से ग्रस्त 120 बच्चों में से एक तिहाई बच्चों में 8 महीने की ट्रीटमेंट के बाद सुधार देखा गया। इसमें कुछ बच्चों को साइकोथेरेपी तो वहीं दो तिहाई बच्चों को साइकोएक्टिव दवाएं दी गई थीं। इससे पता चलता है कि ईटिंग डिसऑर्डर का संबंध मानसिक स्वास्थ्य से ज्यादा है। साइकोथेरेपी जैसे कि कॉग्नीटिव बिहेवरियल थेरेपी या फैमिली थेरेपी बच्चों को इस विकार से निकलने में मदद कर सकती है। इसमें बच्चे अपने परिवार के सदस्यों से खुलकर अपने मन की बात कहते हैं। मानसिक समस्याओं जैसे कि एंग्जायटी और डिप्रेशन अक्सर ईटिंग डिसऑर्डर का कारण बनते हैं। ऐसे में एंटीडिप्रेसेंट और एंटीसाइकोटिक दवाएं दी जाती हैं।