भवनात्मक रूप से खुद को मजबूत रखें (Emotional Strong)
कई बार ऐसा होता है कि बच्चे के लिए लाख कुछ करने के बाद भी, आपका बच्चा दूसरे बच्चे को देखते हुए यह बोल ही देता होगा कि देखों उनके पेरेंट्स अपने बच्चे के लिए ये-ये चीजें करते हैं, फिर चाहें वो महंगे कपड़े या खिलौने ही हों। तो ऐसे पेरेंट्स (Parents) काे बच्चों की इन बातों को अपने मन पर नहीं लेना चाहिए, क्योंकि यह फैक्ट (Fact) सभी पेरेंट्स बच्चों की एक जैसी परवरिश (Parenting) नहीं कर सकते हैं। आप भी अपने बच्चों के लिए बहुत सही ऐसी चीजें करते होंगो, जो दूसरे पेरेंट्स नहीं कर पाते होंगे। आईडियल पेरेंट्स के रूप में आप खुद को इस नजरिए से न देखें कि आपको बच्चे की सभी इच्छा पूरी करनी है।
इसके लिए आप बच्चे को भी भवनात्मक रूप से मजबूज रखें। ऐसा होता है कि कई बार बच्चे किसी बात को लेकर दुखी होने लगते हैं। कई स्थितियों या बच्चों की असफलता में पेरेंट्स बच्चों को खुश करने के लिए कह देते हैं कि ‘ये कोई बड़ी बात नहीं है’ ऐसे में बच्चों को लगता है कि भावनाएं ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं होती हैं। तो ऐसे में बच्चों को खुद से अपनी भावनाओं को संभालने (Emotional) और उनसे निपटना सिखाएं। इस तरह से आप खुद को तनाव में महसूस नहीं करेंगे।
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आईडियल परेंट्स : बच्चों को अपनी लड़ाई खुद लड़ना सिखाएं (Fight their own battles)
अगर आप आईडियल पेरेंट्स (Ideal Parents) बनना चाहते हैं, तो जरूरी है कि आप अपने बच्चे की लड़ाई (Child’s fight) लड़ने की जगह, आप उसे खुद की लड़ाई, खुद लड़ना सिखाएं। कई बार ऐसा भी हुआ होगा कि कई स्थितियो, गलती या लड़ाई में अपने बच्चे को बचाने के लिए उसकी तरफ से आपने कदम उठाए होंगे। क्योंकि पेरेंट्स नहीं चाहते हैं कि उनके बच्चों को किसी प्रकार मुश्किलों और चुनौतियों (Challenges) का सामना करना पड़े। इस वजह से पेरेंट्स अपने बच्चों की लड़ाई खुद ही लड़ने लगते हैं। जो कि गलत है, अगर स्थिति बहुत गंभीर है, तो आप ऐसा करें, लेकिन हर छोटी-छोटी मुश्किल में उसे अपनी लड़ाई खुद ही लड़ने दें। आप बस उसका सहयोग करें।