प्रेग्नेंट महिलाओं के मन में यह प्रश्न बना रहता है कि बच्चे के जन्म के बाद क्या वह बच्चे को सही से स्तनपान करा पाएंगी या फिर नहीं? बच्चे के जन्म के बाद मां को तुरंत अधिक मात्रा में दूध बनने नहीं लगता है। कहने का मतलब यह है कि यह प्रक्रिया धीमे-धीमे शुरू होती है। जब मां बच्चे को जन्म देती है, उसके बाद हॉर्मोनल बदलाव के कारण दूध बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है लेकिन यह धीमे-धीमे ही तेज होती है। मां का पहला पीला दूध बच्चे के स्वास्थ के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। जब बच्चा जन्म लेता है, तो बच्चे को पेट भरने के लिए बहुत कम मात्रा में दूध की आवश्यकता होती है। जब धीरे-धीरे बच्चा दूध पीने लगता है, तो मां के बनने वाले दूध की मात्रा भी बढ़ने लगती है। माताओं को ब्रेस्टफीडिंग को लेकर यह चिंता नहीं करनी चाहिए कि उन्हें शुरू में कम दूध बन रहा है। और यह भी नहीं सोचना चाहिए कि बच्चे का पेट नहीं भर पा रहा है। ब्रेस्टफीडिंग बेसिक्स और टिप्स की जानकारी हर महिला को होनी चाहिए। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको ब्रेस्टफीडिंग बेसिक्स और टिप्स (Breastfeeding basics and tips) के बारे में जानकारी देंगे।
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ब्रेस्टफीडिंग बेसिक्स और टिप्स से पहले जानें मिल्क के थ्री स्टेज के बारे में
ब्रेस्टफीडिंग बेसिक्स और टिप्स जानने से पहले आपको दूध के तीन चरणों के बारे में जानना जरूरी है। मां का दूध 3 चरणों में बनता है। स्तनपान कराना पूरी तरह से नैचुरल प्रोसेस है। मां का दूध बच्चे को पोषण प्रदान करने के साथ ही उसे बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी प्रदान करता है। पहले चरण में दूध कम बनता है और उससे बाद दूध बढ़ जाता है। जानिए तीनों चरणों के बारे में।
कोलोस्ट्रम (Colostrum)- जब बच्चा जन्म लेता है तो उस समय मां को गाढ़ा पीले रंग का दूध बनता है, जिसे कोलोस्ट्रम कहा जाता है। कई बार यह प्रेग्नेंसी के दौरान भी स्तनों से थोड़ी मात्रा में निकल सकता है। कोलोस्ट्रम में प्रोटीन, विटामिन और मिनिरल्स होते हैं, जो बच्चे को बैक्टीरिया और वायरस से बचाव में मदद करते हैं। इसका सेवन करने से बच्चों में एंटीबॉडी बनती हैं और साथ ही इम्यून सिस्टम भी डेवेलप होता है। इससे बच्चों में पाचन संबंधी परेशानियां भी दूर होती हैं। साथ ही बच्चे में बॉउल मूवमेंट भी स्टिमुलेट होता है। आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि इस दूध की बच्चों को बहुत थोड़ी मात्रा में ही जरूरत होती है। अगर उन्हें कुछ मात्रा में यह मिल जाए, तो यह उनके स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है। इस चरण के बाद दूसरा चरण शुरू होता है और शरीर नेक्स्ट लेवल में मिल्क प्रोड्यूज करना शुरू कर देता है।
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ट्रांजिशनल मिल्क (Transitional milk): जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि डिलिवरी के बाद महिला को कोलोस्ट्रम मिल्क बनता है। उसके बाद लगभग 3 से 4 दिन होने पर ट्रांजिशनल मिल्क बनना शुरू हो जाता है। यह हल्के नारंगी रंग का हो सकता है लेकिन बच्चों को इस दूध का टेस्ट बहुत अच्छा लगता है। 3 से 4 दिन बाद तक दूध कैसे पिया जाता है, यह बच्चा थोड़ा-बहुत सीख जाता है। इस दूध में पर्याप्त मात्रा में फैट और कैलोरी होती है। अभी भी आपको पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं बन रहा है लेकिन आपको कुछ दिन का इंतजार करना होगा, जब आपके स्तनों में पर्याप्त मात्रा में दूध बनाने लगेगा।
मेच्योर मिल्क (Mature milk): डिलिवरी के 10 दिन से 2 सप्ताह के बाद तक मेच्योर मिल्क बनना शुरू हो जाता है। यह दूध पतला होता है और देखने में सफेद होता है। कभी-कभी इसका रंग हल्का नीला भी हो सकता है। यह दूध देखने में पतला लगता है। इस दूध में पर्याप्त मात्रा में फैट के साथी अन्य पोषक तत्व भी होते हैं, जो बढ़ते हुए बच्चों के लिए बहुत जरूरी होते हैं। यह दूध आपके बच्चों को पोषण प्राप्त करने के साथी पेट भरने का भी काम करता है। इसे तीसरे चरण का दूध कहते हैं।
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ब्रेस्टफीडिंग बेसिक्स और टिप्स क्या हैं?
बच्चे को सही ढंग से दूध पिलाना बहुत जरूरी है। ब्रेस्टफीडिंग बेसिक्स और टिप्स (Breastfeeding basics and tips) में इस बात का ध्यान जरूर रखें कि अगर बच्चा सही से निप्पल को या फिर एरोला को अपने मुंह में नहीं दबा पाएगा, तो दूध का सही से रिसाव नहीं हो पाएगा और साथ ही आपको भी निप्पल में दर्द का एहसास होगा। इसके लिए बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग के दौरान सही से पकड़ना बहुत जरूरी है। अपने बच्चे को ब्रेस्ट के सामने रखें। उसके शरीर के अगले भाग को आपको स्तनों के सामने रखना होगा, जिससे कि वह आसानी से दूध पी सके। आपको ना तो स्तनों को बच्चों के पास ले जाने की जरूरत है, और ना ही बच्चे को स्तनों से चिपकाने की जरूरत है। आप ऐसी स्थिति में बैठे, कि बच्चा आसानी से ब्रेस्ट में मुंह लगाकर दूध को पी सके। जानिए अन्य किन बातों का ध्यान रखने की जरूरत है।
- जब बच्चा दूध पीने की शुरुआत करता है, तो उसे नहीं पता होता है कि उसे किस तरह से दूध पीना है। इसके लिए आपको ही शुरुआत करनी होगी। अगर बच्चा सही से मुंह नहीं खोल पा रहा है, तो आपको उसके होठों पर उंगली या फिर निप्पल से सहलाना होगा। अगर फिर भी बच्चा मुंह ना खोले, तो उसके मुंह में कुछ मात्रा में दूध डालें, जिससे कि बच्चे को पता चल जाए कि उसे दूध पीने को मिलेगा।
- अगर बच्चा अपना मुंह ब्रेस्ट से हटा लेता है, तो ऐसे मैं आपको उसके गालों को सहलाना होगा, जिससे कि बच्चा अपना सिर स्तनों की ओर घुमा लेगा।
- ब्रेस्टफीडिंग बेसिक्स और टिप्स (Breastfeeding basics and tips) में स्तनपान के समय बच्चे का मुंह पूरी तरह से खोलना जरूरी है। आपको अपने स्तन को बच्चे की ओर ले जाना होगा लेकिन आप अपने स्तनों को झुकाए नहीं बल्कि बच्चे को स्तन के पास लेकर आए। बच्चे खुद ही अपने आप स्तनों को पकड़ लेगा और दूध पीने की कोशिश करना लगेगा। आपको तब तक सपोर्ट देने की जरूरत है, जब तक बच्चा अच्छे से ब्रेस्टफीड करना शुरू ना कर दे।
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- बच्चा सही से दूध पी रहा है या नहीं, यह भी मां के लिए देखना बहुत जरूरी है। जब बच्चा दूध पीता है, तो पीने की आवाज आती है और साथ ही उसके सांस लेने के तरीके से भी आपको पता चल जाता है कि बच्चा दूध पी रहा है या नहीं। आपको इन सब बातों पर गौर करना चाहिए ताकि आपको पता चल जाए कि बच्चा दूध पी रहा है या फिर नहीं।
- ब्रेस्टफीडिंग बेसिक्स और टिप्स (Breastfeeding basics and tips) के लिए जरूरी है कि बच्चा कितने समय तक दूध पीता है, इस बारे में कोई भी तय समय नहीं है। बच्चे शुरुआती समय में कुछ समय के लिए दूध पीते हैं और उन्हें जल्दी-जल्दी दूध पीने की जरूरत पड़ती है। वहीं दिन गुजरने के साथ ही बच्चे 1 से 2 घंटे के अंतराल में बच्चे को दूध पीने की जरूरत महसूस होती है। आमतौर पर एक सेशन 20 से 30 मिनट का होता है लेकिन एक बात का ध्यान रखें कि यह सभी बच्चों के लिए अलग हो सकता है।
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इस आर्टिकल में हमने आपको ब्रेस्टफीडिंग बेसिक्स और टिप्स (Breastfeeding basics and tips) से संबंधित जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की ओर से दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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