बच्चों में मानसिक तनाव को दूर करने के लिए प्ले थेरिपी (Play Therapy) एक अच्छा उपचार है। इसमें चिकित्सक बच्चों को खेलने के लिए बोलते हैं, जिसे देखकर वो बच्चे के भावनात्मक और मानसिक स्थिति या व्यवहार को समझने की कोशिश करते हैं। कई बच्चे लंबे समय से तनाव के शिकार होते हैं, लेकिन इसके कारणों के बारे में अक्सर पता लगाना मुश्किल होता है, तो इस थेरिपी के माध्यम से बच्चों के तनाव की वजह भी आसानी से समझी जा सकती है। इसके लिए बच्चों में कई अलग-अलग प्रकार की प्ले थेरिपी (Play Therapy) की जाती हैं, जिनमें बाल-आधारित, परिवार-आधारित और समूह पर आधारित चिकित्सा शामिल हैं। यह चिकित्सा का प्रकार बच्चे की उम्र और उसकी जरूरत पर निर्भर करता है। जानिए बच्चों में प्ले थेरिपी के प्रकार और लाभ के बारे में।
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बच्चों के लिए प्ले थेरिपी क्या है? (What is Play Therapy in child)
प्ले थेरिपी एक प्रकार की साइकॉलोजी थेरिपी है, जोकि बच्चों के साइकॉलेजी से जुड़ी होती है। इस चिकित्सा की सहायता से बच्चों की उन भवनाओं को समझने का प्रयास किया जाता है, जो वह व्यक्त नहीं कर पाते हैं। बच्चों की कई मानसिक परेशानी का उपचार है प्ले थेरिपी। इसमें डॉक्टर खेलने के दौरान बच्चे से बातचीत भी करने की कोशिश करते है। उनके साथ दोस्ताना माहौल बन जाने पर बातों ही बातों में वे उनके परेशानी का कारण को जानने की कोशिश करते हैं। इसमें बच्चे जिन खिलौनों का चुनाव करते हैं और खेल के दौरान बात करते हैं, उससे उनकी मानसिक स्थिति का पता लगाया जा सकता है। इस तरह वे बच्चों की मानसिक प्रक्रिया का अंदाजा एक्सपर्ट लगाते हैं। बच्चों द्वारा चुने गए खिलौने, उसका खेलने का तरीका और प्रकार खेल चिकित्सक को बच्चे के व्यक्तित्व, तनाव का कारण और उनकी मेंटल हेल्थ को समझने में मदद करता है। यदि आपका बच्चा लंबे समय से तनाव में है, तो उनके लिए यह चिकित्सा प्रभावकारी हो सकती है।
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कैसे काम करती है प्ले थेरिपी (How to work Play Therapy)
प्ले थेरेपी द्वारा थेरेपिस्ट बच्चों की मानसिक समस्याओं का पता लगाने की एक चिकित्सा है। खासतौर पर उन बच्चों के लिए जो अपने तनाव का कारण, अपने पेरेंट्स को नहीं बता पाते हैं। किंतु उन समस्याओं को दूर करने की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी उनके अभिभावकों की होती है। पेरेंट्स को बच्चे के तनाव के कारण को जानने की कोशिश करनी चाहिए। क्योंकि बच्चे को अधिक-अधिक से समय अपने पेरेंट्स के साथ रहना होता है। अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों को बताएं कि वे उनके सारी समस्याओं का सामधान वो करेंगे और बच्चे के सभी मुश्किलों का हल भी करेंगे। यदि आपका बच्चा किसी बात से डर रहा है, तो उन्हें समझाएं, कि डरने की बजाए परेशानी की वजह आपसे शयर करें और हिम्मत से उसका सामना करें ।
इसके अलावा, पेरेंट्स को बच्चों को प्रोत्साहन भी देना चाहिए। इससे बच्चे का आत्मविश्वास भी बढ़ता है। यदि ब आपका बच्चा कुछ अच्छा काम कर रहा है, तो उसकी तारीफ करनी चाहिए। हां, यह याद रखें कि अपने बच्चे की तुलना कभी किसी दूसरे बच्चे से न करें। कभी भी बच्चे की व्यवहार की निंदा न करें। हां आप उसके अकेले में समझाएं कि उसे क्या नहीं करना चाहिए।
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प्ले थेरिपी के फायदे (Benefit of Play Therapy)
केवल प्ले थेरिपी के दौरान ही नहीं बल्कि राेजाना तौर पर भी बच्चों को खेलने की पूरी आजादी दें। इसलिए जरूरी है कि आप बच्चे को खेलने की पूरी आजादी दें। लेकिन हां, खेलते समय उन पर ध्यान रखें कि वो कुछ गलत सिखें। उनका मार्गदर्शन भी जरूरी है। इस दौरान उनकी रुचियों और पसंद-नापसंद इन सभी बातों का भी ध्यान रखें। बल्कि खेल-खेल में उन्हें कुछ नया सिखाने की कोशिश करें। खेल बच्चों के विकास का अहम हिस्सा है। बच्चों के विकास में खेल का अहम हिस्सा होता है।
- जब बच्चे किसी खेल को खेलते है तो उस समय उनका दिमाग तेज चलता है और जब दिमाग तेज चल रहा है। तब उनका दिमाग और तेज काम करत है और इससे अच्छा मानसिक विकास होता है।
- बच्चे खेल के माध्यम से आप बहुत कुछ सिखा सकती हैं। इससे बच्चे अपने सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करना भी सिखते हैं।
- बच्चों के खेल का महत्व तब बढ़ जाता है, इससे उसके व्यावहारिक या मानसिक व्यवहार में भी बदलाव देखने को मिलता है। और इसकी खेल से वह इस स्तिति से बाहर निकल जाता है।
- इससे बच्चे का तनाव भी दूर होता है।
- जो बच्चे मानसिक परेशानियों से झूड रहे हैं, उनके लिए प्ले थेरेपी काफी जरूरी होती है।
- प्ले थेरेपी में बच्चे सोशल होन में भी मदद करती है और बच्चे का अकेलापन भी दूर होता है।
- इस थेरिपी के माध्यम से बच्चे गुस्से पर कंट्रोल करना भी सिख जाते है।
- इस थेरिपी के माध्यम से बच्चे प्ले थेरेपिस्ट बच्चों के साथ खेलते हैं और उनके साथ दोस्तों जैसा व्यवहार करना सिखते हैं।
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प्ले थेरेपी कब होती है जरूरी?
यह भी एक बड़ा सवाल है कि बच्चे को प्ले थेरिपी की जरूरत कब होती है। इसकी सबसे ज्यादा जरूरत तब होती है, जब बच्चे तनाव या डिप्रेशन में हो। कई बार बच्चे अपनी तनाव की वजह बता नहीं पाते हैं और न ही तनाव से निकल पाते हैं, तो ऐसे में यह थेरिपी बच्चों की मदद करती है। जिन बच्चों का मानसिक विकास ठीक से हो नहीं पा रह हो या बच्चे सोशल नहीं हो पा रहा हो, तो उनके लिए यह थेरिपी मददगार है। इससे बच्चे के व्यवहार में भी काफी अच्छे और प्रभावकारी परिवर्तन देखने को मिलते है। इन स्थितियों में यह थेरिपी ज्यादा प्रभावकारी है, जिनमें शामिल है:
- जब बच्चे या टीनएजर्स समाज या परिवार से कटे-कटे रहते हो और किसी से बात न करते हों।
- जो माता-पिता के बीच अलगाव होने से मानसिक तौर पर परेशान हो या लंबे समय से तनाव में हो।
- जो यौन शोषण के शिकार बच्चे इस थेरिपी के माध्यम से अपनी भावनाएं व्यक्त कर पाते हैं।
- जब बच्चे एज्युकेशनल प्रेशर का शिकार होते है।
- बच्चा किसी हादसे से उबर नहीं पा रहा हो।
- बच्चे के साथ किसी प्रकार का गलत व्यवहार हो रह हो।
- बच्चे जब तनाव औक चिड़चिड़े होते है तो भी उनको प्ले थेरेपी की जरूरत होती है।
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कई और रिसर्च भी कहती हैं कि प्ले थेरिपी के बाद तनाव के शिकार बच्चे जल्दी मानसिक रूप से ठीक हो जाते हैं। जो बच्चे इमोशनल हर्ट हैं, उनके उपचार के लिए भी यह थेरिपी काफी फायदेमंद है। बच्चे के लिए प्ले थेरिपी उन्हें डिप्रेशन से निकालने के साथ नॉर्मल लाइफ जीने में मदद मिलती है। इस थेरिपी के बाद भी बच्चे में कोई सुधार नहीं आ रहा है, तो यह चिंता का विषय है। आप डॉक्टर या काउंसलर से संपर्क करें।
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