इसके साथ ही हाय फैट और हाय कार्ब फूड के वजन बढ़ने का भी रिस्क होता है जिससे ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल नहीं हो पाता। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन प्रोटीन के लिए हफ्ते में दो बार फिश के सेवन को रिकमंड करता है। इसके साथ ही वे रेड मीट और प्रोसेस्ड मीट्स के सेवन को अवॉइड करने की सलाह देते हैं क्योंकि इनमें अधिक मात्रा में सैचुरेटेड फैट होता है। जो काफी नुकसानदायक होता है। अगर आप डायबिटिक पेशेंट हैं तो डॉक्टर की सलाह के बिना किसी प्रोटीन फूड को अपनी डायट में शामिल ना करें।
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डायबिटीज में प्रोटीन का अधिक मात्रा में उपयोग (Excessive use of protein in diabetes)
डायबिटीज में प्रोटीन डायट के उपयोग को लेकर लोग ऐसा सोच सकते हैं कि इससे ब्लड शुगर के रेगुलेशन पर फर्क पड़ना चाहिए। हालांकि, प्रोटीन इसमें मदद नहीं कर सकता। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के अनुसार प्रोटीन इंटेक बढ़ाने से शुगर के डायजेस्ट और एब्जॉर्ब होने पर कोई असर नहीं दिखाई दिया है। साथ ही इसका ब्लड शुगर लेवल पर भी कोई लॉन्ग टर्म प्रभाव दिखाई नहीं दिया। इसका मतलब यह है कि अगर कोई डायबिटिक व्यक्ति हाय प्रोटीन डायट (High Protein diet) अपनाता है तो इसके परिणामस्वरूप दिखाई देने वाला कोई भी लाभ कार्ब्स की मात्रा में कमी या उसके कंजप्शन को रेगुलेट करने से दिखाई देते हैं ना कि सिर्फ प्रोटीन से। यह कार्बोहायड्रेट डायट के लिए महत्वपूर्ण आधार है जो टाइप 2 डायबिटीज को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है।
हालांकि, सभी के लिए प्रोटीन की अधिक मात्रा फायदेमंद नहीं हो सकती। डायबिटीज में प्रोटीन के उपयोग या इसमें किसी प्रकार का बदलाव करने से पहले डॉक्टर से जरूर सलाह लें। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन की एक स्टडी के अनुसार टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में हाय प्रोटीन और हाय फैट में से किसी भी प्रकार के मील का सेवन करने के बाद इंसुलिन डोज को बढ़ाने की जरूरत महसूस होती है। इसलिए रिसर्चर ग्लूकोज लेवल को मॉनिटर करने की सलाह देते हैं।
डायबिटिक नेफ्रोपैथी (Diabetic nephropathy)
जो लोग डायबिटिक नेफ्रोपैथी का शिकार होते हैं (डायबिटीज से संबंधित किडनी डिजीज) उन्हें प्रोटीन का उपयोग कम मात्रा में करना चाहिए। इसके साथ ही जिनको किडनी डैमेज का रिस्क होता है उन्हें भी प्रोटीन का कम मात्रा में सेवन करने की सलाह दी जाती है। डायबिटीज में किडनी डैमेज (Kidney damage) के लिए जांच यूरिन में मौजूद प्रोटीन की मात्रा से की जाती है जिन्हें कीटोन्स (Ketones) कहते हैं। डायबिटीज का सामना कर रहे लगभग एक तिहाई लोग डायबिटिक नेफ्रोपैथी का शिकार होते हैं। ऐसे में डॉक्टर की सलाह के बाद ही प्रोटीन फूड्स का सेवन करना चाहिए।
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हाय प्रोटीन के साइड इफेक्ट्स (Side effects of High Protein)
कई स्टडीज में रेड मीट के इंटेक और टाइप 2 डायबिटीज और कैंसर के डेवलमेंट में लिंक सामने आया है। इन स्टडीज के अनुसार प्रोसेस्ड रेड मीट का सेवन इन बीमारियों का रिस्क काफी बढ़ा देता है। रेड मीट में प्रोटीन अधिक मात्रा में पाया जाता है। एल्कोहॉल के साथ अधिक मात्रा में प्रोटीन का कंजप्शन गाउट (Gout) जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है। लंबे समय तक अधिक मात्रा में प्रोटीन का सेवन (2 ग्राम/ किलोग्राम से ज्यादा) का सेवन कई परेशानियों का कारण बन सकता है। अधिक प्रोटीन के सेवन से निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं।