backup og meta

इन 5 आयुर्वेदिक फूड्स को डायट में शामिल करने से नहीं होगी सर्दियों में एसिडिटी की समस्या!

इन 5 आयुर्वेदिक फूड्स को डायट में शामिल करने से नहीं होगी सर्दियों में एसिडिटी की समस्या! 

सर्दियों का मौसम यानी गाजर के हलवे, मक्के की रोटी और आलू ,गोभी पराठों जैसे हैवी मील्स का मौसम। ऐसे में पेट का बुरा हाल होना तय है, लेकिन परेशान मत होइए। आयुर्वेद में इसके लिए भी उपाय मौजूद हैं। जिनकी मदद से आप अपने हाजमे को दुरुस्त रखने के साथ ही इस मौसम में अक्सर होने वाली गैस और एसिडिटी की समस्या से बच सकते हैं। दरअसल फिजिकल एक्टिविटीज का कम होना है सर्दियों में डायजेशन प्रॉब्लम होने का एक प्रमुख कारण है। साथ ही सर्दियों में हमारा मेटाबॉलिज्म स्लो हो जाता है जिसकी वजह से पाचन क्रिया बिगड़ जाती है जो कई पाचन संबंधी समस्याओं का कारण बनता है। 

सर्दी के मौसम में होने वाली पेट संबंधित परेशानियां 

सर्दी के मौसम में पेट से संबंधित परेशानियों में एसिडिटी का नाम सबसे ऊपर आता है। इसके साथ ही गैस, अपच, एसिड रिफलक्स और गैस्ट्रोइसोफेजियल रिफ्लक्स डिजीज भी लोगों को इस मौसम में खासा परेशान करती हैं। इस मौसम में शरीर की इम्यूनिटी भी लो हो जाती है जिसकी वजह से स्टमक इंफेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है। 

कपिवा एकेडमी के आयुर्वेदिक डॉक्टर आनंद द्विवेदी कहते हैं, ‘’ जगह की भौगोलिक स्थिति के आधार पर सर्दी कफ और वात का मौसम है। आयुर्वेद के अनुसार डायजेशन डायजेस्टिव फायर (जठर अग्नि) पर आधारित होता है। सर्दियों में यह अग्नि कुछ व्यक्तियों में अधिक प्रबल हो जाती है और उन्हें भारी भोजन का सेवन करने की क्षमता प्रदान करती है। हालांकि, लगातार ठंडे तापमान के संपर्क में रहने से मेटाबॉलिज्म स्लो हो जाता है। जिससे समस्याएं पैदा होती हैं। इसका मुकाबला करने और स्वस्थ रखने के लिए आयुर्वेद ऋतुचार्य (मौसमी जीवनशैली ज्ञान) के बारे में बताता है। सर्दियों में स्वस्थ रहने का राज इस मौसम की प्रबल ऊर्जा के साथ व्यक्ति के दोषों में संतुलन बनाए रखने में है। यह हर मौसम में उचित प्रकार के भोजन का सेवन करने से प्राप्त होता है। आयुर्वेद में सीजनल रेजीम सिर्फ भोजन तक सीमित नहीं है बल्कि यह व्यक्ति की जीवनशैली के सभी पहलुओं और दोषों को शामिल करता है जो मेटाबॉलिज्म को रेगुलेट करते हैं। सर्दियों में डायजेशन प्रॉब्लम से बचने और पाचन को बेहतर बनाने में आयुर्वेद मददगार हो सकता है।’’ आयुर्वेद की मदद से सर्दियों में पाचन को बढ़ावा कैसे दिया जा सकता है। चलिए जान लेते हैं।

और पढ़ें: हल्दी के फायदे क्या हैं?

सर्दी के मौसम में आयुर्वेद की मदद से डायजेशन को बेहतर कैसे बनाएं? 

सर्दी के मौसम में पाचन को बेहतर बनाने के लिए आप डॉक्टर द्विवेदी के ये टिप्स ट्राय कर सकते हैं।

  • आयुर्वेद के अनुसार सुबह गुनगुना पानी पीना डायजेशन को बेहतर बनाने का एक आसान तरीका है। खाने के 30 मिनट पहले गर्म पानी का सेवन आपको डायजेस्टिव सिस्टम को क्लीन करता है और आप आसानी से भोजन को पचा पाते हैं। 
  • ठंडे मौसम में एक्सरसाइज के लिए उठना या जिम जाना मुश्किल लग सकता है, लेकिन नियमित व्यायाम आपके पाचन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। इससे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं की संभावना को कम किया जा सकता है। 
  • भोजन में जड़ी-बूटियों और मसालों को मिलाने से पाचन क्रिया को बढ़ाने में मदद मिलती है। दालचीनी, हल्दी, अदरक, जीरा, आंवला, इलायची, लाल मिर्च, जायफल और लौंग ये सभी पाचन अग्नि को ट्रिगर करने और इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए जाने जाते हैं।

साथ ही आप कपिवा के डायजेस्टी केयर जूस का सेवन भी कर सकते हैं जो एसिडिटी, पेट फूलने की समस्या से लंबे समय तक छुटकारा दिलाने में मदद करता है। यह जूस आंवला, जीरा, हींग, अजवाइन और धनिया जैसे हर्बल कंपाेनेंट को मिलाकर तैयार किया जाता है। जो पाचन को बढ़ावा देते हैं। 

और पढ़ें: सौंफ के फायदे एवं नुकसान – Health Benefits of Fennel Seed (Sauf)

सर्दियों में डायजेशन प्रॉब्लम

डायजेशन के लिए 5 आयुर्वेदिक फूड्स

दरअसल आंवला सर्दियों का सुपरफूड है जिसमें फायबर होते हैं जो पाचन में सुधार करने में मदद करते हैं और मेटाबॉलिज्म को स्ट्रॉन्ग करते हैं। आयुर्वेद के अनुसार यह पित्तशामक है और इसलिए यह शरीर में अतिरिक्त पित्त के उत्पादन को नियंत्रित करता है। जीरा लिवर में बाइल एसिड प्रोडक्शन की प्रक्रिया को तेज करता है और फैट के पाचन में मदद करता है। अजवाइन के बीज में मौजूद थायमोल पेट में गैस्ट्रिक जूस को छोड़ने में मदद करता है, जिससे पाचन प्रक्रिया को बढ़ावा मिलता है। धनिया आंत को उत्तेजित करता है और पेट के एसिड के प्रोडक्शन को बढ़ाता है जिससे एसिडिटी को कम करने में मदद मिलती है। हींग में फायबर प्रचुर मात्रा में होते हैं जो पाचन में सहायता करते हैं और समग्र पाचन स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं। हींग को ‘देवताओं के भोजन’ के रूप में भी जाना जाता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, पोटेशियम, कैल्शियम, आयरन जैसे कई पोषक तत्व होते हैं, जो न केवल पाचन में सहायक हैं बल्कि पूरे डायजेस्टिव हेल्थ को बेहतर बनाते हैं।

आपके पास इन आयुर्वेदिक हर्ब और स्पाइस  को आजमाने का समय नहीं है तो कपिवा का डायजेस्टी केयर जूस आपके लिए बेस्ट ऑप्शन हो सकता है। इसका उपयोग करना भी बेहद आसान है। 30ml डायजेस्टी केयर जूस को एक गिलास पानी में मिलाएं और दिन में दो बार खाने के बाद लें। आयुर्वेद के अनुसार सर्दियों में पाचन को बेहतर बनाने के लिए मौसमी सब्जियों का भी सेवन करना चाहिए जो फायबर का अच्छा सोर्स होती हैं। इसमें जड़ वाली सब्जियां जैसे गाजर, आलू, शकरकंद, चुकंदर, शलजम और सर्दियों के साग जैसे केल, सरसों का साग, पालक, मेंथी और चौलाई शामिल हैं, लेकिन कुछ चीजें ऐसी भी हैं जिनका उपयोग सर्दी के मौसम नहीं किया जाना चाहिए। 

इनके बारे में जानकारी देते हुए कपिवा एकेडमी के डॉक्टर द्विवेदी कहते हैं कि, आयुर्वेद के अनुसार इस मौसम में ठंडे और सूखे भोजन करने से बचना चाहिए। इसे आयुर्वेद में काल विरुद्ध (Climatic antagonism) कहा गया है। हमें गर्म भोजन का सेवन करना चाहिए। साथ ही ठंडे पानी, आइसक्रीम और अन्य ठंडे खाद्य पदार्थों से बचें जो कफ और वात को बढ़ाएंगे। कोल्ड ड्रिंक्स, पैक्ड फूड्स, कैन्ड फूड्स और फ्रोजन फूड्स  के सेवन से बचें। ये पचने में मुश्किल होते हैं।

इन नियमों को अपनाने के बाद भी अगर आपको पाचन से संबंधित कोई परेशानी हो गई है तो आप डाॅ द्विवेदी की बताई गई आयुर्वेदिक रेमेडीज अपना सकते हैं। इनके बारे में जानकारी देते हएु वे कहते हैं, ‘’आयुर्वेद के अनुसार समान प्रकार का वात पेट और आंतों की सामान्य गतिविधियों के लिए जिम्मेदार होता है। समान वात में खराबी होने से सामान्य गतिविधियों में बाधा उत्पन्न होती है, जिससे पाचन क्रिया में गड़बड़ी, पेट फूलना और गैस बनने लगती है। पाचन में सुधार कर हम ऐसी समस्याओं से बच सकते हैं।’’

इसके लिए निम्न टिप्स अपनाएं जा सकते हैं। 

सर्दियों में डायजेशन प्रॉब्लम

आधा चम्मच जीरा को तब तक चबाएं जब तक कि उसका मुंह में पेस्ट न बन जाए, फिर एक गिलास गर्म पानी के साथ निगल लें।

  • एक गिलास उबले हुए पानी में एक चम्मच पिसी हुई इलायची और सौंफ को बराबर मात्रा में लेकर पिएं।
  • भोजन से पांच से दस मिनट पहले ताजा अदरक का एक पतला टुकड़ा और चुटकी भर सेंधा नमक चबाने की कोशिश करें ताकि पाचन को प्रोत्साहित करने और पेट फूलने या गैस से बचने में मदद मिल सके।
  • सफेद कद्दू (Ash gourd) गुड़ के साथ उबालकर खाने से पेट फूलने या गैस से राहत मिलती है।
  • उपयोगी मसाले: दालचीनी, इलायची, जीरा, अदरक, लौंग कम मात्रा में उपयोग करें।

इस प्रकार आयुर्वेद का दामन थामकर आप सर्दियों में आप अपने पाचन तंत्र का ख्याल रख सकते हैं। याद रखें बेहतर पाचन के लिए हेल्दी और फायबर युक्त डायट, एक्सरसाइज, खुद को हायड्रेट रखना बेहद जरूरी है। इनके साथ ही कपिवा का डायजेस्टी केयर जूस आपके लिए बेस्ट ऑप्शन साबित हो सकता। यह एक आयुर्वेदिक औषधि की तरह है क्योंकि इसे प्राकृतिक जड़ी बूटियों की मदद से तैयार किया गया है।  

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Measurement of spices and seasonings in India: Opportunities for cancer epidemiology and prevention/https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3072051/ Accessed on 28th November, 2020

Beneficial Effects of Spices in Food Preservation and Safety/https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5030248/Accessed on 28th November, 2020

10 (organic) spices to cook with this winter/https://theecologist.org/2009/nov/06/10-organic-spices-cook-winter/Accessed on 28th November, 2020

How to Stay Healthy, Fit and Safe During the Winter Season/https://www.pinnaclehealth.org/wellness-library/how-to-stay-healthy-during-winter/Accessed on 28th November 2020

https://www.webmd.com/diet/health-benefits-amla#1 

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5506628/ 

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3459456/                                                                              

Current Version

08/12/2021

Manjari Khare द्वारा लिखित

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. अभिषेक कानडे

Updated by: Manjari Khare


संबंधित पोस्ट

कॉन्स्टिपेशन और बढ़ता वजन, क्या पहली मुसीबत दूसरी का कारण बन सकती है?

Digestive Health Issues : जानिए क्या है पाचन संबंधी विकार और इससे जुड़ी खास बातें


के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड

डॉ. अभिषेक कानडे

आयुर्वेदा · Hello Swasthya


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 08/12/2021

ad iconadvertisement

Was this article helpful?

ad iconadvertisement
ad iconadvertisement