सौंफ पाचन संबंधी समस्याओं जैसे पेट में जलन, गैस, पेट का फूलना और बच्चों के पेट में होने वाले दर्द के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा इसका इस्तेमाल सांस संबंधी समस्याओं, खांसी-सर्दी, पीठ के दर्द और बिस्तर पर पेशाब करने जैसी समस्याओं में भी किया जाता है। सौंफ की तासीर ठंडी होती है। इसमें कैल्शियम, सोडियम, आयरन और पोटैशियम की भरपूर मात्रा पाई जाती है। इसके अलावा इसकी सुगंध के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
कुछ महिलाएं सौंफ का इस्तेमाल स्तनों में दूध के प्रवाह को बढ़ाने, मासिक धर्म को ठीक करने, जन्म देने की प्रक्रिया को आसान करने और सम्भोग क्षमता को बढाने के लिए भी करती हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कुछ मामलों में इसके पाउडर का इस्तेमाल सांप काटने के इलाज के रूप में भी किया जाता है।
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यह एक औषधि के रूप में काम करता है। इसके लिए अभी ज्यादा अध्ययन मौजूद नहीं है। इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप किसी अच्छे आयुर्वेदिक डॉक्टर से सम्पर्क कर सकते हैं। हालांकि, कुछ अध्ययन में यह स्पष्ट है कि सौंफ कई सारे खतरनाक बैक्टीरिया को मारने का काम करता है, जैसे ऐरोबैक्टर ऐरोजेन्स, बैसिलस सबटिलीस, ई.कोली, प्रोटियास वुल्गार्ली, स्यूडोमोनास ऐरूजिनोसा, स्टैफ्लोकोकस एलबियास और स्टैफ्लोकोकस औरियास आदि। इसके अलावा सौंफ में एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं और यह महिलाओं में एस्ट्रोजन हॉर्मोन को भी बढ़ाता है।
सौंफ में मौजूद एंटी-इंफ्लमेटरी, एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-एलर्जिक गुण त्वचा का ख्याल रखने में मदद करते हैं। सौंफ की भाप लेने से चेहरे की स्किन का टैक्सचर बना रहता है।
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को होने वाली मॉर्निंग सिकनेस सौंफ से दूर की जा सकती है। इसके अलावा यह उल्टी और जी-मिचलाने जैसे लक्षणों को भी कंट्रोल करता है। हालांकि, प्रेग्रेंसी के दौरान इसका सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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किए गए अध्ययनों के अनुसार सौंफ में पाया जाने वाला तेल डायबिटीज के इलाज के लिए काफी कारगर होता है। यह खून में शुगर की मात्र को कम करके उसे नियंत्रित बनाए रखने में मदद करता है। साथ ही, सौंफ में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट गुण कोलेस्ट्रॉल के लेवल को भी कम करते हैं।
सौंफ के पौधे में कई ऐसे गुणकारी तत्व होते हैं, जो गंभीर और दीर्घकालिक बीमारियों से बचाने में मदद कर सकते हैं। इसमें कुछ प्रकार के कैंसर भी शामिल हैं। सौंफ में एनेथोल होता है, जिसमें कैंसर से लड़ने वाले गुण पाए गए हैं।
एक टेस्ट टयूब स्टडी में पाया गया कि एनेथोल कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है। वहीं अन्य टेस्ट टयूब स्टडी में पाया गया कि सौंफ का अर्क मनुष्य में ब्रेस्ट कैंसर की कोशिकाओं को फैलने से रोकता है और कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने में मदद करता है।
पशुओं पर किए गए अध्ययन में भी सामने आया है कि सौंफ का अर्क ब्रेस्ट और लिवर कैंसर से बचाव में मदद कर सकता है।
हालांकि, मनुष्य पर कैंसर के इलाज में सौंफ के अर्क के उपयोग से पहले इस संदर्भ में और अध्ययन किए जाने की जरूरत है।
सौंफ में गैलेक्टोजेनिक गुण होते हैं, जो ब्रेस्ट में अधिक दूध बनाने में मदद करते हैं। रिसर्च की मानें तो सौंफ में मौजूद एनेथोल जैसे कि डायनेथोल और फोटोएनेथोल गैलेक्टोजेनिक प्रभाव डालते हैं।
सौंफ दूध के स्राव में इजाफा कर सकती है और प्रोलैक्टिन के ब्लड लेवल को बढ़ा सकती है। यह हॉर्मोन शरीर को ज्यादा ब्रेस्ट मिल्क बनाने का संकेत देता है।
हालांकि, अन्य अध्ययनों में सौंफ का दूध के स्राव पर कोई प्रभाव नहीं पाया गया है। यहां तक कि जिन महिलाओं ने सौंफ से युक्त दूध बढ़ाने वाली चाय का सेवन किया। उनके नवजात शिशु में वजन कम होने और दूध पीने में दिक्कत आने जैसी समस्याएं देखी गई हैं। इस वजह से स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए सौंफ के सेवन से पहले डॉक्टर से बात कर लेनी चाहिए।
सौंफ न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाती है बल्कि भूख को कम भी करती है। एक स्टडी में 9 स्वस्थ महिलाओं को रोज लंच से पहले 2 ग्राम सौंफ डालकर 250 मिली चाय पीने के लिए दी गई। इससे इन महिलाओं को कम भूख लगी और इन्होंने प्लेसिबा टी लेने वाली महिलाओं की तुलना में कम कैलोरी ली।
सौंफ के एसेंशियल ऑयल में एनेथोल होता है, जो भूख को बढ़ने से रोकने में मदद कर सकता है।
47 महिलाओं की एक अन्य स्टडी में पाया या है कि जिन महिलाओं ने रोज 12 सप्ताह तक 300 मिग्रा सौंफ के अर्क के सप्लिमेंट लिए उनका प्लेसिबो लेने वाले समूह की महिलाओं की तुलना में वजन कम बढ़ा। वैसे इस संदर्भ में अभी और रिसर्च किए जाने की जरूरत है।
सौंफ के बीजों में एंटीबैक्टीरियल गुण भी होते हैं, जो हानिकारक बैक्टीरिया और यीस्ट को बढ़ने से रोकता है। सौंफ में मौजूद एंटीऑक्सीडेंटस होते हैं, जिसमें विटामिन सी और क्यूरसेटिन शामिल हैं। यह सूजन को कम करने में मदद कर सकता है।
पशुओं पर किए गए एक अध्ययन के अनुसार सौंफ का अर्क याददाश्त को कमजोर होने से भी रोकता है। इसके अलावा 10 अध्ययनों के एक रिव्यू में गौर किया गया कि सौंफ यौन क्रिया में सुधार आता है और मेनोपॉज तक पहुंच चुकी महिलाओं को संतुष्टि महसूस होती है। इसके साथ ही इनमें हॉट फ्लैशेज, योनि में खुजली, योनि में सूखापन, सेक्स के दौरान दर्द और नींद आने में परेशानी जैसी दिक्कतों से भी राहत मिलती है।
सौंफ का उपयोग हर्निया के उपचार में भी किया जाता है। हालांकि, इस दिशा में अभी भी उचित अध्ययन करने की आवश्यकता है। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने डॉक्टर से बात करें।
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सौंफ को बंद कंटेनर में रखना चाहिए। नमी और गर्मी से इसे दूर रखना चाहिए।
अगर किसी को अति-संवेदनशीलता यानी हाइपर-सेंस्टिविटी की समस्या है, तो तुरंत सौंफ का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए और एंटी-हिस्टामिन लेना चाहिए या फिर इसका इलाज करवाना चाहिए।
हर्बल सप्लिमेंट के उपयोग से जुड़े नियम, दवाओं के नियमों जितने सख्त नहीं होते हैं। इनकी उपयोगिता और सुरक्षा से जुड़े नियमों के लिए अभी और शोध की जरूरत है। इस हर्बल सप्लिमेंट के इस्तेमाल से पहले इसके फायदे और नुकसान की तुलना करना जरूरी है। इस बारे में और अधिक जानकारी के लिए किसी हर्बल विशेषज्ञ या आयुर्वेदिक डॉक्टर से संपर्क करें।
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गर्भवती महिलाओं के लिए यह कितना फायदेमंद है, इसके बारे में अभी ज्यादा जानकारी मौजूद नहीं है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को इसके सेवन से परहेज करना चाहिए।
स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए इसका इस्तेमाल खतरनाक हो सकता है। अगर कोई स्तनपान कराने वाली महिला कोई ऐसा हर्बल पेय पदार्थ इस्तेमाल करती है, जिसमे सौंफ मौजूद हो, तो उसके बच्चे के नर्वस सिस्टम में समस्या हो सकती है।
इससे बने तेल का भी इस्तेमाल नवजात शिशु या फिर छोटे बच्चे पर नहीं करना चाहिए। अगर किसी को सौंफ से एलर्जी है, तो उसे इसका सेवन नहीं करना चाहिए और कुछ समय के लिए इसका इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए।
अगर किसी को नीचे बताई गई समस्याएं हैं, तो उसे सौंफ का सेवन नहीं करना चाहिए।
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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इसके सेवन से कई सारे साइड इफेक्ट्स भी होते हैं, उनमें से कुछ जानलेवा भी हो सकते हैं, जैसे-
हालांकि, हर किसी को ये साइड इफेक्ट हों, ऐसा जरूरी नहीं है। कुछ ऐसे भी साइड इफेक्ट हो सकते हैं, जो ऊपर बताए नहीं गए हैं। अगर आपको इनमें से कोई भी साइड इफेक्ट महसूस हों या आप इनके बारे में और जानना चाहते हैं, तो नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें।
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इसका सेवन आपके द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली दवा के प्रभाव को कम कर सकता है। इसलिए इसके सेवन से पहले आप किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
यह निम्नलिखित दवाओं के असर को प्रभावित कर सकता है
यहां पर दी गई जानकारी को डॉक्टर की सलाह का विकल्प ना मानें। किसी भी हर्बल सप्लिमेंट का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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आमतौर पर इसे पांच से सात ग्राम लेना चाहिए और सौंफ से बने तेल को 0. 1 से 0. 6 एमएल ही इस्तेमाल करना चाहिए।
इसकी खुराक हर मरीज के लिए अलग हो सकती है। आपके द्वारा ली जाने वाली खुराक आपकी उम्र, स्वास्थ्य और कई चीजों पर निर्भर करती है। हर्बल सप्लिमेंट हमेशा सुरक्षित नहीं होते हैं। इसलिए सही खुराक की जानकारी के लिए हर्बलिस्ट या डॉक्टर से चर्चा करें।
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यह हर्बल सप्लिमेंट कई रूपों में उपलब्ध है: ड्राय फ्रूट्स, एसेंसियल ऑयल, एक्सट्रेक्ट, टैबलेट, टिंचर और काढ़ा। डॉक्टर की सलाह पर आप इसे किसी भी रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। सौंफ यानी फेनिल सीड या फेनिल पाउडर का इस्तेमाल कितनी मात्रा में करना है, इस बारे में विशेषज्ञ से जानकारी जरूर लें।
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