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ब्रिटल डायबिटीज की समस्या का ट्रीटमेंट क्या है ? (Treatment of brittle diabetes)
ब्लड में शुगर लेवल को बैलेंस करना ही इस समस्या का समाधान है। इसके लिए टूल की हेल्प भी ली जा सकती है। ब्रिटल डायबिटीज की समस्या से जूझ रहे लोगों में इंसुलिन को लेने की निश्चित मात्रा (शरीर को जितना इंसुलिन चाहिए) का ज्ञान होना जरूरी है। इंसुलिन पंप की सहायता से ऐसा किया जा सकता है। ब्रिटल डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए इसे इफेक्टिव टूल माना जाता है। इस टूल को जेब में आसानी से रखा जा सकता है। इस टूल में एक सुई होती है जो स्किन में लगाई जाती है। 24 घंटे में ये टूल शरीर में लगातार इंसुलिन को पंप करने का काम करता है। जब शरीर में इंसुलिन का स्तर सही रहता है तो ब्लड में शुगर यानी ग्लूकोज के लेवल को भी कंट्रोल रखा जा सकता है।
ग्लूकोज की मॉनिटरिंग है जरूरी (Monitoring of blood glucose)
टिपिकल डायबिटीज मैनेजमेंट में ब्लड का लगातार टेस्ट जरूरी होता है ताकि ग्लूकोज के लेवल को चेक किया जा सके। ब्रिटल डायबिटीज की समस्या जिन लोगों को होती है, उनके ब्लड में शुगर का लेवल कंट्रोल में नहीं रहता है। इसलिए दिन में कई बार ग्लूकोज मॉनिटरिंग की जरूरत पड़ सकती है। कॉन्टीन्यूयस ग्लूकोज मॉनिटरिंग (CGM) की हेल्प से ऐसा संभव है। CGM में सेंसर लगा होता है। सेंसर की हेल्प से ब्लड में ग्लूकोज के लेवल का पता लगाया जा सकता है। जैसे ही ब्लड में शुगर का लेवल अचानक से कम हो जाता है या फिर बढ़ जाता है तो सेंसर इस बारे में एलर्ट कर देता है।इस सेंसर की मदद से एलर्ट मिलने पर तुरंत ट्रीटमेंट लिया जा सकता है। लेकिन इस बारे में अधिक जानकारी के लिए आपको एक बार डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। जिन लोगों को ट्रीटमेंट के बाद भी कोई खास फर्क नहीं पड़ता है, उन्हें पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट करवाना पड़ सकता है।
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सावधानी ही है डायबिटीज की समस्या का इलाज (Precautions of diabetes)
ब्रिटल डायबिटीज की समस्या रेयर होती है यानी लोगों में इस समस्या के पाए जाने की संभावना कम ही होती है। लेकिन ये बहुत जरूरी है कि इस बीमारी से बचने के लिए सावधानी रखी जाए। अगर आपको डायबिटीज का जोखिम है तो आपको अपने खानपान से लेकर लाइफस्टाइल में सुधार की जरूरत है ताकि आगे चलकर परिस्थितियां गंभीर न बन जाए। डॉक्टर आपको इस समस्या से बचने के लिए निम्न सलाह भी दे सकता है, जैसे कि